Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?

क्या,
आप ने कभी ऐसी परिस्थिति का सामना किया है!
की आप अपने बच्चे के साथ अपनी खास सहेली से मिलने गई हों और उन्होंने आप के बच्चे को स्वादिष्ट कूकीज (बिस्कुट) दिया हो खाने को?
लेकिन तभी आप का ध्यान जाता है उस बिस्कुट पे मौजूद ड्राई-फ्रूट और मुमफली के टुकड़ों पे - और - आप सोच में पड़ जाती हैं।
आप के बच्चे को मूम्फ़ली के दानो से एलर्जी है!
क्या करें?
ऐसी परिस्थिति लगभग हर माँ-बाप को कभी-ना-कभी झेलनी पड़ती है।
अगर आप के बच्चे को किसी विशेष आहार से अलेर्जी है तो फिर उस आहार का एक बहुत छोटा सा भी टुकड़ा आप के बच्चे को बीमार कर सकता है।
बहुत से बच्चों को आहार से एलर्जी है।
फ़ूड एलर्जी तब होती है जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती करता है। आम तौर पर, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपको कीटाणुओं और रोगों से बचाती है। ऐसा एंटीबॉडी बनाकर करता है - जो आपको बैक्टीरिया, वायरस और अन्य छोटे जीवों से लड़ने में मदद करता है - जो आपको बीमार बना सकते हैं। लेकिन अगर आपको फ़ूड एलर्जी है, तो आपका प्रतिरक्षा तंत्र किसी विशेष भोजन को अपना दुश्मन समझ लेता है और इस तरह से व्यहार करता है जैसे कि यह वास्तव में आपके लिए खतरनाक है।
इसी प्रकार की चीज किसी भी एलर्जी के साथ होती है, चाहे वह एक दवा (जैसे पेनिसिलिन), हवा में पराग (घास, घास और पेड़ों से) या भोजन जैसे मूँगफली से हो। यह सब शरीर के लिए हानिकारक नहीं है, लेकिन जिस तरह से आपका शरीर प्रतिक्रिया करता है वह आप के लिए अच्छा नहीं है।
आप के शिशु को अगर मूंगफली से एलर्जी है और वो मूंगफली या कोई ऐसा आहार जिसमे मूंगफली का इस्तेमाल किया गया हो - खा ले तो उसके शरीर में मौजूद Antibodies इस तरह से बर्ताव करने लगता है जैसे की शिशु के शरीर में कोई बैक्टीरिया, वायरस आ गया हो। इस वजह से शरीर कुछ केमिकल बनाने लगता है जैसे की histamine जो शरीर पे इस तरह के एलर्जी वाले लक्षण पैदा करते हैं।
हिस्टामाइन, व्यक्ति की आंखों, नाक, गले, श्वसन तंत्र, त्वचा और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। फ़ूड एलर्जी वाले व्यक्ति को हल्का प्रतिक्रिया हो सकती है - या यह अधिक गंभीर रूप भी ले सकता है। एलर्जी प्रतिक्रिया तुरंत हो सकती है या आहार ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद हो सकता है
एलर्जी का सबसे पहला लक्षण हो सकता बहती नाक। इसके बाद त्वचा के खुजली, दाने और होंठों में झुनझुनी हो सकती है।
सबसे गंभीर मामलों में, फ़ूड एलर्जी की वजह से एनाफिलेक्सिस हो सकता है। यह एक अचानक, गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया है। जिसमें कई समस्याएं एक साथ होती हैं जैसे की त्वचा, श्वास, पाचन, हृदय और रक्त वाहिकाओं को एक साथ प्रभावित कर सकती है। किसी व्यक्ति के रक्तचाप गिर सकता है, श्वास नलिकाओं का संकुचित हो सकता है, और जीभ में सूजन हो सकती है।
इस तरह की प्रतिक्रिया से बचने के लिए बहुत सावधान रहना पड़ते हैं। और आपात स्थिति से निपटने के लिए हर वक्त त्यार रहने की आवश्यकता होती है। जैसे की इन लक्षणों को और अधिक खराब होने से रोकने के लिए आप एलर्जी की दवा हमेशा अपने पास रख सकती हैं।
जैसे-जैसे आप के बच्चे बड़े होते हैं, दूध और अंडों से एलर्जी होना समाप्त हो जाते हैं। लेकिन कुछ खास खाद्य पदार्थों जैसे की मूँगफली, कुछ प्रकार की मछलियों और झींगा मछली से अक्सर जीवनकाल तक एलर्जी बना रहता हैं।
कभी-कभी यह पता लगाना आसान होता है कि आप के बच्ची को फ़ूड एलर्जी है। हर बार अगर किसी विशेष आहार को ग्रहण करने के बाद अगर आप के बच्चे को एलर्जी हो तो समझ लेना चाहिए की उसे उस विशेष आहार के प्रति एलर्जी है। मगर बहुत सी परिस्थिति में आहार में एक से अधिक घातक (ingredient) होते हैं जिसकी वजह से यह पता लगाना बेहद मुश्किल काम होता है की आप के बच्चे को किस पदार्थ से अलेर्जी है।
जिसका अर्थ है कि अगर आपके माता-पिता या किसी अन्य करीबी रिश्तेदार के पास hay fever जैसी निश्चित एलर्जी है, तो आप के शिशु को भी यह एलर्जी होने की अधिक संभावना है। कुछ बच्चे जब छोटे होते हैं तभी फ़ूड एलर्जी विकसित कर सकते हैं, जबकि कुछ बच्चे समय के साथ बड़े होने पे फ़ूड एलर्जी विकसित कर सकते हैं। यह किसी के परिवेश या समय के साथ शरीर में होने वाले परिवर्तनों के कारण हो सकता है।
बहुत से लोग एक निश्चित भोजन पर प्रतिक्रिया करते हैं लेकिन वास्तव में यह एलर्जी नहीं है। उदाहरण के लिए, लैक्टोज intolerant वाले लोग दूध और अन्य डेयरी उत्पादों को खाने के बाद पेट के दर्द और दस्त का सामना करना पड़ता है।इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें दूध से एलर्जी हो। दूध पीने के बाद वे अच्छे महसूस नहीं करते क्योंकि उनका शरीर दूध में पाए जाने वाले शर्करा को ठीक से नहीं तोड़ पता है।
अपने बच्चों को सिखाएं की अगर उनको लगता है कि उनको एक निश्चित भोजन से एलर्जी हो सकती है, तो वे माता-पिता को इस बारे में बताएं ताकि वे उनको डॉक्टर की जांच करने के लिए ले जायेंगे।
यदि आपका चिकित्सक सोचता है कि आपको फ़ूड एलर्जी हो सकती है, तो वह आपको ऐसे डॉक्टर की राय लेने के लिए भेज देगा जो एलर्जी में विशेषज्ञ है। एलर्जी विशेषज्ञ आपको पिछले प्रतिक्रियाओं के बारे में पूछेंगे और भोजन खाने और लक्षण दिखने के बीच में कितना समय लगता है - इसके बारे में पूछ सकते हैं। एलर्जी विशेषज्ञ भी यह पूछ सकता है कि आपके परिवार में किसी और को एलर्जी है या अन्य एलर्जी से संबंधित स्थितियां, जैसे की एक्जिमा या अस्थमा।
एलर्जिस्ट (एलर्जी विशेषज्ञ) त्वचा परीक्षण करने की राय दे सकते हैं। त्वचा परीक्षण में यह देखने की कोशिश की जाती है की किस-किस आहार से आप को अलेर्जी हो सकती है। इस परिक्षण में डॉक्टर आप की त्वचा पे थोड़ी सी खरोंच बनाते हैं। और इन खरोंचों को अध्यन करते हैं की यह थोड़े से आहार (संभावित आहार जो एलर्जी पैदा करे) के साथ की तरह की प्रतिक्रिया करता है। इस परिक्षण में चिकित्सक यह देख सकते हैं कि आपकी त्वचा प्रत्येक पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया कैसे करती है। यदि परिक्षण में खरोंच वाली जगह पे सूजन हो जाती है या लाल पद जाता है तो इसका मतलब यह है की आप का शरीर को उस भोजन या पदार्थ से एलर्जी है।
कुछ चिकित्सक रक्त का नमूना भी ले सकते हैं और इसे प्रयोगशाला में भेज सकते हैं। रक्त के नमूने को कुछ खाद्य पदार्थ जिससे आप एलर्जी हो सकते हैं - के साथ मिश्रित किया जाएगा - और एंटीबॉडी के लिए जाँच किया जायेगा।
खाद्य एलर्जी के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। कुछ बच्चों में यह बड़े होने पे स्वतः ही समाप्त हो जाता है। वहीँ दुसरे बच्चों में आहार के प्रति यह एलर्जी पुरे जीवन भर बना रह सकता है। फ़ूड एलर्जी का सबसे बेहतरीन इलाज यह है की आप जीवन भर ऐसे आहार से दूर रहें जिनसे की आप को फ़ूड एलर्जी होने की सम्भावना है।
स्वधानी के तौर पे फ़ूड लेबल को अवश्य पढ़ें। फ़ूड लेबल को पढ़ने से यह पता चलेगा की भोजन को बनाने में कौन कौन से आहार का इस्तेमाल किया गया है। कही ऐसा तो नहीं की उन आहारों का इस्तेमाल किया गया है जिनके प्रति आप के शिशु को एलर्जी।
कई बार हर प्रकार की सावधानी बरतने के बावजूद भी गलती से बच्चे एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों खा लेते हैं। ऐसी परिस्थिति का सामना करने के लिए अपने डॉक्टर से राय ले लें। हो सके तो अपने साथ antihistamine medication अवश्य रखें ताकि आपातकाल परिस्थिति में इसका इस्तेमाल किया जा सके।
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Vitamin A एक वसा विलेय विटामिन है जिस के अत्यधिक सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु में जन्म दोष की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है कि विटामिन ए गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि शिशु के विकास के लिए विटामिन ए एक महत्वपूर्ण घटक भी है।
सुपरफूड हम उन आहारों को बोलते हैं जिनके अंदर प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। सुपर फ़ूड शिशु के अच्छी शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत पूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बच्चों को वो सभी पोषक तत्व प्रदान करते हैं जो शिशु के शारीर को अच्छी विकास के लिए जरुरी होता है।
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। विटामिन डी हमारे रक्त में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। यह हमारे शारीरिक विकास की हर पड़ाव के लिए जरूरी है। लेकिन विटामिन डी की सबसे ज्यादा आवश्यक नवजात शिशु और बढ़ रहे बच्चों में होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटे बच्चों का शरीर बहुत तेजी से विकास कर रहा होता है उसके अंग विकसित हो रहे होते हैं ऐसे कई प्रकार के शारीरिक विकास के लिए विटामिन डी एक अहम भूमिका निभाता है। विटामिन डी की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को तथा जो महिलाएं स्तनपान कराती है उन्हें भी सबसे ज्यादा रहती है।
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