Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺13 min read
सर्दी के मौसम में बच्चों का बीमार होना स्वाभाविक है। सर्दी और जुकाम के घरेलु उपचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें ताकि अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप तुरंत घर पे आसानी से उपलब्ध सामग्री से अपने बच्चे को सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकें। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है।
छोटे बच्चे सर्दी और जुकाम की चपेट में आसानी से आ जाते हैं।
इसके तीन मुख्या कारण है:
इस लेख में आप पढ़ेंगी वो सारे घरेलु नुस्के जो आप के शिशु को सर्दी, जुकाम, नाक बंद, और बुखार से रहत पहुंचा सकते हैं।
सर्दी और जुकाम को ठीक करने के घरेलु नुस्के में इस्तेमाल की जाने वाली सारी सामग्री आप को अपने रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाएँगी।
आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है - वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट्स (side effects) के।
ठंडी के दिनों में यह जरुरी है की बच्चों पे विशेष ध्यान दिया जाये। उन्हें बड़ों की तुलना में एक लेयर (extra layer) कपडे ज्यादा पहनाएं, जाड़े में घर के अंदर रखें ताकि सर्द हवा से बच सके, पैरों में हर वक्त जूते पहना के रखें।
इसके आलावा आप को अपनी समझ और सूझ-बुझ से इस बात का ख्याल रखना है की बच्चे को किसी भी तरह ठंडी न लगे।
जब बच्चों को जुकाम हो जाता है तो फिर उनके लिए तो परेशानी है ही, - यह पुरे घर के लिए भी परेशानी का सबब बन जाता है।
जुकाम होने पे बच्चे ना तो स्तनपान कर पाते हैं, ना ही आहार ग्रहण कर पाते हैं तो ना ही रात को ठीक से सो पाते हैं।
जुकाम बढ़ जाने पे बच्चों को बंद नाक की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। घर में अगर छोटे बच्चे हैं तो आप पाएंगे की रात को सोते समय उन्हें दिन की उपेक्षा ज्यादा खांसी आती है और बंद नाक की समस्या उनमे ज्यादा विकराल होती है।
अधकांश बच्चे तो रात को सोते से उठ कर रोने लगते हैं और रोते रोते उलटी भी कर देते हैं। अगर सूझ-बूझ से काम ना लिए जाये तो बच्चे को सर्दी और जुकाम के कारण कुपोषण भी हो सकता है। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा - Complete Guide
पिछले कई सॉ सालो से सर्दी और जुकाम के इलाज में हल्दी का इस्तेमाल किया जा रहा है। शिशु पे इसका कोई भी बुरा प्रभाव (side effect) नहीं पड़ता है। सर्दी और जुकाम में हल्दी को इस्तेमाल करने का तरीका
शिशु को सर्दी और जुकाम में भाप दिलाना बहुत फायदेमंद है। साँस के दुवारा भाप अंदर लेने से नाक और छाती में जमा कफ (mucus) ढीला पद जाता है और आसानी से बहार आ जाता है। शिशु को भाप दिलाने के लिए बहुत से तरीके हैं।
साँस के दुवारा भाप अंदर लेने से शिशु का फेफड़ा साफ़ हो जायेगा और बंद नाक थता खांसी की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। जिस तरह बड़े भाप लेते हैं, उस तरह बच्चों को भाप न दिलाये। बच्चों के चेहरे की त्वचा बहुत नाजुक होती है और गर्म भाप से जल भी सकती है। दिन में दो बार भाप दिलाने से बच्चे को सर्दी और जुखाम से जल्द राहत मिलेगी।
शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) पूरी तरह विकसित नहीं होती है। इस वजह से बच्चे आसानी से संक्रमण के शिकार हो जाते हैं।
जो बच्चे स्तनपान करते हैं, वो बच्चे दुसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योँकि उन्हें माँ के शरीर में मौजूद एंटीबाडी स्तनपान के जरिये मिल जाती है।
माँ से मिलने वाले ये एंटीबाडी जुकाम के संक्रमण के साथ मुकाबला करते हैं और शिशु को स्वस्थ रखते हैं। कहने का तात्पर्य यह है की अपने बच्चे को कम-से-कम एक साल तक की उम्र तक स्तनपान कराते रहें ताकि आप का शिशु रहे स्वस्थ।
अजवाइन में जीवाणु प्रतिरोधक गुण है जिस वजह से यह सर्दी और खांसी के संक्रमण से शिशु को बचाने में सक्षम है। एक रूमाल में थोड़ा सा अजवाइन बंद लें और पोटली की तरह बना लें।
गरम तवे पे इसे सेंक लें। अजवाइन की पोटली बहुत जयादा गरम ना हो - शिशु की त्वचा बहुत कोमल होती है और जल सकती है। अब अजवाइन की पोटली से शिशु की छाती को सकें।
शिशु के छाती को सेकने के लिए उसके कपडे ना उतारने, बल्कि उसे कपडे के अंदर हाथ डाल के उसके छाती को सकें। इस प्रक्रिया को दो से तीन दिनों तक दोहराने से शिशु को जुकाम मैं बहुत राहत मिलेगा।
अजवाइन का गंध/महक बलगम (mucus) को दूर करने में कारगर है। बच्चों को जुकाम में सरसों के तेल में अजवाइन मिलाके मालिश करने से भी बहुत आराम मिलता है।
मालिश करने के लिए आप तेल इस तरह त्यार कर सकती है। एक कटोरी में थोड़ा सा तेल लें और हलके आंच में गर्म कर लें। जब सरसों का तेल गरम हो जाये तब उसमे अजवाइन की थोड़ी से मात्रा मिला दें।
अजवाइन और सरसों के तेल से बच्चे की हथेली, छाती, पैर और पूरे बदन में मालिश करने से बच्चे को जुकाम में बहुत राहत मिलता है।
अगर शिशु छह महीने से बड़ा हो गया है तो आप उसे स्तनपान के साथ-साथ ठोस आहार भी दे सकती हैं। सर्दी और जुकाम में सबसे बेहतर आहार है - सब्जियों का सूप।
अगर आप के बचे को जुकाम है और नाक भी बंद है तो आप अपने बच्चे को गर्म सूप पिला सकती हैं।
गर्म सूप (Soup) ना केवल जुकाम में राहत पहुंचता, बंद नाक खोलने में मदद करता है, बल्कि इसके साथ-साथ शिशु की रोग प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) को मजबूत भी बनता है और शरीर को तंदरूस्त भी रखता है।
सर्दी और जुकाम को दूर करने में अदरक बहुत ही प्रभावी घरेलु नुस्खा है। इसे भारत में सदियोँ से आजमाएगा है। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने सर्दी और जुकाम में अदरक की चाय ना पी हो।
लेकिन हम यहां अदरक का जिक्र इस लिए नहीं कर रहे हैं की आप अपने शिशु को अदरक की चाय पिलायें - बिलकुल नहीं। छोटे बच्चों को चाय बिलकुल पिने को ना दें।
बच्चों की सर्दी और जुकाम को दूर करने के लिए 6 कप पानी में आधा कप बारीक कटा हुआ अदरक ले लें। अब इसमें दालचीनी के दो छोटे टुकड़े। इस मिश्रण को 20 मिनट तक धीमी आंच पे पकने दें। इससे अदरक का काढ़ा त्यार हो जायेगा।
बीस मिनट तकपकने के बाद गैस को बंद कर दें और इस मिश्रण (अदरक का काढ़ा) को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब ठंडा हो जाये तो चाय छन्नी की सहायता से छान लें और इसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी या मिश्री मिला के एक साफ़ बोतल में रख लें।
शिशु को सर्दी और जुकाम में दिन में तीन बार एक-एक चम्मच पिलायें। इससे शिशु को बंद नाक या गले की खराश में रहत मिलेगी। शिशु को रात में सोने से पहले पिलाने से उसे नींद भी अच्छी आएगी और जुकाम भी कम होगा।
अगर आप के शिशु की उम्र एक साल से अधिक है तो आप अपने शिशु को सर्दी और जुकाम में तुलसी के पत्ते का काढ़ा भी पीला सकती हैं।
अदरक की तरह, तुलसी के पत्ते भी सर्दी और जुकाम को दूर करने में बहुत प्रभावी हैं। अच्छी बात तो यह है की अदरक की तरह तुलसी के पत्ते भी आसानी से हर भारतीय घरों में मिल जाते हैं।
तुलसी के पत्तों में जीवाणु प्रतिरोधक (anti bacterial) गुण होते हैं जिस वजह से यह शिशु को जुकाम से बचाता है। तुलसी के पत्ते का काढ़ा त्यार करने के लिए एक डेकची में एक लीटर पानी उबालें।
इस में तुलसी के पच्चीस से तीस ताजा और साफ पत्तों को डालें। इसमें दस से बारह पीसी हुई काली मिर्च डालें, दो तेजपत्ता, आधा चम्मच पीसा हुआ अदरक, दो से तीन दालचीनी के छोटे टुकड़े, चार से पाँच लौंग डालकर उबालें।
इस मिश्रण को तबतक उबालें जब ताकि बर्तन का पानी घट के आधा ना हो जाये। इस तरह त्यार हुए तुलसी के पत्ते के काढ़े को छान लें और इसमें हर आधे कप काढ़े में दो चम्मच शहद के हिसाब से शहद मिला के दिन में दो से तीन बार अपने बच्चे को पिलायें।
इससे बच्चे की खांसी ठीक होती है, छाती में जमा बलगम समाप्त होता है और बच्चे की बंद नाक की समस्या भी ख़तम होती है।
शिशु को लहसून का तेल लगाने से सर्दी और जुकाम में आराम मिलता है। लहसून का तेल त्यार करने के लिए एक कटोरी में तीन चम्मच सरसों का तेल लें, उसमे लहस्सों की दो से तीन कलियाँ डाल के गरम करें।
जब लहसून हल्का सा भू जाये तो आंच बंद कर दें और तेल को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब तेल ठंडा हो जाये तो उस तेल से बच्चे की छाती, हथेली और नाक पे हलके घंटों से मालिश करें। इससे बच्चे को बहुत आराम मिलेगा और खांसी की समस्या से भी निजात।
यह भी बहुत प्रभावी तरीका है शिशु की खांसी को दूर करने का। लेकिन ये तरीका केवल तीन साल से बड़े बच्चों के लिए है।
इसे त्यार करने के लिए एक गिलास गरम पानी में आधा चम्मच पिसा हुआ कला मिर्च, आधा चम्मच पिसा हुआ जीरा, और एक चम्मच गुड़ मिला के मिश्रण त्यार कर लें।
इसके सेवन से शिशु की सर्दी और जुकाम की समस्या दूर होती है। यह मिश्रण छाती में जमे बलगम को भी दूर करता है।
मगर एक बात का ध्यान रखें - इस मिश्रण में काली मिर्च का इस्तेमाल हुआ है इसलिए पहली बार शिशु को इस मिश्रण का केवल थोड़ी से मात्रा ही दें।
अगर शिशु को अगले दिन कोई समस्या न हो तो आप अगले दिन से शिशु में सर्दी और जुकाम का इलाज करने के लिए इस मिश्रण का इस्तेमाल कर सकती हैं।
लेकिन अगर इस मिश्रण की वजह से शिशु के पेट में दर्द या ऐठन हो तो बच्चे को यह मिश्रण दुबारा न दें।
सर्दी और खांसी की समस्या से शिशु को निजात दिलाने के लिए आप शिशु को नीबू के रस में शहद मिला के भी दे सकती हैं। नीबू के रस में विटामिन सी (Vitamin C) की मात्रा प्रचुर मात्रा मैं होती है।
विटामिन सी (Vitamin C) शिशु के शरीर को जुकाम के संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनाता है। शहद गले के खराश और सूजन को दूर करता है, नाक और छाती में जमे कफ/बलगम को ख़त्म करता है और बंद नाक से राहत दिलाता है।
इसे त्यार करने के लिए एक चम्मच में नीबू का रस गार लें। इसमें आधा चम्मच शहद मिला दें। इसे बच्चे को दें।
अगर आप का बच्चा एक साल का है तो इस दशा में आधे ग्लास पानी में आधा नीबू निचोड़ दें। अब इसमें आधा चम्मच शहद मिला के शिशु को पिलायें।
सर्दी और जुकाम में शिशु रोग विशेषज्ञ बच्चों को खूब सारा पानी पिने की सलाह देते हैं। पानी शरीर को संक्रमण से लड़ने में तीन तरह से सहायता करता है।
ठण्ड के दिनों में बच्चे को पानी हल्का गरम कर के पिलायें। बच्चे को ठंडा पानी पिलाने से उसकी खांसी और जुकाम और बढ़ जाएगी।
आप बच्चे के शरीर में पानी की मात्रा बढ़ने के लिए उसे तरल आहार भी दे सकती हैं जैसे की सूप।
ऊपर दिए गए घरेलु नुस्कों के दुवारा आप अपने शिशु का घर पे ही सर्दी और जुकाम का सफल इलाज कर सकती हैं।
अगर सारी सावधानियां बरतने के बाद भी आप के शिशु को बार बार सर्दी और जुकाम हो जा रहा है तो आप को चिंता अर्ने की अव्शाकता नहीं है - क्यूंकि दो साल तक की उम्र तक बच्चे को कम से कम आठ से दस बार सर्दी और जुकाम होगा। यानी की बच्चे को दो साल तक की उम्र तक सर्दी और जुकाम होना आम बात है।
बच्चों का शारीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं होता है। मगर हर संक्रमण के बाद शिशु का शारीर संक्रमण से लड़ने में पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो जाता है।
दो साल से छोटे बच्चे को सर्दी और जुकाम होना आम बात है, इसका मतलब यह नहीं है की आप पनेबच्चे को लेके अश्श्वस्थ हो जाएँ। आप को अपने बच्चे को सर्दी और जुकाम से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
ठण्ड के दिनों में ध्यान रहे की बच्चे की छाती खुली ना रहे, बच्चा पानी में ना खेले, बच्चे के कपडे सूखें हो, और बच्चा मौसम के अनुकूल कपडे पहने हो।
अगर घर पे कोई और बीमार पड़े, या उसे सर्दी और जुकाम लगे तो बच्चे को उसके पास ना जाने दें। इस बात का ध्यान रखें की सर्दी और जुकाम ठीक होने के पंद्रह दिनों बाद तक भी सर्दी और जुकाम के संक्रमण शारीर में मौजूद रहता है।
घर में अगर कोई बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे बाकि बच्चों से तब तक दूर रखें जब तक की उसकी सर्दी और जुकाम पूरी तरह से ठीक ना हो जाये।
अगर आप इन बैटन का ध्यान रखेंगी तो आप के बच्चे सर्दी और जुकाम के मौसम में कम बीमार पड़ेंगे और अगर बीमार पड़ भी गए तो जल्दी ठीक भी जायेंगे।
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