Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺13 min read
भारत सरकार के टीकाकरण चार्ट 2018 के अनुसार अपने शिशु को आवश्यक टीके लगवाने से आप का शिशु कई घम्भीर बिमारियौं से बचा रहेगा। टिके शिशु को चिन्हित बीमारियोँ के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं। भरता में इस टीकाकरण चार्ट 2018 का उद्देश्य है की इसमें अंकित बीमारियोँ का जड़ से खत्म किया जा सके। कई देशों में ऐसा हो भी चूका है और कुछ वर्षों में भारत भी अपने इस लक्ष्य को हासिल कर पायेगा।

क्या आप जानते हैं?
हम और आप बेहद खतरनाक वातावरण में सांस लेते हैं। आप के आस पास हर चीज़ से - यहाँ तक की हवा से भी संक्रमण लगने का खतरा रहता है।
लेकिन आप और हम बीमार नहीं पड़ते।
क्योँ?
क्यूंकि हमारा शारीर संक्रमण से मुकाबला करने में सक्षम है। आप के हमारे शारीर में रोग प्रतिरोधक छमता बहुत ताकतवर है जो दिन रात जानलेवा जीवाणु और विसणुओं से लड़ कर हमारे शारीर को सुरक्षित रखता है।
मगर बच्चों के साथ ऐसा नहीं है।
बच्चों में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबाडी (antibody) स्तनपान करते समय माँ से प्राप्त हो जाता है। मगर यह एंटीबाडी (antibody) बहुत समय तक शिशु की रक्षा नहीं कर सकता है।
जैसे जैसे शिशु बड़ा होगा - उसे माँ से स्तनपान के दौरान मिलने वाला एंटीबाडी (antibody) उसके शरीर की सुरक्षा करने के लिए काफी नहीं होगा।

शिशु के शरीर को जल्द ही संक्रमण से लड़ने में खुद सक्षम बनना पड़ेगा।
नहीं तो वातावरण में मौजूद संक्रमण का वार शिशु का शरीर झेल नहीं पायेगा।
आप को शायद पता नहीं है।
आज से तीस साल पहले पुरे विश्व में शिशु मृत्यु दर इतनी ज्यादा थी की लगभग हर घर में कुछ ही बच्चे बड़े होने तक जीवित रह पाते थे।
लेकिन पिछले कुछ दशकों में आवश्यक सरकारी टीकाकरण की वजह से शिशु मृत्वु दर में बहुत कमी आयी है।
आकड़ों के आधार पे सरकार ने संक्रमणों की एक तालिका बनायीं है। इस तालिका में उन सभी संक्रमणों को शामिल किया गया है जिनकी वजह से विश्व में शिशु मृत्यु दर इतनी ज्यादा है।
आज से तीस साल पहले सरकार का लक्ष्य यह था की इन सभी संक्रमण के प्रति शिशु को टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत टिका लगा दिया जाये ताकि शिशु के मृत्यु की सम्भावना ख़त्म हो जाये।
इसका नतीजा यह हुवा की पिछले कुछ दशकों में शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी।
अगर आप अपने शिशु को स्वस्थ देखना चाहते हैं तो उसे समय से सारे आवश्यक टिके (देखे: टीकाकरण तालिका 2018) लगवाएं।
टिके शिशु को चिन्हित बीमारियोँ के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं।
आम बीमारी और जानलेवा संक्रमण से अपने शिशु को प्रभावी ढंग से बचाने के लिए अपने शिशु को उपर्यक्त सभी ठीके समय पे लगवाएं। कुछ टिके ऐसे हैं जिन्हे आप के शिशु को कई खुराक लेने की आवश्यकता पड़ेगी।
अपने शिशु को बच्चों का टीकाकरण - टीकाकरण चार्ट 2017 - 2018 के अनुसार टिके लगवाएं।
आप शिशु के लिए टीकाकरण चार्ट २०१८ यहां से download कर सकते हैं।
टीकाकरण चार्ट 2018 से आप को यह पता चलेगा की कौन कौन से टीके लगवाने अनिवार्य हैं और उन्हें शिशु को कब कब लगवाना चाहिए। टीकाकरण चार्ट 2018 में उन टीकों के बारे में भी जिक्र किया गया है जीने लगवाना अनिवार्य नहीं हैं बल्कि वैकल्पिक है।
वैकल्पिक टीकों का उदहारण
न्युमोकोकस
छोटी माता/ छोटी चेचक (चिकनपॉक्स)
मेनिंगोकोकल मेनिन्जिटिस
इनफ्लूएंजा
अगर आप भारत सरकर द्वारा जारी टीकाकरण चार्ट 2018 का पालन करें और उसी के अनुसार ठीके लगवाएं तो आप पाने शिशु को बहुत से खतरनाक बीमारियोँ से बचा पाएंगी। साथ ही साथ भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में भी अच्छा-खासा कमी आएगा - जो कि बहुत अच्छी बात है।

भरता में इस टीकाकरण चार्ट 2018 का उद्देश्य है की इसमें अंकित बीमारियोँ का जड़ से खत्म किया जा सके। कई देशों में ऐसा हो भी चूका है और कुछ वर्षों में भारत भी अपने इस लक्ष्य को हासिल कर पायेगा।
जिन देशों में ये बीमारी पूरी तरह समाप्त हो चुकी है उन देशों में भी डॉक्टर इन टीको को लगवाने सलाह देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर टिके लगवाने बंद कर दिए जाएँ तो ये बीमारी दूबारा लौट के वापस आ सकती है।
टीकाकरण के बाद भी शिशु को वो बीमारी लग सकती ही। ऐसा इस लिए क्योँकि कोई भी टिका 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता है। इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पे जाँच समितियां बनायीं गयी हैं जो समय-समय पे जांच करते रहती हैं ताकि देश को इन बीमारियोँ के दुबारा आने से और इनके महामारी बनने से रोका जा सके।
हर कुछ सालों में नए टिके आते रहते हैं - मगर ये टिके मुख्यता वही पुरानी बीमारियोँ के ही होते हैं। बीएस फरक इतना होता है की ये नए टिके पहले से ज्यादा प्रभावी होते हैं।
अगर बाजार में एक ही बीमारी से बचाव के लिए दो ठीके उपलब्ध हों तो आप के शिशु का डॉक्टर आप से पूछ सकता है की आप के शिशु को कौन सा टिका लगाया जाये। ऐसे मैं भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। आप कोई भी टिका अपनी पसंद से लगवा सकते हैं। दोनों ही ठीके कारगर होंगे। अगर आप आश्वश्त होना चाहते हैं तो अपने शिशु के डॉक्टर की राय ले लें।
नए टीकों के खुराक में अंतर हो सकता है, इनके दुष्प्रभवाव में भी अंतर हो सकता है। नए टीकों के कीमतों में भी अंतर हो सकता है। मगर मुख्या रूप से आप यह समझ लीजिये की अधिकांश मामलों में अलग-अलग टीकों के प्रभाव में कोई अंतर नहीं होता। इसलिए आप चाहे अपनी समझ से कोई भी टिका लगवाएं - आप के शिशु को बीमारी के प्रति उतनी ही सुरक्षा मिलेगी।
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बहुत सारे माँ बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या वे अपने बच्चे को UHT milk 'दे सकते हैं' या 'नहीं'। माँ बाप का अपने बच्चे के खान-पान को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है और जायज भी। ऐसा इस लिए क्यूंकि बच्चों के खान-पान का बच्चों के स्वस्थ पे सीधा प्रभाव पड़ता है। कोई भी माँ बाप अपने बच्चों के स्वस्थ के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है।
बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
ये पांच विटामिन आप के बच्चे की लंबाई को बढ़ने में मदद करेगी। बच्चों की लंबाई को लेकर बहुत से मां-बाप परेशान रहते हैं। हर कोई यही चाहता है कि उसके बच्चे की लंबाई अन्य बच्चों के बराबर हो या थोड़ा ज्यादा हो। अगर शिशु को सही आहार प्राप्त हो जिससे उसे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके जो उसके शारीरिक विकास में सहायक हों तो उसकी लंबाई सही तरह से बढ़ेगी।
बच्चों को या बड़ों को - टॉन्सिल इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है जब शारीर की रोग प्रतिरोधक छमता कमजोर पड़ जाती है। चूँकि बच्चों की रोगप्रतिरोधक छमता बड़ों की तुलना में कम होती है, टॉन्सिल इन्फेक्शन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। लेकिन कुछ आसन से घरेलु उपचार से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
जब तक आपका शिशु पूर्ण रूप से स्तनपान पर निर्भर है तब तक आप को अपने भोजन का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। कुछ आहार ऐसे हैं जो आपके शिशु के विकास में बाधा डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे आहार हैं जो आप के स्तनपान को आपके शिशु के लिए अरुचि पूर्ण बना सकते हैं। तथा कुछ ऐसे भी आ रहे हैं जिन्हें स्तनपान के दौरान ग्रहण करने से आपकी शिशु को एलर्जी तक हो सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान आपको कौन-कौन से आहारों से दूर रहने की आवश्यकता है। Foods you should avoid during breastfeeding.
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
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जिन बच्चों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है उनमे यह भी देखा गया है की उन्हें नारियल से भी एलर्जी हो। इसीलिए अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो अपने शिशु को नारियल से बनी व्यंजन देने से पहले सुनिश्चित कर लें की उसे नारियल से एलर्जी न हो।
इस गेम को खेलने के बाद बच्चे कर लेते हैं आत्महत्या|सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पे खेले जाने वाला गेम 'ब्लू व्हेल चैलेंज' अब तक पूरी दुनिया में 300 से ज्यादा बच्चों का जान ले चूका है| भारत में इस गेम की वजह से छह किशोर खुदखुशी कर चुके हैं| अगर पेरेंट्स समय रहते नहीं सतर्क हुए तो बहुत से पेरेंट्स के बच्चे इंटरनेट पे खेले जाने वाले गेम्स के चक्कर में घातक कदम उठा सकते हैं|
बच्चे को सुलाने के नायब तरीके - अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप ने तरत तरह की कोशिशें की होंगी। जैसे की बच्चे को सुलाने के लिए उसको कार में कई चक्कर घुमाया होगा, या फिर शुन्य चैनल पे टीवी को स्टार्ट कर दिया होगा ताकि उसकी आवाज से बच्चा सो जाये। बच्चे को सुलाने का हर तरीका सही है - बशर्ते की वो तरीका सुरक्षित हो।
कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं। इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार (Indian baby food)
6 month से 2 साल तक के बच्चे के लिए गाजर के हलुवे की रेसिपी (recipe) थोड़ी अलग है| गाजर बच्चे की सेहत के लिए बहुत अच्छा है| गाजर के हलुवे से बच्चे को प्रचुर मात्रा में मिलेगा beta carotene and Vitamin A.
11 महीने के बच्चे का आहार सारणी इस तरह होना चाहिए की कम-से-कम दिन में तीन बार ठोस आहार का प्रावधान हो। इसके साथ-साथ दो snacks का भी प्रावधान होना चाहिए। मगर इन सब के बावजूद आपके बच्चे को उसके दैनिक जरुरत के अनुसार उसे स्तनपान या formula milk भी मिलना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
अधिकांश बच्चे जो पैदा होते हैं उनका पूरा शरीर बाल से ढका होता है। नवजात बच्चे के इस त्वचा को lanugo कहते हैं। बच्चे के पुरे शरीर पे बाल कोई चिंता का विषय नहीं है। ये बाल कुछ समय बाद स्वतः ही चले जायेंगे।
बच्चो में कुपोषण का मतलब भूख से नहीं है। हालाँकि कई बार दोनों साथ साथ होता है। गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को उसकी बढ़ने के लिए जरुरी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए हर संभव प्रयास जरुरी हैं क्योंकि एक बार अगर बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाये तो उसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।
भारत सरकार टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मुख्या और अनिवार्य टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart 2022-23 - कौन सा टीका क्यों, कब और कितनी बार बच्चे को लगवाना चाहिए - पूरी जानकारी। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाता है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।