Category: बच्चों का पोषण
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बच्चों के दांत निकलते समय दर्द और बेचैनी होती है।इसे घरेलु तरीके से आसानी ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपचार के साथ-साथ आप को कुछ और बैटन का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि बच्चे की को कम से कम किया जा सके। Baby teething problems in Hindi - Baby teeth problem solution

आपको यह सुनकर शायद ताजुब लगे, लेकिन कुछ बच्चे दांतों के साथ जन्म देते हैं। मगर यह दुर्लभ घटनाओं में ही ऐसा होता है।
अधिकांश बच्चे बिना दातों के जन्म लेते हैं। कुछ बच्चों में 6 महीने पर दांत निकल आते हैं तो कुछ बच्चों के दांत निकलने में साल भर या उससे ज्यादा भी लग जाता है।
जब बच्चों का दांत निकलता है उस वक्त बच्चों को इतनी दर्द और तकलीफों (Baby teething problems) से गुजरना पड़ता है कि शांत रहने वाला बच्चा भी बेचैन और चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है।
दांत निकलने की प्रक्रिया के दौरान शिशु के नए और तेज धारदार दांत शिशु के नाजुक से मसूड़ों को चीर कर बाहर निकलते हैं। जाहिर है कि इस प्रक्रिया में शिशु को दर्द और बेचैनी तो होना ही है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप किस तरह से शिशु के दांत निकलते समय आप उसके तकलीफ (Baby teething problems) को कम कर सकती हैं और आराम पहुंचा सकती है।

बच्चों का दांत निकलते समय आप किन बातों का ध्यान रख सकती है:
जब बच्चों के दांत निकल रहे होते हैं तब उनके अंदर खिलौनों को या उनके हाथ लगने वाली किसी भी वस्तु को मुंह में डालकर चबाने की इच्छा उत्पन्न होती है।
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ऐसा करने से उनके दांत निकलने की प्रक्रिया आसान हो जाती है क्योंकि चबाने के दौरान मसूड़ों पर दबाव पड़ता है और दांतों को बाहर आने का मौका मिलता है। इसी वजह से बाजार में अनेक प्रकार के टीथिंग टॉयज (Teething toys) उपलब्ध है।
सिलिकॉन या लकड़ी से बने टीथिंग टॉयज - ये टीथिंग टॉयज मुलायम होते हैं। इसी वजह से यह कुछ बच्चों के लिए बहुत कारगर हो सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि हर बच्चों के लिए कारगर हो।
जिन बच्चों को सिलिकॉन से बने टीथिंग टॉयज आराम ना मिले आप उन्हें लकड़ी के बने टीथिंग टॉयज दे सकती है।
जब बच्चों का दांत निकलता है तब पर जिस दर्द और बेचैनी से गुजरते हैं उसके लिए जरूरी नहीं कि डॉक्टर से संपर्क किया जाए।

एक बार बच्चों का दांत निकल आने पर यह दर्द अपने आप समाप्त हो जाता है और इसके लिए किसी विशेष चिकित्सा सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
लेकिन दांत निकलने के दौरान अगर शिशु को बुखार चढ़ जाए और उसकी स्थिति असहनीय हो तो इस स्थिति में आपको डॉक्टर से अवश्य मिलना चाहिए।
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अगर आप अपने शिशु का दांत निकलते वक्त हर प्रकार का घरेलु तरीका अपना चुकी है लेकिन आपके बच्चे को दर्द से राहत नहीं मिल रहा है तो आप डॉक्टर से शिशु के लिए पेन किलर (Painkillers) की बात कर सकती हैं।
दांत निकलते वक्त दर्द (Baby teething problems) को कम करने के लिए अनेक प्रकार के दवा बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें लेना सुरक्षित नहीं है।

दांत निकलते वक्त अगर शिशु को बुखार है उसे उल्टी हो रहा है और डायरिया की समस्या से भी अगर वह पीड़ित है तो यह जान लें कि यह दांत निकलने के साधारण लक्षण नहीं है।
हो सकता है इसके पीछे कोई और भी वजह हो इसीलिए अगर आपका शिशु इन अवस्थाओं से गुजर रहा है जो जितना जल्द हो सके डॉक्टर से संपर्क करें।

अधिकांश मामलों में बच्चों के दांत जोड़ों में निकलते हैं। सबसे पहले नीचे बीचों बीच दांत निकलते हैं। नीचे के 4 दांत पहले निकलते हैं।
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जब बच्चों का दांत निकलता है तब आप नई लक्षणों के द्वारा इसकी पहचान कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
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शिशु के दांत निकलते वक्त अगर उसे दर्द और बेचैनी (Baby teething problems) से आराम नहीं मिल रहा है तो हम नीचे कुछ आसान तरीके बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने शिशु को थोड़ी राहत पहुंचा सकती है।

बच्चे के मसूड़े को मसाज करें - साफ हाथों से या गीले कपड़े की मदद से हल्के हल्के शिशु के मसूड़े को रगड़ें। ऐसा करने पर शिशु के मसूड़े पर बना हुआ दबाव कम होगा और उसे बेचैनी से थोड़ी राहत मिलेगी।
मसूड़ों को ठंडा रखे - ठंडी कपड़े या ठंडी चम्मच की सहायता से शिशु के मसूड़ों को ठंडा करें। इससे शिशु को आराम पहुंचेगा। इस बात का ध्यान रखें कि शिशु को बरफ ना दें।
कड़े आहार दें - अगर आप अपने शिशु में ठोस आहार की शुरुआत कर चुके हैं तो आप अपने शिशु को कड़े आहार दे सकते हैं जैसे कि गाजर को धोकर के या अन्य फल जैसे कि सेब। ऐसे आहार देते समय अपने बच्चे पर नजर बनाए रखें क्योंकि टूटे हुए खड़े आहार बच्चे के गले में फंसने का डर बना रहता है।
लार को पोछते रहे - दांत निकलने के दौरान कुछ बच्चों के मुंह से साधारण से ज्यादा लार बन सकता है जो हर समय टपकता हुआ दिखाई दे। लार की वजह से शिशु की त्वचा पर रश पड़ सकता है। इससे बचने के लिए आप शिशु के लाभ को हर थोड़े थोड़े समय पर पूछते रहें ताकि उसकी त्वचा सुखी रहे।
वंशलोचन - शिशु का दांत निकलते समय उसे वंशलोचन और शहद मिलाकर चटाने से आराम मिलता है। इससे उसके दांतों का दर्द भी समाप्त होता है।

तुलसी - तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर बच्चों के मसूड़े पर लगाने से उन्हें डर से आराम मिलता है। इस बात का ध्यान रखें कि 1 साल से कम उम्र के बच्चों को शहद यह शहद से बना हुआ कोई भी घरेलू उपचार ना दें। 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए शहद बहुत हानिकारक है।
अंगूर - बच्चों के दांतों के दर्द को कम करने के लिए आप उन्हें अंगूर का रस भी पिला सकती हैं। इससे दांतों के दर्द को कम होंगे ही साथ ही बच्चों के दांत स्वस्थ और मजबूत निकलेंगे। दांत निकलते समय अपने शिशु को हर दिन दो चम्मच अंगूर का रस मिलाएं इससे उनके दांत सरलता से और शीघ्रता से निकलेंगे।

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गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी की खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में दैनिक आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिले तो उससे गर्भ में पल रहे उसकी शिशु किसी के फेफड़े मजबूत बनते (strong lungs) हैं, आंखों की दृष्टि बेहतर होती है और त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
मुख्यता दस कारणों से मिसकैरेज (गर्भपात) होता है। अगर इनसे बच गए तो मिसकैरेज नहीं होगा। जाने की मिसकैरेज से बचाव के लिए आप को क्या करना और क्या खाना चाहिए। यह भी जाने की मिसकैरेज के बाद फिर से सुरक्षित गर्भधारण करने के लिए आप को क्या करना चाहिए और मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कितना सुरक्षित है?
छोटे बच्चों के मसूड़ों के दर्द को तुरंत ठीक करने का घरेलु उपाय हम आप को इस लेख में बताएँगे। शिशु के मसूड़ों से सम्बंधित तमाम परेशानियों को घरेलु नुस्खे के दुवारा ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपाय के दुवारा बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने का सबसे बड़ा फायेदा ये होता है की उनका कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। यह शिशु के नाजुक शारीर के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का भी डर नहीं रहता है। लेकिन बच्चों का घरेलु उपचार करते समय आप को एक बात का ध्यान रखना है की जो घरेलु उपचार बड़ों के लिए होते हैं - जरुरी नहीं की बच्चों के लिए भी वह सुरक्षित हों। उदाहरण के लिए जब बड़ों के मसूड़ों में दरद होता है तो दांतों के बीच लोंग दबा लेने से आराम पहुँचता है। लेकिन यह विधि बच्चों के लिए ठीक नहीं है क्यूंकि इससे बच्चों को लोंग के तेल से छाले पड़ सकते हैं। बच्चों के लिए जो घरेलु उपाय निर्धारित हैं, केवल उन्ही का इस्तेमाल करें बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
शिशु का जन्म पूरे घर को खुशियों से भर देता है। मां के लिए तो यह एक जादुई अनुभव होता है क्योंकि 9 महीने बाद मां पहली बार अपने गर्भ में पल रहे शिशु को अपनी आंखों से देखती है।
सभी बचों का विकास दर एक सामान नहीं होता है। यही वजह है की जहाँ कुछ बच्चे ढाई साल का होते होते बहुत बोलना शुरू कर देते हैं, वहीँ कुछ बच्चे बोलने मैं बहुत समय लेते हैं। इसका मतलब ये नहीं है की जो बच्चे बोलने में ज्यादा समय लेते हैं वो दिमागी रूप से कमजोर हैं, बल्कि इसका मतलब सिर्फ इतना है की उन्हें शारीरिक रूप से तयार होने में थोड़े और समय की जरूरत है और फिर आप का भी बच्चा दुसरे बच्चों की तरह हर प्रकार की छमता में सामान्य हो जायेगा।आप शिशु के बोलने की प्रक्रिया को आसन घरेलु उपचार के दुवारा तेज़ कर सकती हैं।
शिशु की खांसी एक आम समस्या है। ठंडी और सर्दी के मौसम में हर शिशु कम से कम एक बार तो बीमार पड़ता है। इसके लिए डोक्टर के पास जाने की अव्शाकता नहीं है। शिशु खांसी के लिए घर उपचार सबसे बेहतरीन है। इसका कोई side effects नहीं है और शिशु को खांसी, सर्दी और जुकाम से रहत भी मिल जाता है।
घर पे करें तयार झट से शिशु आहार - इसे बनाना है आसन और शिशु खाए चाव से। फ्राइड राइस में मौसम के अनुसार ढेरों सब्जियां पड़ती हैं। सब्जियौं में कैलोरी तो भले कम हो, पौष्टिक तत्त्व बहुत ज्यादा होते हैं। शिशु के मानसिक और शारीरक विकास में पौष्टिक तत्वों का बहुत बड़ा यौग्दन है।
शिक्षक वर्तमान शिक्षा प्रणाली का आधार स्तम्भ माना जाता है। शिक्षक ही एक अबोध तथा बाल - सुलभ मन मस्तिष्क को उच्च शिक्षा व आचरण द्वारा श्रेष्ठ, प्रबुद्ध व आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। प्राचीन काल में शिक्षा के माध्यम आश्रम व गुरुकुल हुआ करते थे। वहां गुरु जन बच्चों के आदर्श चरित के निर्माण में सहायता करते थे।
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
पालन और याम से बना ये शिशु आहार बच्चे को पालन और याम दोनों के स्वाद का परिचय देगा। दोनों ही आहार पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैं और बढ़ते बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि| पढ़िए आसान step-by-step निर्देश पालक और याम से बने शिशु आहार को बनाने की विधि (baby food) - शिशु आहार| For Babies Between 7 to 12 Months
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
29 रोचक और पौष्टिक शिशु आहार बनाने की विधि जिसे आप का लाडला बड़े चाव से खायेगा। ये सारे शिशु आहार को बनाना बहुत ही आसान है, इस्तेमाल की गयी सामग्री किफायती है और तैयार शिशु आहार बच्चों के लिए बहुत पौष्टिक है। Ragi Khichdi baby food शिशु आहार
चूँकि इस उम्र मे बच्चे अपने आप को पलटना सीख लेते हैं और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, आप को इनका ज्यादा ख्याल रखना पड़ेगा ताकि ये कहीं अपने आप को चोट न लगा लें या बिस्तर से निचे न गिर जाएँ।
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।
पांच दालों से बनी खिचड़ी से बच्चो को कई प्रकार के पोषक तत्त्व मिलते हैं जैसे की फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स (minerals)| मिनरल्स शरीर के हडियों और दातों को मजबूत करता है| यह मेटाबोलिज्म (metabolism) में भी सहयोग करता है| आयरन शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और फाइबर पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है|
बच्चों को दातों की सफाई था उचित देख रेख के बारे में बताना बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चों के दातों की सफाई का उचित ख्याल नहीं रखा गया तो दातों से दुर्गन्ध, दातों की सडन या फिर मसूड़ों से सम्बंधित कई बिमारियों का सामना आप के बच्चे को करना पड़ सकता है।
अगर 6 वर्ष से बड़ा बच्चा बिस्तर गिला करे तो यह एक गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति मैं आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह ना ली गयी तो बीमारी बढ़ भी सकती है।
बच्चों का मालिश बहुत महत्वपूर्ण है। आप के बच्चे का स्पर्श आप के प्यार और दुलार का एक माध्यम है। मालिश इसी का एक रूप है। जिस प्रकार से आप के बच्चे को पौष्टिक भोजन की आवशकता अच्छे growth और development के लिए जरुरी है, उसी तरह मालिश भी जरुरी है।
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।