Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
ठण्ड के दिनों में बच्चों का अगर उचित ख्याल न रखा जाये तो वे तुरंत बीमार पड़ सकते हैं। कुछ विशेष स्वधानियाँ अगर आप बरतें तो आप का शिशु ठण्ड के दिनों में स्वस्थ और सुरक्षित रह सकता है। जानिए इस लेख में ठंड में बच्चों को गर्म रखने के उपाय।
आप शायद यह नहीं जानते होंगे की बच्चों का शरीर बड़ों की तरह इतना विकसित नहीं होता है की ठण्ड के दिनों में पूरी दक्षता से अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित कर सके।
यही कारण है की ठण्ड के दिनों में शिशु ज्यादा बीमार पड़ते हैं।
ठंडी के दिनों में शिशु को अधिक देखभाल की जरुरत पड़ती है। अगर शिशु की देखभाल में लापरवाही हुई तो शिशु न केवल बीमार पद सकता है बल्कि उसके लिए ह्य्पोथेरमिआ (hypothermia) का खतरा भी बढ़ जाता है।
ठण्ड के दिनों में आप को उम्मीद भी नहीं होगी की आप का शिशु कितनी आसानी से अपने शरीर की गर्मी को खो देता है।
हमे और आप को नहीं पता चलता क्योँकि हमारा शरीर इस अवस्था नहीं गुजरता है। हमारा और आप का शरीर इतना विकसित हो चूका है की कई तरह से शरीर के तापमान को बरक़रार रख सकता है।
मगर आप के शिशु का शरीर नहीं!
क्या आप चाहते हैं की आप का शिशु ठण्ड के दिनों में सुरक्षित और स्वस्थ रहे?
हम आप को बताएँगे कुछ साधारण से tips जिनकी मदद से आप अपने शिशु को पुरे ठण्ड के मौसम के दौरान स्वस्थ और सुरक्षित रख सकेंगी!
अपने शिशु को कपडे कई परत में पहनाएं। कई परत में कपडे शिशु को ठण्ड से बचने में और उसके शरीर की गर्मी को रिके रखने में ज्यादा सक्षम होते हैं। इस बात का ध्यान रखें की आप का शिशु सर से पवन तक ढाका रहे। अगर उसके शरीर का कोई हिस्सा खुला रह जायेगा तो उस जगह से उसके शरीर की गर्मी निकल जाएगी। ठण्ड के दिनों में शिशु को बहुत जतन की आवश्यकता होती है। बच्चों को गरम रखने के लिए बड़ों की तुलना में ज्यादा कपड़ों के परत की आवश्यकता होती है।
जाने अनजाने में कई बार हम ठण्ड के दिनों में बच्चों को ऐसे कपडे पहना देते हैं जिसकी वजह से बच्चों की तकलीफ बढ़ जाती है। उदहारण के लिए छोटे बच्चों के लिए ऐसी टोपी आती है जिससे की बच्चों का सर और कान ठंडी हवाओं से बचाया जा सके। मगर कुछ टोपियां ऐसी होती हैं जिन्हे बांधने के लिए रस्सी का इस्तेमाल होता है। अगर ध्यान न दिया जाये तो इससे बच्चे को घुटन भी हो सकता है। टोपी बंधी होने की वजह से सर से निचे नहीं गिरती है। मगर बच्चे चंचल होते हैं और खुद टोपी को सर से हटाने की कोशिश मैं उसे खिंच के अलग करने की कोशिश करते हैं। इस कोशिश में गाला दबने की सम्भावना होती है।
छोटे बच्चे में इतनी समझ नहीं होती है की वो आप को आ के बता सके जब उन्हें ठण्ड लग रही हो, या जो कपडे उन्हें पहनाये गएँ हैं वो अगर ठण्ड रूकने के लिए पर्याप्त न हो तो या फिर अगर उनके कपडे भीग गए हों तो। शिशु के लिए ये सभी स्थितियां ठण्ड के दिनों में ठीक नहीं है। समय से पे शिशु के कपड़ों को छू के देखते रहें की कहीं वे खेल-खेल में गीले तो नहीं हो गए हैं। बच्चों से पूछते रहें की कहीं उन्हें ठण्ड तो नहीं लग रही है। बच्चे खेल कूद के इतने दीवाने होते हैं की वे भीगने के बाद भी घर के बहार खेलना जारी रखते हैं।
अगर आप पहाड़ी इलाकों में रहते हैं तो ठण्ड के दिनों में पहाड़ के बर्फ से सूरज की किरणे सनबर्न का कारन भी बन सकती हैं। जब भी अपने बच्चे को घर के बहार ले के जाएँ तो उस के शरीर पे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। शिशु के लिए कौन सा सनस्क्रीन सब से बेहतर होगा उसके लिए जानकारी आप यहां प्राप्त कर सकते हैं।
ठण्ड के दिनों में बच्चों की नाक सा नकसीर फूटने (नाक से खून बहना) की समस्या भी होती है। अगर घर को गरम रखने के लिए ब्लोअर का इस्तेमाल कर रहें हैं तो कुछ दिनों के लिए इसका इस्तेमाल न करें। इस फिर आप कमरे के अंदर "cold air humidifier" का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। ठंड के दिनों में घर पे "Saline nose drops" पहले से खरीद के रखें ताकि अगर आप के बच्चे की नाक से नकसीर फूटता है तो आप उसका तुरंत इलाज कर सकती हैं। पहले से जानकारी पता कर के रखें की अगर आप के बच्चे की नाक से नकसीर फूटता है (नाक से खून आता है) आप किस तरह उसका घर पे ही इलाज कर सकती हैं।
ठण्ड के दिनों में बहुत प्यास नहीं लगती है। इसी वजह से अगर माँ-बाप ध्यान न दें तो बच्चा पुरे दिन प्यासा रह जाता है। अपने बच्चे को हर थोड़ी-थोड़ी देर पे पानी पिलाते रहें। बच्चे को आप तरल आहार भी दे सकती हैं जैसे की सब्जियों की सूप (soup)।
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