Category: बच्चों का पोषण
By: Admin | ☺16 min read
बच्चों के दांत निकलते समय दर्द और बेचैनी होती है।इसे घरेलु तरीके से आसानी ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपचार के साथ-साथ आप को कुछ और बैटन का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि बच्चे की को कम से कम किया जा सके। Baby teething problems in Hindi - Baby teeth problem solution
आपको यह सुनकर शायद ताजुब लगे, लेकिन कुछ बच्चे दांतों के साथ जन्म देते हैं। मगर यह दुर्लभ घटनाओं में ही ऐसा होता है।
अधिकांश बच्चे बिना दातों के जन्म लेते हैं। कुछ बच्चों में 6 महीने पर दांत निकल आते हैं तो कुछ बच्चों के दांत निकलने में साल भर या उससे ज्यादा भी लग जाता है।
जब बच्चों का दांत निकलता है उस वक्त बच्चों को इतनी दर्द और तकलीफों (Baby teething problems) से गुजरना पड़ता है कि शांत रहने वाला बच्चा भी बेचैन और चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है।
दांत निकलने की प्रक्रिया के दौरान शिशु के नए और तेज धारदार दांत शिशु के नाजुक से मसूड़ों को चीर कर बाहर निकलते हैं। जाहिर है कि इस प्रक्रिया में शिशु को दर्द और बेचैनी तो होना ही है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप किस तरह से शिशु के दांत निकलते समय आप उसके तकलीफ (Baby teething problems) को कम कर सकती हैं और आराम पहुंचा सकती है।
बच्चों का दांत निकलते समय आप किन बातों का ध्यान रख सकती है:
जब बच्चों के दांत निकल रहे होते हैं तब उनके अंदर खिलौनों को या उनके हाथ लगने वाली किसी भी वस्तु को मुंह में डालकर चबाने की इच्छा उत्पन्न होती है।
ऐसा करने से उनके दांत निकलने की प्रक्रिया आसान हो जाती है क्योंकि चबाने के दौरान मसूड़ों पर दबाव पड़ता है और दांतों को बाहर आने का मौका मिलता है। इसी वजह से बाजार में अनेक प्रकार के टीथिंग टॉयज (Teething toys) उपलब्ध है।
सिलिकॉन या लकड़ी से बने टीथिंग टॉयज - ये टीथिंग टॉयज मुलायम होते हैं। इसी वजह से यह कुछ बच्चों के लिए बहुत कारगर हो सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि हर बच्चों के लिए कारगर हो।
जिन बच्चों को सिलिकॉन से बने टीथिंग टॉयज आराम ना मिले आप उन्हें लकड़ी के बने टीथिंग टॉयज दे सकती है।
जब बच्चों का दांत निकलता है तब पर जिस दर्द और बेचैनी से गुजरते हैं उसके लिए जरूरी नहीं कि डॉक्टर से संपर्क किया जाए।
एक बार बच्चों का दांत निकल आने पर यह दर्द अपने आप समाप्त हो जाता है और इसके लिए किसी विशेष चिकित्सा सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
लेकिन दांत निकलने के दौरान अगर शिशु को बुखार चढ़ जाए और उसकी स्थिति असहनीय हो तो इस स्थिति में आपको डॉक्टर से अवश्य मिलना चाहिए।
अगर आप अपने शिशु का दांत निकलते वक्त हर प्रकार का घरेलु तरीका अपना चुकी है लेकिन आपके बच्चे को दर्द से राहत नहीं मिल रहा है तो आप डॉक्टर से शिशु के लिए पेन किलर (Painkillers) की बात कर सकती हैं।
दांत निकलते वक्त दर्द (Baby teething problems) को कम करने के लिए अनेक प्रकार के दवा बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें लेना सुरक्षित नहीं है।
दांत निकलते वक्त अगर शिशु को बुखार है उसे उल्टी हो रहा है और डायरिया की समस्या से भी अगर वह पीड़ित है तो यह जान लें कि यह दांत निकलने के साधारण लक्षण नहीं है।
हो सकता है इसके पीछे कोई और भी वजह हो इसीलिए अगर आपका शिशु इन अवस्थाओं से गुजर रहा है जो जितना जल्द हो सके डॉक्टर से संपर्क करें।
अधिकांश मामलों में बच्चों के दांत जोड़ों में निकलते हैं। सबसे पहले नीचे बीचों बीच दांत निकलते हैं। नीचे के 4 दांत पहले निकलते हैं।
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जब बच्चों का दांत निकलता है तब आप नई लक्षणों के द्वारा इसकी पहचान कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
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शिशु के दांत निकलते वक्त अगर उसे दर्द और बेचैनी (Baby teething problems) से आराम नहीं मिल रहा है तो हम नीचे कुछ आसान तरीके बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने शिशु को थोड़ी राहत पहुंचा सकती है।
बच्चे के मसूड़े को मसाज करें - साफ हाथों से या गीले कपड़े की मदद से हल्के हल्के शिशु के मसूड़े को रगड़ें। ऐसा करने पर शिशु के मसूड़े पर बना हुआ दबाव कम होगा और उसे बेचैनी से थोड़ी राहत मिलेगी।
मसूड़ों को ठंडा रखे - ठंडी कपड़े या ठंडी चम्मच की सहायता से शिशु के मसूड़ों को ठंडा करें। इससे शिशु को आराम पहुंचेगा। इस बात का ध्यान रखें कि शिशु को बरफ ना दें।
कड़े आहार दें - अगर आप अपने शिशु में ठोस आहार की शुरुआत कर चुके हैं तो आप अपने शिशु को कड़े आहार दे सकते हैं जैसे कि गाजर को धोकर के या अन्य फल जैसे कि सेब। ऐसे आहार देते समय अपने बच्चे पर नजर बनाए रखें क्योंकि टूटे हुए खड़े आहार बच्चे के गले में फंसने का डर बना रहता है।
लार को पोछते रहे - दांत निकलने के दौरान कुछ बच्चों के मुंह से साधारण से ज्यादा लार बन सकता है जो हर समय टपकता हुआ दिखाई दे। लार की वजह से शिशु की त्वचा पर रश पड़ सकता है। इससे बचने के लिए आप शिशु के लाभ को हर थोड़े थोड़े समय पर पूछते रहें ताकि उसकी त्वचा सुखी रहे।
वंशलोचन - शिशु का दांत निकलते समय उसे वंशलोचन और शहद मिलाकर चटाने से आराम मिलता है। इससे उसके दांतों का दर्द भी समाप्त होता है।
तुलसी - तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर बच्चों के मसूड़े पर लगाने से उन्हें डर से आराम मिलता है। इस बात का ध्यान रखें कि 1 साल से कम उम्र के बच्चों को शहद यह शहद से बना हुआ कोई भी घरेलू उपचार ना दें। 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए शहद बहुत हानिकारक है।
अंगूर - बच्चों के दांतों के दर्द को कम करने के लिए आप उन्हें अंगूर का रस भी पिला सकती हैं। इससे दांतों के दर्द को कम होंगे ही साथ ही बच्चों के दांत स्वस्थ और मजबूत निकलेंगे। दांत निकलते समय अपने शिशु को हर दिन दो चम्मच अंगूर का रस मिलाएं इससे उनके दांत सरलता से और शीघ्रता से निकलेंगे।
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