Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺26 min read
29 रोचक और पौष्टिक शिशु आहार बनाने की विधि जिसे आप का लाडला बड़े चाव से खायेगा। ये सारे शिशु आहार को बनाना बहुत ही आसान है, इस्तेमाल की गयी सामग्री किफायती है और तैयार शिशु आहार बच्चों के लिए बहुत पौष्टिक है। Ragi Khichdi baby food शिशु आहार
अपने शिशु के लिए पौष्टिक आहार बनाने के लिए आपको Master Chef होने की आवश्यकता है। आप के रसोई में जो वस्तुएं पहले से मौजूद हैं उनकी ही मदद से आप बढ़िया, स्वादिष्ट और पौष्टिक शिशु आहार बना सकती हैं।
हालाँकि बाजार के ready-made शिशु आहार से आराम तो मिलता है, समय की बचत होती है और एक माँ की व्यस्त जिंदगी थोड़ी सी सरल भी हो जाती है।
मगर बाजार से खरदे हुए शिशु आहार उतने पौष्टिक नहीं होते हैं क्योँकि काफी उच्च तापमान पे उन्हें पकाया जाता है ताकि कई महीने तक वे बोतल/tin में सुरक्षित रह सकें।
उच्च तापमान पे शिशु आहार बनाते वक्त बहुत से vitamin और mineral भी नष्ट हो जाते हैं।
हम आप को बताएँगे 29 रोचक और पौष्टिक शिशु आहार बनाने की विधि जिसे आप का लाडला बड़े चाव से खायेगा।
ये सारे शिशु आहार को बनाना बहुत ही आसान है, इस्तेमाल की गयी सामग्री किफायती है और तैयार शिशु आहार बच्चों के लिए बहुत पौष्टिक है।
बच्चे के 6 महीने पुरे होने पे ठोस आहार शुरू करते वक्त एक सामग्री से बने आहार बच्चे को दें। अगर बच्चे में आहार से कोई एलेर्जी उत्पन होगा तो तुरंत पता चल जायेगा की कौन सा आहार बच्चे को नहीं दिया जाना चाहिए। आप इस आहार को बच्चे को तीन महीने के अंतराल पे फिर से दे के देख सकती हैं।
तो आइये अब चलते हैं की शिशु आहार बनाने की विधि के बारे में बात करते हैं
viral_block
केले की तरह गाजर को भी "perfect food" की श्रेणी में गिना जाता है। वैसे तो गाजर खाने में खुदी ही बहुत crunchy, स्वादिष्ट और पौष्टिक है, इससे मिलाकर बना खिचड़ी भी बच्चों को बहुत पसंद आएगा। गाजर से बच्चों को मिलता है beta-carotene, फाइबर, विटामिन K, पोटैशियम और एंटीऑक्सिडेंट्स जिसके बहुत सारे फायदे हैं। गाजर की खिचड़ी से शिशु को खिचड़ी के साथ-साथ गाजर के भी फायदे मिलते हैं। गाजर की खिचड़ी बनाने की विधि
सूजी का हलवा बनाने की बहुत सारी विधि है। मगर सूजी का हलवा अगर आप बहुत छोटे बच्चे के लिए बना रही हैं तो आप को कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना होगा। सूजी या राव में प्रोटीन की आछी मात्र होती है जो बढते बच्चों के लिए बहुत फायेदेमंद है। इसके साथ-ही-साथ इससे बच्चे को मिलता है मैग्नीशियम, विटामिन B1, B2, B3, E, फोलिक एसिड, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, आयरन, फाइबर और कई प्रकार के मिनरल्स। सूजी का हलुआ बनाने की विधि
मुंग का दाल बहुत ही हल्का आहार है और आसानी से पच जाता है। यही वजह है की अगर बड़ों का तबियत ख़राब हो तो वे भी मुंग का दाल खाते हैं। 6 महीने के बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है और चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है। मुंग का दाल बनान बहुत सरल है और इसमें बहुत सारे पौष्टिक तत्त्व होते हैं। मुंग के दाल के सेवन से शिशु के त्वचा में निखार आता है। तो अगर आप के शिशु का रंग दबा हुआ है तो मुंग का दाल खिलाना फायदेमंद रहता है। मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। अगर आप के बच्चे को कब्ज (constipation) रहता है तो मुंग का दाल उसमे भी फायदेमंद है।
चावल की खिचड़ी उत्तर भारत में 6 महीने के बच्चे को दिया जाने वाला आम आहार है। चावल आराम से 6 माह के बच्चे को पच जाता है और उसे पसंद भी बहुत आता है। अगर आप का बच्चा खिचड़ी खाने से इंकार करे तो जबरदस्ती न खिलाये, बल्कि कुछ दिन रुक कर फिर से कोशिश करें। चावल उन चुनिंदा आहारों में से एक है जिनसे 6 month के बच्चे को एलेर्जी का कोई खतरा नहीं है। पोषण के मामले में चावल का कोई जवाब नहीं। इसमें मिलता है मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, मनगनीज, सेलेनियम, आयरन, folic acid, thiamine and niacin।
छह माह के बच्चे के लिए लौकी की प्यूरी सबसे उपयुक्त शिशु आहार है। इसमें ढेरों विटामिन, minerals और nutrients है जो बच्चे के पोषण के लिए अच्छा है। इसे 6 महीने का बच्चा आसानी से पचा सकता है और ये बच्चे में कब्ज होने से बचता है।
शिशुओं में ठोस आहार शुरू करने के लिए खीर देना आम प्रथा है। इसके तीन कारण हैं। पहला - ये बहुत स्वदिष्ट होता है और नवजात शिशु को बहुत पसंद आता है। दूसरा - नवजात बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है - इसलिए खीर सर्वोत्तम है क्योँकि ये आसानी से पच जाता है। तीसरा - इसमें भरपूर मात्रा मैं पोषक तत्त्व होता हैं।
आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। शिशु में नया आहार शुरू करते वक्त उन्हें एक बार में एक ही आहार देना चाहिए। आटे का हलुआ बनाने के लिए सिर्फ एक ही ingredient का इस्तेमाल होता है - और एक 6 माह के शिशु आहार का ये सबसे महत्वपुर गुण है। बच्चे कोई भी नया आहार पहली बार दें तो तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें।
केला तो वैसे ही बच्चों को बहुत पसंद आता है, और केले के smoothie का कोई जवाब नहीं। केला एक प्राकृतिक antacids है यानी ये आप के बच्चे का पेट रखगे ठीक। केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है।
मसूर दाल की खिचड़ी 9 से 12 महीने के बच्चों के लिए उपयुक्त है। नौ महीने से पहले शिशु को मसूर दाल और तूर दाल नहीं देना चाहिए क्योँकि इसे पचाने में छोटे बच्चों को थोड़ी परेशानी हो सकती है। मसूर दाल पुरे भारत वर्ष में हर घर में किसी-न-किसी रूप में बनाया जाता है। ये दाल जितना स्वादिष्ट है उतना ही पौष्टिक भी। छोटे बच्चों को मसूर दाल का पानी या मसूर दाल की खिचड़ी दे सकते हैं। ताकि छोटे बच्चे भी इसके फायदे से वंचित न रह जाएँ।
मटर के दाने होते तो बहुत छोटे हैं मगर पौष्टिक के मामले में ये बहुत आगे हैं। इनमे Vitamins A and C, आयरन, प्रोटीन, and कैल्शियम भरपुरी में होता है। मटर में मौजूद Vitamins A और C बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करता है, आयरन बच्चे में नया खून बनाने में योगदान देता है, प्रोटीन से बच्चे की मासपेशियां बनती है और कैल्शियम बच्चे की हाड़ियोँ को मजबूती देता है। मटर की प्यूरी मैं मौजूद मटर के छिलके अगर आप के बच्चे को पसंद न आये तो मटर की प्यूरी बनाने से पहले मटर के छिलके निकल दें। इससे मटर की प्यूरी भी बहुत बारीक़ बनेगी।
केले को "perfect food" कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योँकि बच्चे के बढ़ते शरीर के लिए जो भी पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता वो सब केले मैं मौजूद है। इसके साथ-ही-साथ केले में antacids गुण भी हैं जिसकी वजह से केला पेट के लिए बहुत आच्छा है। केला में vitamin B6, manganese, vitamin C, potassium, dietary fiber, biotin, और कॉपर होता है। केला बच्चों के लिए बहुत अच्छा है मगर इसका मतलब यह नहीं की बच्चों को बहुत ज्यादा केला खिला दिया जाये। बहुत ज्यादा केला खाने से बच्चों को कब्ज (constipation) का खतरा रहता है।
चावल छोटे बच्चों को दिया जाने वाला बहुत ही आम आहार है क्यूंकि इससे बच्चों को एलेर्जी का खतरा नहीं रहता और ये आराम से पच भी जाता है। पके हुए चावल को अगर थोड़े पानी या दूध के साथ पीस कर के जो आहार त्यार किया जाता है उसका इस्तेमाल आप कर सकते हैं बच्चे को तरल आहार से ज्यादा ठोस आहार के तरफ ले जाने में।
अवोकाडो का प्यूरी मक्खन की तरह मुलायम और स्वादिष्ट होता है। इसमें 71 से 88 प्रतिशत तक वासा (fat) होती है। इसमें मौजूद वासा बच्चे के मस्तिष्क और शारीरिक विकास के लिए बहुत फायदेमंद है। इसका cream की तरह का texture बच्चों को बहुत पसंद आता है।
शकरकंद सेहत के फायदों के लिए जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन्स, antioxidants, और फाइबर होता है जो बच्चे के स्वस्थ के लिए बहुत फायदेमंद है। शकरकंद की प्यूरी को बनाने के लिए आप भुने या उबले शकरकंद को थोड़े पानी या दूध के साथ पीस सकते हैं। ये बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक शिशु आहार है।
बच्चों में ठोस आहार शुरू करने के लिए गाजर का प्यूरी एक बेहतरीन विकल्प है। यह प्राकृतिक रूप से मीठा और इसका texture बच्चों को बहुत पसंद आता है। इसे बनाना भी बहुत आसान है। गाजर में antioxidant beta कैरोटीन, फाइबर, पोटैशियम, विटामिन K और विटामिन A मिलता है।
बच्चे का उम्र: 6 माह से ऊपर के बच्चों के लिए
पौष्टिक तत्त्व: Antioxidant beta कैरोटीन, फाइबर, पोटैशियम, विटामिन K और विटामिन A
सावधानी बरतें: कुछ भी नहीं
बनाने की विधि: गाजर की प्यूरी बनाने की विधि
यह एक मौसमी रेसिपी है। कद्दू आप को साल भर नहीं मिलता इसीलिए कद्दू के मौसम में इसे अपने बच्चे को जरूर खिलाएं। कद्दू में अच्छी मात्रा में beta कैरोटीन, पोटैशियम, and आयरन होता है। इसे आप ज्यादा बनाकर फ्रिज में बाद के इस्तेमाल के लिए रख सकते हैं। कद्दू की प्यूरी को आप बर्फ ज़माने वाली ट्रे में रख कर फ्रिज में store कर सकते हैं।
गेहूं का दलीय पेट के लिए बहुत अच्छा और आसानी से पच जाता है। दलीय में प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है और इसके साथ ही इससे बच्चे के शरीर को बहुत प्रकार के नुट्रिएंट्स भी मिलता है। दलीय में मैग्नीशियम, फाइबर और कई प्रकार के मिनरल्स भी होते है।
रागी दिखने में सरसों की तरह दीखता है और रागी का खिचड़ी बहुत ही पौष्टिक शिशु आहार है। इसमें बाकि अनाजों की तुलना मैं तीस गुना ज्यादा कैल्शियम होता है और साथ ही इसमें बहुत प्रकार के खनिज भी होते हैं। इसका मतलब बढ़ते बच्चों की हड्डियोँ को मजबूत करने के लिए रागी बहुत अच्छा शिशु आहार है। इसका नियमित आहार बच्चे को कुपोषण से बचा सकता है।
रागी में भरपूर कैल्शियम होता है इसीलिए रागी का डोसा छोटे बच्चों के लिए एक अच्छा आहार है। कैल्शियम बच्चों के हड्डियोँ के विकास के लिए बहुत अच्छा है। चावल की तुलना में इसमें ज्यादा फाइबर होता है जो पाचन के लिए अच्छा है। रागी आयरन का भी अच्छा स्रोत है और इसमें विटामिन C भी होता है। विटामिन C शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद करता है। रागी मैं मौजूद एमिनो एसिड एंटीऑक्सीडेंट शरीर को स्वाभाविक रूप से आराम देने में मदद करता है।
पालक और याम का गठजोड़ भरपूर मात्रा मैं बच्चे को कैल्शियम, आयरन, विटामिन A, और फोलेट प्रदान करता है। याम की वजह से इस शिशु आहार में थोड़ी सी मिठास आ जाती है।
यह बहुत ही खूबसूरत लाल रंग का शिशु आहार है। लेकिन उससे भी बेहतरीन बात यह है की इसमें प्रचुर मात्रा में antioxidants, विटामिन्स, and फाइबर है जो बच्चे के लिए बहुत अच्छा है। इसे आप थोड़े से चावल के साथ मिलाके भी बच्चे को खिला सकती हैं।
यह एक बेमिसाल जोड़ी है। जहाँ एक और अवोकाडो में स्वास्थवर्धक वासा (fat) वहीँ केले में पोटैशियम और विटामिन C है। केले की वजह से इस शिशु आहार में थोड़ी से मिठास आ जाती है। बच्चों को जितना हो सके नमक और चीनी नहीं देना चाहिए। उस हिसाब से प्राकृतिक मिठास से युक्त ये आहार बच्चों के लिए बहुत अच्छा है।
इस शिशु आहार को बनाया गया है आलू, हरा मटर, और गाजर के साथ। बेहद स्वादिस्ट, इसे आप पाना पाएंगी सिर्फ 8 minute में। ये वाकई एक बेहतरीन तरीका है अपने बच्चे के आहार के पोषक तत्वों को समलित करने का।
पपीते में बाकि फलों की तुलना में ज्यादा acidity होता है। इसीलिए बेहतर है की जब तक आप का शिशु सात से आठ महीने का न हो जाये तब तक उसे पपीता या पपीते से बने आहार न दें। पपीते में मौजूद enzymes पाचन के लिए बहुत अच्छा है। अगर आप के बच्चे को कब्ज या पेट से सम्बंधित परेशानी है तो पपीते का प्यूरी सबसे बढ़िया विकल्प है।
इस शिशु आहार का स्वाद में कोई जवाब नहीं - मगर सवाद के साथ-साथ ये दिमाग के विकास के लिए एक बहुत ही बेहतरीन शिशु आहार है। इस शिशु आहार को बच्चे को तब दें जब बच्चा 9 to 12 Months का हो जाये। मछली में omega-3 fatty acids पाया जाता है जो बच्चे के central nervous system के विकास अच्छा है। गाजर में ढेर सारा antioxidant होता है। अभी जब बच्चा बहुत ही तीव्र गति से विकास कर रहा है तब उसे बहुत सरे पोषक तत्वों की आवश्यकता है। ये आहार बच्चे की उस आवश्यकता को पूरी करता है।
सूजी का उपमा या रवा उपमा बेहद पौष्टिक और बनाने में आसान व्यंजन है जिसे आप अपने 9 month के बच्चे को भी दे सकती हैं। सूजी पेट के लिए बहुत आरामदायक है। बच्चे को अगर बुखार है या बच्चे का पेट ख़राब है तो भी सूजी से बने आहार आप बच्चे को दे सकती हैं। सूजी में गेहूं के सारे गुण होता हैं जैसे की विटामिन B1, B2, B3, E, फोलिक एसिड, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, आयरन, और फाइबर।
दही चावल या कर्ड राइस (curd rice) बड़ों के लिए हर मर्ज की दवा है। चाहे पेट खरब हो या खाने में बहुत गरिष्ट आहार लिया हो - दही चावल सब ठीक कर देगा। दही चावल सिर्फ बड़ों के लिए ही नहीं, बच्चों के लिए भी बहुत काम का आहार है। दही पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है। ये pro-biotic और antibiotics का प्राकृतिक विकल्प है और शिशु को बुखार से बचाता है। इसमें भरपूर मात्रा में स्वस्थ वासा (healthy fat), कैल्शियम और प्रोटीन होता है। दही चावल बच्चे के immune system को मजबूत बनाता है। सबसे अच्छी बात यह है की दही चावल दूसरे आहारों से विटामिन्स और मिनरल्स को अवशोषित (absorb) करने में शरीर की मदद करता है।
वेजिटेबल पुलाव सभी को पसंद आने वाला व्यंजन है। चूँकि इसमें मौसम के अनुसार कई प्रकार के सब्जियों (vegetables) का इस्तेमाल होता है, पौष्टिकता के मामले में इसका कोई मिक़बला नहीं है। कई सब्जियों के होने साई इसमें कई प्रकार के विटामिन्स, मिनरल्स और पौष्टिक तत्त्व होता है। जो बच्चे खाने को लेकर बहुत ना-नुकुर करते (picky eaters) हैं उन्हें भी वेजिटेबल पुलाव बहुत पसंद आएगा।
इडली चटनी और सांबर के साथ बहुत स्वादिष्ट लगती है - मगर जब आप बच्चे को इसे दें तो सादे दाल के साथ दें। इडली में भरपूर मात्रा मैं प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहायड्रेट होता है। इसके साथ इडली में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और विटामिन A भी होता है। दाल से बच्चे को molybdenum और फोलेट मिलता है। साथ ही दाल में कॉपर, फॉस्फोरस, मैनगनीज, आयरन, प्रोटीन, विटामिन B1, pantothenic acid, जिंक, पोटैशियम, विटामिन B6 जैसे पोषक तत्त्व भी मिलता हैं।