Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺11 min read
एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसमें बच्चे के पुरे शारीर पे लाल चकते पड़ जाते हैं और उनमें खुजली बहुत हती है। एक्जिमा बड़ों में भी पाया जाता है, लेकिन यह बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। एक्जिमा की वजह से इतनी तीव्र खुजली होती है की बच्चे खुजलाते-खुजलाते वहां से खून निकल देते हैं लेकिन फिर भी आराम नहीं मिलता। हम आप को यहाँ जो जानकारी बताने जा रहे हैं उससे आप अपने शिशु के शारीर पे निकले एक्जिमा का उपचार आसानी से कर सकेंगे।

अपने बच्चे को एक्जिमा के कष्ट में देखना हर मां बाप के लिए बहुत दुखदाई होता है।
लेकिन,
आप परेशान ना हो!
अगर आपकी वह कुछ बातों का ख्याल रखेंगे तो न केवल आप अपने बच्चे को एक्जिमा से बचा सकते हैं बल्कि एक्जिमा की स्थिति में उसे तुरंत राहत भी पहुंचा सकते हैं।
जिन बच्चों के शरीर में एक एक्जिमा होता है, अक्सर उनके परिवार में अस्थमा एलर्जी और एक्जिमा का इतिहास पाया गया है। ऐसे परिवारों में जन्म लेने वाले कुछ बच्चे अनुवांशिकी तौर पर एक्जिमा के प्रभाव में सरलता से आ जाते हैं।
जिन बच्चों को बचपन में एक्जिमा से परेशानी होती है, आगे चलकर उनमें अस्थमा की संभावना भी बनी रहती है। एक्जिमा कोई एलर्जी नहीं है, लेकिन एलर्जी की वजह से एग्जिमा हो सकता है।
एलर्जी के अलावा और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से एग्जिमा हो सकता है जैसे कि गर्मी की वजह से जाट भावनात्मक तनाव की वजह से।
प्राय: हर 10 में से एक बच्चे को एक्जिमा से पीड़ित पाया गया है। जिन बच्चों में एक्जिमा पाया गया है उनमें यह देखा गया है कि उनके जन्म के प्रथम महीने से ही उनके शरीर पर एक्जिमा के लक्षण देखने को मिल गए हैं।
लेकिन खुशी की बात यह है कि 50% से ज्यादा बच्चे जिन्हें एग्जिमा है, यौवन अवस्था के आते आते उनका आस्था पूरी तरह से ठीक हो।

कुछ ऐसे हैं जो शिशु में एक्जिमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं या उधार सकते हैं। अगर आपका शिशु एक्जिमा की समस्या से पीड़ित हो चुका है तो आप कोशिश करें कि उसे भोजन में निम्न आहार बिल्कुल ना दें:
शिशु के प्रारंभिक जीवन में एक्जिमा के लक्षण में कई प्रकार के बदलाव आ सकते हैं। 2 महीने से लेकर 5 साल से छोटे बच्चों में एक्जिमा के कारण त्वचा पर खुजली, त्वचा पर लाली पर, गालों पर छाले, तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर जैसे पैर हाथ आदि पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं।

जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनमें एक्जिमा के लक्षणों में परिवर्तन आता है। 5 साल से बड़े बच्चों में एक्जिमा की वजह से परतदार या फटी त्वचा देखी जा सकती है। इस दौरान त्वचा अत्यधिक सुखी हो सकती है और उन में खुजली (itchy) हो सकती है।
बच्चे अक्सर खुजलाहट से आराम पाने के लिए खुजली वाली जगह को खुरचते या कुरेदते। लेकिन खुरचने की वजह से एग्जिमा और भी गंभीर हो जाता है। एक्जिमा वाली जगह मोटी पड़ जाती है और दिखने में भूरे रंग की हो जाती है।
बहुत से हालातों में एक्जिमा खत्म होने के बाद कई महीनों तक या सालों तक नहीं भरता है।
एक्जिमा से पीड़ित बच्चों के हालात में काफी सुधार आता है जब वे 5 से 6 साल के हो जाते हैं। वहीं कुछ ऐसे बच्चे हो सकते हैं जिन्हें योवन अवस्था तक एक्जिमा की समस्या से जूझना पड़े।

कुछ ऐसी भी बच्चे हो सकते हैं जिनमें एग्जिमा बचपन में पूरी तरह ठीक हो जाए लेकिन जब वे योवन अवस्था में प्रवेश करते हैं तो उनमें एक्जिमा की समस्या फिर से उभर जाए।
एग्जिमा को छुआ छूत की बीमारी नहीं है इसीलिए आपको घर के अन्य बच्चों को इनसे दूर रखने की आवश्यकता नहीं है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ तथा वैज्ञानिकों का मानना है कि एग्जिमा एक आनुवंशिकी बीमारी है। इसीलिए इसे किसी भी तरह से बचा नहीं जा सकता है।

लेकिन यह बात भी सच है कि कुछ विशेष तत्वों के संपर्क में आने से बच्चों में एक्जिमा उभर जाता है। अगर जो बच्चे एक्जिमा से बार-बार पीड़ित होते हैं उन्हें ऐसे तत्वों से दूर रखा जाए जो उनके अंदर एक्जिमा को उभारते हैं, तो उन्हें बहुत हद तक एक्जिमा से बचाया जा सकता है। अपने बच्चों को निम्न तत्वों से दूर रख कर के आप उन्हें एक्जिमा से बचा सकते हैं:
एक्जिमा की स्थिति में त्वचा पर बहुत खुजलाहट होती है। खुजलाहट की प्रवृत्ति को रोककर एक्जिमा को बढ़ने से रोका जा सकता है।
एक्जिमा में खुजलाने से त्वचा को बहुत नुकसान पहुंचता है। त्वचा को नुकसान पहुंचने पर संक्रमण का भी खतरा बन जाता है।
कुछ दवाइयों के द्वारा एक्जिमा के लक्षणों को खत्म किया जा सकता है। इन दवाइयों को डॉक्टर के निर्देश के अनुसार लेने पर एक्जिमा से पीड़ित त्वचा धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगती है।

हलाकि सभी दवाइयां सभी व्यक्तियों पर समान तरीके से असर नहीं करती हैं। कुछ दवाइयां कुछ लोगों पर ज्यादा असर कर सकती हैं तो कुछ लोगों पर कम।
इसीलिए हो सकता है इलाज के दौरान आपका डॉक्टर अलग-अलग तरह की दवाइयों को आजमाने के लिए कहें जिसे यह पता लगाया जा सके कि किस दवा का असर आपके शिशु के एक्जिमा सबसे बेहतर है।
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इस दवा को hydrocortisone steroids की सहायता से तैयार किया जाता है। यह शिशु की त्वचा को एक्जिमा से तुरंत राहत पहुंचाता है। दवा की दुकानों पर यह कई प्रकार के पैकिंग और प्रभाव (strength) में उपलब्ध होते हैं।
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यह एक्जिमा की बहुत कम असर वाली दवा है। इसीलिए अक्सर डॉक्टर पहली बार इस दवा को इस्तेमाल करने का निर्देश देते हैं।
यह दवा भी बाजार में अलग-अलग शक्ति (strength) में उपलब्ध है। आपके शिशु की त्वचा पर एक्जिमा की गंभीरता को देखते हुए, अधिक शक्ति वाली OTC ह्य्द्रोकोर्टीसोने (OTC hydrocortisone) इस्तेमाल के लिए डॉक्टर राय दे सकते हैं।
इन दवाओं के इस्तेमाल से त्वचा पर कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं जैसे की त्वचा का बहुत पतला हो जाना। लेकिन जब इन दवाओं को डॉक्टर के निर्देश के अनुसार लिया जाए तब इन के साइड इफेक्ट बहुत कम देखने को मिलते हैं।
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यह बिना स्टेरॉइड (non-steroidal) वाली दवा है जिसे प्रचलित रूप से crisaborole (Eucrisa) कहा जाता है। इसका इस्तेमाल हलके और माध्यम स्तर के एक्जिमा को ठीक करने के लिए होता है।
दो साल या उससे बड़े बच्चों की त्वचा पे इसका इस्तेमाल दिन में दो बार किया जाता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा फिर से पहले जैसी होने लगती और एक्जिमा के लक्षण प्रभावित रूप से ठीक होता है।

यह एक प्रकार का क्रीम है तो आसानी से दवाओं की दुकानों पे उपलब्ध रहता है। यह क्रीम त्वचा की नमी को सूखने से रोकता है। टूटी फूटी त्वचा को ठीक करता है। त्वचा को शुष्क और रूखा बनने से बचाता है।
यह भी एक क्रीम है जिससे त्वचा पर लगाया जाता है। यह हलके और माध्यम स्तर के एक्जिमा के लिए प्रभावी है। यह त्वचा की जलन को शांत करता है लेकिन यह steroids नहीं है।
त्वचा पर किस दवा के इस्तेमाल से कैंसर की संभावना बनती है इसी वजह से इस दवा को डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही लेना चाहिए।

यह एक्जिमा की बहुत शक्तिशाली दवा है। यह किसी भी स्तर के एक्जिमा को ठीक करने की क्षमता रखता है। लेकिन इस्तेमाल करने पर बहुत सारे हानिकारक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।
इसके इस्तेमाल से त्वचा को नुकसान और हड्डियों का घनत्व कम होता है। एक दवा के दुष्प्रभाव की वजह से इनका इस्तेमाल बहुत थोड़े समय के लिए करना चाहिए।

यह तीनों ऐसी दवाइयां हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है। या यूं कह लें की रोग प्रतिरोधक तंत्र को अत्यधिक संवेदनशील होने से रोकती है।
यह दवा टैबलेट, सिरप और इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है। माध्यमिक स्तर से लेकर गंभीर स्तर तक के एक्जिमा को ठीक करने की क्षमता रखते हैं।
लेकिन इनके बहुत गंभीर साइड इफेक्ट भी हैं। इनकी इस्तेमाल से उच्च रक्तचाप और किडनी से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इन दवाइयों को भी बहुत थोड़े समय तक लेना चाहिए।
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खुजलाने से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। त्वचा के नुकसान पहुंचने पर उनमें बैक्टीरिया पनप सकती है और संक्रमण बन सकता है। एंटीबायोटिक (Antibiotics), खुजलाने की वजह से होने वाले संक्रमण को रोकता है।

यह दवा रात में सोते वक्त लेने से खुजलाहट को रोकता है और आरामदायक नींद सोने में मदद करता है।
ऊपर जितनी भी दवाइयां हमने बताएंगे यह सभी दवाइयां केवल आपको जानकारी के लिए प्रदान की गई है। बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाइयों को इस्तेमाल ना करें क्योंकि एक्जिमा की दवाओं के बहुत गंभीर साइड इफेक्ट भी हैं।

अगर आपके शिशु को एक्जिमा होता है तो आप उसके एक्जिमा को पूरी तरह से रोक नहीं सकती हैं, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर आप एक्जिमा की संभावना को बहुत हद तक कम कर सकती हैं।

जैसे-जैसे शिशु उम्र में बड़ा होता जाएगा वैसे वैसे उसके शरीर पर एक्जिमा कम उभरेगा। एक समय आएगा जब आपके शिशु के शरीर पर एग्जिमा होना पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
लेकिन जब तक आपका शिशु छोटा है कुछ महीने छोड़कर या कुछ सालों के बाद भी एग्जिमा उभर सकता है।
त्वचा पर वैसलीन के इस्तेमाल से एक्जिमा की संभावना को कम किया जा सकता है। यह शरीर पर अगर एक्जिमा मौजूद है तो उसे कम किया जा सकता है।
लेकिन वैसलीन के इस्तेमाल से एक्जिमा का उपचार नहीं किया जा सकता। वैसलीन के इस्तेमाल के साथ साथ आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए एक्जिमा के उपचार (eczema treatment/medication) का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा।
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विटामिन डी (Vitamin D) एक ऐसा विटामिन है जिसके लिए डॉक्टर की परामर्श की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसे कोई भी आसानी से बिना मेडिकल प्रिसक्रिप्शन के दवा की दुकान से खरीद सकता है। विटामिन डी शरीर के कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में कई तरह से मदद करता है। उदाहरण के लिए यह शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में सहायता करता है। मजबूत और सेहतमंद हड्डियों के निर्माण में सहायता करता है। तथा यह विटामिन शरीर को कई प्रकार के संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन अगर आप गर्भवती हैं या फिर गर्भ धारण करने का प्रयास कर रही है तो विटामिन डी (Vitamin D) के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य परामर्श कर ले।
विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
आपके मन में यह सवाल आया होगा कि क्या शिशु का घुटने के बल चलने का कोई फायदा है? पैरों पर चलने से पहले बच्चों का घुटनों के बल चलना, प्राकृतिक का एक नियम है क्योंकि इससे शिशु के शारीर को अनेक प्रकार के स्वस्थ लाभ मिलते हैं जो उसके शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
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छोटे बच्चों के लिए शहद के कई गुण हैं। शहद बच्चों को लम्बे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। शदह मैं पाए जाने वाले विटामिन और मिनिरल जखम को जल्द भरने में मदद करते है, लिवर की रक्षा करते हैं और सर्दियों से बचते हैं।