Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺9 min read
केवल बड़े ही नहीं वरन बच्चों को भी बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के शिकार हो सकते हैं। इस मानसिक अवस्था का जितनी देरी इस इलाज होगा, शिशु को उतना ज्यादा मानसिक रूप से नुक्सान पहुंचेगा। शिशु के प्रारंभिक जीवन काल में उचित इलाज के दुवारा उसे बहुत हद तक पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरुरी है की समय रहते शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के लक्षणों की पहचान की जा सके।
बच्चों की हरकतों को देखकर कई बार मां बाप परेशान हो जाते हैं और यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या कहीं उनकी बच्चों को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) तो नहीं है।
अब तक दुनिया भर में बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से सम्बंधित जितने भी शोध हुए हैं वे सब व्यस्क लोगों पर आधारित है।
बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से संबंधित समस्याएं कम सुनने को मिलती हैं। इसीलिए बहुतों को विश्वास नहीं होगा अगर यह कहा जाए कि 6 साल से भी छोटे बच्चों मैं बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) कि समस्या हो सकती है।
सच बात तो यह है कि बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की समस्या किसी भी उम्र के बच्चों में हो सकती है। हालाँकि यह व्यस्त लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है।
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बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) स्वभाव से संबंधित एक ऐसी समस्या है जिसमें प्रभावित बच्चा या व्यक्ति के मिजाज में पल पल में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए थोड़े ही समय वह किसी कार्य को करने के लिए काफी ज्यादा ऊर्जा से भरपूर हो सकता है और दूसरे ही पल उसी कार्य को लेकर पूरी तरह उदासीन हो सकता है।
स्वभाव से संबंधित ऐसी अवस्था को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) कहा जाता है।
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नवजात शिशु से लेकर 6 साल तक के बच्चों में इस प्रकार पल पल मिजाज में बदलाव एक आम बात है। लेकिन 6 साल से बड़े बच्चों में और व्यस्त लोगों में ऐसे स्वभाव की उपेक्षा नहीं की जाती है।
लेकिन अगर उन्हें इस प्रकार के लक्षण दिखे तो हो सकता है वह बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की समस्या से पीड़ित हैं।
इस प्रकार के लक्षण का होना बच्चे में या व्यक्ति में बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) के होने को प्रमाणित नहीं कहता है।
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लेकिन एक संकेत देता है कि हो सकता है कि व्यक्ति बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से प्रभावित है। इंसान के सामाजिक जीवन में बहुत सारे कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति के मिजाज में पल में बदलाव आ जाए।
इसका मतलब यह नहीं है कि हर वह व्यक्ति यह बच्चा जिस किस भाव में पल पल में बदलाव आता हो वह बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से प्रभावित है।
अगर आप को इस बात की आशंका है कि आपका शिशु बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से प्रभावित है तो आपको अपने शिशु को किसी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
कुछ जरूरी जांच के बाद डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
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बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित एक ऐसी समस्या है जिसके लिए इलाज बहुत जरूरी है।
बच्चों में यह समस्या कम देखने को मिलती है। लेकिन कभी-कभी उनके आम स्वभाव को देखकर ऐसा लगता है कि कहीं उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) तो नहीं है।
अधिकांश मामलों में बच्चों के लिए यह उनका एक सहज स्वभाव हो सकता है जिसे मां बाप बड़े ही धीरज के साथ और अपने जीवन के द्वारा उदाहरण पेश कर और अपने बच्चों में अच्छे संस्कार और संयम की भावना विकसित कर सकते हैं।
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हर इंसान की तरह बच्चे भी अपने जीवन में अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव से गुजरते हैं। ऐसे में उनके मिजाज में बदलाव आना स्वभाविक है।
हो सकता है कभी आपका शिशु बहुत हाइपर एक्टिव हो, या कभी बहुत उदासीन हो, या कभी बहुत नाराज हो, या कभी बहुत चिड़चिड़ापन प्रदर्शित करें।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपका शिशु बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से पीड़ित है।
लेकिन अगर आपकी शिशु में यह सारे लक्षण बहुत गंभीर रूप से हैं, और आपका बच्चा अक्सर इस प्रकार के उन्माद भरे स्वभाव से गुजरता है तो हो सकता है कि आपके शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की समस्या है।
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ऐसी स्थिति में उचित इलाज और मार्गदर्शन के द्वारा उसे ठीक किया जा सकता है। कई बार इस प्रकार का स्वभाव उम्र के पड़ाव के साथ खत्म हो जाता है।
यहां पर हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ लक्षणों के बारे में जिनसे आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
इस प्रकार के मिजाज के उतार-चढ़ाव के दौरान बीच-बीच में ऐसे समय आते हैं जब व्यक्ति या शिशु पूर्ण रूप से सामान्य में व्यवहार करें।
इस बात का ध्यान रखिएगा कि बच्चों में और कई प्रकार के स्वभाव से संबंधित डिसऑर्डर हो सकते हैं जो बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की तरह लगते हैं।
इसका मतलब यह नहीं कि इस तरह का व्यवहार करने वाले सभी बच्चों को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है।
अगर आपके शिशु मैं बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की वजह से उसके मिजाज में गंभीर रूप से उतार चढ़ाव आए, तो आपको अपने शिशु को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ को दिखाने की आवश्यकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की वजह से बच्चों के मिजाज में बदलाव का आना उनके आगे की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है।
शिशु की अच्छी विकास के लिए उसका मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी है।
जितना जल्दी शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) की पहचान हो सके उतना अच्छा है। शिशु के प्रारंभिक जीवन काल में जितना जल्दी बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) का इलाज होगा उतना ही प्रभावी रूप से आपका शिशु मानसिक रूप से स्वस्थ हो सकेगा।
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