Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺13 min read
सर्दी के मौसम में बच्चों का बीमार होना स्वाभाविक है। सर्दी और जुकाम के घरेलु उपचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें ताकि अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप तुरंत घर पे आसानी से उपलब्ध सामग्री से अपने बच्चे को सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकें। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है।

छोटे बच्चे सर्दी और जुकाम की चपेट में आसानी से आ जाते हैं।
इसके तीन मुख्या कारण है:
इस लेख में आप पढ़ेंगी वो सारे घरेलु नुस्के जो आप के शिशु को सर्दी, जुकाम, नाक बंद, और बुखार से रहत पहुंचा सकते हैं।
सर्दी और जुकाम को ठीक करने के घरेलु नुस्के में इस्तेमाल की जाने वाली सारी सामग्री आप को अपने रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाएँगी।
आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है - वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट्स (side effects) के।
ठंडी के दिनों में यह जरुरी है की बच्चों पे विशेष ध्यान दिया जाये। उन्हें बड़ों की तुलना में एक लेयर (extra layer) कपडे ज्यादा पहनाएं, जाड़े में घर के अंदर रखें ताकि सर्द हवा से बच सके, पैरों में हर वक्त जूते पहना के रखें।
इसके आलावा आप को अपनी समझ और सूझ-बुझ से इस बात का ख्याल रखना है की बच्चे को किसी भी तरह ठंडी न लगे।
जब बच्चों को जुकाम हो जाता है तो फिर उनके लिए तो परेशानी है ही, - यह पुरे घर के लिए भी परेशानी का सबब बन जाता है।
जुकाम होने पे बच्चे ना तो स्तनपान कर पाते हैं, ना ही आहार ग्रहण कर पाते हैं तो ना ही रात को ठीक से सो पाते हैं।
जुकाम बढ़ जाने पे बच्चों को बंद नाक की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। घर में अगर छोटे बच्चे हैं तो आप पाएंगे की रात को सोते समय उन्हें दिन की उपेक्षा ज्यादा खांसी आती है और बंद नाक की समस्या उनमे ज्यादा विकराल होती है।
अधकांश बच्चे तो रात को सोते से उठ कर रोने लगते हैं और रोते रोते उलटी भी कर देते हैं। अगर सूझ-बूझ से काम ना लिए जाये तो बच्चे को सर्दी और जुकाम के कारण कुपोषण भी हो सकता है। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा - Complete Guide

 के आम लक्षण.jpg)
 के गंभीर लक्षण.jpg)
पिछले कई सॉ सालो से सर्दी और जुकाम के इलाज में हल्दी का इस्तेमाल किया जा रहा है। शिशु पे इसका कोई भी बुरा प्रभाव (side effect) नहीं पड़ता है। सर्दी और जुकाम में हल्दी को इस्तेमाल करने का तरीका

शिशु को सर्दी और जुकाम में भाप दिलाना बहुत फायदेमंद है। साँस के दुवारा भाप अंदर लेने से नाक और छाती में जमा कफ (mucus) ढीला पद जाता है और आसानी से बहार आ जाता है। शिशु को भाप दिलाने के लिए बहुत से तरीके हैं।


साँस के दुवारा भाप अंदर लेने से शिशु का फेफड़ा साफ़ हो जायेगा और बंद नाक थता खांसी की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। जिस तरह बड़े भाप लेते हैं, उस तरह बच्चों को भाप न दिलाये। बच्चों के चेहरे की त्वचा बहुत नाजुक होती है और गर्म भाप से जल भी सकती है। दिन में दो बार भाप दिलाने से बच्चे को सर्दी और जुखाम से जल्द राहत मिलेगी।

शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) पूरी तरह विकसित नहीं होती है। इस वजह से बच्चे आसानी से संक्रमण के शिकार हो जाते हैं।
जो बच्चे स्तनपान करते हैं, वो बच्चे दुसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योँकि उन्हें माँ के शरीर में मौजूद एंटीबाडी स्तनपान के जरिये मिल जाती है।
माँ से मिलने वाले ये एंटीबाडी जुकाम के संक्रमण के साथ मुकाबला करते हैं और शिशु को स्वस्थ रखते हैं। कहने का तात्पर्य यह है की अपने बच्चे को कम-से-कम एक साल तक की उम्र तक स्तनपान कराते रहें ताकि आप का शिशु रहे स्वस्थ।
अजवाइन में जीवाणु प्रतिरोधक गुण है जिस वजह से यह सर्दी और खांसी के संक्रमण से शिशु को बचाने में सक्षम है। एक रूमाल में थोड़ा सा अजवाइन बंद लें और पोटली की तरह बना लें।
गरम तवे पे इसे सेंक लें। अजवाइन की पोटली बहुत जयादा गरम ना हो - शिशु की त्वचा बहुत कोमल होती है और जल सकती है। अब अजवाइन की पोटली से शिशु की छाती को सकें।

शिशु के छाती को सेकने के लिए उसके कपडे ना उतारने, बल्कि उसे कपडे के अंदर हाथ डाल के उसके छाती को सकें। इस प्रक्रिया को दो से तीन दिनों तक दोहराने से शिशु को जुकाम मैं बहुत राहत मिलेगा।
अजवाइन का गंध/महक बलगम (mucus) को दूर करने में कारगर है। बच्चों को जुकाम में सरसों के तेल में अजवाइन मिलाके मालिश करने से भी बहुत आराम मिलता है।

मालिश करने के लिए आप तेल इस तरह त्यार कर सकती है। एक कटोरी में थोड़ा सा तेल लें और हलके आंच में गर्म कर लें। जब सरसों का तेल गरम हो जाये तब उसमे अजवाइन की थोड़ी से मात्रा मिला दें।
अजवाइन और सरसों के तेल से बच्चे की हथेली, छाती, पैर और पूरे बदन में मालिश करने से बच्चे को जुकाम में बहुत राहत मिलता है।
अगर शिशु छह महीने से बड़ा हो गया है तो आप उसे स्तनपान के साथ-साथ ठोस आहार भी दे सकती हैं। सर्दी और जुकाम में सबसे बेहतर आहार है - सब्जियों का सूप।
अगर आप के बचे को जुकाम है और नाक भी बंद है तो आप अपने बच्चे को गर्म सूप पिला सकती हैं।
 शिशु की सर्दी को दूर करे.jpg)
गर्म सूप (Soup) ना केवल जुकाम में राहत पहुंचता, बंद नाक खोलने में मदद करता है, बल्कि इसके साथ-साथ शिशु की रोग प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) को मजबूत भी बनता है और शरीर को तंदरूस्त भी रखता है।
सर्दी और जुकाम को दूर करने में अदरक बहुत ही प्रभावी घरेलु नुस्खा है। इसे भारत में सदियोँ से आजमाएगा है। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने सर्दी और जुकाम में अदरक की चाय ना पी हो।
लेकिन हम यहां अदरक का जिक्र इस लिए नहीं कर रहे हैं की आप अपने शिशु को अदरक की चाय पिलायें - बिलकुल नहीं। छोटे बच्चों को चाय बिलकुल पिने को ना दें।
 is effective in cold and cough.jpg)
बच्चों की सर्दी और जुकाम को दूर करने के लिए 6 कप पानी में आधा कप बारीक कटा हुआ अदरक ले लें। अब इसमें दालचीनी के दो छोटे टुकड़े। इस मिश्रण को 20 मिनट तक धीमी आंच पे पकने दें। इससे अदरक का काढ़ा त्यार हो जायेगा।
बीस मिनट तकपकने के बाद गैस को बंद कर दें और इस मिश्रण (अदरक का काढ़ा) को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब ठंडा हो जाये तो चाय छन्नी की सहायता से छान लें और इसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी या मिश्री मिला के एक साफ़ बोतल में रख लें।

शिशु को सर्दी और जुकाम में दिन में तीन बार एक-एक चम्मच पिलायें। इससे शिशु को बंद नाक या गले की खराश में रहत मिलेगी। शिशु को रात में सोने से पहले पिलाने से उसे नींद भी अच्छी आएगी और जुकाम भी कम होगा।
अगर आप के शिशु की उम्र एक साल से अधिक है तो आप अपने शिशु को सर्दी और जुकाम में तुलसी के पत्ते का काढ़ा भी पीला सकती हैं।
अदरक की तरह, तुलसी के पत्ते भी सर्दी और जुकाम को दूर करने में बहुत प्रभावी हैं। अच्छी बात तो यह है की अदरक की तरह तुलसी के पत्ते भी आसानी से हर भारतीय घरों में मिल जाते हैं।

तुलसी के पत्तों में जीवाणु प्रतिरोधक (anti bacterial) गुण होते हैं जिस वजह से यह शिशु को जुकाम से बचाता है। तुलसी के पत्ते का काढ़ा त्यार करने के लिए एक डेकची में एक लीटर पानी उबालें।
इस में तुलसी के पच्चीस से तीस ताजा और साफ पत्तों को डालें। इसमें दस से बारह पीसी हुई काली मिर्च डालें, दो तेजपत्ता, आधा चम्मच पीसा हुआ अदरक, दो से तीन दालचीनी के छोटे टुकड़े, चार से पाँच लौंग डालकर उबालें।
 गुण.jpg)
इस मिश्रण को तबतक उबालें जब ताकि बर्तन का पानी घट के आधा ना हो जाये। इस तरह त्यार हुए तुलसी के पत्ते के काढ़े को छान लें और इसमें हर आधे कप काढ़े में दो चम्मच शहद के हिसाब से शहद मिला के दिन में दो से तीन बार अपने बच्चे को पिलायें।
इससे बच्चे की खांसी ठीक होती है, छाती में जमा बलगम समाप्त होता है और बच्चे की बंद नाक की समस्या भी ख़तम होती है।
शिशु को लहसून का तेल लगाने से सर्दी और जुकाम में आराम मिलता है। लहसून का तेल त्यार करने के लिए एक कटोरी में तीन चम्मच सरसों का तेल लें, उसमे लहस्सों की दो से तीन कलियाँ डाल के गरम करें।
 keeps cold and cough away सर्दी, जुकाम, खांसी, बंद नाक और कफ शिशु में.jpg)
जब लहसून हल्का सा भू जाये तो आंच बंद कर दें और तेल को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब तेल ठंडा हो जाये तो उस तेल से बच्चे की छाती, हथेली और नाक पे हलके घंटों से मालिश करें। इससे बच्चे को बहुत आराम मिलेगा और खांसी की समस्या से भी निजात।
 keeps cold and cough away.jpg)
यह भी बहुत प्रभावी तरीका है शिशु की खांसी को दूर करने का। लेकिन ये तरीका केवल तीन साल से बड़े बच्चों के लिए है।

इसे त्यार करने के लिए एक गिलास गरम पानी में आधा चम्मच पिसा हुआ कला मिर्च, आधा चम्मच पिसा हुआ जीरा, और एक चम्मच गुड़ मिला के मिश्रण त्यार कर लें।
इसके सेवन से शिशु की सर्दी और जुकाम की समस्या दूर होती है। यह मिश्रण छाती में जमे बलगम को भी दूर करता है।

मगर एक बात का ध्यान रखें - इस मिश्रण में काली मिर्च का इस्तेमाल हुआ है इसलिए पहली बार शिशु को इस मिश्रण का केवल थोड़ी से मात्रा ही दें।
अगर शिशु को अगले दिन कोई समस्या न हो तो आप अगले दिन से शिशु में सर्दी और जुकाम का इलाज करने के लिए इस मिश्रण का इस्तेमाल कर सकती हैं।

लेकिन अगर इस मिश्रण की वजह से शिशु के पेट में दर्द या ऐठन हो तो बच्चे को यह मिश्रण दुबारा न दें।
सर्दी और खांसी की समस्या से शिशु को निजात दिलाने के लिए आप शिशु को नीबू के रस में शहद मिला के भी दे सकती हैं। नीबू के रस में विटामिन सी (Vitamin C) की मात्रा प्रचुर मात्रा मैं होती है।
विटामिन सी (Vitamin C) शिशु के शरीर को जुकाम के संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनाता है। शहद गले के खराश और सूजन को दूर करता है, नाक और छाती में जमे कफ/बलगम को ख़त्म करता है और बंद नाक से राहत दिलाता है।

इसे त्यार करने के लिए एक चम्मच में नीबू का रस गार लें। इसमें आधा चम्मच शहद मिला दें। इसे बच्चे को दें।
अगर आप का बच्चा एक साल का है तो इस दशा में आधे ग्लास पानी में आधा नीबू निचोड़ दें। अब इसमें आधा चम्मच शहद मिला के शिशु को पिलायें।
सर्दी और जुकाम में शिशु रोग विशेषज्ञ बच्चों को खूब सारा पानी पिने की सलाह देते हैं। पानी शरीर को संक्रमण से लड़ने में तीन तरह से सहायता करता है।

ठण्ड के दिनों में बच्चे को पानी हल्का गरम कर के पिलायें। बच्चे को ठंडा पानी पिलाने से उसकी खांसी और जुकाम और बढ़ जाएगी।
आप बच्चे के शरीर में पानी की मात्रा बढ़ने के लिए उसे तरल आहार भी दे सकती हैं जैसे की सूप।


ऊपर दिए गए घरेलु नुस्कों के दुवारा आप अपने शिशु का घर पे ही सर्दी और जुकाम का सफल इलाज कर सकती हैं।
अगर सारी सावधानियां बरतने के बाद भी आप के शिशु को बार बार सर्दी और जुकाम हो जा रहा है तो आप को चिंता अर्ने की अव्शाकता नहीं है - क्यूंकि दो साल तक की उम्र तक बच्चे को कम से कम आठ से दस बार सर्दी और जुकाम होगा। यानी की बच्चे को दो साल तक की उम्र तक सर्दी और जुकाम होना आम बात है।
बच्चों का शारीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं होता है। मगर हर संक्रमण के बाद शिशु का शारीर संक्रमण से लड़ने में पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो जाता है।
दो साल से छोटे बच्चे को सर्दी और जुकाम होना आम बात है, इसका मतलब यह नहीं है की आप पनेबच्चे को लेके अश्श्वस्थ हो जाएँ। आप को अपने बच्चे को सर्दी और जुकाम से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
ठण्ड के दिनों में ध्यान रहे की बच्चे की छाती खुली ना रहे, बच्चा पानी में ना खेले, बच्चे के कपडे सूखें हो, और बच्चा मौसम के अनुकूल कपडे पहने हो।
अगर घर पे कोई और बीमार पड़े, या उसे सर्दी और जुकाम लगे तो बच्चे को उसके पास ना जाने दें। इस बात का ध्यान रखें की सर्दी और जुकाम ठीक होने के पंद्रह दिनों बाद तक भी सर्दी और जुकाम के संक्रमण शारीर में मौजूद रहता है।
घर में अगर कोई बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे बाकि बच्चों से तब तक दूर रखें जब तक की उसकी सर्दी और जुकाम पूरी तरह से ठीक ना हो जाये।
अगर आप इन बैटन का ध्यान रखेंगी तो आप के बच्चे सर्दी और जुकाम के मौसम में कम बीमार पड़ेंगे और अगर बीमार पड़ भी गए तो जल्दी ठीक भी जायेंगे।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
खांसी और जुकाम आमतौर पर सर्दी के वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ये आम तौर पर अपने आप दूर हो जाते हैं, और एंटीबायोटिक दवाएं आमतौर पर किसी काम की नहीं होती हैं। पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें की आप के बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पीने मिल रहा है।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
शिशु को 15-18 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
अल्बिनो (albinism) से प्रभावित बच्चों की त्वचा का रंग हल्का या बदरंग होता है। ऐसे बच्चों को धुप से बचा के रखने की भी आवश्यकता होती है। इसके साथ ही बच्चे को दृष्टि से भी सम्बंधित समस्या हो सकती है। जानिए की अगर आप के शिशु को अल्बिनो (albinism) है तो किन-किन चीजों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
शिक्षक वर्तमान शिक्षा प्रणाली का आधार स्तम्भ माना जाता है। शिक्षक ही एक अबोध तथा बाल - सुलभ मन मस्तिष्क को उच्च शिक्षा व आचरण द्वारा श्रेष्ठ, प्रबुद्ध व आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। प्राचीन काल में शिक्षा के माध्यम आश्रम व गुरुकुल हुआ करते थे। वहां गुरु जन बच्चों के आदर्श चरित के निर्माण में सहायता करते थे।
नवजात शिशु दो महीने की उम्र से सही बोलने की छमता का विकास करने लगता है। लेकिन बच्चों में भाषा का और बोलने की कला का विकास - दो साल से पांच साल की उम्र के बीच होता है। - बच्चे के बोलने में आप किस तरह मदद कर सकते हैं?
मसूर दाल की खिचड़ी एक अच्छा शिशु आहार है (baby food)| बच्चे के अच्छे विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतों की पूर्ति होती है। मसूर दाल की खिचड़ी को बनाने के लिए पहले से कोई विशेष तयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जब भी आप के बच्चे को भूख लगे आप झट से 10 मिनट में इसे त्यार कर सकते हैं।
उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
नवजात बच्चे से सम्बंधित बहुत सी जानकारी ऐसी है जो कुछ पेरेंट्स नहीं जानते। उन्ही जानकारियोँ में से एक है की बच्चों को 6 month से पहले पानी नहीं पिलाना चाहिए। इस लेख में आप पढेंगे की बच्चों को किस उम्र से पानी पिलाना तीख रहता है। क्या मैं अपनी ५ महीने की बच्ची को वाटर पानी दे सकती हु?
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
गर्मियों का मतलब ढेर सारी खुशियां और ढेर सारी छुट्टियां| मगर सावधानियां न बरती गयीं तो यह यह मौसम बिमारियों का मौसम बनने में समय नहीं लगाएगा| गर्मियों के मौसम में बच्चे बड़े आसानी से बुखार, खांसी, जुखाम व घमोरियों चपेट में आ जाते है|
जब बच्चा आहार ग्रहण करने यौग्य हो जाता है तो अकसर माताओं की यह चिंता होती है की अपने शिशु को खाने के लिए क्या आहर दें। शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है और इसीलिए उसे ऐसे आहारे देने की आवश्यकता है जिसे उनका पाचन तंत्र आसानी से पचा सके।
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।
दूध से होने वाली एलर्जी को ग्लाक्टोसेमिया या अतिदुग्धशर्करा कहा जाता है। कभी-कभी आप का बच्चा उस दूध में मौजूद लैक्टोज़ शुगर को पचा नहीं पाता है और लैक्टोज़ इंटॉलेन्स का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से उसे उलटी , दस्त व गैस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों में दूध में मौजूद दूध से एलर्जी होती है जिसे हम और आप पहचान नहीं पाते हैं और त्वचा में इसके रिएक्शन होने लगता है।
बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorbtion in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।