Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
12 साल तक की उम्र तक बच्चे बहुत तेजी से बढ़ते हैं और इस दौरान शिशु को सही आहार मिलना बहुत आवश्यक है। शिशु के दिमाग का विकास 8 साल तक की उम्र तक लगभग पूर्ण हो जाता है तथा 12 साल तक की उम्र तक शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है। इस दौरान शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं जिन्हें सहयोग करने के लिए अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है।
बढ़ते बच्चों (Growing children) के शरीर को उचित विकास के लिए अनेक प्रकार के पोषक तत्व जैसे कि प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मिनरल्स और विटामिंस की आवश्यकता पड़ती है। एक ही प्रकार के आहार से सभी प्रकार के पोषक तत्वों का मिलना संभव नहीं है - इसीलिए यह जरूरी है कि आप अपने बच्चे के भोजन में अनेक प्रकार के आहार को सम्मिलित करें। तथा मौसम के अनुसार अपने बच्चों को फल और सब्जियां भी खाने को दे।
शिशु के बढ़ती उम्र (growth years) में अगर उसके शरीर को प्रोटीन कैल्शियम आयरन और सभी प्रकार के जरूरी विटामिन और मिनरल अगर ना मिले तो शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है।
इनकी कमी से शिशु का शारीरिक विकास रुक जाएगा जिससे उसकी लंबाई में कमी आएगी, उसके शरीर के अंगों का विकास रुक सकता है जिससे अनेक प्रकार की समस्याएं आगे चलकर पैदा हो सकती हैं, शिशु का मानसिक विकास रुक सकता है जिससे कि शिशु देर से बोलना सीखेगा और उसमें हकलाने की भी समस्या पैदा हो सकती है।
अगर शिशु को फल सब्जियां, दूध उत्पाद और अनाज दिया जा रहा है तो उसके शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलने की संभावना है। शिशु को एक ही प्रकार का आहार हर दिन ना खिलाएं है बल्कि हर दिन कुछ नया खिलाएं (sufficient nutrients for development)।
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यहां हम आपको 7 प्रकार के आहार (7 Healthy Foods for Growing Children) बताएंगे जो आप अपने शिशु को जरूर खिलाएं। अगर आप अपने शिशु को यह आहार खिलाते हैं तो उसके शरीर को सारे जरूरी पोषक तत्व मिल जाएंगे।
शिशु को मौसम के अनुसार उपलब्ध पल खिलाएं। फलों में अनेक प्रकार के विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल (vitamin, antioxidants and phytochemicals) होते हैं जो शिशु के शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और उसकी शारीरिक विकास को गति प्रदान करते हैं। यह पोषक तत्व शरीर के कोशिकाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें टूटने से बचाते हैं, साथ ही यह शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र को भी मजबूत बनाते हैं। बच्चे जन्म के पहले कुछ सालों तक बहुत बीमार पड़ते हैं उसकी वजह यह है कि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होती है। समय के साथ जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होने लगती है। इस प्रक्रिया में पोषक तत्व बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर शिशु के शरीर को समय पर सभी पोषक तत्व मिलते रहे तो उसके शरीर में तेजी से रोग प्रतिरोधक तंत्र का विकास होगा और यह बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में शारीरिक रूप से ज्यादा स्वस्थ रहेंगे। इसीलिए जितना हो सके बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियां खिलाएं है।
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अंडे में प्रोटीन भरपूर मात्रा होता है जो मांसपेशियों के विकास में सहायता करता है। हमारे शरीर की मांसपेशियां प्रोटीन से ही बनती हैं। प्रोटीन शरीर में हार्मोन के विकास में भी सहायता करता है।
हमारे शरीर में तरह-तरह के हार्मोन अनेक प्रकार की गतिविधियों को आवश्यकता अनुसार नियंत्रित करते हैं ताकि हमारा शरीर स्वस्थ बना रहे। इसके साथ अंडे में भरपूर मात्रा में कोलाइन (choline) भी होता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह शिशु के दिमागी विकास के लिए बहुत प्रभावशाली तत्व है। अगर आप का शिशु देर से बोलना सीख रहा है, ठीक तरह से नहीं बोल पाता है तो आप उसके आहार में अंडे को सम्मिलित करें। इससे उसके दिमाग के विकास को गति मिलेगा। अंडे आप अपने बच्चे को कई तरह से पकाकर खिला सकती है जैसे कि आप डबल रोटी के साथ सैंडविच बना के खिला सकती हैं, आमलेट या नूडल में मिलाकर खिला सकती है।
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गाय के दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन डी और फास्फोरस (protein, calcium, phosphorous and vitamin D) पाया जाता है। यह सभी तत्व बहुत महत्वपूर्ण है शरीर में हड्डियों, दांतो और मांसपेशियों के निर्माण में (great for healthy bone growth)।
अगर आपका शिशु 1 साल से बड़ा है तो जब आप उसे दूध दे तो उसके दूध में से मलाई ना निकाले। तथा अपने बच्चे को कम वसा वाले दूध ना दे। शिशु को शारीरिक और मानसिक विकास के लिए और दिन भर क्रियाशील बने रहने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है जो उसे साधारण वसा युक्त दूध (गाए का साधारण दूध) से ही प्राप्त होगा। इसके साथ-साथ आप अपने शिशु को दूध से बने कई प्रकार के उत्पाद भी खिला सकते हैं, जैसे कि पनीर, दही, रबड़ी, बटर, चीज इत्यादि।
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पीनट बटर में भरपूर मात्रा में मोनोसैचुरेटेड फैट (monounsaturated fat) होता है। यह शिशु को प्रोटीन और एनर्जी प्रदान करता है।
इस बात का ध्यान रखिएगा कि कुछ पीनट बटर में जरूरत से ज्यादा नमक चीनी और वसा होता है जो इसकी पोषण के स्तर को कम करता है। इसीलिए बजाज से पीनट बटर खरीदते समय डब्बी पर मौजूद लेवल को ध्यान से पढ़ें और जिस में चीनी नमक और वसा की मात्रा कम हो उसे ही खरीदें। पीनट बटर को आप बिस्किट पर लगा करके या डबल रोटी पर सैंडविच कि तरह लगा कर के अपने शिशु को खाने के लिए दे सकती हैं।
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संपूर्ण अनाज (Wholegrain foods) वह अनाज है जिसमें से चोकर को नहीं निकाला गया है। इसे अंग्रेजी में होल ग्रेन कहते हैं। वैसे तो आना शरीर को कैलोरी और प्रोटीन प्रदान करते हैं - लेकिन इनमें कुछ ऐसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक है।
लेकिन यह पोषक तत्व अनाज के बाहरी सतह पर होते हैं। इन्हें मशीन द्वारा छिल कर साफ करने और चमकाने (refined grains) की प्रक्रिया में यह पोषक तत्व निकल जाते हैं और फिर इन अनाज से पोषण का फायदा नहीं मिल पाता है। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत बनता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है (good for digestive health and prevents constipation)।
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मीट तथा चिकन प्रोटीन और आयरन का बहुत बेहतरीन स्रोत है (great source of protein and iron)। आयरन दिमाग के विकास में और उसकी सुचारू रूप से कार्य करने में बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाता है।
दिमाग को स्वस्थ बनाए रखता है (optimises brain development and function) और शरीर के इस सबसे महत्वपूर्ण अंग में ऑक्सीजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक तंत्र को भी मजबूत बनाता है (supports the immune system) इसीलिए शिशु बार बार बीमार नहीं पड़ते हैं। ठंड के दिनों में कहा जाता है कि बच्चों को चिकन का सूप देने के लिए उसका कारण यही है कि चिकन का सूप शिशु के शरीर को ठंड के दिनों में संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
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मछली में तो प्रोटीन होता ही है लेकिन इसके साथ ही साथ मछली में अच्छी खासी मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो शिशु के आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाता है, दिमाग का विकास करता है और शरीर के तंत्रिका तंत्र को सुदृढ़। यह शारीर में मस्पेशियौं के निर्माण और हड्डीयौं को मजबूत बनाने (build healthy muscles and bones) में बी महत्वपूर्ण है।
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