Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
बच्चों की मन जितना चंचल होता है, उनकी शरारतें उतनी ही मन को मंत्रमुग्ध करने वाली होती हैं। अगर बच्चों की शरारतों का ध्यान ना रखा जाये तो उनकी ये शरारतें उनके लिए बीमारी का कारण भी बन सकती हैं।
ठण्ड का मौसम आने वाला ही है। ऐसे मैं बच्चों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। पुरे साल भर बच्चे नंगे पैर घर में दौड़ते हैं। मगर ठण्ड में तो ध्यान रखना पड़ेगा की बच्चे नंगे पैर जमीन पे ना दौड़े।
ठण्ड का मौसम बहुत सी बीमारियोँ को निमंत्रण देता है। हर साल जाड़े में (winter season) लाखों माँ-बाप बच्चों की बीमारियोँ को ले के परेशान हो जाते हैं।
बाल रोग विशेषज्ञों के clinic पे बच्चों के साथ अभिभावकों का मेला सा लग जाती है। ऐसे में अक्लमंदी इस बात में है बच्चों के साथ पूरी सावधानी बाराती जाये की बच्चे बीमार ना पड़े।
थोड़ी सी सावधानी बरत कर माँ-बाप बच्चों को कई तरह के ठण्ड के मौसम में होने वाले बीमारियोँ से बच्चों को बचा सकते हैं।
अगर आप चाहते हैं की आप का बच्चा ठण्ड के मौसम में स्वस्थ रहे तो ये टिप्स आप की सहायता करेंगे
ठण्ड के दिनों में अपने शिशु को आवश्यकता अनुसार एक-के-ऊपर-एक कई कपडे पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें की आप के बच्चे का सर, गाला और हाथ पूरी तरह ढके हुए हों।
बच्चों को ठण्ड में बड़ों की तुलना में एक लेयर कपडे और पहनाएं। ठण्ड के दिनों में बच्चों को स्किन रैशेज (skin rash) का खतरा ज्यादा रहता है क्यूंकि बच्चे दिन भर कपड़ों में ढके रहते हैं।
ऐसे मैं बच्चों के कपड़ों का सही तरीके से चुनाव नहीं किया गया तो कुछ कपडे बच्चों के लिए तकलीफदेह हो सकते हैं।
बच्चों को सिखाएं की अगर खेलते वक्त वे भीग जाएँ तो तुरंत आ कर आप को बताएं। समय-समय पे बच्चे के कपड़ों को जांचते रहें की कहीं वे भीग तो नहीं गएँ हैं।
बड़ों की तुलना में बच्चों का शरीर तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। इसीलिए आप को ख्याल रखना पड़ेगा की बच्चे भीगे नहीं - क्यूंकि बच्चे तुरंत बीमार पड सकते हैं।
अगर ध्यान ना रखा जाये तो बच्चे भीगने के बावजूद भी बहार ठण्ड में खेलते रहेंगे। इस बात का हमेशा ध्यान रखें की बच्चे सूखे हों और गरम हों।
ठण्ड में पानी से भीगने से बच्चों को मौसमी बुखार का खतरा तो रहता ही है, साथ ही न्यूमोनिया का भी खतरा बना रहता है।
न्यूमोनिया फेफड़ो पर असर करने वाला एक ऐसा संक्रमण है जिसकी वजह से फेफड़ो में सूजन होती है और उसमें एक प्रकार का गीला पन आ जाता है, जिससे श्वास नली अवरुद्ध हो जाती है और बच्चे को खाँसी आने लगती है।
यह बीमारी सर्दी जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चल कर जानलेवा भी साबित हो सकती है। यह बीमारी जाड़े के मौसम में अधिकतर होती है।
ठण्ड में बच्चों के कपड़ों को समय-समय पे टटोल के देखते रहें ताकी बहुत देर तक आप का बच्चा कहीं भीगा ना रह जाये।
ठण्ड के दिनो में कभी कभी कई दिनों तक धुप नहीं निकलता है। ऐसे मैं बच्चों को बहार ठण्ड में ना खेलने दें। बच्चों को केवल उन्ही दिनों बहार खेलने दें जिस दिन मौसम अच्छा हो और धुप अच्छा निकला हो।
जितने देर बच्चे बहार खेलें, आप उनके साथ बहार रहें। ठण्ड का मौसम बहुत शुष्कः होता है। और-तो-और अगर आप कमरे को गरम रखने के लिए ब्लोअर का इस्तेमाल कर रहें हैं तो कमरे के अंदर नमी का स्तर बेहद कम हो जायेगा।
इस वजह से बच्चों में ठण्ड के दिनों में नाक से खून बहने (nose bleeding in children) जिसे नकसीर फूटना भी कहते हैं, आम बात होती है। ठण्ड में आप को ध्यान देना है की आप के बच्चे नकसीर फूटने वाली स्थिति का सामना ना करना पड़े।
बच्चे ठण्ड के दिनों में पानी कम पीते हैं। मगर चूँकि ठण्ड का मौसम थोड़ा ड्राई होता है बच्चों को दिन भर तरल आहार देते रहने की आवश्यकता है। कोशिश करें की आप का बच्चा दिन भर में आवश्यकता अनुसार पानी पी ले।
हाथों के द्वारा सबसे ज्यादा और सब आसानी से संक्रमण फैलता है। बच्चों को संक्रमण से बचने के लिए ध्यान रखें की वे नियमित रूप से अपने हाथों को धोएं।
उन्हें सिखाएं की toilet इस्तेमाल करने के बाद उन्हें अच्छे से साबुन से हाथ धोना चाहिए। उन्हें यह भी सिखाएं की भोजन ग्रहण करने से पहले भी उन्हें साबुन से हाथ धोने की आवश्यकता है।
अगर आप के सारी कोशिशों के बाद भी आप का बच्चा बीमार पड जाता है तो आप की कोशिश होनी चाहिए की आप के बच्चे को सम्पूर्ण आराम मिल सके।
सोना और आराम करना भी एक तरीका जिसकी सहायता से बच्चे का शरीर संक्रमण से लड़ता है। बिस्तर पे आराम करने से आप का बच्चा जल्दी ठीक तो हो हि जायेगा और साथ है घर पे आप के दूसरे बच्चों को संक्रमण भी नहीं फैलेगा।
हालाँकि बच्चों को यह लगता है की वो इतने ठीक हैं की वे बहार जाकर खेल सकते हैं।
अगर कभी आप का बच्चा अचानक से अत्यधिक थका हुआ लगे या उसके अंदर कुछ असामान्य परिवर्तन दिखे तो सबसे पहले उसके शरीर का तापमान चेक करें।
यदि उसके शरीर का तापमान कम लगे तो ये समझ लेना चाहिए की आपके बच्चे को अल्प ताप या हाइपोथर्मिया की बीमारी हैं जो ठंड के मौसम में अधिक प्रभावी होती हैं। हाइपोथर्मिया की स्थिति में आप को अपने शिशु का विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता है।
कम वजन शिशु - यानी - जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 2 किलो से कम रहता है उन बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है।
इसकी वजह से संक्रमणजनित कई प्रकार के रोगों से बच्चे को खतरा बना रहता है। इसीलिए कम वजन शिशु का ठण्ड के दिनों में विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता है।
बच्चों को संक्रमण आसानी से लग जाता है। मगर इसका मतलब यह नहीं की आप बच्चे को पुरे ठण्ड के मौसम में घर के अंदर ही बंद कर के रख दें।
बच्चों को संक्रमण से बचाना जरुरी है। मगर अगर बच्चे को संक्रमण लग ही जाता है, इससे बच्चे को यह फायदा होता है की उसके शरीर के रोग प्रतिरोधक छमता बढ़ती है। - हाँ - मगर इसका मतलब यह कतई नहीं की आप बच्चे का उचित ध्यान रखना छोड़ दें।
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