Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺9 min read
दो साल के बच्चे के लिए शाकाहारी आहार सारणी (vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रही हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है। संतुलित आहार चार्ट

दो साल तक के होते-होते बच्चे लगभग सब कुछ खाने लगते हैं।
हालाँकि अभी भी उनके खानपान से सम्बंधित सावधानी बरतने की जरुरत है।
उदहारण के लिए आप जो भी खाती हैं, आप का बच्चा वो सब खा पि सकता है।
स्वधानी बरतनी है सिर्फ इतनी,
की आप का बच्चा जो खाये उसमे मसाला, नमक और चीनी कम रहे।
एक और बात,
चूँकि आपका बच्चा अभी बहुत छोटा है। उसका शरीर बहुत तीव्र गति से विकसित हो रहा है। इस दौरान आप के बच्चे को अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ेगी जो उसके अच्छे विकास में सकारात्मक योगदान देंगे।

इसका मतलब,
जरुरी नहीं की वो सब जो आप खाते हो उससे आप के बच्चे की nutritional requirement पूरी हो सके। इसीलिए बच्चे का healthy and balanced diet सुनिश्चित करने के लिए ऐसा Meal Plan त्यार किया जाये जो आपके बढ़ते बच्चे की सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरी कर सके। Vegetarian Food Chart इसी बात को ध्यान में रख त्यार किया गया है।

Download - Vegetarian food chart/ meal for 2 years old in Hindi [PDF] - संतुलित आहार चार्ट
चूँकि हर बच्चा अनोखा है
हर बच्चे की nutritional requirement अलग होती है। इसीलिए अपने बच्चे को भोजन खिलते वक्त ध्यान रखें की कौन सा आहार आप का बच्चा रूचि से खा रहा है और कौन सा आहार आप के बच्चे के लिए ठीक नहीं है।
एक diary बनायें जिसमें लिखें की कौन से आहार से आप के बच्चे को Food allergy और कौन सा आहार आप का बच्चा पसंद से खाता है।
दो साल के बच्चे के आहार में और food chart for babies में अंतर सिर्फ इस बात का होता है की दो साल के बच्चे के आहार में बहुत सारी variety होती है।
दो साल के बच्चों का दूध भी कम कर दिया जाता है ताकि वो दिन भर दूधा पी कर ही न अपना पेट भर लें। दो साल के बच्चों को दिन भर में सिर्फ एक-से-दो cup दूध ही देना चाहिए। हाँ मगर आप अपने बच्चे को दूध से बने उत्पाद (dairy products) दे सकते हैं। जिन बच्चों को गाय का दूध पसंद नहीं आता, उन्हें भी dairy products पसंद आता है। जैसे की - पनीर, दही, चीज़ और देशी घी।
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आप का बच्चा जितना ज्यादा खाये उतना खिलाये। गिन कर खिलने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपका बच्चा fast food या junk food नहीं खा रहा है तो वो कितना भी खा सकता है क्योँकि घर का खाना बहुत बच्चे के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्य वर्धक होता है।
मगर साथ ही अगर आपका बच्चा ज्यादा न खाना मांगे तो जबरदस्ती न खिलाएं। हर बच्चे अलग होते हैं। उसे जितना चाहिए वो खा लेगा।
जबरदस्ती खिलाएंगे तो बच्चा उलटी कर देगा। वो खाने के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण अपना लेगा और भोजन के नाम से ही भागेगा। फिर तो और मुश्किल हो जायेगा बच्चे को खाना खिलाना।

पोषक तत्वों (nutrients e.g. vitamins and minerals) के आलावा आहार दो मुख्या चीज़ें होती हैं।
बच्चों को प्रोटीन मिलता है दाल से और इसीलिए कई प्रकार के दालों को बच्चे के आहार में समिलित करना चाहिए। उदहारण के तौर पे अरहर, मुंग दाल, चना दाल। बच्चों को प्रोटीन सोया, beans, dry fruits और dairy products से भी मिलता है। इसके आलावा बाजरा और रागी भी बेहतर जरिया है बच्चों के आहार में protein सम्लित करने के। तो चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योँकि बहुत सी चीज़ें हैं जिनके द्वारा आप अपने बच्चों को अच्छा-खासा protein दे सकती हैं।
इस असान तरीके से बच्चों के दांतों के संक्रमण को समय रहते पहचाने ताकि बच्चों को दांतों के दर्द से बचाया जा सके। सभी जानते हैं की दांतों का दर्द कितना कितना कष्टकारी होता है। बच्चे दिन भर कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं इस वजह से उनके दांतों में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। बच्चों के दांतों में संक्रमण को पहचानने के 7 तरीके।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
होली मात्र एक त्यौहार नहीं है, बल्कि ये एक मौका है जब हम अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूक कर सकते हैं। साथ ही यह त्यौहार भाईचारा और सौहाद्रपूर्ण जैसे मानवीय मूल्यों का महत्व समझने का मौका देता है।
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औसतन एक शिशु को दिन भर में 1000 से 1200 कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। शिशु का वजन बढ़ने के लिए उसे दैनिक आवश्यकता से ज्यादा कैलोरी देनी पड़ेगी और इसमें शुद्ध देशी घी बहुत प्रभावी है। लेकिन शिशु की उम्र के अनुसार उसे कितना देशी घी दिन-भर में देना चाहिए, यह देखिये इस तलिके/chart में।
बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय करने के दौरान भाप (स्टीम) जब शिशु साँस दुवारा अंदर लेता है तो उसके छाती में जमे कफ (mucus) के कारण जो जकड़न है वो ढीला पड़ जाता है। भाप (स्टीम) एक बहुत ही प्राकृतिक तरीका शिशु को सर्दी और जुकाम (colds, chest congestion and sinusitus) में रहत पहुँचाने का। बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय
शिशु को 14 सप्ताह की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी, रोटावायरस, डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
सुबह उठकर भीगे बादाम खाने के फायेदे तो सबको पता हैं - लेकिन क्या आप को पता है की भीगे चने खाने के फायेदे बादाम से भी ज्यादा है। अगर आप को यकीन नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढिये - आप का भ्रम टूटेगा।
बच्चों के हिचकी का कारण और निवारण - स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद आप के बच्चे को हिचकी आ सकती है। यह होता है एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) की वजह से। नवजात बच्चे का पेट तो छोटा सा होता है। अत्यधिक भूख लगने के कारण शिशु इतना दूध पी लेते है की उसका छोटा सा पेट तन (फ़ैल) जाता है और उसे हिचकी आने लगती है।
रागी का हलुवा, 6 से 12 महीने के बच्चों के लिए बहुत ही पौष्टिक baby food है। 6 से 12 महीने के दौरान बच्चों मे बहुत तीव्र गति से हाड़ियाँ और मासपेशियां विकसित होती हैं और इसलिए शरीर को इस अवस्था मे calcium और protein की अवश्यकता पड़ती है। रागी मे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों ही बहुत प्रचुर मात्रा मैं पाया जाता है।
9 महीने के बच्चों की आहार सारणी (9 month Indian baby food chart) - 9 महीने के अधिकतर बच्चे इतने बड़े हो जाते हैं की वो पिसे हुए आहार (puree) को बंद कर mashed (मसला हुआ) आहार ग्रहण कर सके। नौ माह का बच्चा आसानी से कई प्रकार के आहार आराम से ग्रहण कर सकता है। इसके साथ ही अब वो दिन में तीन आहार ग्रहण करने लायक भी हो गया है। संतुलित आहार चार्ट
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का| बच्चे को हरी सब्जियां खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर| घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है| बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है| घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे|
गलतियों से सीखो। उनको दोहराओ मत। ऐसी ही कुछ गलतियां हैं। जो अक्सर माता-पिता करते हैं बच्चे को अनुशासित बनाने में।
गर्मी के दिनों में बच्चों को सूती कपडे पहनाएं जो पसीने को तुरंत सोख ले और शारीर को ठंडा रखे। हर दो घंटे पे बच्चे को पानी पिलाते रहें। धुप की किरणों से बच्चे को बचा के रखें, दोपहर में बच्चों को लेकर घर से बहार ना निकाले। बच्चों को तजा आहार खाने को दें क्यूंकि गर्मी में खाने जल्दी ख़राब या संक्रमित हो जाते हैं। गर्मियों में आप बच्चों को वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी प्रोत्साहित कर सकती हैं। इससे बच्चों के शरीर का तापमान कम होगा तथा उनका मनोरंजन और व्यायाम दोनों एक साथ हो जाएगा।
चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
सर्दी - जुकाम और खाँसी (cold cough and sore throat) को दूर करने के लिए कुछ आसान से घरेलू उपचार (home remedy) दिये जा रहे हैं, जिसकी सहायता से आपके बच्चे को सर्दियों में काफी आराम मिलेगा।
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।