Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺9 min read
कुछ घरेलु उपायों के मदद से आप अपने बच्चे की खांसी को तुरंत ठीक कर सकती हैं। लेकिन शिशु के सर्दी और खांसी को थिंक करने के घरेलु उपायों के साथ-साथ आप को यह भी जानने की आवशयकता है की आप किस तरह सावधानी बारात के अपने बच्चे को सर्दी और जुकाम लगने से बचा सकती हैं।
आप चाहे अपने नन्ही सी जान के लिए कितने भी जतन कर लें - लेकिन कुछ चीज़ें नियंत्रण से बहार होती हैं। और आप उनके विषय में कुछ भी नहीं कर सकती हैं। जैसे की आप मौसम को बदलने से नहीं रोक सकती हैं।
लेकिन आप अपने शिशु को खांसी से बचाने के लिए चार काम कर सकती हैं।
अगर इतना करने के लिए आप त्यार हैं तो आप का शिशु और बच्चों की तुलना में स्वस्थ भी रहेगा और उसका मानसिक और शारीरिक विकास भी बढ़िया होगा।
फिर भी,
कभी भी अपने बच्चे की तुलना दुसरे बच्चों से ना करें, क्योँकि हर बच्चे की शारीरिक बनावट भिन होती है और उसके विकास पे 'डी एन ए' (DNA) तथा सामाजिक और पारिवारिक परिवेश का भी प्रभाव पड़ता है।
कुछ सावधानियां बरत कर भी आप अपने शिशु को बीमार होने से बचा सकती हैं।
शिशु की खांसी को ठीक करने के लिए 15 आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे आप यहां पढ़ सकती हैं।
व्यक्ति की श्वसन तंत्र (respiratory system) में तकलीफ होने पे शरीर खांस के प्रतिक्रिया करता है। खांसने से शिशु के श्वसन तंत्र (respiratory system) में जमा कफ (बलगम/mucus) साफ़ हो जाता है और शिशु ठीक से साँस लेने में सक्षम हो जाता है।
शिशु के शारीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र वयस्क की तरह सुदृण नहीं होती है। इस वजह से बच्चे थोड़ा भी संक्रमण के संपर्क में आते ही बीमार पड़ जाते हैं। शिशु को खांसी तीन मुख्या कारणों से होती है:
जिस वक्त मौसम में बदलाव आता है, ठीक उसी वक्त प्रकृति में भी बदलाव कुछ इस तरह आता है की वातावरण परागकण (pollen grain) से भर जाता है।
आप किसी भी तरह अंदाज से यह पता नहीं कर सकते हैं की वायु में परागकण (pollen grain) मौजूद है या नहीं।
वायु में मौजूद परागकण (pollen grain) का वयस्कों पे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन बच्चों का अलेर्जी के कारण बुरा हाल हो जाता है।
वातावरण में मौजूद परागकण (pollen grain) के संपर्क में आते ही बच्चे खांसने लगते हैं, उनका नाक बहने लगता है, और छाती में जकड़न (chest congestion) हो जाता है।
इसी प्रकार के लक्षण जुकाम के विषाणु के संक्रमण के कारण भी होता है - बस अंतर इतना है की विषाणु के संक्रमण की वजह से बच्चे को बुखार भी होता है।
सर्द मौसम में धूल और परागकण (pollen grain) की वजह से बच्चों का श्वसन तंत्र (respiratory system) संवेदनशील हो जाता है और शुष्क वातावरण के कारण उनकी इस स्थिति को और भी बुरी कर देती है। इसीलिए शिशु के कमरे में humidifier के इस्तेमाल से शिशु को बहुत आराम मिलता है।
अगर शिशु का जुकाम हवा में मौजूद धूल और परागकण (pollen grain) की वजह से तो कुछ दिनों के लिए शिशु के कमरे की खिड़कियां और दरवारे बंद कर दें।
इससे शिशु के कमरे में बहार से धूल और परागकण (pollen grain) अंदर नहीं आ पाएंगी और शिशु के स्थिति में बहुत सुधार होगा।
शिशु की खांसी में सुधार होने में 1 से 2 सप्ताह तक का समय लग सकता है। लेकिन अगर शिशु की खांसी 10 दिनों के अंदर ठीक न हो तो डॉक्टर से परामर्श करें।
हो सकता है आप के शिशु को खांसी किसी दूसरी वजह से हो। कई गंभीर बीमारियोँ में भी खांसी के लक्षण दीखते हैं।
शिशु के खांसी को प्राकृतिक तरीके से ठीक किया जा सकता है। अगर आप निम्न उपायों पे ध्यान दें तो आप के शिशु की खांसी जल्दी ही ठीक हो सकेगी और आप का शिशु बीमार भी कम पड़ेगा।
शिशु को खांसते - खांसते उलटी होना एक बहुत ही आम बात है। यही वजह है की जब बच्चों को सर्दी और जुकाम लगता है तो उलटी का दौर भी शुरू होता है। बच्चे खांसते खांसते उलटी कर देते हैं।
सबसे ज्यादा तकलीफ उस वक्त होती है जब बच्चे रात को सोते - सोते खांसी की वजह से उठ जाते है और खांसते - खांसते उलटी तक कर देते हैं। हालाँकि खांसते खांसते उलटी करना कोई विशेष चिंता की बात नहीं है, लेकिन फिर भी आप अपने बच्चे के डाक्टर से इस विषय पे बात अवश्य कर लें।
लेकिन कभी कभी इस तरह से खांसते खांसते उलटी कर देना गंभीर बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं।
शिशु के सर के पीछे वाले हिस्से में बलगम इकठा हो जाता है। व्यस्क नाक में इकठा बलगम को छिनक के निकल देते हैं, मगर बच्चे घोट जाते हैं। इससे वो दिन-भर इकठ्ठा होता रहता है और सोते वक्त लेटते ही सिर पीछे वाले हिस्से से बह के नाक में भर जाता है।
तकिये के इस्तेमाल से सिर की उचाई ज्यादा हो जाएगी और नाक खुली रहेगी - जिससे शिशु बिना तकलीफ के साँस ले सकेगा।
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