Category: प्रेगनेंसी
By: Editorial Team | ☺9 min read
विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।


मां के गर्भ में शिशु के विकास के लिए सभी पोषक तत्व बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन 6 पोषक तत्व ऐसे हैं जो गर्भ में शिशु के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह निम्न है:
फोलिक एसिड, बी विटामिन है जिसकी आवश्यकता शरीर की हर कोशिका को होती है ताकि वह सही तरीके से अपना विकास कर सके और स्वस्थ रह सके। गर्भ धारण करने से पहले फोलिक एसिड लेने से आगे चलकर गर्भधारण करने के बाद गर्भ में पल रहे शिशु को birth defects से बचाता है।

यह बर्थ डिफेक्ट मुख्य था शिशु के मस्तिष्क और मेरुदंड को प्रभावित करते हैं इसलिए इन्हें न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (neural tube defects) भी कहा जाता है। कुछ शोध में यह भी पाया गया है की गर्भावस्था के दौरान जब महिलाएं फोलिक एसिड करती बंद करती हैं तो या शिशु की हृदय संबंधित रोगों से भी रक्षा करता है।
अगर आपको अपने आहार से गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड नहीं मिल रहा है तो आपको ऐसा vitamin supplement लेना चाहिए जिससे आपको 400 mcg of folic acid प्रतिदिन प्राप्त हो सके। आपको यह vitamin supplement गर्भधारण से एक महीना पहले से लेना शुरू कर देना चाहिए।
इसका मतलब अगर आपका धारण के लिए प्रयास कर रही हैं तो आपको ऐसे vitamin supplement लेना शुरू कर देना चाहिए जिसमें फॉलिक एसिड सम्मिलित हो। आप आहार के माध्यम से भी अपनी दैनिक आवश्यकता का फोलिक एसिड प्राप्त कर सकती है। यह आहार इस प्रकार के हैं:
आइटम एक प्रकार का खनिज है जो शरीर में खून की कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। यह रक्त में मुख्य रूप से hemoglobin के निर्माण में सहायता करता है जो फेफड़ों (lungs) से ऑक्सीजन को लेकर के शरीर के हर हिस्से में पहुंच जाता है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आयरन (Iron) की दुगनी मात्रा की आवश्यकता पड़ती है।
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जब आप गर्भवती होती हैं तो आपके शरीर को समान अवस्था से ज्यादा खून की आवश्यकता पड़ती है ताकि ऑक्सीजन को आपकी फेफड़ों (lungs) से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर तक पहुंचाया जा सके। गर्भ में शिशु को भी आयरन की आवश्यकता पड़ती है ताकि उसका शरीर खुद भी रक्त का निर्माण कर सकें।
गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को प्रतिदिन 27 milligrams आयरन (iron) की आवश्यकता पड़ती है। अधिकांश prenatal vitamins में आयरन (iron) की इतनी मात्रा मौजूद रहती है। निम्न स्रोत से आपके शरीर को गर्भावस्था के द्वारा आयरन मिल सकता है:
गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को पर्याप्त मात्रा में उसके हर से आयरन ना मिले तो उसके शरीर में खून की कमी हो सकती है, गर्भ में पल रहे शिशु को संक्रमण हो सकता है, शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ना मिलने की वजह से हर वक्त थकान में रह सकती हैं।
इसकी वजह से समय से पहले ही शिशु का जन्म (premature baby) भी हो सकता है। जन्म के समय शिशु का वजन (low-birthweight baby) सामान्य से कम हो सकता है।
कैल्शियम शरीर में दांतो के और हड्डियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ह्रदय, मांसपेशियों तथा तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को प्रतिदिन 1,000 milligrams कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है।
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अगर आपके माध्यम से आपके शरीर को प्रतिदिन कितनी मात्रा में कैल्शियम नहीं प्राप्त हो रहा है तो prenatal vitamin के सेवन से आपको हर दिन 1,000 milligrams कैल्शियम मिल जाएगा। निमाड़ से आपको प्रतिदिन की आवश्यकता कैल्शियम मिल जाना चाहिए:
DHA, संक्षिप्त नाम है जिसे docosahexaenoic acid कहा जाता है। यह एक प्रकार का वसा है जिसे omega-3 fatty acid कहते हैं। यह गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक विकास से बहुत- महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को प्रतिदिन 200 milligrams DHA की आवश्यकता पड़ती है ताकि आपके शिशु के मस्तिष्क और आंखों का निर्माण अच्छी तरह से हो सके।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि सभी prenatal vitamins में DHA नहीं होता है। इसलिए आप एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लीजिए कि क्या आपको अलग से DHA लेने की आवश्यकता है। आपको निम्न आहार से दैनिक आवश्यकता का DHA मिल सकता है:
आयोडीन एक प्रकार का खनिज है जो शरीर में thyroid hormones के निर्माण में मदद करता है। शरीर में thyroid gland गले में मौजूद होता है और यह thyroid hormones का निर्माण करता है। यह हार्मोन शरीर की सहायता करता है ताकि आपका शरीर आहार से मिलने वाली ऊर्जा का संचय (store) कर सकें।
गर्भावस्था के द्वारा आयोडीन गर्भ में पल रहे शिशु के दिमागी विकास और तंत्रिका तंत्र के निर्माण में सहायक होता है। दिमाग और तंत्रिका तंत्र की वजह से गर्भ में शिशु सोचना और महसूस करना शुरू करता है।
गर्भावस्था के दौरान आप के शरीर को प्रतिदिन 220 milligrams DHA की आवश्यकता पड़ती है। निम्न आहार से आपके शरीर को आयोडीन मिलता है:
शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का आहार ऐसा होना चाहिए जिसमें निम्न लिखित पोषक तत्व जरूर हो।
अगर आपके आहार में ऊपर दिए गए सभी पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं तो इतना समझ लीजिए कि आपको अपने आहार से वह सभी पोषक तत्व और विटामिन मिल रहे हैं जो गर्भ में पल रहे आपके शिशु के विकास के लिए आवश्यक है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के लिए संतुलित आहार सबसे बढ़िया तरीका है वह सभी पोषक तत्व प्राप्त करने का जो गर्भ में शिशु के विकास के लिए आवश्यक है। लेकिन कई बार सारे प्रयास के बावजूद भी कुछ महिलाओं को उनकी आहार से वह सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बहुत जरूरी है।

ऐसी स्थिति में इन गर्भवती महिलाओं को डॉक्टरों से परामर्श करना चाहिए और उनके सुझाव पर Prenatal vitamin supplements लेना चाहिए। इससे शरीर में हो रहे पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है।
Prenatal vitamin supplements से शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा तो किया जा सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप संतुलित आहर ना लें।
संतुलित आहार फिर भी बहुत जरूरी है और आप ही कोशिश यही होनी चाहिए कि आपके शरीर में सभी पोषक तत्वों की कमी को संतुलित आहार के द्वारा पूरा किया जा सके। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की गर्भवती महिला को Prenatal vitamin supplements का सेवन डॉक्टर के परामर्श से ही करना चाहिए।
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UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें। इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी) से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।
अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। विटामिन डी हमारे रक्त में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। यह हमारे शारीरिक विकास की हर पड़ाव के लिए जरूरी है। लेकिन विटामिन डी की सबसे ज्यादा आवश्यक नवजात शिशु और बढ़ रहे बच्चों में होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटे बच्चों का शरीर बहुत तेजी से विकास कर रहा होता है उसके अंग विकसित हो रहे होते हैं ऐसे कई प्रकार के शारीरिक विकास के लिए विटामिन डी एक अहम भूमिका निभाता है। विटामिन डी की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को तथा जो महिलाएं स्तनपान कराती है उन्हें भी सबसे ज्यादा रहती है।
Online BMI Calculator - बॉडी मास इन्डेक्स (BMI) का गणना करने के लिए आप को BMI calculator में अपना वजन और अपनी लम्बाई दर्ज करनी है। सब्मिट (submit) दबाते है calculator आप के BMI को दिखा देगा।
नौ महीने पुरे कर समय पे जन्म लेने वाले नवजात शिशु का आदर्श वजन 2.7 kg - से लेकर - 4.1 kg तक होना चाहिए। तथा शिशु का औसतन शिशु का वजन 3.5 kg होता है। यह इस बात पे निर्भर करता है की शिशु के माँ-बाप की लम्बाई और कद-काठी क्या है।
शिशु के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विटामिन डी का इस्तेमाल सूक्ष्मजीवीरोधी शक्ति (antibody) बनाने के लिए करता है। ये एंटीबाडी शिशु को संक्रमण से बचते हैं। जब शिशु के शरीर पे विषाणु और जीवाणु का आक्रमण होता है तो शिशु के शरीर में मौजूद एंटीबाडी विषाणु और जीवाणु से लड़ते हैं और उनके संक्रमण को रोकते हैं।
जानिए घर पे वेपर रब (Vapor rub) बनाने की विधि। जब बच्चे को बहुत बुरी खांसी हो तो भी Vapor rub (वेपर रब) तुरंत आराम पहुंचता है। बच्चों का शरीर मौसम की आवशकता के अनुसार अपना तापमान बढ़ने और घटने में सक्षम नहीं होता है। यही कारण है की कहे आप लाख जतन कर लें पर बच्चे सार्ड मौसम में बीमार पड़ ही जाते हैं।
बच्चों को ठण्ड के दिनों में सर्दी और जुकाम लगना आम बात है। लेकिन बच्चों में 12 तरीके से आप खांसी का घरेलु उपचार कर सकती है (khansi ka gharelu upchar)। सर्दी और जुकाम में अक्सर शिशु के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह एक अच्छा संकेत हैं क्योँकि इसका मतलब यह है की बच्चे का शरीर सर्दी और जुखाम के संक्रमण से लड़ रहा है। कुछ घरेलु तरीकों से आप शिशु के शारीर की सहायता कर सकती हैं ताकि वो संक्रमण से लड़ सके।
शिशु के जन्म के तुरन बाद ही उसे कुछ चुने हुए टीके लगा दिए जाते हैं - ताकि उसका शारीर संभावित संक्रमण के खतरों से बचा रह सके। इस लेख में आप पढेंगे की शिशु को जन्म के समय लगाये जाने वाले टीके (Vaccination) कौन कौन से हैं और वे क्योँ जरुरी हैं।
स्तनपान या बोतल से दूध पिने के दौरान शिशु बहुत से कारणों से रो सकता है। माँ होने के नाते यह आप की जिमेदारी हे की आप अपने बच्चे की तकलीफ को समझे और दूर करें। जानिए शिशु के रोने के पांच कारण और उन्हें दूर करने के तरीके।
इस यौजना का मुख्या उद्देश्य है की इधर-उधर फेंके गए बच्चों की मृत्यु को रोकना| समाज में हर बच्चे को जीने का अधिकार है| ऐसे में शिशु पालना केंद्र इधर-उधर फेंके गए बच्चों को सुरख्षा प्रदान करेगा|
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
दांत का निकलना एक बच्चे के जिंदगी का एहम पड़ाव है जो बेहद मुश्किलों भरा होता है। इस दौरान तकलीफ की वजह से बच्चे काफी परेशान करते हैं, रोते हैं, दूध नहीं पीते। कुछ बच्चों को तो उलटी, दस्त और बुखार जैसे गंभीर लक्षण भी देखने पड़ते हैं। आइये जाने कैसे करें इस मुश्किल दौर का सामना।
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine in Hindi) - हिंदी, - इन्फ्लुएंजा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
बच्चों में भूख की कमी एक बढती हुई समस्या है। यह कई कारणों से होती है जैसे की शारीर में विटामिन्स की कमी, तापमान का गरम रहना, बच्चे का सवभाव इतियादी। लेकिन कुछ घरेलु तरीके और कुछ सूझ-बूझ से आप अपने बच्चे की भूख को बढ़ा सकती हैं ताकि उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसके शारीर को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिल सके।
चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
ठोस आहार के शुरुवाती दिनों में बच्चे को एक बार में एक ही नई चीज़ दें। नया कोई भी भोजन पांचवे दिन ही बच्चे को दें। इस तरह से, अगर किसी भी भोजन से बच्चे को एलर्जी हो जाये तो उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।
छोटे बच्चों के लिए शहद के कई गुण हैं। शहद बच्चों को लम्बे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। शदह मैं पाए जाने वाले विटामिन और मिनिरल जखम को जल्द भरने में मदद करते है, लिवर की रक्षा करते हैं और सर्दियों से बचते हैं।
सबसे ज्यादा बच्चे गर्मियों के मौसम में बीमार पड़ते हैं और जल्दी ठीक भी नहीं होते| गर्मी लगने से जहां एक और कमजोरी बढ़ जाती है वहीं दूसरी और बीमार होने का खतरा भी उतना ही अधिक बढ़ जाता है। बच्चों को हम खेलने से तो नहीं रोक सकते हैं पर हम कुछ सावधानियां अपनाकर उनको गर्मी से होने वाली बीमारियों से जरूर बचा सकते हैं |