Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺11 min read
अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
छोटे बच्चों में अस्थमा का इलाज - दवाइयां और उपचार
बच्चों को अस्थमा होना मां बाप के लिए बहुत ही दुख का विषय है। अगर आपके शिशु को अस्थमा है तो इसके बारे में आप अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें। सही
जानकारी होने पर आप अपने शिशु को अस्थमा के दौरे से बचा सकते हैं और अस्थमा के बाद आप अपने शिशु को उपचार प्रदान कर सकते हैं जिससे उसे तुरंत रहत मिले।
अस्थमा में शिशु को सांस लेने में बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अपने शिशु को देखना बहुत ही पीड़ादायक है।
जिस शिशु को अस्थमा होता है उसके लिए जीवन उतना आसान नहीं होता है। लेकिन अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए और कुछ सावधानियों को बढ़ता जाए तो बहुत हद तक अस्थमा के दौरे को टाला जा सकता है।
शिशु को अस्थमा होने की स्थिति में मां-बाप को हमेशा आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। जब भी आप घर से बाहर अपने शिष्य को लेकर की जाए तो उसकी सभी जरूरी दवाइयां साथ में लेकर के जाएं।
सफर के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपका शिशु हर उस चीज से बचा रहे जो उसके अस्थमा को उभार सकते हैं जैसे की धुआं, धूल, फूल के परागकण इत्यादि। ये सभी अस्थमा का कारण बनता है।
आपके शिशु का अस्थमा समय के साथ ठीक होगा। जैसे जैसे आपका शिशु बड़ा होगा वैसे वैसे उसका शरीर अस्थमा उभारने वाले तत्वों से अभ्यस्त हो जाएगा और उसे अस्थमा के इतने दौरे नहीं आएंगे जितना कि वह अपने बचपन में झेलेगा।
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कई बार ऐसा होता है कि चाह कर के भी आप अपने शिशु को ऐसे तत्वों से दूर नहीं रख पाते हैं जो उसके अंदर अस्थमा के दौरे को उभारे।
यह कई पर तमाम कोशिशों के बाद भी शिशु को अस्थमा के दौरे पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में आपको अपने शिशु को तुरंत आराम पहुंचाने वाले उपचारों के बारे जानकारी होना आवश्यक है।
हर चीजों में इस्तेमाल एक समान नहीं होता है। यही वजह है कि अस्थमा के उपचार के लिए कई प्रकार की दवाइयां और उपचार उपलब्ध हैं।
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इस श्रेणी की दवाइयां अस्थमा में शिशु को तुरंत आराम पहुंचाते हैं। यह दवाइयां शिशु के वायु मार्ग को खोल देती है जिससे शिशु आसानी से सांस लेने में सक्षम हो जाता है।
अगर आपकी शिशु को अस्थमा है तो इस प्रकार की दवाइयों को सदा अपने पास रखिए या अगर आपका शिशु बढ़ा है तो उसे इसे इस्तेमाल करना बताएं और उसे इन दवाइयों को सदा अपने पास रखने को कहें।
वक्त पर इनका इस्तेमाल आपके शिशु के लिए जीवन रक्षक हो सकता है। यह दवाइयां अस्थमा की स्थिति में बच्चों को तुरंत आराम तो पहुंचाता है लेकिन अस्थमा का उपचार नहीं करता है।
यह केवल अस्थमा के लक्षणों को कम करता है या उन्हें तुरंत खत्म कर शिशु को राहत पहुंचाता है।
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जिन बच्चों को अस्थमा है उन बच्चों को अस्थमा से संबंधित कुछ दवाइयां हर दिन लेने की आवश्यकता पड़ती है। यह दवाइयां दीर्घावधि उपचार विधि का हिस्सा है।
इन दवाइयों को हर दिन देने से बच्चों को अस्थमा के दौरे कम पड़ते हैं या फिर उन्हें पूरी तरह से रोका भी जा सकता है।
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इन दवाइयों को हमेशा डॉक्टर के द्वारा बताए गए विधि के अनुसार ही लेना चाहिए। बिना डॉक्टर के परामर्श के इन दवाइयों को लेने से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है यहां तक कि बच्चे को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ सकता है।
आपके शिशु में अस्थमा के लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर आपके बच्चे के लिए दवाइयों से संबंधित कुछ नियमों को निर्धारित करेगा।
डॉक्टर इसके साथ यह भी बताएगा कि किस तरह की सावधानियां बरत कर आप अपने बच्चे को अस्थमा के दौरे से बचा सकते हैं।
डॉक्टर द्वारा बताया गया यह दिशानिर्देश हर उस व्यक्ति की जानकारी में होना चाहिए जिसके साथ आप का शिशु समय बिताता हो ताकि आपातकालीन परिस्थिति में आपके शिशु को तुरंत सही देखभाल मिल सके।
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एक बार आप को यह पता चल जाए कि वह कौन-कौन से तत्व है जिनकी वजह से आपके बच्चे को अस्थमा के दौरे आते हैं तो आप हर वह सावधानियां बरत सकती हैं ताकि आपका बच्चा उन सब चीजों से दूर रहे।
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अपने बच्चे को अस्थमा के दौरे से बचाने के लिए आप निम्न प्रकार की सावधानियां बरत सकती हैं।
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कुछ विशेष परिस्थितियों में आपकी शिशु में अस्थमा के दौरे बढ़ सकते हैं यह ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। कुछ मुख्य कारक इस तरह है:
कई प्रकार के अस्थमा के दौरे जानलेवा भी हो सकते हैं। यह ऐसी परिस्थितियां हैं जब आपकी शिशु को तुरंत आपातकालीन उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है।
आप के लिए यह जरूरी है कि जब आप के शिशु को अस्थमा के दौरे पड़े तो उस के दौरे को देखकर आप पहचान सके कि आपके शिशु को चिकित्सीय आपातकालीन उपचार की आवश्यकता है या नहीं। अस्थमा की कुछ गंभीर लक्षण इस प्रकार से हैं
अगर शिशु इतनी जोर से सांस लेता हुआ दिखे कि उसके छाती की हड्डियां दिखाई दे, तो इसका मतलब आप के शिशु को सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है।
वह सांस नहीं ले पा रहा है। ऐसी स्थिति में आपके शिशु को तुरंत चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता है।
वायुमार्ग फेफड़ों में जाकर पेड़ों की तरह की संरचना बनाते हैं। यानी शिशु की नाक से लेकर नाक तक एक नली होती है। लेकिन फेफड़ों में पहुंचकर यह अनगिनत बारीक़ नालियौं में फट जाती है।
इन नलियौं का आखरी सिरा बहुत ही बारीक़ होता है और रक्त के संपर्क में होता है। सांस लेते वक्त वायु इन बारीक नलियों के आखिरी छोर में पहुंचता है तब वायु में मौजूद ऑक्सीजन खून में प्रवेश कर जाता है।
इस तरह से हमारे शरीर में मौजूद रक्त को ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। लेकिन यह बारीक नलियों अस्थमा के दौरान सूज जाती हैं जिस वजह से इनमें मौजूद छिद्र बहुत बारीक़ हो जाते हैं यह बंद हो जाते हैं, इस वजह से खून तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है।
ऐसी परिस्थिति में शिशु चाहे जितना भी जोर लगा ले, उसके शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिलता है। यह स्थिति बहुत ही भयानक है।
इसकी तुलना आप दम घुटने जैसी परिस्थिति से कर सकते हैं। कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां इस प्रकार की आपातकालीन परिस्थिति के लिए बनाई गई है।
इन दवाइयों को fast-acting या "rescue" दवाइयां कहा जाता है। इन्हें लेने पर वायु मार्ग कि नलिकाओं का सूजन तुरंत कम होता है और स्थिति नियंत्रण में आती है।
कई बार इन दवाइयों के इस्तेमाल से अस्थमा पर तुरंत नियंत्रण मिलता है, लेकिन कई बार अस्थमा नियंत्रण में तो आता है लेकिन फिर भी बच्चे को उपचार की आवश्यकता बनी रहती है, और इस परिस्थिति में उसे अस्पताल ले जाने की आवश्यकता रहती है।
हमने ऊपर कुछ दवाइयों के बारे में जाना जिन्हें इस्तेमाल कर आप अपने शिशु को अस्थमा में तुरंत आराम पहुंचा सकते हैं।
लेकिन अस्थमा को रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि आप अपने शिशु को अस्थमा के दौरे पड़ने ही ना दें।
अगर आपको यह पता लग जाए कि आपके शिशु मैं वह कौन से तत्व है जो अस्थमा के दौरे को उभरते हैं, तो आप बहुत ही प्रभावी तरीके से अपने शिशु में अस्थमा के दौरे को पड़ने से रोक सकते हैं।
कुछ बच्चों को सर्दी की वजह से अस्थमा के द्वारे पड़ते हैं, तो कुछ बच्चों को सिगरेट के धुएं से या फिर व्यायाम करने से।
वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें अस्थमा के दौरे घर के पालतू जानवरों के संपर्क में आने से पड़ते हो। चाहे कारण कोई भी हो, एक बात सही कारण के पता लग जाने पर, अस्थमा के द्वारे को बहुत हद तक रोका जा सकता है।
लेकिन हमेशा याद जाना आसान नहीं होता है कि शिशु को किस चीज से एलर्जी है जिसकी वजह से उसे अस्थमा के दौरे पड़ते हैं।
अस्थमा की वजह से जब लोग अपने शिशु को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर बहुत बार शिशु को परीक्षण के लिए एलर्जी विशेषज्ञ के पास भेजते हैं।
एलर्जी विशेषज्ञ कुछ विशेष प्रकार की जांच करते हैं उदाहरण के लिए रक्त परीक्षण या त्वचा के प्रिक परीक्षण।
इन परीक्षणों से प्राप्त जानकारियां बहुत ही अनमोल होती है क्योंकि यह बहुत ही सटीक तौर पर इस बात को उजागर करती हैं कि किस वजह से शिशु को अस्थमा के दौरे पड़ते हैं।
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