Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺9 min read
1 साल के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 1 साल की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
 का आदर्श वजन और लम्बाई.jpg)
अधिकांश माँ-बाप की यह चिंता रहती है की
क्या उनके बच्चे का वजन सही है
या कंही बच्चे का वजन कम तो नहीं है?
बहुत लोग यह सोचते हैं की बच्चे का वजन इस बात पे निर्भर करता है की माँ किस तरह बच्चे को पालन - पोषण करती है।
मोठे/गोल-मटोल बच्चों को इस बात की निशानी माना जाता की बच्चे की परवरिश बहुत अच्छी तरह से हो रही है।
जाहिर है की यह बात सही नहीं है।
हर बच्चा अलग होता है और उसका शारीरिक डिल-डॉल बहुत से बातों पे निर्भर करता है जिन पे माँ-बाप का कोई नियंत्रण नहीं। उदहारण के लिए अनुवांशिकी गुण या बच्चा साल में कितनी बार बीमार पड़ा।
लेकिन यह आवशयक है की माँ-बाप इस बात से वाकिफ रहें की उनके बच्चे का विकास सामान्य रुप से हो रहा है।
| महीना | शिशु का वजन (KG) |
|---|---|
| 0 | 2.4 - 4.2 |
| 1 | 3.0 - 5.4 |
| 2 | 3.6 - 6.4 |
| 3 | 4.2 - 7.5 |
| 4 | 4.7 - 8.1 |
| 5 | 5.3 - 8.9 |
| 6 | 5.8 - 9.5 |
| 7 | 6.2 - 10.0 |
| 8 | 6.5 - 10.5 |
| 9 | 7.0 - 11.0 |
| 10 | 7.3 - 11.3 |
| 11 | 7.5 - 11.6 |
| 12 | 7.9 - 12.0 |
बच्चे का वजन अगर ज्यादा है तो उसके आहार में कटौती न करें। बच्चों को बड़ों की तरह diet करने की कोई जरुरत नहीं है। बस इस बात का ध्यान रखें की आप का बच्चा स्वस्थ रहे और क्रियाशील (active) रहे। उसे junk food और ऐसे आहार जिसमे empty calorie हो, न खाने को दें। इस बातों का ध्यान रखें:
जैसे जैसे आप के बच्चे के लम्बाई बढ़ेगी, उसका बढ़ा हुआ वजन शरीर के लम्बाई के अनुपात में समायोजित कर लेगा।
लेकिन अगर आप के बच्चे का वजन कम है तो यह गंभीर चिंता का विषय हो सकता है। शिशु को ऐसे आहार दें जो शिशु के वजन को बढ़ाने में सहायता करें - जैसे की आप उसके आहार में शुद्ध देसी घी मिला के दे सकती है। गाए का देसी घी पौष्टिक भी बहुत है और तुरंत वजन बढ़ाने में योगदान भी देता है।

शिशु का वजन नहीं बढ़ने के बहुत से कारण हो सकती हैं। इसीलिए आप अपने बच्चे को डॉक्टर के पास लेके जाएँ। हो सकता है की भरपूर आहार के बाद भी आप का बच्चा कुपोषण का शिकार हो। कुपोषण का मतलब आप के शिशु को वो पोषण नहीं मिल पा रहे हैं जो उसके विकास के लिए आवशयक हैं।
नवजात शिशुओं पे हुए शोध में यह पाया गया है की जिन बच्चों का वजन कम होता है उनमें संक्रमण का खतरा दुसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा रहता है। इसिलिय आवश्यक है की शिशु का वजन बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाये।
| उम्र | वजन |
|---|---|
| 0-3 महीने | 175 g – 210 g का बढ़त प्रतियेक सप्ताह की दर से |
| 5 महीना | जन्म के वजन का दुगना |
| 6-12 महीना | 400 g प्रतियेक महीने की दर से |
| 1 साल | जन्म के वजन का तीन गुना |
| 2 साल | जन्म के वजन का चार गुना |
| 3 साल | जन्म के वजन का पांच गुना |
| 5 साल | जन्म के वजन का छेह गुना |
| 7 साल | जन्म के वजन का सात गुना |
| 10 साल | जन्म के वजन का दस गुना |
औसतन देखा जाये तो एक शिशु 3 से 7 साल के बीच करीब-करीब 2 किलो वजन हर साल अर्जित करता है। इसके बाद उसके वजन में औसतन 3 किलो वजन की वृद्धि हर साल होती है जब तक की वे युवा नहीं हो जाते हैं।
(WHO Standard Height and Weight Chart for Babies)
निचे दिए गए चार्ट में बच्चों के विकास को दर्शाया गया है। इस मानक को त्यार किया गया है WHO Multicenter Growth Reference Study से इकठा किये गए डेटा के आधार पे।
अपने शिशु के वजन के बारे में जानने के लिए इस चार्ट को देखने से पहले, इस चार्ट को समझना बहुत जरुरी है।
निचे दिए गए चार्ट के Simplified field में 5 तरह के percentile को दर्शाया गया है - जो इस तरह है - 3% , 15%, 50%, 85%, 97%
तीसरा परसेंटाइल (3%) का लकीर सामान्य रेंज का निचला स्तर दर्शाता है। तीन प्रतिशत (3%) नवजात शिशु और बच्चे
तीसरा परसेंटाइल (3%) के लकीर के निचे होते हैं। यह चिंताजनक बात है।
पचासवां परसेंटाइल (50%) वो है जहाँ आबादी के पचास प्रतिशत बच्चे टहरते हैं। सतानवे परसेंटाइल (97%) सामान्य रेंज का ऊपरी स्तर दर्शाता है। बच्चों की आबादी का तीन प्रतिशत (3%) सतानवे परसेंटाइल (97%) से उप्पर रहता है।
दो परसेंटाइल (2%) से लेकर अट्ठानवे परसेंटाइल (98%) के बीच BMI plot होना सामान्य विकास दर दर्शाता है।
चलिए अब एक उदहारण के मदद से इसे समझते हैं:
एक नवजात शिशु (लड़की) के जन्म का वजन 2.7 kg है। अगर आप ऊपर दिए चार्ट को देखते हैं तो आप पाएंगे की यह 15% में आता है।
बच्ची के एक साल पूरा करने पे उसका वजन होता है 7.8 kg

अब अगर हम इसे Baby Growth Chart की मदद से समझे तो पाएंगे की शिशु का विकास सामान्य रूप से ठीक हो रहा है। क्योँकि शिशु का वजन यानी विकास परसेंटाइल (percentile) रेखा के अनुसार ही हो रहा है।

यहां निचे WHO के अनुसार चार्ट दिया गया है। आप इसमें अपने शिशु का वजन plot कर सकती है और यह जान सकती हैं की आप के बच्चे का विकास परसेंटाइल (percentile) रेखा के अनुसार हो रहा है या नहीं।
उदहारण के लिए अगर एक साल के शिशु का वजन 5.8 kg तो WHO के Baby Growth Chart के अनुसार यह बेहद चिंता का विषय है। शिशु या तो कुपोषण का शिकार है या हो सकता है की किसी चिंताजनक बीमारी के कारण शिशु का वजन कम है और उसे तुरंत डॉक्टरी जाँच की आवश्यकता है।
शिशु का वजन अगर सामान्य से कम है तो तुरंत बच्चे का डॉक्टरी जाँच करवाएं। एक बार जाँच में बीमारी की सम्भावना ख़त्म हो जाये तो निर्णायक तौर पे कहा जा सकता है की शिशु का कम वजन कुपोषण की वजह से है।
शिशु जो ठीक तरह से स्तनपान नहीं कर पाते हैं वे ज्यादा देर तक स्तनपान नहीं कर पाते हैं। इस वजह से उन्हें माँ के स्तनों से गाहड़ा (richer) दूध नहीं मिल पता है। शिशु जब छह महीने का या उससे बड़ा हो जाते तो उसे अधिक कैलोरी वाले आहार जैसे की केले खाने को दें - ना की आइसक्रीम।
अगर आप के शिशु का वजन औसत से कम है तो आप का चिंता करना लाजमी है। जब आप शिशु का वजन बढ़ने के लिए आहार निर्धारित कर रही हैं तो केवल ऐसे आहारों का चयन न करें जो सिर्फ वजन बढ़ाये। बल्कि ऐसे आहारों को भी समलित करें जो शिशु के भूख को भी बढ़ाये। इससे आप को शिशु के पीछे परेशान नहीं होना पड़ेगा। आज के माँ-बाप की आम समस्या ये है की उनके शिशु को भूख ही नहीं लगती। और यही अधिकांश शिशुओं के कम वजन या कुपोषण की मुख्या वजह है।
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विटामिन डी की कमी से शिशु का शारीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकता है। शिशु का शारीरिक विकास भी रुक सकता है। इसीलिए जरुरी है की शिशु के शारीर को पर्याप्त मात्र में विटामिन डी मिले। जब बच्चे बाहर धूप में खेलते हैं और कई प्रकार के पौष्टिक आहार ओं को अपने भोजन में सम्मिलित करते हैं तो उन के शरीर की विटामिन डी की आवश्यकता पूरी हो जाती है साथ ही उनकी शरीर को और भी अन्य जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं जो शिशु को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
अगर आप अपने बच्चे के व्यहार को लेकर के परेशान हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चों को डांटना और मरना विकल्प नहीं है। बच्चे जैसे - जैसे उम्र और कद काठी में बड़े होते हैं, उनके व्यहार में अनेक तरह के परिवेर्तन आते हैं। इनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे हो सकते हैं। लेकिन आप अपनी सूझ बूझ के से अपने बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) को विकसित कर सकती हैं। इस लेख में पढ़िए की किस तरह से आप अपने बच्चे में अच्छा परिवर्तन ला सकती हैं।
गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।
अगर आप के शिशु को केवल रात में ही खांसी आती है - तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं जिनकी चर्चा हम यहाँ करेंगे। बच्चे को रात में खांसी आने के सही कारण का पता लगने से आप बच्चे का उचित उपचार कर पाएंगे। जानिए - सर्दी और जुकाम का लक्षण, कारण, निवारण, इलाज और उपचार।
बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
शिशु को 10-12 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को टाइफाइड, हेपेटाइटिस A से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन कौन से टीके उसे आवश्यक रूप से लगा देने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी येहाँ प्राप्त करें - complete guide।
टाइफाइड कन्जुगेटेड वैक्सीन (TCV 1 & TCV2) (Typhoid Conjugate Vaccine in Hindi) - हिंदी, - टाइफाइड का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
अक्सर नवजात बच्चे के माँ- बाप जल्दबाजी या एक्साइटमेंट में अपने बच्चे के लिए ढेरों कपडे खरीद लेते हैं। यह भी प्यार और दुलार जाहिर करने का एक तरीका है। मगर माँ-बाप अगर कपडे खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान न रखे तो कुछ कपड़ों से बच्चे को स्किन रैशेज (skin rash) भी हो सकता है।
खिचड़ी हल्का होता है और आसानी से पच जाता है| पकाते वक्त इसमें एक छोटा गाजर भी काट के डाल दिया जाये तो इस खिचड़ी को बच्चे के लिए और भी पोषक बनाया जा सकता है| आज आप इस रेसिपी में एहि सीखेंगी|
9 महीने के बच्चों की आहार सारणी (9 month Indian baby food chart) - 9 महीने के अधिकतर बच्चे इतने बड़े हो जाते हैं की वो पिसे हुए आहार (puree) को बंद कर mashed (मसला हुआ) आहार ग्रहण कर सके। नौ माह का बच्चा आसानी से कई प्रकार के आहार आराम से ग्रहण कर सकता है। इसके साथ ही अब वो दिन में तीन आहार ग्रहण करने लायक भी हो गया है। संतुलित आहार चार्ट
सूजी का हलवा protein का अच्छा स्रोत है और यह बच्चों की immune system को सुदृण करने में योगदान देता है। बनाने में यह बेहद आसान और पोषण (nutrition) के मामले में इसका कोई बराबरी नहीं।
टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन vaccine - Td (tetanus, diphtheria) vaccine in hindi) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) के वायरस द्वारा होता है। - टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
चेचक को बड़ी माता और छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। बच्चों में चेचक बीमारी के वायरस थूक, यूरिन और नाखूनों आदि में पाएं जाते हैं। यह वायरस हवा में घुलकर साँस के द्वारा बच्चे के शरीर में आसानी से प्रवेश करते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में मसूरिका के नाम से भी जाना जाता है।
सबसे ज्यादा बच्चे गर्मियों के मौसम में बीमार पड़ते हैं और जल्दी ठीक भी नहीं होते| गर्मी लगने से जहां एक और कमजोरी बढ़ जाती है वहीं दूसरी और बीमार होने का खतरा भी उतना ही अधिक बढ़ जाता है। बच्चों को हम खेलने से तो नहीं रोक सकते हैं पर हम कुछ सावधानियां अपनाकर उनको गर्मी से होने वाली बीमारियों से जरूर बचा सकते हैं |
दस्त के दौरान बच्चा ठीक तरह से भोजन पचा नहीं पाता है और कमज़ोर होता जाता है। दस्त बैक्टीरियल संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी के दौरान उसको दिया गया ८०% आहार दस्त की वजह से समाप्त हो जाता है। इसी बैलेंस को बनाये रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आहार हैं जिससे दस्त के दौरान आपके बच्चे का पेट भरा रहेगा।