Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺9 min read
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का| बच्चे को हरी सब्जियां खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर| घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है| बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है| घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे|
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घर की बनी सब्जियों की puree, पोषक तत्वों से भरपूर, बच्चों के स्वास्थ्य के लिए उत्तम और सुरक्षित भी। बाजार का ख़रीदा हुआ baby food में preservatives और added sugar और salt होता है जो 6 to 12 months old babies के लिए अच्छा नहीं है।
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का। सबसे अच्छी बात यह है की इस आहार के द्वारा आप के बच्चे को मिलेगा ढेर सारे ताज़े सब्जियों के फायदे। विश्व भर में शिशु आहार विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं की बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत ताज़े हरी सब्जियों से करनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि हरी सब्जियां उतनी मीठी नहीं होती जितनी की पिली और लाल सब्जियां होती हैं। छोटे बच्चों को पहले अगर मीठा आहार खिला दिया गया तो बाद में वे कम मीठे आहार में उतनी रूचि नहीं लेंगे।
भारत की बात अलग है। हम यहां अपने बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत ही मीठे से करते हैं। हमारे यहां परंपरा है "खीर चटाई की"। शायद ही मैंने कभी किसी माँ-बाप को अपने बच्चे से खीर चटाई की रसम के कारण परेशान देखा हो। मेरी तो सभी माँ-बाप से यही राय है की सुने सबकी और करें अपनी समझ से।
खैर जिस कारण से भी आप अपने बच्चे को हरी सब्जियां खिलाना चाहते हैं, उसे खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर। घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है। बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है। घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे।
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गाजर में अच्छी मात्रा में beta-carotene होता है। इसके साथ ही गाजर अन्य पोषक तत्वों का भंडार भी है। गाजर में विटामिन A होता है जो बच्चों की आँखों के लिए बहुत अच्छा है और बच्चों के शरीर को संक्रमण से बचाता है। गाजर की खूबी यह है की आप इसे आसानी से किसी भी आहार के साथ मिला के बना सकते हैं। जैसे की आप इसे अन्य फलों के साथ, सब्जियों के साथ तथा दूसरे आहारों के साथ मिला के भी खिला सकते हैं।
गाजर की puree (carrot puree) बनाने के लिए गाजर को खरीदते वक्त medium size का गाजर खरीदें। गाजर उजले नारंगी रंग का हो। दिखने में पुराने गाजर का इस्तेमाल न करें। इसमें nitrates हो सकते है जो बच्चों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

गाजर की puree बनाने की विधि
गाजर की puree को और पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाने के लिए आप उसमे निचे दिए गए फल और सब्जियां को भी मिला सकते हैं।
बचे हुए गाजर के puree को आप फ्रिज में store भी कर सकते हैं। स्टोर करने के लिए BPA-free containers का इस्तेमाल करें और तीन दिन के अंदर ख़त्म कर लें।
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बीन्स में प्रचुर मात्रा में विटामिन A और fiber होता है। बीेन्स की puree एक बहुत ही बेहतरीन तरीका है बच्चों को हरी सब्जी खिलने का। अगर आप का बच्चा ठोस आहार की शुरुआत होने पे एक ही प्रकार का अनाज कुछ सप्ताह तक बिना किसी दिकत के खा चूका है तो आप उसे हरी सब्जियां देना शुरू कर सकते हैं - मगर अपने डॉक्टर की सलाह पर। बीन्स की puree तो वैसे ही बहुत स्वादिष्ट होती है मगर फिर भी आप इसमें दूसरी सब्जियां मिला के इसे और भी रोचक बना सकती हैं। बच्चे के लिए बीन्स की puree बनाने के लिए canned green beans का इस्तेमाल न करें। इसमें बहुत अधिक मात्रा में नमक होता है।

बीन्स की puree बनाने की विधि
अगर आप चाहें तो बीन्स की puree को दही या चावल के साथ मिला के भी खिला सकती हैं।
बचे हुए बीन्स की puree को आप फ्रिज में store भी कर सकते हैं। स्टोर करने के लिए BPA-free containers का इस्तेमाल करें और तीन दिन के अंदर ख़त्म कर लें।
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मटर की puree तो वैसे ही बहुत स्वादिष्ट होती है। मगर अगर आप चाहें तो इसे और भी दूसरे सब्जियों के साथ मिला के बना सकती हैं।
मटर की puree बनाने के लिए आप चाहें तो ताज़ा मटर इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर off season चल रहा है तो frozen peas का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर baby food बनाने के लिए canned peas का इस्तेमाल न करें। इसमें बहुत नमक होता है।
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मटर की puree (Pea Puree) बनाने की विधि
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Vitamin A, vitamin C, Iron और potassium से भरपूर कद्दू, बच्चों के baby food के लिए बिलकुल उपयुक्त आहार है। इसमें पोषक तत्त्व काफी मात्रा मैं होते हैं और बच्चों को इसका nutty flavor और velvety texture बेहद पसंद आएगा।

कद्दू की puree बनाने की विधि
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अगर आप का बच्चा 8 months का हो गया है, तभी आप पालक की puree को उसके baby food की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं। इसमें calcium और antioxidant भरपूर मात्रा मैं होता है। पालक में काफी प्रकार के पोषक तत्त्व होता हैं जो बढ़ते बच्चों के लिए जरुरी हैं। पालक से बच्चों को iron, vitamin A और selenium मिलता है। मगर चूँकि इसमें nitrates की भी कुछ मात्रा होती है इसीलिए इसे बच्चों को moderation में हि दें।

पालक की puree बनाने की विधि
बच्चों में हमेशा नए आहार को शुरू करते वक्त अपने डॉक्टर की सलाह अवशय ले लें।
8 लक्षण जो बताएं की बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर है। किसी बच्चे के व्यवहार को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि उस शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), गलत होगा। चिकित्सीय जांच के द्वारा ही एक विशेषज्ञ (psychiatrist) इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि बच्चे को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
इस असान तरीके से बच्चों के दांतों के संक्रमण को समय रहते पहचाने ताकि बच्चों को दांतों के दर्द से बचाया जा सके। सभी जानते हैं की दांतों का दर्द कितना कितना कष्टकारी होता है। बच्चे दिन भर कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं इस वजह से उनके दांतों में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। बच्चों के दांतों में संक्रमण को पहचानने के 7 तरीके।
फूड पाइजनिंग (food poisining) के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार। बड़ों की तुलना में बच्चों का पाचन तंत्र कमज़ोर होता है। यही वजह है की बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) एक आम बात है। इस लेख में हम आपको फूड पाइजनिंग यानि विषाक्त भोजन के लक्षण, कारण, उपचार इलाज के बारे में बताएंगे। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज पढ़ें इस लेख में:
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
अक्सर गर्भवती महिलाएं इस सोच में रहती है की उनके शिशु के जन्म के लिए सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में से क्या बेहतर है। इस लेख में हम आप को दोनों के फायेदे और नुक्सान के बारे में बताएँगे ताकि दोनों में से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकें जो आप के लिए और आप के शिशु के स्वस्थ के लिए सुरक्षित हो।
बचपन में अधिकांश बच्चे तुतलाते हैं। लेकिन पांच वर्ष के बाद भी अगर आप का बच्चा तुतलाता है तो बच्चे को घरेलु उपचार और स्पीच थेरापिस्ट (speech therapist) के दुवारा इलाज की जरुरत है नहीं तो बड़े होने पे भी तुतलाहट की समस्या बनी रहने की सम्भावना है। इस लेख में आप पढेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे की साफ़ साफ़ बोलने में मदद कर सकती हैं। तथा उन तमाम घरेलु नुस्खों के बारे में भी हम बताएँगे जिन की सहायता से बच्चे तुतलाहट को कम किया जा सकता है।
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
मौसम तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में अगर आप का बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे जितना ज्यादा हो सके उसे आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शरीर को पूरा आराम मिलता है तो वो संक्रमण से लड़ने में ना केवल बेहतर स्थिति में होता है बल्कि शरीर को संक्रमण लगने से भी बचाता भी है। इसका मतलब जब आप का शिशु बीमार है तो शरीर को आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है, मगर जब शिशु स्वस्थ है तो भी उसके शरीर को पूरा आराम मिलना बहुत जरुरी है।
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
शिशुओं और बच्चों के लिए उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट डाउनलोड करें (Baby Growth Chart)
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
गाजर, मटर और आलू से बना यह एक सर्वोतम आहार है 9 महीने के बच्चे के लिए। क्यूंकि यह आलू के चोखे की तरह होता है, ये बच्चों को आहार चबाने के लिए प्ररित करता है। इससे पहले बच्चों को आहार प्यूरी के रूप में दिया जा रहा था। अगर आप अब तक बच्चे को प्यूरी दे रहें हैं तो अब वक्त आ गया है की आप बच्चे को पूरी तरह ठोस आहार देना शुरू कर दें।
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 2 किलो से कम रहता है उन बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम रहती है| इसकी वजह से संक्रमणजनित कई प्रकार के रोगों से बच्चे को खतरा बना रहता है|
6 महीने की उम्र में आप का बच्चा तैयार हो जाता है ठोस आहार के लिए| ऐसे मैं आप को Indian baby food बनाने के लिए तथा बच्चे को ठोस आहार खिलाने के लिए सही वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी| जानिए आपको किन-किन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी अपने बच्चे को ठोस आहार खिलाने में|
दांत का निकलना एक बच्चे के जिंदगी का एहम पड़ाव है जो बेहद मुश्किलों भरा होता है। इस दौरान तकलीफ की वजह से बच्चे काफी परेशान करते हैं, रोते हैं, दूध नहीं पीते। कुछ बच्चों को तो उलटी, दस्त और बुखार जैसे गंभीर लक्षण भी देखने पड़ते हैं। आइये जाने कैसे करें इस मुश्किल दौर का सामना।
बच्चों के रोने के कई वजह हो सकते हैं जैसे की भूख की वजह से, थकन की वजह से, पेट के दर्द या गैस की समस्या की वजह से। जब आप का शिशु रोये तो सबसे पहले आप उसे अपनी गोद में ले लें। शांत ना होने पे आप उसे स्तनपान कराएँ और उसके डायपर को जांचे की कहीं वह गिला तो नहीं है। अगर शिशु फिर भी ना शांत हो तो उसे चुसनी या पैसिफायर से शांत कराने की कोशिश करें, फिर भी ना शांत हो तो उसे सुलाने की कोशिश करने, यह भी देखें की कहीं शिशु को ज्यादा गर्मी या ठण्ड तो नहीं लग रहा है या उसे कहीं मछरों ने तो नहीं कटा है। इन सब के बावजूद अगर आप का शिशु रोये तो आप उसे तुरंत डोक्टर के पास लेके जाएँ।
चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
बच्चों में पेट दर्द का होना एक आम बात है। और बहुत समय यह कोई चिंता का कारण नहीं होती। परन्तु कभी कभार यह गंभीर बीमारियोँ की और भी इशारा करती। पेट का दर्द एक से दो दिनों के अंदर स्वतः ख़तम हो जाना चाहिए, नहीं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।