Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
जब मछरों का आतंक छाता है तो मनुष्यों में दहशत फ़ैल जाता है। क्योँ की मछरों से कई तरह की बीमारी फैलती है जैसे की डेंगू। डेंगू की बीमारी फ़ैलतु है एक विशेष प्रकार में मछरों के द्वारा जिन्हे कहते हैं - ‘Aedes aegypti mosquito’। डेंगू एक जानलेवा बीमारी है और यह इतनी दर्दनाक बीमारी है की इसका पीड़ित जिंदगीभर इसके दुष्प्रभावों को झेलता है। जानिए की बच्चों को किस तरह डेंगू से बचाएं।
डरिये मत!
थोड़ी सी सावधानी से आप अपने बच्चों को डेंगू की बीमारी से बचा सकती हैं।
डेंगू से बचाव के लिए आप को कुछ मूलभूत बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
उदहारण के लिए -
डेंगू के मछरों दिन के समय भी काटते हैं। ये गरम और नमी वाले स्थानों में पनपते हैं।
डेंगू के मछरों किसी को भी काट सकते हैं। यहां तक की आप के नवजात शिशु को भी। इसका मतलब आप को अपने बच्चों को डेंगू के मछरों से बचाने के लिए इंतेज़ाम करने की आवश्यकता है। बचाव करने के लिए आप को यह जानना जरुरी है की डेंगू के मछर किस तरह काम करते हैं।
डेंगू एक संक्रामक बीमारी नहीं है। इसका मतलब डेंगू के मरीज को छूने से या उनके साथ रहने से डेंगू नहीं होता है। डेंगू फैलता हैं केवल संक्रमित मछरों के काटने से। माँ और बाप को हर संभव कोशिश करनी चाहिए की वे अपने नवजात बच्चों को डेंगू के खतरों से बचाएं। बच्चे बहुत नाजुक और कमजोर होते हैं। उनके लिए डेंगू जानलेवा भी हो सकता है।
बच्चों में रोग प्रतिरोधक छमता बहुत विकसित नहीं होती है - इसीलिए बच्चों के लिए डेंगू की बीमारी ज्यादा हानिकारक है।
डेंगू की बीमारी से बचाने के लिए अभी तक कोई भी टिका (vaccine) नहीं बना है।
ये डेंगू का बहुत ही भयानक रूप है और यह छोटे बच्चों में पाया गया है। इन्हे दो से सात दोनों तक बुखार हो सकता है। बुखार समाप्त होने पे डेंगू के भयंकर लक्षण सामने आ सकते हैं।
इस दौरान बच्चे को बहुत ब्लीडिंग हो सकती है और उसे साँस लेने में भी परेशानी हो सकती है। बच्चे को रह रह के बहुत उलटी भी हो सकती है।
बच्चे को इस अवस्था में तुरंत इलाज की आवश्यकता पड़ेगी। इलाज में देरी होने पे बच्चे की सेहत बहुत ज्यादा बिगड़ सकती है। यहां तक की बच्चे के शरीर के अंग काम करना भी बंद कर सकते हैं। इसका बच्चे पे जिंदगी भर के लिए असर पड़ सकता है।