Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
शुद्ध देशी घी शिशु को दैनिक आवश्यकता के लिए कैलोरी प्रदान करने का सुरक्षित और स्वस्थ तरीका है। शिशु को औसतन 1000 से 1200 कैलोरी की जरुरत होती है जिसमे 30 से 35 प्रतिशत कैलोरी उसे वासा से प्राप्त होनी चाहिए। सही मात्रा में शुद्ध देशी घी शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देता है और शिशु के स्वस्थ वजन को बढ़ता है।

शुद्ध देशी घी कई तरह से शिशु के विकास में योगदान देता है।
यह शिशु के वजन को बढ़ता है - साथ ही कई तरह के minerals भी प्रदान करता है। शिशु की हड्डियों को मजबूत बनाता है। शिशु के मानसिक विकास के लिए सही अनुपात में DHA, और EPA और Vitamin A, D, E और K प्रदान करता है।
शिशु के पाचनतंत्र को मजबूत करता है, - और बहुत प्रकार की बीमारियोँ से भी बचाता है जिनके बारे में आप इस लेख में आगे पढ़ेंगे।
गाए के शुद्ध देसी घी की सबसे खास बात ये है की ये न तो तेल या डालडा (margarine) की तरह शरीर में इकठा होता है और न ही arteries को अवरूद्ध करता है।
इस तरह से शुद्ध देसी घी का प्रयोग ह्रदय सम्बन्धी समस्यों/जटिलताओं की सम्भावना को कम करता है।
हर वक्त दौड़ता और कूदता रहता हैं। इस समय उसके शरीर को बहुत ऊर्जा (calorie) की आवश्यकता पड़ती है। गाए के शुद्ध देशी घी से शिशु को प्रचुर मात्रा में ऊर्जा (calorie) मिलती है - जो उसके शरीर को दिन भर क्रियाशील रखने के लिए पर्याप्त है।

देशी घी में anti-fungal, anti-oxidant, anti-bacterial, और anti-viral गुण हैं जो शिशु के आंखों की दृष्टि को बेहतर बनाता है, उसके रोग प्रतिरोधक शक्ति को बेहतर करता है, जिससे शिशु का विकास बेहतर होता है।
शिशु के बढ़ते शरीर के लिए वासा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गाए का शुद्ध देशी घी सर्वोत्तम स्रोत है।
शिशु के विकासशील शरीर को हर दिन करीब 1200 calorie की आवश्यकता पड़ती है। शिशु को गाए का शुद्ध देशी घी देना सबसे आसान तरीका है उसकी दैनिक ऊर्जा (calorie) की आवश्यकता को पूरा करने का। शुद्ध देशी घी शिशु को शक्तिशाली और सक्रिय बनाता है।

शिशु को आहार से मिलने वाली दैनिक आवश्यकता के calorie का 30 से 35 प्रतिशत calorie उसे वासा से मिलनी चाहिए। यह उसके बढ़ते शरीर के लिए आवश्यक है।
लेकिन आप को अपने शिशु को तली ये तेल वाला आहार नहीं देना चाहिए।
थोड़े से विवेक से आप अपने शिशु के आहार में इस तरह घी समलित कर सकती हैं की उसे उसके दैनिक आवश्यकता के लिए अच्छी वासा मिल सके।
जब भी कोई शिशु पूरी तरह से ठोस आहार ग्रहण करने योग हो जाता है तो उसके जीवन में एक समय आता है जब उसका स्तनपान पूरी तरह से रोक दिया जाता है और कई तरह के ठोस आहार को बढ़ाया दिया जाता है। लेकिन यह समय ऐसा भी होता है जब शिशु का वजन कुछ समय के लिए थोड़ा गिर जाता है। यह इसलिए होता है क्योँकि स्तनपान के बंद होने पे शिशु को दैनिक आवश्यकता का वासा (जो स्तनपान से उसे मिल रहा था) अब मिलना बंद हो गया।

शिशु के आहार में आई वासा की इस कमी को आप पूरा कर सकती हैं। आप शिशु के आहार में थोड़ी सी मात्रा में गाए का शुद्ध देशी घी मिला के उसे खिलाएं। आप कई तरह से शिशु के आहार में गाए का शुद्ध देशी घी मिला के उसे परोस सकती हैं।
शिशु के आहार में देसी घी मिलाने से शिशु का केवल भूख ही नहीं बढ़ता है, बल्कि यह शिशु की आम बीमारियोँ से होने वाले तकलीफ को भी कम करता है। देशी घी बच्चों के लिए सर्दी और जुकाम की अचूक दवा भी है।

गैस के आंच पे थोड़ा सा देसी घी गरम करें, अब इसमें लहस्सों के कुछ फांके डाल दें और कुछ देर तक और गरम करें। जब यह हल्का ठंडा हो जाये तो इससे शिशु के छाती की मालिश करें। यह शिशु को छाती के जकड़न (chest congestion) राहत पहुंचाएगा।

अगर आप अपने बच्चे के लिए घर पे ही देशी घी निकल सकती हैं, तो इससे बेहतर विकल्प कोई नहीं। आप अपने शिशु के आहार में निम्न तरीकों से देशी घी मिला के खिला सकती हैं।
लेकिन शिशु को देसी भी अत्यधिक मात्रा में न दें। इससे उसका भूख मर सकता है।
शिशु के लिए केवल थोड़ी सी देशी घी पार्यप्त है। हर दिन अपने शिशु को आधी छोटी चम्मच से ज्यादा गाए का शुद्ध देशी घी न दें।

देशी घी शुद्धीकृत मक्खन है जिसमे 97 प्रतिशत वासा है। वासा शिशु को ऊर्जा प्रदान करता है, जरुरी विटामिन के अवशोषण में सहायक है, लेकिन इसकी एक सिमित मात्रा ही शिशु को देनी चाहिए।



किसी भी अन्य खाघ पदार्थ की तरह अत्यधिक सेवन बुरा हो सकता है। देशी घी भी वासा का ही एक रूप है। बीएस अंतर इतना है की यह दुसरे खाघ तेलों से ज्यादा सुरक्षित और बेहतर है।
ये आहार माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते करते हैं। अगर माइग्रेन है तो इन आहारों को न खाएं और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को इन आहारों को खाने के लिए दें जिसे माइग्रेन हैं। इस लेख में हम आप को जिन आहारों को माइग्रेन के दौरान खाने से बचने की सलाह दे रहे हैं - आप ने अनुभव किया होगा की जब भी आप इन आहारों को कहते हैं तो 20 से 25 minutes के अंदर सर दर्द का अनुभव होने लगता है। पढ़िए इस लेख में विस्तार से और माइग्रेन के दर्द के दर्द से पाइये छुटकारा।
8 लक्षण जो बताएं की बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर है। किसी बच्चे के व्यवहार को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि उस शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), गलत होगा। चिकित्सीय जांच के द्वारा ही एक विशेषज्ञ (psychiatrist) इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि बच्चे को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
जानिए कीवी फल खाने से शरीर को क्या क्या फायदे होते है (Health Benefits Of Kiwi) कीवी में अनेक प्रकार के पोषक तत्वों का भंडार होता है। जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में सक्षम होते हैं। कीवी एक ऐसा फल में ऐसे अनेक प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को बैक्टीरिया और कीटाणुओं से भी लड़ने में मदद करते। यह देखने में बहुत छोटा सा फल होता है जिस पर बाहरी तरफ ढेर सारे रोए होते हैं। कीवी से शरीर को अनेक प्रकार के स्वास्थ लाभ मिलते हैं। इसमें विटामिन सी, फोलेट, पोटेशियम, विटामिन के, और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों की भरमार होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है। कीवी में ढेर सारे छोटे काले बीज होते हैं जो खाने योग्य हैं और उन्हें खाने से एक अलग ही प्रकार का आनंद आता है। नियमित रूप से कीवी का फल खाने से यह आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यानी कि यह शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
गणतंत्र दिवस एक खुबसूरत अवसर है जिसका लाभ उठाकर सिखाएं बच्चों को आजादी का महत्व और उनमें जगाएं देश के संविधान के प्रति सम्मान। तभी देश का हर बच्चा बड़ा होने बनेगा एक जिमेदार और सच्चा नागरिक।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।
नौ महीने पुरे कर समय पे जन्म लेने वाले नवजात शिशु का आदर्श वजन 2.7 kg - से लेकर - 4.1 kg तक होना चाहिए। तथा शिशु का औसतन शिशु का वजन 3.5 kg होता है। यह इस बात पे निर्भर करता है की शिशु के माँ-बाप की लम्बाई और कद-काठी क्या है।
ठण्ड के मौसम में माँ - बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की शिशु को सर्दी जुकाम से कैसे बचाएं। अगर आप केवल कुछ बातों का ख्याल रखें तो आप के बच्चे ठण्ड के मौसम न केवल स्वस्थ रहेंगे बल्कि हर प्रकार के संक्रमण से बचे भी रहेंगे।
शिशु के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विटामिन डी का इस्तेमाल सूक्ष्मजीवीरोधी शक्ति (antibody) बनाने के लिए करता है। ये एंटीबाडी शिशु को संक्रमण से बचते हैं। जब शिशु के शरीर पे विषाणु और जीवाणु का आक्रमण होता है तो शिशु के शरीर में मौजूद एंटीबाडी विषाणु और जीवाणु से लड़ते हैं और उनके संक्रमण को रोकते हैं।
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
Beta carotene से भरपूर गाजर छोटे शिशु के लिए बहुत पौष्टिक है। बच्चे में ठोस आहार शुरू करते वक्त, गाजर का प्यूरी भी एक व्यंजन है जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िए आसान step-by-step निर्देश जिनके मदद से आप घर पे बना सकते हैं बच्चों के लिए गाजर की प्यूरी - शिशु आहार। For Babies Between 4-6 Months
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
आठ महीने की उम्र तक कुछ बच्चे दिन में दो बार तो कुछ बच्चे दिन में तीन बार आहार ग्रहण करने लगते हैं। अगर आप का बच्चा दिन में तीन बार आहार ग्रहण नहीं करना चाहता तो जबरदस्ती ना करें। जब तक की बच्चा एक साल का नहीं हो जाता उसका मुख्या आहार माँ का दूध यानि स्तनपान ही होना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मेनिंगोकोकल का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।