Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 2 किलो से कम रहता है उन बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम रहती है| इसकी वजह से संक्रमणजनित कई प्रकार के रोगों से बच्चे को खतरा बना रहता है|

जिन बच्चों का वजन जन्म के समय कम रहता है उन बच्चों को संक्रमण का खतरा बना रहता है।
बच्चों का वजन जन्म के समय 2.5 kg या ज्यादा हो तो उसे ठीक माना जाता है। सामान्य स्थिति में बच्चों का जन्म ढाई किलो से लेकर साढ़े तीन किलो तक होता है।
जन्म के समय शिशु का वजन 2 किलो से कम रहना बच्चे की सेहत के लिए ठीक नहीं है। जिन बच्चों का वजन 2 किलो से कम रहता है उन बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम रहती है। इसकी वजह से संक्रमणजनित कई प्रकार के रोगों से बच्चे को खतरा रहता है।
जन्म के समय कम वजन यानी 2 किलो या उससे कम वजन शिशु के स्वस्थ्य के लिए सही नहीं है। इतने कम वजन वाले बच्चों के शरीर में वासा की मात्रा बहुत कम रहती है। शरीर में कम वासा होने के दो नुकसान हैं:
जिन बच्चों को वजन सामान्य से कम रहता है उन बच्चों का पहले साल में अचानक मृत्यु का खतरा (sudden infant death syndrome) बाकि बच्चों से ज्यादा रहता है।
बच्चों में कम वजन के कारण इतनी सारी समस्याओं का कारण है बच्चे के फेफड़ों (liver) का विकास न हो पाना। फेफड़ों में कम विकास के कारण शिशु को संक्रमण के साथ-साथ पेट से सम्बंधित समस्यों का भी सामना करना पड़ता है।

जिन बच्चों का वजन कम होता है उन बच्चों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता रहती है - विशेषकर इसलिए क्योँकि इन बच्चों मैं संक्रमण का खतरा बना रहता है।
कम वजन के बच्चो को संक्रमण से बचाने के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम है। माँ के दूध में रोग प्रतिरोधक छमता (antibody) होती है। स्तनपान के जरिये बच्चे के शरीर में माँ के शरीर का antibody पहुँचता है। जब तक बच्चा माँ का दूध पीता है तब तक उसके शरीर को रोग-प्रतिरोधक क्षमता मिलती रहती है। इसीलिए शिशु को कम से कम 6 month तक माँ का दूध पिलाना चाहिए। जो बच्चे कम वजन में पैदा होते हैं उन बच्चों को कम से कम एक साल तक माँ का दूध पिलाना चाहिए।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार जब तक बच्चे का वजन सामान्य न हो जाये तब तक बच्चे को हर दो घंटे पे माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए। जिन बच्चों का वजन कम होता है उन बच्चों को माँ के दूध का एक और फायदा होता है। जब वे बच्चे माँ का दूध पीते हैं तो माँ की त्वचा के संपर्क में आने से उन बच्चों के शरीर को अपना तापमान संतुलित करने में सहायता मिलती है। बच्चे को गर्म कमरे में भी रखना चाहिए। कम वजन के बच्चों को कभी भी बिना कपडे के ना रखें।

पहले एक साल तक माँ और बच्चे दोनों के लिए जरुरी है की वे मौसम के अनुकूल कपडे पहने। कम वजन के बच्चो की अच्छी सेहत के लिए आप कंगारू केयर तरीका भी अपना सकती हैं। कंगारू केयर तरीके का सबसे बढ़िया फायदा यह है की बच्चे का संपर्क हर वक्त माँ के त्वचा से रहता है। इस वजह से बच्चे के शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।
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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से शिशु के जन्म वृद्धि दर में दोगुने का इजाफा हुआ है। सिजेरियन डिलीवरी में इस प्रकार की दोगुनी वृद्धि काफी चौंका देने वाली है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह सिजेरियन डिलीवरी के जरिए अस्पतालों की मोटी कमाई है।
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।
बच्चे की ADHD या ADD की समस्या को दुश्मन बनाइये - बच्चे को नहीं। कुछ आसन नियमों के दुवारा आप अपने बच्चे के मुश्किल स्वाभाव को नियंत्रित कर सकती हैं। ADHD या ADD बच्चों की परवरिश के लिए माँ-बाप को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
1 साल के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 1 साल की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
गर्भावस्था के बाद तंदरुस्ती बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन कुछ छोटी-मोती बातों का अगर ख्याल रखा जाये तो आप अपनी पहली जैसी शारीरिक रौनक बार्कर रख पाएंगी। उदहारण के तौर पे हर-बार स्तनपान कराने से करीब 500 600 कैलोरी का क्षय होता है। इतनी कैलोरी का क्षय करने के लिए आपको GYM मैं बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
Ambroxol Hydrochloride - सर्दी में शिशु को दिया जाने वाला एक आम दावा है। मगर इस दावा के कुछ घम्भीर (side effects) भी हैं। जानिए की कब Ambroxol Hydrochloride को देना हो सकता है खतरनाक।
कोलोस्ट्रम माँ का वह पहला दूध है जो रोगप्रतिकारकों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है जो नवजात शिशु के मांसपेशियोँ को बनाने में मदद करती है और नवजात की रोग प्रतिरक्षण शक्ति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
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इस यौजना का मुख्या उद्देश्य है की इधर-उधर फेंके गए बच्चों की मृत्यु को रोकना| समाज में हर बच्चे को जीने का अधिकार है| ऐसे में शिशु पालना केंद्र इधर-उधर फेंके गए बच्चों को सुरख्षा प्रदान करेगा|
अमेरिकी शोध के अनुसार जो बच्चे एक नियमित समय का पालन करते हैं उनमें मोटापे की सम्भावना काफी कम रहती है| नियमित दिनचर्या का पालन करने का सबसे ज्यादा फायदा प्री-स्कूली आयु के बच्चों में होता है| नियमित दिनचर्या का पालन करना सिर्फ सेहत की द्रिष्टी से ही महत्वपूर्ण नहीं है वरन इससे कम उम्र से ही बच्चों में अनुशाशन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है|
आज के दौर के बच्चे बहुत egocentric हो गए हैं। आज आप बच्चों को डांट के कुछ भी नहीं करा सकते हैं। उन्हें आपको प्यार से ही समझाना पड़ेगा। माता-पिता को एक अच्छे गुरु की तरह अपने सभी कर्तव्योँ का निर्वाह करना चाहिए। बच्चों को अच्छे संस्कार देना भी उन्ही कर्तव्योँ में से एक है।
बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर करना सिखाएं। यह भी जानिए की बच्चों को बुरी संगत से कैसे बचाएं। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दीजिये।
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हर प्रकार के मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर, बच्चों के लिए ड्राई फ्रूट्स बहुत पौष्टिक हैं| ये विविध प्रकार के नुट्रिशन बच्चों को प्रदान करते हैं| साथ ही साथ यह स्वादिष्ट इतने हैं की बच्चे आप से इसे इसे मांग मांग कर खयेंगे|
आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
बच्चों का मालिश बहुत महत्वपूर्ण है। आप के बच्चे का स्पर्श आप के प्यार और दुलार का एक माध्यम है। मालिश इसी का एक रूप है। जिस प्रकार से आप के बच्चे को पौष्टिक भोजन की आवशकता अच्छे growth और development के लिए जरुरी है, उसी तरह मालिश भी जरुरी है।