Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺28 min read
बच्चों में आहार शुरू करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है जब बच्चा 6 month का होता है। इस उम्र में बच्चे को दूध के साथ साथ पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पहली बार बच्चों के ठोस आहार शुरू करते वक्त (weaning) यह दुविधा होती है की क्या खिलाएं और क्या नहीं। इसीलिए पढ़िए baby food chart for 6 month baby.

अक्सर माता-पिता के लिए यह चिंता का विषय रहता है की 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाएं। अब 6 months baby food chart for Indian की मदद से आप अपने 6 माह के बच्चे को पौष्टिक आहार दे सकेंगे। 6 month के बच्चे को ऐसा आहार देना चाहिए जिससे उसके शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्त्व मिल सके। सिर्फ बच्चे का पेट भरने से काम नहीं चलेगा। अगर बच्चे को उसके आहार से उसके शरीर की जरूरत के अनुसार पोषक तत्त्व नहीं मिलते तो बच्चा कुपोषण का शिकार तक हो सकता है।
बच्चों में आहार शुरू करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है जब वो 6 month का होता हैं। हो सकता है की कुछ लोग आपको 3-से-4 महीने मैं ही ठोस आहार की शुरुआत करने की सलाह दें। मगर आप ऐसा न करें। 6 माह से पहले ठोस आहार शुरू करने से बच्चे में पाचन तथा food allergy से सम्बंधित समस्या हो सकती है। 6 month से पहले बच्चे को पानी तक नहीं देना चाहिए। बाल रोग विशेषज्ञों की राय माने तो 6 महीने से पहले बच्चे को पानी पिलाना खतरनाक (जानलेवा) तक हो सकता है। बच्चों में भोजन पचाने वाले enzyme का बनना 4-से-6 महीने के बाद ही शुरू होता है जो की पाचन के लिए आवश्यक है। ठोस आहार की शुरुआत करने से पहले 6 माह तक इंतज़ार करें जब तक की बच्चे का पाचन तंत्र भोजन पचाने वाले enzyme को बनाना शुरू न कर दे। इसके आधार पे आप खुद का '6 month baby food chart in hindi' बना सकेंगी - संतुलित आहार चार्ट।
अगर आप का बच्चा 6 माह से ज्यादा मगर 3 साल से कम उम्र का है तो आप इस लेख को जरूर पढ़ें - 3 years baby food chart in हिंदी।

Download Week 1 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]
दूध छुड़ाने के तीन दिवसीय नियम का जिक्र हम ने इसी अध्याय (लेख) में आगे किये है। उसे पढ़ें और उसका पालन पहली सप्ताह में जरूर करें। चूँकि यह पहला सप्ताह है, बच्चे को बहुत थोड़ा सा ही खाने को दें। बच्चा मुख्या तौर पे आप के दूध पे या फिर formula milk पे निर्भर रहेगा। बस यूं समझ लीजिये की आप का बच्चा सिर्फ नाम के लिए ठोस आहार ले रहा है। ऊपर चार्ट में जो baby food recipes in hindi दिया गया है उसे बनाने की विधि आपको इस लेख के अंत में मिलेगी।
विदेशी अंग्रेज़ी वेब-साइट पे आपको बच्चों को खिलने के लिए भारतिया आहारों का जिक्र नहीं मिलेगा। इसीलिए इस विशेष लेख में 6 month baby food chart Indian का जिक्र हम ने किया है ताकि baby food Chart में दी गई सारी सामग्री आपको आसानी से मिल जाये और recipes भी ऐसे हों जो हम भारतीयोँ के लिए आम हों।
यह भी पढ़ें - 7 month baby food recipes Indian और 8 month baby food recipes Indian.
आज के दौर की तेज़ भाग दौड़ वाली जिंदगी मैं हर माँ के लिए यह संभव नहीं की अपने शिशु के लिए घर पे खाना त्यार कर सके। ऐसे में अगर आप बाजार का ब्रांडेड बेबी फ़ूड अपने 6 month baby के लिए खरीदतीं हैं तो आप को कुछ महत्वपूर्ण बात्तों का ध्यान रखना पड़ेगा। 6 माह के बच्चे के लिए उपलब्ध ready made baby food ने कई माताओं का जीवन सरल कर दिया है। लेकिन फिर भी घर पे त्यार बच्चों के आहार (संतुलित आहार चार्ट) का कोई मुकाबला नहीं है।

Download Week 2 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]
पहले सप्ताह में बच्चे को सिर्फ दो ही प्रकार के ठोस/तरल आहार दिया गया है। दूसरे सप्ताह में आप का बच्चा दो और नए आहार को चखेगा। दूसरे सप्ताह के अंत तक आपका बच्चा कुल मिलके चार नए आहार का स्वाद चख चूका होगा। दूसरे सप्ताह से आप को अपने बच्चे की दिनचर्या को निर्धारित करना शुरू कर देना चाहिए। उद्धरण के तौर पे बच्चे के सोने का समय, उठने का समय, खेलने का समय और खाने का समय। ऐसा करने पे आप बच्चे से सम्बंधित बहुत सी चीज़ों को व्यस्थित कर सकेंगी और आपका काफी काम भी आसान हो जायेगा।
अगर आप का बच्चा दूसरे बच्चों से शारीरिक तौर पे कमजोर है तो उसका वजन बढ़ाने के लिए आप को उसे विशेष आहार देने पड़ेंगे जो उसका वजन बढ़ाने में उसकी मदद करेगा। बच्चों की अच्छी सेहत के लिए आप उनके आहार में ड्राई-फ्रूट्स मिला कर भी उन्हें दे सकते है। अगर आप अपने बच्चे को semi-solid food दे रहे हैं तो आप बच्चे के भोजन में dry-fruits को पीस कर भी मिला के दे सकते हैं।
यह भी पढ़ें - 3 month baby care tips in Hindi और 5 month baby care tips in Hindi.

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तीसरा सप्ताह का अंत होते-होते आपका बच्चा 6 नए आहार का स्वाद चख चूका होगा। इस दौरान आप को भी यह पता लग चूका होगा की आपके बच्चे को कौन सा आहार (सब्जियों का puree, मुंग की दाल की खिचड़ी, सब्जी वाली खिचड़ी, पांच दालों वाली खिचड़ी इतियादी) पसंद आया। अपने बच्चे को जबरदस्ती कुछ भी खिलने का कोशिश न करें। धैर्य रखें, कुछ समय पश्च्यात आप को अनेक ऐसे आहार के बारे में पता लग चूका होगा जो आपका बच्चा बड़े चाव से खाता है। जो आहार आपके बच्चे को पसंद है वही उसे दें खाने को।

Download Week 4 - Baby Food Chart in Hindi [PDF]
बच्चे को mashed/pureed आहार देना जारी रखें। इस सप्ताह के अंत तक आप का बच्चा आठ नए आहार के बारे में जान चूका होगा। आपके बच्चे के दिनचर्या के आधार पे आप उसे दिन के किसी भी समय ठोस आहार दे सकते हैं।
बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त आपको कुछ चीज़ों की आवशकता पड़ेगी। इन चीज़ों की मैंने एक लिस्ट बनायीं है। ये ऐसी चीज़ें हैं जिनकी आवश्यकता आप को आहार बनाते वक्त पड़ेगा या फिर बच्चे को आहार खिलाते वक्त।
ऊपर दिए गए baby food chart को सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए निचे दिए गए दिशा निर्देश ध्यान से पढ़ें।
दिन मात्रा समय
पहला दिन 1 बड़ा चम्मच दोपहर का भोजन
दूसरा दिन 2 बड़ा चम्मच दोपहर + नाश्ता
तीसरा दिन 3 बड़ा चम्मच दोपहर + नाश्ता
6 माह के बच्चे में जब आप पहली बार ठोस आहार की शुरुआत कर रहें हैं तो इसकी शुरुआत या तो सुबह के नाश्ते से करीये या फिर दोपहर के भोजन से। रात्रि भोजन में या सोने से पहले शरुआती दिनों में ठोस आहार न दें। इसी नियम का पालन उस वक्त भी करें जब आप कोई नई भोजन भी बच्चे को पहली बार दे रहीं हों तो।
यह भी पढ़ें:
आहार जो आप अपने 6 माह के बच्चे को दे सकते हैं।
सुबह उठने के बाद - Wake up
जितने बजे भी सुबह आपका बच्चा उठे, सबसे पहले आप उसे या तो अपना दूध पिलायें या formula milk पीने को दें।
सुबह का नाश्ता 6 माह के बच्चे के लिए - Breakfast for 6 month baby
सुबह उठते ही दूध पिलाने के बाद डेढ़ से दो घंटे के बाद आप अपने बच्चे को नाश्ते (breakfast) मैं ठोस आहार दे सकते हैं। यहां निचे दिए 6 recipes में से आप अपने बच्चे को हर दिन एक नया रेसिपी दे सकते हैं। पहले एक सप्ताह बच्चे को नाश्ते में सिर्फ फल खाने को दें।
दोपहर का खाना - Lunch
बाकी का दिन - Rest of the day
बाकी का आधा दिन आप अपने बच्चे को अपना दूध पिलायें या formula milk पीने को दें। दोपहर का खाना खिलने के दो घंटे के बाद ही बच्चे को दूध पिलायें।

Ingredients - सामग्री
विधि: 6 महीने के बच्चे के बच्चे के लिए नाश्ता बनाने की विधि
हर दिन अलग-अलग फल देने से बच्चे में अनेक प्रकार के nutrients की कमी को पूरा किया जा सकता है। बच्चों को आप सप्ताह में इस तरह से फल दे सकतें हैं।
6 माह के बच्चे से ये उम्मीद न करें की वो बहुत भोजन कर लेगा। इतने छोटे बच्चे का पेट भी बहुत छोटा होता है। बच्चे को अधिकांश (nutrition) पोषण दूध से ही मिल जायेगा। इस उम्र में बच्चे को उतना दूध पिलाते रहें जितना की उसे जरुरत है। जितनी बार आवश्यकता पड़े उतनी बार बच्चे को दूध पिलायें। पहले कुछ सप्ताह बहुत थोड़ा खाना ही बच्चे को खिलाएं। इस दौरान बच्चा मुख्यता स्तनपान और formula milk पे ही निर्भर रहेगा। 6 माह के बच्चे को कम से कम हर दिन 500ml - से - 600ml के बीच दूध पीना चाहिए।
तीन से चार महीना का होते-होते आप का बच्चा अपने सर को स्थिर रखना सीख लेगा। जब तक वो 6 महीना का होगा, तब तक उसके सर और गर्दन की मासपेशियां मजबूत हो चुकी होंगी। ठोस आहार ग्रहण करते वक्त आप के बच्चे को मजबूत सर और गर्दन की आवश्यकता पड़ेगी ताकि वो आसानी से आहार को घोंट सके। जब तक आपका बच्चा 6 माह का होगा तब तक उसका पाचन तंत्र भी पूरी तरह विकसित हो चूका होगा।
जब आपका बच्चा 6 महीने का होगा तो वो अलग अलग आहार की तरफ आकर्षित होने लगेगा। वो अपने सर को भी खुद ही स्थिर रखना सीख लेगा। ये कुछ निशानियां हैं की आपका बच्चा अब त्यार है ठोस आहार ग्रहण करने के लिए। क्या आप का बच्चा निचे दी गयीं चीज़ीं कर पता है।
ऊपर दिए गए सवालों के लिए अगर आप के जवाब हाँ में है तो समझिये की आप का बच्चा त्यार है ठोस आहार के लिए।
जब तक आप का बच्चा एक साल का नहीं हो जाता, ठोस आहार शुरू करने के बाद भी उसे दूध पिलाना जारी रखें। कम से कम 6 महीने की आयु तक अपने बच्चे को अपना ही दूध पिलायें। बच्चे के लिए माँ का दूध सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आप व्यावसायिक, निजी या चिकित्सीय कारणों से अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पीला सकती तो कम-से-कम उसे एक साल तक formula milk तो पिलाइये ही। माँ का दूध सिर्फ बच्चे के लिए फायदेमंद ही नहीं है वरन शिशु को दूध पिलाने पर माँ को भी होते हैं अनेक फायदे।
आप के बच्चे ने गर्दन को स्थिर रखना सीख लिए है और तरह-तरह के भोजन की तरफ भी आकर्षित होता है इसका मतलब यह नहीं की वो table पे बैठ के आपके साथ भोजन करने के लिए शारीरिक तौर पे तैयार हो गया है। 6 माह के बच्चे का ठोस आहार किसी भी तरह से ठोस नहीं होता। इस दौरान बच्चे को भोजन पीस के दिया जाता है। भोजन ग्रहण करना एक कौशल है और आप के बच्चे को अभी थोड़ा समय लगेगा इस कौशल को सिखने में।
अगर आप भोजन से सम्बंधित तीन दिवसीय नियमो का पालन कर रहे हैं तो आप बहुत हद तक अपने बच्चों को भोजन से होने वाले एलेर्जी से बचा सकते हैं।
छोटे बच्चों को आहार शुरू करते वक्त सिर्फ एक से दो बडा चम्मच भोजन देने की आवश्यकता पड़ती है इसी लिए भोजन की मात्रा कम रखें।
कोई भोजन जब पहली बार करा रहें हों तो सतर्कता बरतें की कहीं नए भोजन से बच्चे को कोई एलेर्जी तो नहीं हो रही है। कुछ भोजन ऐसे हैं जिनसे एलेर्जी होने की सम्भावना रहती है। इस प्रकार के भोजन कराते वक्त विशेष सतर्कता की जरुरत रहती है।


अगर आपके बच्चे को किसी विशेष आहार से एलेर्जी है तो आप अपने बच्चे में निम्न प्रकार के लक्षण देखेंगे:
उन आहार के प्रति सावधान रहें जिन से आपके बच्चे को गैस हो सकता है। हम यहां कुछ गिने चुने आहार के नाम बता रहें हैं जिन्हे खाने से आप के बच्चे को थोड़ी तकलीफ हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो इंतज़ार करे की जब तक की आप का बच्चा 8 से 10 महीने का ना हो जाये।
इस लेख में मैंने कोशिश की है की आप को 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाना है उससे सम्बंधित जानकारी दे सकूँ। इन जानकारियोँ के साथ-साथ मैंने आहारों से सम्बंधित कुछ उदहारण भी दिए हैं। इन सबका इस्तिमाल कर के आप अपने 6 माह के बच्चे का diet plan तैयार कर सकते हैं। हमने उदहारण सिर्फ इस लिए दिए हैं ताकि आप को एक अंदाजा मिल सके। इस जानकारी के आधार पे आप खुद ही अपने बच्चे का Indian diet plan तैयार कर सकती हैं उन आहारों के द्वारा जिसे आप आम तौर पे अपने परिवार के लिए बनती हैं। इस लेख का उद्देश्य यही है की आप भोजन के समय सारणी और उस की मात्रा को समझ सकें।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
ये आहार माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते करते हैं। अगर माइग्रेन है तो इन आहारों को न खाएं और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को इन आहारों को खाने के लिए दें जिसे माइग्रेन हैं। इस लेख में हम आप को जिन आहारों को माइग्रेन के दौरान खाने से बचने की सलाह दे रहे हैं - आप ने अनुभव किया होगा की जब भी आप इन आहारों को कहते हैं तो 20 से 25 minutes के अंदर सर दर्द का अनुभव होने लगता है। पढ़िए इस लेख में विस्तार से और माइग्रेन के दर्द के दर्द से पाइये छुटकारा।
नारियल का पानी गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही में विशेषकर फायदेमंद है अगर इसका सेवन नियमित रूप से सुबह के समय किया जाए तो। इसके नियमित सेवन से गर्भअवस्था से संबंधित आम परेशानी जैसे कि जी मिचलाना, कब्ज और थकान की समस्या में आराम मिलता है। साथी या गर्भवती स्त्री के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, शिशु को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है और गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
शिशु के जन्म के बाद यानी डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या देखी गई है। हालांकि बाजार में बाल झड़ने को रोकने के लिए बहुत तरह की दवाइयां उपलब्ध है लेकिन जब तक महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं तब तक यह सलाह दी जाती है कि जितना कि जितना ज्यादा हो सके दवाइयों का सेवन कम से कम करें। स्तनपान कराने के दौरान दवाइयों के सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।
बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
शिशु के नौ महीने पुरे होने पे केवल दो ही टीके लगाने की आवश्यकता है - खसरे का टीका और पोलियो का टिका। हर साल भारत में 27 लाख बच्चे खसरे के संक्रमण के शिकार होते है। भारत में शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण खसरा है।
एलर्जी से कई बार शिशु में अस्थमा का कारण भी बनती है। क्या आप के शिशु को हर २० से २५ दिनों पे सर्दी जुखाम हो जाता है? हो सकता है की यह एलर्जी की वजह से हो। जानिए की किस तरह से आप अपने शिशु को अस्थमा और एलर्जी से बचा सकते हैं।
Indian baby sleep chart से इस बात का पता लगाया जा सकता है की भारतीय बच्चे को कितना सोने की आवश्यकता है।। बच्चों का sleeping pattern, बहुत ही अलग होता है बड़ों के sleeping pattern की तुलना मैं। सोते समय नींद की एक अवस्था होती है जिसे rapid-eye-movement (REM) sleep कहा जाता है। यह अवस्था बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लहजे से बहुत महत्वपूर्ण है।
गर्भवती महिलाएं जो भी प्रेगनेंसी के दौरान खाती है, उसकी आदत बच्चों को भी पड़ जाती है| भारत में तो सदियोँ से ही गर्भवती महिलायों को यह नसीहत दी जाती है की वे चिंता मुक्त रहें, धार्मिक पुस्तकें पढ़ें क्योँकि इसका असर बच्चे पे पड़ता है| ऐसा नहीं करने पे बच्चे पे बुरा असर पड़ता है|
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
दस साल के बच्चे के आहार सरणी मैं वो सभी आहार सम्मिलित किया जा सकते हैं जिन्हे आप घर पर सभी के लिए बनती हैं। लेकिन उन आहारों में बहुत ज्यादा नमक, मिर्चा और चीनी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आप जायके के लिए हलके मसलों का इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे की धनिया पाउडर।
बच्चे के पांच महीने पुरे करने पर उसकी शारीरिक जरूरतें भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में जानकारी जरुरी है की बच्चे के अच्छी देख-रेख की कैसे जाये। पांचवे महीने में शिशु की देखभाल में होने वाले बदलाव के बारे में पढ़िए इस लेख में।
हैंडी क्राफ्ट एक्टिविटीज बच्चों में सकारात्मक और रचनातमक सोच विकसित करता है। हम आप को बताएंगे की आप सरलता से कागज का हवाई मेढक कैसे बनायें।
अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मेनिंगोकोकल का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
एम एम आर (मम्प्स, खसरा, रूबेला) वैक्सीन (MM R (mumps, measles, rubella vaccine) Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मम्प्स, खसरा, रूबेला का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
नाक से खून बहने (nose bleeding in children) जिसे नकसीर फूटना भी कहते हैं, का मुख्या कारण है सुखी हवा (dry air)। चाहे वो गरम सूखे मौसम के कारण हो या फिर कमरे में ठण्ड के दिनों में गरम ब्लोअर के इस्तेमाल से। ये नाक में इरिटेशन (nose irritation) पैदा करता है, नाक के अंदुरुनी त्वचा (nasal membrane) में पपड़ी बनता है, खुजली पैदा करता है और फिर नकसीर फुट निकलता है।