Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺14 min read
नवजात शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इस वजह से उन्हें कई बार कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक चम्मच में थोड़े से हिंग को चार-पांच बूंद पानी के साथ मिलाएं। इस लेप को बच्चे के नाभि पे लगाने से उसे थोडा आराम मिलेगा। बच्चे को स्तनपान करना जरी रखें और हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करते रहें। नवजात शिशु को पानी ना पिलायें।
नवजात शिशु में कब्ज की समस्या एक आम बात है। इसके लिए आप को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। नवजात शिशु रो के अपने आवश्यकताओं और अपनी तकलीफों को बताता है।
यही वजह है की नवजात शिशु के रोने के बहुत से कारण होते हैं। उन सभी कारणों में एक कारण है कब्ज और पेट की समस्या। नवजात शिशु का रोना किसी माँ-बाप को नहीं भाता है।
प्रत्येक माता - पिता आपने बच्चे को खुश देखना चाहते हैं, लेकिन यदि बच्चा परेशान सा दिखता हैं या अत्यधिक रोता हैं तो माता - पिता भी परेशान हो जाते हैं।
आज के व्यस्त माता - पिता जल्दी से जल्दी अपने बच्चे की समस्या को दूर करना चाहते हैं। आइये हम अपनी कुछ बाते आप से साझा करते हैं, जिससे आप को अपने बच्चे को पालने का अनुभव होगा और आप एक कुशल माता - पिता बनकर अपने बच्चे की समस्या दूर करेंगे।
शिशु जन्म के 24 घंटे के भीतर काले रंग का मल त्याग करता है जिसे मिकोनियम कहते हैं। लेकिन कब्ज की दशा में कुछ नवजात बच्चे इस मल (मिकोनियम) को त्याग नहीं कर पाते हैं और उन्हें तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
इसकी वजह यह हो सकती है की उनका मल कड़ा (सुखा) हो। कुछ नवजात बच्चे रुक-रूक के मॉल त्याग करते हैं और कुछ समय अंतराल के बाद उनका पेट साफ़ हो जाता है।
लेकिन अगर शिशु में गंभीर कब्ज की समस्या है तो आप को तुरंत डोक्टर से इस विषय में बात करनी चाहिए।
जब शिशु दो दिनों तक मल त्याग न करे तो उसका मल टाइट हो जाता है। इससे उसे मल त्याग करने में बड़ी दिक्कत होती है।
एक बार जब मल कड़ा हो जाता है तब मल त्याग करते वक्त बच्चे को बहुत जोर लगाना पड़ता है। इससे उन्हें बहुत दर्द का सामना करना पड़ता है। कई बार मल त्याग करते वक्त थोड़ा खून भी आ सकता है।
शिशु को कब्ज के दौरान मल त्याग करते समय उसे जोर देने के लिए प्रोत्साहित करें। मल त्याग करते वक्त उसके पीट को सहलाएं और उससे बोलेन की वो जोर लगाए।
इस दौरान उसका चेहरा लाल पड़ सकता है। सख्त मल निकालते वक्त बच्चे के मलाशय की दीवार फट सकती है और इससे थोड़ा सा खून भी आ सकता है।
हर दिन शिशु को मल त्याग करने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके लिए दिन में एक निश्चित समय निर्धारित करें।
अगर आप हर दिन एक निश्चित समय पे शिशु को मल त्याग करने के लिए प्रोत्शाहित करती है तो कुछ ही समय में शिशु के अंदर मल त्याग का रूटीन स्थापित और फिर आप के शिशु को कब्ज की समस्या का सामना उतना नहीं करना पड़ेगा।
नवजात शिशु को कई कारणों से कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। उनमें से मुख्य ये हैं:
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शिशु जन्म के 24 घंटे के भीतर काले रंग का मल त्याग करता है जिसे मिकोनियम कहते हैं। लेकिन कब्ज की दशा में कुछ नवजात बच्चे इस मल (मिकोनियम) को त्याग नहीं कर पाते हैं और उन्हें तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
इसकी वजह यह हो सकती है की उनका मल कड़ा (सुखा) हो। कुछ नवजात बच्चे रुक-रूक के मॉल त्याग करते हैं और कुछ समय अंतराल के बाद उनका पेट साफ़ हो जाता है।
लेकिन अगर शिशु में गंभीर कब्ज की समस्या है तो आप को तुरंत डोक्टर से इस विषय में बात करनी चाहिए।
बच्चे का जब जन्म होता हैं तो वह 24 घंटे के अंदर काले रंग का ‘मल उत्सर्जन’ करता हैं ,यदी पेट यह गन्दगी नहीं निकाल पाती हैं तो बच्चे का पाचन तंत्र प्रभावित होता हैं।
धीरे - धीरे यदि नियमित रूप से बच्चा मल त्याग नहीं करता हैं तो उसे कब्ज की शिकायत हो जाती हैं।कभी - कभी छोटे बच्चे दो - दो , तीन - तीन दिन तक मल त्याग नहीं करते हैं तो यही समस्या बढ़ती चली जाती है।
माँ को तो यह सामान्य क्रिया लगती हैं , लेकिन बच्चे की परेशानी बढ़ जाती हैं , बच्चा समझ नहीं पता हैं और जोर - जोर से रोना शुरू कर देता हैं क्योंकि पेट के अंदर से मल त्याग न कर पाने के कारण उसके पेट में दर्द होना शुरू हो जाता हैं।
माता -पिता भी इस बात से अनजान होते हैं की उनका बच्चा किस परेशानी के वजह से बार - बार रोने लगता हैं , उसके पेट में भारी - पन सा लगता है और भूख भी नहीं लगती है।
बच्चे के अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता हैं और वह रोना शुरू कर देता हैं। उसके मल द्वार पर काटे सी चुभन होती है और खिचाव पैदा होता हैं।
मल त्याग करते समय कभी - कभी एक दो बूँद खून भी निकल जाता हैं।बच्चा बेचैनी का अनुभव करता हैं। सब मिलाकर इनमे से कोई भी लक्षण आपको अपने बच्चे में दिखाई पड़ता है तो आप इन दिक्क्तों को दूर करने का प्रयास करे। क्योंकि यदि बच्चा अपने पेट से परेशान हैं तो उसका स्वास्थ निरंतर ही गिरता चला जाएगा।
छेह माह से छोटे बच्चों में कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आप उसे निरंतर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान कराती रहें। इससे उसका पेट भरा रहेगा और उसे मल त्याग करने में आसानी होगी।
जब शिशु को पर्याप्त मात्र में आहार नहीं मिल पता है तो भी उसे कब्ज की समस्या होती है। शिशु जैसे ही सुबह उठे, उसे सबसे पहले मल त्याग करने के लिए प्रेरित करें।
एक बार जब उसके लिए यह एक आदत बन जायेगा तो आप के लिए उतनी परेशानी नहीं रहेगी। वो हर दिन सुबह निश्चित समय पे पोटी (potty) करेगा।
बहुत छोटा बच्चा हैं और वह माँ का दूध पीता हैं तो यह समस्या थोड़ा कम भी रहती हैं लेकिन जैसे ही बच्चा , बाहर का आहार लेना शुरू करता हैं तो यह समस्या बढ़ जाती हैं।
वह कुछ भी खाना -पीना पसंद नहीं करता हैं और चेहरे पर परेशानी का भाव दिखाई देता हैं। कभी - कभी बच्चे इस डर से भी शौच नहीं करते हैं की कही इधर- उधर कर देने पर उन्हें डाट पड जाती हैं।
क्योकि जब बच्चे छोटे रहते हैं तो वे बता नहीं पाते हैं की उन्हें शौच करना हैं वे कभी बिस्तर पर या कही भी किसी भी जगह पर गन्दगी कर देते हैं और कुछ माता - पिता उन्हें इतना डरा - धमका देते हैं।
की ये बच्चे आसानी से मल त्याग नहीं करते हैं और उन्हें कब्ज की शिकायत हो जाती हैं। पानी की कमी की वजह से भी कब्ज की शिकायत बच्चों को हो जाती हैं।
इस समस्या से अपने बच्चे को बचाने के लिए आपको यह उपाय करना चाहिए।
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उपरोक्त घरेलू चीजों से यदि आराम न मिले तो बच्चे को चिकित्सक के पास ले जाए , नहीं तो परेशानी बढ़ सकती हैं।
कई दिन तक मल त्याग न कर पाने के कारण , मल कढ़ी रूप में हो जाता हैं जिससे बच्चे को मल त्याग के समय अत्यधिक बल लगाना पड़ता हैं जिससे वहा की त्वचा छील जाती हैं इसलिए बच्चा काफी दिक्कत महसूस करता हैं।
इसलिए उसे डॉक्टर के पास ले जाना और उनकी सलाह लेना बहुत जरुरी हैं।यदि आप एक सतर्क माता - पिता हैं तो बच्चे की देख - रेख सावधानी से करे जिससे यह समस्या ही न बढ़ने पाए।
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