Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
ठण्ड के मौसम में बच्चे कई बार बीमार पड़ते हैं। जैसे - जैसे ठण्ड बढ़ता है बच्चों को बहुत बुरी वाली खांसी का सामना भी करना पड़ जाता है। ऐसे मैं चार आसन तरीके हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को बहुत बुरी वाली खांसी में तुरंत आराम पहुंचा सकती हैं। शिशु को बहुत बुरी खांसी है तो आजमायें खांसी की दवा
बच्चे बड़े चंचल, नटखट होते हैं।
उन्हें संभालना आसन काम नहीं है। जिस काम के लिए आप मना करेंगी - बच्चे वही काम करेंगी। बच्चों को जमीन पे लेटना, नंगे पैर फर्श पे दौड़ना, पानी से खेलना अच्छा लगता है।
और जाहिर है,
की बच्चे एक मौसम में कम से कम तीन बार तो सर्दी और जुकाम के शिकार हो हो जाते हैं। बेहद जरुरी है की ठण्ड के दिनों में सर्दी में शिशु की देखभाल अच्छे से की जाये - ताकि बच्चे रहें स्वस्थ और संक्रमण से दूर।
बच्चों को बड़ों की तुलना में एक लेयर एक्स्ट्रा कपडे की आवश्यकता होती है अपने शारीर के तापमान को रोक के रखने में।
शिशु को बहुत बुरी खांसी है तो आजमायें खांसी की दवा जो हम आप ओ निचे बता रहे हैं।
बच्चों के सर्दी और जुकाम को दूर करने के लिए बहुत प्रकार के दवा ओर इलाज उपलब्ध है इस लेख में आप पढेंगी जुकाम के घरेलू उपाय जिनकी सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी को पल में दूर कर सकेंगी।
बच्चों को सर्दी हो मतलब पुरे घर के लिए परेशानी का सबब। बच्चे तो परेशान होते ही हैं, बड़ों की भी चिंताएं बढ़ जाती है।
मगर
बच्चों की खांसी को दूर करने के लिए कोई एकमात्र ऐसी दवा नहीं है जो सभी बच्चों में सभी प्रकार के खांसी को ठीक करने में कारगर हो। शिशु को बहुत बुरी खांसी है तो आजमायें खांसी की दवा
अगर शिशु को सर्दी और जुकाम हो जाये तो पूरा घर परेशान हो जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी रात को होती है।
क्योँकि बच्चों को सर्दी और जुकाम में सबसे ज्यादा खांसी रात में ही आती है। रात में ज्यादा खांसी के कारण - सर्दी और जुकाम से परेशान बच्चे रात को अच्छी नींद भी नहीं सो पाते हैं।
अमेरिका के बाल रोग विशेषज्ञ - Olveen Carrasquillo - Miami Miller School of Medicine - विश्वविधालय के मुख्या है।
उनके अनुसार अधिकांश बच्चों में खांसी एक हफ्ते में स्वतः ही ख़त्म हो जाती है। उनका यह भी मानना है की बाजार में उपलब्ध सर्दी और खांसी की बहुत सी दवाएं हर बच्चे में एक सा असर नहीं करती है।
यही कारण है की अगर आप के बच्चे को सर्दी और जुखाम है तो बिना आजमाए यह पता लगाना बहुत मुश्किल है की आप के बच्चे को कौन सी दवा सर्दी और खांसी में रहत पहुंचाएगी।
तो अगर आप के शिशु को बहुत बुरी वाली खांसी हो जाये तो क्या करें?
थोड़ा समझदारी से काम लेना पड़ेगा।
4 tips to calm bad cough in a child
यहां पर चार तरीके हैं जो आप के बच्चे को सर्दी और जुखाम में तुरंत रहत पहुंचा सकते हैं।
शिशु को अगर बहुत बुरी खांसी है और उसका खांस-खांस के बुरा हल है तो उसे सब्जियों का सूप या ग्रीन टी (green tea) पिने को दिन में कई बार दें।
मकसद इतना है की बच्चे को जितना हो सके तरल आहार दिया जाये। इससे शिशु का कफ (mucus) हल्का हो जाता है और नाक के रस्ते बहार आप जाता है।
इससे बच्चे को एक और फायदा मिलता है। सब्जियों का सूप या ग्रीन टी (green tea) दोनों ही गरम होते हैं - इससे शिशु के गले की अच्छी सेकाई हो जाती है।
खांसी के कारण गले में हुई सूजन भी कम होती है और बच्चे को बहुत आराम मिलता है। आप के शिशु को कितनी भी बुरी खांसी क्योँ न हो, यह उपाय शिशु को तुरंत आराम पहुंचता है और सर्दी - जुकाम से बच्चे के थके हुए शरीर को ताकत भी देता है।
आप सोच रही होंगी की तरल आहार केवल आप के शिशु को सर्दी से थोड़ी रहत दे देगा। यह बात सही है - मगर उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है की बहुत अधिक तरल लेने से शरीर संक्रमण से लड़ने में सहायता मिलती है।
इसका मतलब यह केवल रहत ही नहीं पहुंचता है बल्कि सर्दी और खांसी के संक्रमण को ख़त्म भी करता है।
शहद के बहुतेरे गुण है। लेकिन हम इसका जिक्र यहां इस लिए कर रहे हैं क्योँकि शहद एक प्राकृतिक antibiotic है - और इसका शरीर पे कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
यह शिशु के शरीर में संक्रमण को ख़त्म करता है और साथ ही गले की खराश को आराम पहुंचाता है।
सर्दी और खांसी को दूर भगाने में शहद का इस्तेमाल भारत देश मैं सदियोँ से होता आ रहा है। पिछले कुछ दशकों में शहद के इन गुणों पे अनेक अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और नामी शोध-संस्थानों मैं शोध हुए हैं।
अंतराष्ट्रीय स्तर पे हुए अनेक शोध में यह बात सामने आ चुकी है की बच्चों को रात में सोने से पहले एक चम्मच शहद देने से उनको खांसी में बहुत आराम मिलता है और वे अच्छी नींद सो पाते हैं।
सर्दियों में घर के अंदर की हवा बहुत शुष्क हो जाती है। इसका दो बुरा प्रभाव बच्चों पे पड़ता है। पहला तो यह की उनकी रोग प्रतिरोधक छमता (immunity) इस वजह से कमजोर पड़ जाति है, क्योँकि यह पूरी तरह से अभी विकसित नहीं हुई है।
दूसरी ये की सूखी और सार्ड हवा शिशु के श्वसन प्रक्रिया पर बुरा असर डालती है। इसी का नतीजतन शिशु को ठण्ड के दिनों में एलर्जी का भी सामना करना पड़ता है।
अगर आप के शिशु का खांस - खांस के बुरा हाल है तो आप को शिशु के कमरे के लिए ह्यूमिडफायर (humidifier) खरीदने की आवश्यकता है।
इससे शिशु में संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। हवा में नमी बढ़ जाती है जिससे की शिशु को साँस लेने में आसनी होती है। खांसी कम हो जाती है।
ह्यूमिडफायर (humidifier) एक उपकरण है हो हवा की आर्द्रता या ह्यूमिडिटी को बढ़ता है। ठंडक में कमरे को गरम रखने के लिए हीटर और ब्लोअर के इस्तेमाल से हवा में मौजूद पानी या नमी की मात्रा/स्तर बहुत घट जाती है। इससे शिशु को साँस लेने में कठिनाई होती है और खूब खांसी आती है।
दिन में बच्चा उतना नहीं खांसता है जितना की रात को खांसता है। ऐसा इसलिए क्योँकि दिन में हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल उतना नहीं होता है जितना की रात में होता है।
इसका मतलब यह नहीं है की आप हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल करना बंद कर दें। लेकिन आप को यह करना है की जब भी बंद कमरे में हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल करें, तो इसके साथ ह्यूमिडफायर (humidifier) का भी इस्तेमाल करें।
बहुत ज्यादा शुष्क (रूखी) हवा से भी बच्चों को खुजली, साँस लेने में दिक्कत और एलर्जिक के लक्षण पैदा हो सकते हैं।
रात को सोते वक्त अगर आप का बच्चा दिन के मुकाबले बहुत ज्यादा खांस रहा है तो आप पाएंगे की ह्यूमिडफायर (humidifier) के इस्तेमाल से आप के बच्चे की खांसी कुछ ही घंटों में सामान्य हो जाएगी।
ह्यूमिडफायर (humidifier) का इस्तेमाल करते वक्त बस इस बात का ध्यान रखें की सुबह उठने के पश्च्यात कुछ देर के लिए कमरे की खिड़की और दरवाजे खोल दें ताकि ताज़ा हवा कमरे में प्रवेश कर सके।
रात भर ह्यूमिडफायर (humidifier) के इस्तेमाल से कमरे में आर्द्रता या ह्यूमिडिटी (नमी) का स्तर बहुत बढ़ जाता है।
Vapor rub से तो सभी लोग वाकिफ हैं। बचपन में आप जब सर्दी और जुकाम से बीमार पड़ी होंगी तो आप की माँ ने Vapor rub से आप की छाती पे मालिश की होगी।
इससे आप को बहुत आराम मिला होगा। रात में सोने से पहले Vapor rub (वेपर रब) का मालिश सोते समय बच्चे की खांसी को कम करता है, इससे बच्चे को नींद अच्छी आती है, बंद नाक खुल जाता है जिससे साँस लेने में बच्चे को बहुत आसानी होती है।
Vapor rub (वेपर रब) का इस्तेमाल करते समय आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा। Vapor rub को बच्चे के चेहरे पे कभी भी नहीं लगाएं। इससे शिशु की आंख को तकलीफ पहुंचेगा।
शिशु के चेहरे की त्वचा नाजुक होती है - इसीलिए शिशु के मुंह, नाक और आंखों के आसपास कहीं भी Vapor rub (वेपर रब) का इस्तेमाल न करें।
जरुरी नहीं की आप अपने बच्चे को बाजार का ही ख़रीदा हुआ Vapor rub (वेपर रब) लगाएं। बेहतर तो ये होगा की आप अपने बच्चे को घर का ही बना Vapor rub (वेपर रब) से मालिश करें।
इससे कम से कम इस बात की तस्सली तो रहेगी की घर का बना Vapor rub (वेपर रब) में कोई भी हानिकारक रसायन नहीं होता है और बच्चों के लिए यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
Vapor rub (वेपर रब) को घर पे बनान बहुत ही आसान है क्योँकि इसे बनाने के लिए जिन सामग्री की आवश्यकता पड़ती है साधारणतया वो हर किचिन (रसोई) में पहले से ही उपलब्ध रहती है।
Vapor rub (वेपर रब) पे अंतराष्ट्रीय स्तर पे अब तक बहुत शोध हो चुके हैं। इन सरे शोध का एहि निष्कर्ष निकला है की Vapor rub (वेपर रब) सर्दी और जुकाम में शिशु को अच्छी नींद देने में प्रभावी है।
सुनने में आप को हैरानी लगेगी - मगर शोध में यह पाया गया है की Vapor rub (वेपर रब) बंद नाक पर कोई असर नहीं होता। यानि की Vapor rub (वेपर रब) बंद नाक को नहीं खोलता है।
मगर
Vapor rub (वेपर रब) में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री नाक में ठंडक का अहसास उत्पन्न करती है जिससे की शिशु को जुकाम में और बंद नाक की स्थिति में साँस लेने में बहुत आसानी हो जाती है।
यही वजह है की सर्दी और जुकाम के कारण परेशान शिशु को भी Vapor rub (वेपर रब) बंद नाक में राहत पहुंचता है।
शिशु को सर्दी जुकाम में आराम पहुँचाने के लिए उसके Vapor rub (वेपर रब) को बच्चे की छाती, गर्दन और पीठ पर मालिश करें।
शिशु रोग विशेषज्ञ बच्चों पे Vapor rub (वेपर रब) के इस्तेमाल की सलाह नहीं देते क्योँकि इससे शिशु के नाजुक त्वचा पे जलन का एहसास होता है जिसकी वजह से शिशु असहज मेहसूस कर सकता है।
मगर Vapor rub (वेपर रब) पे हुए अनेकों शोध इस बात को प्रमाणित करते हैं की Vapor rub (वेपर रब) के मालिश से शिशु को रात में आरामदायक नींद आती है।
इसके आलावा भारत देश में Vapor rub (वेपर रब) का इस्तेमाल कई सौ सालों से सर्दी जुकाम के इलाज के लिए किया जा रहा है।
बच्चों के लिए त्यार Vapor rub (वेपर रब) - बड़ों के इस्तेमाल वाले Vapor rub (वेपर रब) से भिन होता है। बच्चों के Vapor rub (वेपर रब) में पैट्रोलेटम, तेल और नीलगिरी होती है मगर कपूर या पुदीने का सत्त नहीं होता।
कुछ माता पिता अपने बच्चे की त्वचा पे पैट्रोलियम या पाराबेन से बने उत्पाद इस्तेमाल करना नहीं चाहते हैं।
अगर आप भी अपने बच्चे पे पैट्रोलियम या पाराबेन मुक्त Vapor rub (वेपर रब) का इस्तेमाल करना चाहती है तो आप को आसानी से अपने नजदीकी आयुर्वेदिक दुकानों या आॅनलाइन भी पाराबेन मुक्त Vapor rub (वेपर रब) मिल जायेगा।
आयुर्वेदिक Vapor rub (वेपर रब) को बनाने के लिए पैट्रोलियम या पाराबेन की जगह ऐलो, जड़ी-बूटियों, तेलों और एसेंशियल आयॅल का इस्तेमाल किया जाता है।
अगर आप अपने शिशु पे Vapor rub (वेपर रब) का इस्तेमल करना चाहती है तो अपने शिशु के डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लें।
हर बच्चा स्वस्थ की दृष्टि से अलग होता है और हर घरेलू उपाय का असर हर बच्चे पे अलग-अलग हो सकता है। आप के शिशु के डॉक्टर से बेहतर आप के शिशु के स्वस्थ के बारे में और कोई नहीं जान सकता है। इसीलिए आप के शिशु के डॉक्टर की राय बहुत मायने रखती है।
नवजात शिशु को जुकाम होना भी एक आम बात है। नवजात बच्चे जो हर समय माँ गोद में रहते हैं, वो भी आसानी से सर्दी, खांसी और जुकाम के शिकार हो जाते हैं।
ऐसा इस लिए क्यूंकि उतने छोटे बच्चों का शारीर इतना विकसित नहीं होता है की मौसम के अनुसार अपने शारीर के तापमान को नियंत्रित कर सके।
इसके आलावा नवजात शिशु के शरीर में संक्रमण से लड़ने की छमता भी बहुत कम होती है - और वे आसानी से संक्रमण के शिकार हो जाते हैं।
नवजात शिशु जुकाम के घरेलू उपाय सिर्फ एक ही है - बच्चे को माँ का दूध पिलायें। छह महीने से कम उम्र के बच्चे को माँ के दूध के आलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए - यहां तक की पानी तक नहीं।
अगर केवल माँ के दूध से नवजात शिशु को जुकाम ठीक नहीं हो रहा है तो, आप को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। क्योँकि नवजात बच्चे को बिना डॉक्टरी सलाह के दूध के आलावा कुछ भी नही दिया जा सकता है।
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