Category: बच्चों की परवरिश
By: Vandana Srivastava | ☺7 min read
अपने बच्चे के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आपको उसकी शिक्षा – दीक्षा , अच्छी आदतों तथा नैतिक मूल्यों के साथ - साथ इन संस्कारो को बचपन से ही उनके अंदर डालना चाहिए , तभी युवा होकर वह एक अच्छा इंसान बनेगा और अपने देश का एक अच्छा नागरिक।
जब बच्चा जन्म लेता है, तभी से उसकी सीखने के प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। परिवार बच्चे की प्रथम पाठशाला है ,
जहाँ से वह अच्छे संस्कार सीखता है।
माँ उसकी पहली गुरु होती है। माता - पिता का यह दायित्व होता है की वह अपने बच्चे को संस्कार वान बनाये।
अपने बच्चे में अच्छे संस्कार का बीजारोपड़ करने के लिए आपको भी एक अच्छा इंसान बनना होगा। जिससे आपका बच्चा आपको ही अपना मार्गदर्शक और आदर्श मान सके।
अपने बच्चे में यह संस्कार पैदा करना चाहिए की वो ईश्वर में विश्वास रखें। ईश्वर में आस्था रखने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती हैं।उसको यह विश्वास दिलाइये की ईश्वर सब कुछ देखता हैं हमें अच्छे कर्म करना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही यह शिक्षा मिलनी चाहिए की वो अपने माता - पिता का सम्मान करे क्योकि माता - पिता ही उसके मार्गदर्शक होते हैं। कोई भी कार्य करने से पहले अपने माता - पिता की राय अवश्य जाने। अपने बच्चे को अपनी वास्तविक स्थिति के बारे में अवश्य बताए , जिससे वह आपका सम्मान करेगा। आदर्श और वीर बच्चों की कहानियाँ सुनाये और पढ़ने के लिए प्रेरित करें। जैसे श्रवण कुमार की कहानी।
अपने बच्चे के अंदर सत्य बोलने की आदत डालनी चाहिए इसके लिए माता -पिता को स्वयं भी इस रास्ते पर चलना होगा। ईमानदारी की आदत डालनी होगी उनको यह बताना होगा की सत्य और ईमानदारी के रास्ते पर चलने पर ही आगे बढ़ा जा सकता हैं क्योंकि ईमानदारी की नीव बहुत मजबूत होती हैं। आगे चलकर कोई भी आप के बच्चे को पथ - भ्रष्ट नहीं कर सकता हैं। इसके लिए आप उसे किसी कहानी के माध्यम से या किसी उद्धरण के माध्यम से समझा सकते हैं। जैसे राजा हरिश्चंद्र की कहानी।
अपने बच्चे के अंदर सहयोग और दूसरों की मदद करने की भावना का संचार करना चाहिए। यह आदत बचपन से ही पड़नी चाहिए। एक माता - पिता होने के नाते आप अपने बच्चे को छोटे पर से ही अपने साथ काम पर लगाए या उसको बताते रहे की परिवार में सभी काम एक दूसरे के मदद से ही संभव हैं। घर में जितने भी सदस्य हैं उनके कार्य क्षमता के अनुसार सभी काम बाट दें जिससे उसको जिम्मेदारी का अहसास होगा और धीरे - धीरे एक दूसरे की मदद करना उसके आदत में शामिल हो जाएगा और वह बाहर वालो के साथ भी यही व्यवहार करेगा।
अपने बच्चे में यह संस्कार डालेकी वह कर्तव्यनिष्ठ हो। प्रत्येक व्यक्ति का अपने परिवार के प्रति , देश के प्रति , अपने गुरु के प्रति , अपने स्कूल के प्रति , अपने बड़ो और छोटो के प्रति अलग - अलग कर्तव्य होते हैं जिसे , उसे निभाना पड़ता हैं।
प्रत्येक बच्चे के अंदर यह नैसर्गिक गुण होना चाहिए की वो सभी के साथ प्रेम से रहे। आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना के बल पर वह अपने परिवार , विद्यालय और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता हैं। सभी उसे पसंद करेंगे और वह सभी के दिलों पर राज करेगा। उसे सभी के प्रति सहानभूति और करुणा की भावना भी रखनी चाहिए। जैसे - गरीब ,बेसहारा , अनाथ , अपंग आदि।
प्रत्येक बच्चे के अंदर देश भक्ति की भावना होनी चाहिए।बचपन से ही बच्चे के अंदर यह संस्कार डाले की उसका सबसे पहला कर्त्तव्य अपने देश के प्रति हैं उसके अंदर देश के प्रति समर्पण की भावना होनी चाहिए। उसे प्रत्येक पल अपने देश के प्रति सेवा करने के लिए तत्पर होना चाहिए , हो सके तो उसे सैन्य शिक्षा के लिए प्रेरित करे। देश - भक्ति की कविता और कहानियाँ सुनाये। आदर्श व्यक्तियों के जीवन - चरित्र के बारे में जानने के लिए जागरूक करे।
आज - कल के दौर में बच्चों के पास सहनशक्ति का अभाव हैं , इस लिए माता -पिता होने के नाते आप अपने बच्चे के अंदर पेशेंस रखने की आदत डाले क्योंकि उसके आगे के जीवन के लिए यह गुण होना आवश्यक हैं। उसको यह सिखाये की छोटे - छोटे बातो पर वह उग्र न हो और जीवन के प्रति वह सकारात्मक रुख रखें।
अपने बच्चे के अंदर यह संस्कार डाले की वह अपने चरित्र के प्रति सजग रहे , क्योंकि एक बार चरित्र नष्ट होने पर वह दुबारा ठीक नहीं हो सकता। इस धोखे और फरेब की दुनिया में वह अपने आस - पास के लोगो और फरेबी दोस्तों से सावधान रहे।
अपने बच्चों को घर के बड़े - बुजुर्गों की इज़्ज़त करना सिखाए , उनकी सेवा करना ,उनकी बात मानना , उनकी मदद करना तथा उनका सम्मान करना उनको आना चाहिए।
अपने बच्चे के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आपको उसकी शिक्षा – दीक्षा , अच्छी आदतों तथा नैतिक मूल्यों के साथ - साथ इन संस्कारो को बचपन से ही उनके अंदर डालना चाहिए , तभी युवा होकर वह एक अच्छा इंसान बनेगा और अपने देश का एक अच्छा नागरिक बनेगा , क्योंकि एक संस्कारी और बुद्धिमान बच्चा ही भावी पीढ़ी का निर्माता हैं।
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