Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
बच्चे के पांच महीने पुरे करने पर उसकी शारीरिक जरूरतें भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में जानकारी जरुरी है की बच्चे के अच्छी देख-रेख की कैसे जाये। पांचवे महीने में शिशु की देखभाल में होने वाले बदलाव के बारे में पढ़िए इस लेख में।

बच्चे के जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान बच्चा अपने चारों ओर के चीज़ों को समझने की कोशिश करता है। इसी दौरान वो अपने जिंदगी के पहले शब्दों को बोलना भी सीखता है।
जब बच्चा छोटा होता है तो उसके विकास और उसके सेहत से सम्बंधित बहुत से सवाल माँ-बाप के जेहन में उठते हैं। अगर आप का बच्चा 5 महीने का हो चूका है तो शिशु की देखभाल किस तरह की जाये - यह हम बताएँगे आपको इस लेख मैं।

बच्चों की मालिश पहले महीने से ही की जानी चाहिए। मालिश करने से बच्चों की मासपेशियाँ और हड्डियां मजबूत होती हैं। चूँकि 6 महीने का होते होते बच्चे की गर्दन स्थिर हो जानी चाहिए। गर्दन का स्थिर होना जरुरी है बच्चों में ठोस आहार को शुरू करने के लिए। मालिश इसमें बहुत मददगार साबित होगा। अगर आप ने अभी तक अपने बच्चे की मालिश नहीं की है, तो अब शुरू कर दें। बच्चे की मालिश से सम्बंधित बहुत से सवाल माँ-बाप के मन में आते हैं। जैसे की मालिश दूध पिलाने से पहले या दूध पिलाने के बाद करनी चाहिए। मालिश किस तेल से करना चाहिए। मालिश नहलाने से पहले करना चाहिए या बाद में। ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मिलेंगे मालिश से सम्बंधित लेख में। 5 महीने के शिशु का स्वास्थ्य और विकास दोनों के लिए मालिश जरुरी है।

जब बच्चा छोटा था तो उसकी त्वचा नाजुक थी। ऐसे में बच्चे को शुरुआती दिनों में गीले कपडे से पोछ देना ही काफी था। मगर अब आपका बच्चा पांच महीना का हो गया है। अगर मौसम ठण्ड नहीं है तो बच्चे को हर दिन नहलाने की कोशिश करनी चाहिए। नहाने के बाद बच्चा अच्छी नींद सोता है और सोना बढ़ते बच्चों की सेहत के लिए बहुत जरुरी है।

अध्यन में पाया गया है की जब बच्चे हलके कपडे पहनते हैं तो अच्छी नींद सोते हैं। सोते वक्त बच्चे को कपडे की कई परत ना पहनाये। बच्चों को ज्यादा गर्मी नुकसान पहुंचा सकती है।

बच्चा अपनी माँ के कोख से सिख के आता है की उसे अपनी माँ के स्तनों से दूध पीना है। ठीक उसी तरह बच्चा यह भी सिख के आता है की उसे रोना है अगर बड़ों का ध्यान आकर्षित करना है। बच्चे बोलना तो जानते नहीं हैं। रोना ही एक तरीका है जिससे बच्चे बताते हैं की उन्हें भूख लगी है या कुछ उन्हें परेशान कर रहा है। बच्चों के रोने से घबराएं नहीं। बल्कि पता करें की बच्चा क्योँ रो रहा है।

5 महीने का बच्चा इतना बड़ा हो चूका होता है की उसे दातों की देखभाल करना सिखाया जाये। दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं और उन्हें बहुत देखभाल की आवश्यकता होती है। बच्चे के हातों में ब्रश देने में देरी ना करे। जब तक बच्चा ब्रश करना शुरू ना करे, तब तक उसके दातों को सुबह गीले कपडे से साफ किया करें।

5 months old baby की गर्दन स्थिर होनी शुरू हो जाती है और मांसपेशियोँ में ताकत भी आने लगती है। इस उम्र में बच्चे बिना सहारे के करवट लेना सिख लेते हैं तथा बकियाँ (crawling) की कोशिश भी करने लगते हैं। 5 महीने के बच्चे की गतिविधियों तेज हो जाती हैं। इस दौरान बच्चों को किसी दुर्घटना से बचने के लिए उन्हें बिस्तर के ऊपर अकेला ना छोड़ें। जमीं पे carpet बिछा के खेलने दें। जिन वस्तुओं से बच्चों को खतरा हो उसे बच्चों की पहुँच से दूर रखें। घर के दरवाजे बंद रखें और सीढ़ियों पे gate लगा दें।
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डर, क्रोध, शरारत या यौन शोषण इसका कारण हो सकते हैं। रात में सोते समय अगर आप का बच्चा अपने दांतों को पिसता है तो इसका मतलब है की वह कोई बुरा सपना देख रहा है। बच्चों पे हुए शोध में यह पता चला है की जो बच्चे तनाव की स्थिति से गुजर रहे होते हैं (उदहारण के लिए उन्हें स्कूल या घर पे डांट पड़ रही हो या ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं जो उन्हें पसंद नहीं है) तो रात में सोते वक्त उनमें दांत पिसने की सम्भावना ज्यादा रहती है। यहाँ बताई गयी बैटन का ख्याल रख आप अपने बच्चे की इस समस्या का सफल इलाज कर सकती हैं।
बच्चों की आंखों में काजल लगाने से उनकी खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है। लेकिन शिशु की आंखों में काजल लगाने के बहुत से नुकसान भी है। इस लेख में आप शिशु की आँखों में काजल लगाने के सभी नुकसानों के बारे में भी जानेंगी।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
अक्सर गर्भवती महिलाएं इस सोच में रहती है की उनके शिशु के जन्म के लिए सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में से क्या बेहतर है। इस लेख में हम आप को दोनों के फायेदे और नुक्सान के बारे में बताएँगे ताकि दोनों में से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकें जो आप के लिए और आप के शिशु के स्वस्थ के लिए सुरक्षित हो।
सर्दी के मौसम में बच्चों का बीमार होना स्वाभाविक है। सर्दी और जुकाम के घरेलु उपचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें ताकि अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप तुरंत घर पे आसानी से उपलब्ध सामग्री से अपने बच्चे को सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकें। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है।
जाने की किस तरह से ह्यूमिडिफायर (Humidifier) बंद नाक और जुकाम से रहत पहुंचता है। साथ ही ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी सीखें। छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम और बंद नाक से रहत पहुँचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल की राय देते हैं। ठण्ड के दिनों में कमरे में कई कारण से नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। इससे शिशु को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
शिशु को 1 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कॉलरा, जापानीज इन्सेफेलाइटिस, छोटी माता, वेरिसेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
अगर आप का शिशु बहुत गुस्सा करता है तो इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है। सभी बच्चे गुस्सा करते हैं। गुस्सा अपनी भावना को प्रकट करने का एक तरीका है - जिस तरह हसना, मुस्कुराना और रोना। बस आप को अपने बच्चे को यह सिखाना है की जब उसे गुस्सा आये तो उसे किस तरह नियंत्रित करे।
ठण्ड के दिनों में बच्चों का अगर उचित ख्याल न रखा जाये तो वे तुरंत बीमार पड़ सकते हैं। कुछ विशेष स्वधानियाँ अगर आप बरतें तो आप का शिशु ठण्ड के दिनों में स्वस्थ और सुरक्षित रह सकता है। जानिए इस लेख में ठंड में बच्चों को गर्म रखने के उपाय।
सात से नौ महीने (7 to 9 months) की उम्र के बच्चों को आहार में क्या देना चाहिए की उनका विकास भलीभांति हो सके? इस उम्र में शिशु का विकास बहुत तीव्र गति से होता है और उसके विकास में पोषक तत्त्व बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
हमें आपने बच्चों को मातृभूमि से प्रेम करने की शिक्षा देनी चाहिए तथा उनके अंदर ये भावना पैदा करनी चाहिए की वे अपने देश के प्रति समर्पित रहें और ये सोचे की हमने अपने देश के लिए क्या किया है। वे यह न सोचे की देश ने उनके लिए क्या किया है। Independence Day Celebrations India गणतंत्र दिवस भारत नरेन्द्र मोदी 15 August 2017
पालन और याम से बना ये शिशु आहार बच्चे को पालन और याम दोनों के स्वाद का परिचय देगा। दोनों ही आहार पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैं और बढ़ते बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि| पढ़िए आसान step-by-step निर्देश पालक और याम से बने शिशु आहार को बनाने की विधि (baby food) - शिशु आहार| For Babies Between 7 to 12 Months
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
आप के बच्चे के लिए सही सनस्क्रीन का चुनाव तब तक संभव नहीं है जब तक की आप को यह न पता हो की आप के बच्चे की त्वचा किस प्रकार की है और कितने प्रकार के सनस्क्रीन बाजार में उपलब्ध हैं।
मां का दूध बच्चे के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और सुपाच्य होता है| माँ का दूध बच्चे में सिर्फ पोषण का काम ही नहीं करता बल्कि बच्चे के शरीर को कई प्रकार के बीमारियोँ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदान करता है| माँ के दूध में calcium होता है जो बच्चों के हड्डियोँ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) वैक्सीन (Hib Vaccination। Haemophilus Influenzae Type b in Hindi) - हिंदी, - हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।