Category: स्वस्थ शरीर
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।

शिशु के विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है की शिशु का वजन एक निश्चित मात्रा में हर महीने बढे।
महत्वपूर्ण सूचना: इस लेख को समझने में अगर आप को कठिनाई आये तो आप बस इस बात का ख्याल रखें की चौथे से छटे महीने के अंदर आप के शिशु का वजन जन्म के वजन का दोगुना हो जाना चाहिए।

| शिशु की उम्र महीनो में | लड़का (KG) | लड़की (KG) |
|---|---|---|
| नवजात शिशु | 3.3 | 3.2 |
| 1 महिना | 3.5-4.4 | 3.32-4.1 |
| 2 महिना | 4.7-5.4 | 4.35-5 |
| 3 महिना | 5.6-6.2 | 5.2-5.7 |
| 4 महिना | 7 | 6.4 |
| 5 महिना | 7.5 | 6.9 |
| 6 महिना | 7.9 | 7.3 |
| 7 महिना | 8.3 | 7.7 |
| 8 महिना | 8.6 | 7.95 |
| 9 महिना | 8.9 | 8.2 |
| 10 महिना | 9.2 | 8.5 |
| 11 महिना | 9.4 | 8.7 |
| 12 महिना | 9.7 | 8.95 |
इस चार्ट को देखिये। इसमें जिस तरह बताया गया है, उस तरह आप के शिशु का वजन हर महीने बढ़ना चाहिए। शिशु के पहले साल में शारीरिक और बौद्धिक विकास की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है महीने - दर - महीने आप के शिशु का वजन इस तरह बढे।
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अगर आप के शिशु का वजन किन्ही कारणों से महीने - दर - महीने इस तरह नहीं बढ़ रहा है या फिर आप के शिशु का वजन चार्ट के विपरीत बहुत ज्यादा बढ़ रहा है, तो आप के शिशु के विकास के लिए ये दोनो ही स्थिति उचित नहीं है।
शिशु का कम वजन होना या ज्यादा वजन होना, शिशु में स्वस्थ सम्बन्धी समस्याओं को दरशा सकता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) को देख कर आप इस बात का पता आसानी से लगा सकती हैं की आप के 4 महीने के शिशु का वजन ठीक तरह से बढ़ रहा है या नहीं।

अपने शिशु की तुलना दुसरे बच्चों से न करें। हर बच्चा कई मायने में दुसरे बच्चों से अलग होता है। शिशु का वजन बहुत साडी बातों पे निर्भर करता है जैसे की माँ-बाप की कद काठी (genetics) तथा शिशु का खानपान और बहुत सी दूसरी बातें हैं।
पहले साल में शिशु का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ता है और हर महीने बढ़ता है। यह इसलिए होता है क्योँकि शिशु का शरीर बहुत तीव्र गति से विकास कर रहा होता है।

चौथे महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये इस बात पे निर्भर करता है की
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जो बच्चे जन्म के समय पैदा ही लम्बे होते हैं, उनका कद दुसरे बच्चों से ज्यादा बढ़ता है। लम्बे बच्चों का वजन तुलनात्मक रूप से दुसरे बच्चों से ज्यादा होता है।
लड़कों का वजन लड़कियों से ज्यादा होता है। आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए यह बात आप केवल होना, शिशु में स्वस्थ सम्बन्धी समस्याओं को दरशा सकता है।

शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) को देख कर और शिशु विशेषज्ञ से राय लेकर ही पता कर सकती हैं।

शिशु विशेषज्ञ इस बात की बजाये की बच्चे का वजन कितना होना चाहिए, ये देखती हैं की शिशु का वजन किस दर से हर महीने बढ़ रहा है। यह ज्यादा महत्वपूर्ण बिंदु है। आप के शिशु का वजन हर महीने सामान्य दर से बढ़ना चाहिए।
शिशु के वजन के बढ़त-दर में अचानक से आयी कमी या बढ़त स्वस्थ सम्बन्धी समस्याओं को दर्शा सकता है।
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चार महीने पे शिशु का वजन, उसके जन्म के वजन पे निर्भर करता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए।
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अगर आप के शिशु का वजन छह महीने पुरे होने पे भी दुगना नहीं हुआ है तो आप को तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए। छह महीने पे शिशु का वजन दोगुना न होना कुपोषण को भी दर्शा सकता है।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार के अनुसार शिशु का विकास दर शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) के दुवारा पता करना चाहिए। ग्रोथ चार्ट (Growth charts) आप को यह बताएगा की आप के शिशु का वजन महीने - दर - महीने किस तरह बढ़ना चाहिए।
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बाल-रोग विशेषज्ञ (Pediatricians) इस बात पे जोर देते हैं की ग्रोथ चार्ट (Growth charts) में आप के शिशु का विकास दर सामान्य दर से बढे (consistent growth curve trend)। उदहारण के लिए जो बच्चा जन्म के समय 50th weight-for-age percentile पे था उसे चौथे महीने में भी 50th weight-for-age percentile पे ही होना चाहिए।
हालाँकि शिशु के ग्रोथ चार्ट में हर महीने curve में हल्का सा deviation देखा जा सकता है। यह एक आम trend है जिसे हर बाल-रोग विशेषज्ञ (Pediatricians) देखने की कोशिश करता है।
यहां जो ग्रोथ चार्ट दिया गया है, इसमें दर्शाया गया है की बढ़ते उम्र के अनुसार आप के शिशु का वजन सामान्य रूप से कितना बढ़ना चाहिए।

उदाहरण के लिए अगर आप का बच्चा जन्म के समय 50th weight-for-age percentile पे था तो उसका वजन चौथे महीने पे उतना ही होना चाहिए जितना की 50th weight-for-age percentile पे जन्मे दुसरे बच्चों का था।
चौथे महीने पुरे होने पे भी जो बच्चे अच्छा विकास प्रदर्शित नहीं करते हैं - यानी की जिनकी लम्बाई नहीं बढ़ती है, या वजन नहीं बढ़ता है जितना की बढ़ना चाहिए, तो ऐसे बच्चे स्वस्थ समस्याओं के शिकार हो सकते हैं। यही बात उन बच्चों पे भी लागु होती है जिनका वजन असामान्य रूप से बढ़ा हुआ ही।

ये स्थिति सामान्य नहीं है और आप को अपने शिशु के वजन से सम्बंधित बाल-रोग विशेषज्ञ (Pediatricians) से राय लेनी चाहिए।
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Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।
शिशु का जन्म पूरे घर को खुशियों से भर देता है। मां के लिए तो यह एक जादुई अनुभव होता है क्योंकि 9 महीने बाद मां पहली बार अपने गर्भ में पल रहे शिशु को अपनी आंखों से देखती है।
नॉर्मल डिलीवरी से शिशु के जन्म में कई प्रकार के खतरे होते हैं और इसमें मौत का जोखिम भी होता है - लेकिन इससे जुड़ी कुछ बातें हैं जो आपके लिए जानना जरूरी है। शिशु का जन्म एक साधारण प्रक्रिया है जिसके लिए प्राकृतिक ने शरीर की रचना किस तरह से की है। यानी सदियों से शिशु का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के पद्धति से ही होता आया है।
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।
गर्भधारण के लिए हर दिन सामान्य नहीं होता है। कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब महिला के गर्भवती होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है। इस समय अंतराल को स्त्री का फर्टाइल स्टेज कहते हैं। इस समय यौन सम्बन्ध बनाने से स्त्री के गर्भधारण करने की सम्भावना बाढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दौरान पेट में गैस का बनना आम बात है। लेकिन मुश्किल इस बात की है की आप इसे नियंत्रित करने की लिए दवाइयां नहीं ले सकती क्यूंकि इसका गर्भ में पल रहे बच्चे पे बुरा असर पड़ेगा। तो क्या है इसका इलाज? आप इसे घरेलु उपचार के जरिये सुरक्षित तरीके से कम सकती हैं। इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी आप को इस लेख में मिलेगी।
6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। जबकि 6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
इस calculator की मदद से दो मिनट में पता करिए की व्यस्क होने पे आप के शिशु की लम्बाई क्या होगी। शिशु की लम्बाई उसके आनुवंशिकी (genetics) और बचपन में उसे मिले आहार पे निर्भर करता है। इन्ही दोनों बैटन के आधार पे शिशु की लम्बाई का आकलन लगाया जाता है। Baby height prediction. Find out how tall your child will be?
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं शिशु की खांसी, सर्दी, जुकाम और बंद नाक का इलाज किस तरह से आप घर के रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाने वाली सामग्रियों से कर सकती हैं - जैसे की अजवाइन, अदरक, शहद वगैरह।
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
शिशु को 14 सप्ताह की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी, रोटावायरस, डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
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