Category: प्रेगनेंसी
By: Salan Khalkho | ☺7 min read
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण शिशु के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। इसी वजह से कई बार गर्भवती महिलाएं दूसरे अन्य सप्लीमेंट के साथ साथ मल्टीविटामिन भी लेती हैं। कई बार जब गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है तब ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टर भी मल्टीविटामिन लेने की राय देते हैं।
लेकिन जब आप मल्टीविटामिन लेती हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना है कि अगर निर्धारित मात्रा से ज्यादा मल्टीविटामिन लिया गया तो यह फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाने लगता है। कई बार गर्भवती महिलाएं अनजाने में मल्टीविटामिन ओवरडोज की शिकार हो जाती हैं।
यह मुख्यतः उन परिस्थितियों में होता है जब गर्भवती महिलाएं एक से ज्यादा प्रकार के मल्टीविटामिन का सेवन करती हैं। या फिर मल्टीविटामिन के साथ साथ अलग से भी कुछ विटामिन लेती हैं।

गर्भावस्था के दौरान आपके लिए बहुत जरूरी है कि आप सही मात्रा में वह सभी मल्टी विटामिन ए जो आपके गर्भ में पल रहे शिशु के सेहत के लिए जरूरी है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण यही होगा कि आप अपने शरीर में विटामिन की आवश्यकता को पौष्टिक आहार के द्वारा पूरा करें।
ऐसा इसलिए क्योंकि आहार के द्वारा हाथ में कभी भी मल्टीविटामिन का ओवरडोज नहीं होगा। लेकिन गर्भकाल के दौरान अगर आप अपने और शिशु के शरीर में विटामिन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विटामिन लेती हैं - तो इन्हें सावधानीपूर्वक ले और जितना आप के डॉक्टर ने निर्देश दिया है उसी के अनुसार ने नहीं तो विटामिन ओवरडोज का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन लेने से पहले हमेशा उसकी सही मात्रा जांचने।
कुछ विटामिन जैसे कि विटामिन ए कि अगर अत्यधिक मात्रा शरीर में हो जाए तो यह माता तथा शिशु के शरीर दोनों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। यदि कैल्शियम और आयरन भी बड़ी मात्रा में लिया जाए यह भी बहुत हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

हम आपको फिर बताना चाहेंगे कि गर्भावस्था के दौरान मल्टीविटामिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि गर्भ में शिशु का विकास बहुत तेजी से हो रहा होता है और इस विकास को सपोर्ट करने के लिए शरीर को कई प्रकार के विटामिन की आवश्यकता पड़ती है।
इस आवश्यकता को मल्टीविटामिन और सप्लीमेंट के द्वारा पूरा किया जा सकता है। लेकिन आप मल्टीविटामिन और सप्लीमेंट का सहारा तभी ने जब आपके शरीर में विटामिन की आवश्यकता पौष्टिक आहार द्वारा पूरी नहीं हो पा रही है।

विटामिन के पर्चे पर उसके डोस से संबंधित महत्वपूर्ण निर्देश दिए होते हैं। अगर आप इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें तो आप यह समझ सकती हैं कि विटामिन की औसत मात्रा कितनी लेनी चाहिए और इतनी मात्रा से अधिक लेने पर ओवरडोज हो सकता है। यह है विटामिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण टर्म्स

विटामिन ओवरडोज के बारे में आपको बहुत सावधान देने की आवश्यकता है क्योंकि विटामिन ओवरडोज के बहुत सारे लक्षण गर्भावस्था के लक्षणों से मेल खाते हैं। ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि कौन से लक्षण गर्भावस्था की वजह से हो रहे हैं और कौन से विटामिन के ओवरडोज की वजह से।

लेकिन अगर आप सावधानीपूर्वक गर्भावस्था के दौरान होने वाले लक्षणों पर गौर करें और आप उनमें किसी भी प्रकार का बदलाव देखिए तो इसे यह बात साबित हो जाता है कि आप आवश्यकता से ज्यादा विटामिन ले रही हैं। विटामिन ओवरडोज होने के लक्षण किस प्रकार के हैं:
अगर आप ऊपर के लक्षणों को देखे तो आप पाएंगे कि इसमें से अधिकांश लक्षण ऐसे हैं जो आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान देखने को मिलते हैं। अगर आप गर्भवती हैं तो आप गर्भावस्था के इन लक्षणों को अच्छी तरह पहचाने गी।
गर्भावस्था के दौरान अगर आपको यही लक्षण दिखे लेकिन उनका अनुभव थोड़ा दूसरी तरह हो तो समझ में किया गर्भावस्था के दौरान होने वाले सामान्य लक्षण नहीं है बल्कि नियर विटामिन की ओवरडोज की वजह से हो रहा है।

अगर आप अपने शरीर में विटामिन ओवरडोज की कोई भी लक्षण पाए तो आप तुरंत डॉक्टर से मिले और जो भी विटामिन या सप्लीमेंट आप ले रही हैं उसके बारे में डॉक्टर से सलाह ले।
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हर मां बाप अपने बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना चाहते हैं जिससे उनके शिशु को कभी भी कुपोषण जैसी गंभीर समस्या का सामना ना करना पड़े और उनके बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास बेहतरीन तरीके से हो सके। अगर आप भी अपने शिशु के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह समझना पड़ेगा किस शिशु को कुपोषण किस वजह से होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कुपोषण क्या है और यह किस तरह से बच्चों को प्रभावित करता है (What is Malnutrition & How Does it Affect children?)।
अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा उलटी करता है, तो आप का चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चे के पहले साल में दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद उलटी करना कितना स्वाभाविक है, इसके बारे में हम आप को इस लेख में बताएँगे। हर माँ बाप जिनका छोटा बच्चा बहुत उलटी करता है यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या उनके बच्चे के उलटी करने के पीछे कोई समस्या तो नहीं। इसी विषेय पे हम विस्तार से चर्चा करते हैं।
छोटे बच्चे खाना खाने में बहुत नखरा करते हैं। माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की बच्चों का भूख कैसे बढाया जाये। इस लेख में आप जानेगी हर उस पहलु के बारे मैं जिसकी वजह से बच्चों को भूख कम लगती है। साथ ही हम उन तमाम घरेलु तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे जिसकी मदद से आप अपने बच्चों के भूख को प्राकृतिक तरीके से बढ़ा सकेंगी।
पांच दालों से बनी खिचड़ी से बच्चो को कई प्रकार के पोषक तत्त्व मिलते हैं जैसे की फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स (minerals)| मिनरल्स शरीर के हडियों और दातों को मजबूत करता है| यह मेटाबोलिज्म (metabolism) में भी सहयोग करता है| आयरन शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और फाइबर पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है|
यह तो हर माँ-बाप चाहते हैं की उनका शिशु स्वस्थ और सेहत पूर्ण हो। और अगर ऐसे स्थिति में उनके शिशु का वजन उसके उम्र और लम्बाई (कद-काठी) के अनुरूप नहीं बढ़ रहा है तो चिंता करना स्वाभाविक है। कुछ आहार से सम्बंधित diet chart का अगर आप ख्याल रखें तो आप का शिशु कुछ ही महीनों कें आवश्यकता के अनुसार वजन बना लेगा।
दस्त के दौरान बच्चा ठीक तरह से भोजन पचा नहीं पाता है और कमज़ोर होता जाता है। दस्त बैक्टीरियल संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी के दौरान उसको दिया गया ८०% आहार दस्त की वजह से समाप्त हो जाता है। इसी बैलेंस को बनाये रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आहार हैं जिससे दस्त के दौरान आपके बच्चे का पेट भरा रहेगा।