Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺7 min read
माँ-बाप सजग हों जाएँ तो बहुत हद तक वे आपने बच्चों को यौन शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। भारत में बाल यौन शोषण से सम्बंधित बहुत कम घटनाएं ही दर्ज किये जाते हैं क्योँकि इससे परिवार की बदनामी होने का डर रहता है। हमारे भारत में एक आम कहावत है - 'ऐसी बातें घर की चार-दिवारी के अन्दर ही रहनी चाहिये।'

अगर आंकड़ों की माने तो हर चार में से एक बच्ची के साथ और हर छे में से एक बच्चे के साथ यौन शोषण होता है। जरा सोचिये इस बात को की आप एक class room में प्रवेश करते हैं जहाँ 30-से-40 छोटे बच्चे बैठें हों। सोचने में कितना अजीब लगता है की वहां बैठे हर चौथे बच्चे के साथ यौन शोषण हो रहा है।
थोड़ी शर्म सी महसूस हुई न।
सिर्फ सोचने में यह बात रोंगटे खड़े कर देती है, मगर यह तो सच है!

(स्रोत: भारत सरकार, यूनिसेफ)
भारतीय समाज में बाल यौन शोषण एक सबसे सबसे ज्यादा उपेक्षित बुराई है। यही वजह है की पिछले कुछ सालों में भारत में बाल यौन शोषण से सम्बंधित घटनाएं बहुत तेज़ी से बढ़ी हैं। सरकार और समाज दोनों को इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है। मगर सबसे ज्यादा जरुरत है माँ-बाप को जागरूक होने की। अगर सिर्फ माँ-बाप सजग हों जाएँ तो बहुत हद तक वे आपने बच्चों को यौन शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। भारत में बाल यौन शोषण से सम्बंधित बहुत कम घटनाएं ही दर्ज किये जाते हैं। अधिकांश माँ-बाप ऐसे मामलों को सार्वजनिक करने से डरते हैं क्योँकि इससे परिवार की बदनामी होने का डर रहता है। हमारे भारत में एक आम कहावत है - 'ऐसी बातें घर की चार-दिवारी के अन्दर ही रहनी चाहिये।'

इन सरकारी आकड़ों को आप बदल तो नहीं सकते हैं। मगर आप कम-से-कम अपने बच्चों को तो यौन शोषण से बचा सकते हैं। बच्चों के यौन शोषण से सम्बंधित सबसे ज्यादा चौंका देने वाली जानकारी जो है वो यह है की 93% घटनाओं में बच्चों के साथ यौन शोषण उनका कोई अपना, कोई करीबी, कोई रिश्तेदार ही करता है। ऐसे में बच्चे विचलित हो जाते हैं की जिनपे वे सबसे ज्यादा विश्वाश करते हैं वो ही उनका शोषण करते हैं। विडम्बना इस बात की है की माँ-बाप ही बच्चों को सिखाते हैं की बड़ों की आज्ञा माने। बच्चों को यह नहीं पता की क्या सही है और क्या नहीं और कौन से बात माननी है और किस बात का विरोध किया जाना चाहिए। यौन शोषण के वक्त बच्चे काफी मानसिक तकलीफ से भी गुजरते हैं।

बाल यौन शोषण को बच्चों के साथ यौन छेड़छाड़ के रुप में परिभाषित किया जाता है। एक बच्चे को गलत तरीके से छूने और संपर्क बनाने जिसमें दुलारना, भद्दी टिप्पणियाँ और संदेश देना, मास्टरबेसन, संभोग, ओरल सेक्स, और बच्चों को अश्लील साहित्य दिखाना शामिल है। यह काफी शर्म की बात हैं की हमारे देश मैं ऐसा होता है और ऐसे मानसिकता के लोग रहते हैं। अगर माँ-बाप आपने बच्चों को यौन शोषण के प्रति जागरूक कर सके तो वे आपने बच्चों को बाल यौन शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं।

जानकारी ही बचाव है। आप को इस बात को जानना है की इन परिस्थितियोँ और किन लोगों के द्वारा बच्चों का अधिकतर यौन शोषण होता है।
अगर आप कुछ बातों का ख्याल रखें तो आप अपने बच्चे को होने वाले यौन शोषण से बचा सकते हैं।

सरकारी आकड़ों के अनुसार हर दस में से सिर्फ एक बच्चा ही यौन शोषण से सम्बंधित दुर्घटना को बताता है। अधिकांश बच्चे इसे छुपा के रखते हैं और किसी से नहीं बताते। बच्चे ऐसा निम्न कारणों से करते हैं।
अगर आप का बच्चा कभी भी आपको यौन शोषण से सम्बन्धी जानकारी दे तो overreact ना करें। ना ही नाराज हों और ना ही ताजुब करें। आराम से बात करें और आप को जो कदम उठाना है वो उठयें।

इस उम्मीद में ना रहें की कोई ऐसा लक्षण आप को देखने को मिलेगा की आप तुरंत पहचान लेंगे की आप के बच्चे के साथ यौन शोषण हुआ है। लेकिन फिर भी यौन शोषण के कुछ लक्षण हैं जो आप की मदद कर सकते हैं।
बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए आपको अपनी बातों से आपने बच्चों को डराने की आवश्यकता नहीं। सिर्फ आपको आपने बच्चों को अंतर समझाना है की किस तरह अगर कोई उन्हें पकडे तो ठीक नहीं है। अगर ये बात आप आपने बच्चे को समझा सकें तो समझ लीजिये की आपने आपने बच्चे को बहुत हद तक सुरक्षित कर लिए है। 3 साल की उम्र तक पहुँचते पहुँचते आप के बच्चे को यह पता हों जाना चाहिए की उसके शरीर का कौन सा हिस्सा गोपनीय है और उसे किसी को भी छूने का अधिकार नहीं है।
आप को यह बताने की जरुरत नहीं बच्चों को की यौन शोषण क्या है। उनके उम्र के अनुसार उन्हें सिर्फ यह समझाना है की शरीर के कुछ अंग ऐसे हैं जो गोपनीय हैं। कोई उन्हें छू नहीं सकता। सिर्फ माँ-बाप और कुछ बड़े सफाई करते वक्त छू सकते हैं। यह सब समझने की आवश्यकता नहीं की कुछ लोग बुरे होते हैं और बुरी-बुरी हरकत करते हैं। सिर्फ यह समझएं की क्या सही है और क्या नहीं।

अगर आप को लगे की कुछ गड़बड़ है तो तुरंत आपने बच्चे का संपर्क उस बड़े से रोक लें। उस व्यक्ति से लड़ें नहीं और नहीं उस व्यक्ति से इस बारे में कोई बात करें। ऐसा करने पर उसे बचाव करने का वक्त मिल जायेगा। पुलिस को सूचित करें और आपने नजदीकी Child Careline से संपर्क करें।
यद्यपि महिलयों के खिलाफ हो रहे यौन शोषण अपराध के खिलाफ भारतीय दंड संहिता में प्रावधान है जैसे की धारा 376, 354। महिलाओं तथा पुरुषों के खिलाफ हों रहे अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता की धरा 377 में प्रावधान है। लेकिन अफ़सोस की बात यह है की बच्चों के खिलाफ हों रहे यौन शोषण या उत्पीड़न के लिये कोई विशेष वैधानिक प्रावधान नहीं है। इसी बात को ध्यान में रख कर सन 2012 में संसद में बच्चों को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा दिलाने के लिए अधिनियम (पॉस्को) बनाया गया है।

इस अधिनियम के तहत बच्चों के साथ बेशर्मी से पेश आने और छेड़छाड़ जैसे कृत्यों का अपराधीकरण किया गया ताकि बाल यौन शोषण के मामलों से निपटा जा सके।
Vitamin A एक वसा विलेय विटामिन है जिस के अत्यधिक सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु में जन्म दोष की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है कि विटामिन ए गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि शिशु के विकास के लिए विटामिन ए एक महत्वपूर्ण घटक भी है।
UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।
बहुत से बच्चों और बड़ों के दातों के बीच में रिक्त स्थान बन जाता है। इससे चेहरे की खूबसूरती भी कम हो जाती है। लेकिन बच्चों के दातों के बीच गैप (डायस्टेमा) को कम करने के लिए बहुत सी तकनीक उपलब्ध है। सबसे अच्छी बात तो यह है की अधिकांश मामलों में जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह गैप खुद ही भर जाता है। - Diastema (Gap Between Teeth)
बढ़ते बच्चों के लिए विटामिन और मिनिरल आवश्यक तत्त्व है। इसके आभाव में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। अगर आप अपने बच्चों के खान-पान में कुछ आहारों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चों के शारीर में विटामिन और मिनिरल की कमी होने से बचा सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।
डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से प्रभावित बच्चों को पढाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के लक्षणों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। इसके लिए बच्चों पे ध्यान देने की ज़रुरत है। उन्हें डांटे नहीं वरन प्यार से सिखाएं और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें।
कुछ घरेलु उपायों के मदद से आप अपने बच्चे की खांसी को तुरंत ठीक कर सकती हैं। लेकिन शिशु के सर्दी और खांसी को थिंक करने के घरेलु उपायों के साथ-साथ आप को यह भी जानने की आवशयकता है की आप किस तरह सावधानी बारात के अपने बच्चे को सर्दी और जुकाम लगने से बचा सकती हैं।
जुकाम के घरेलू उपाय जिनकी सहायता से आप अपने छोटे से बच्चे को बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। शिशु का नाक बंद (nasal congestion) तब होता है जब नाक के छेद में मौजूद रक्त वाहिका और ऊतक में बहुत ज्यादा तरल इकट्ठा हो जाता है। बच्चों में बंद नाक की समस्या को बिना दावा के ठीक किया जा सकता है।
बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
आज के भाग दौड़ वाली जिंदगी में जहाँ पति और पत्नी दोनों काम करते हैं, अगर बच्चे का ध्यान रखने के लिए दाई (babysitter) मिल जाये तो बहुत सहूलियत हो जाती है। मगर सही दाई का मिल पाना जो आप के गैर मौजूदगी में आप के बच्चे का ख्याल रख सके - एक आवश्यकता बन गयी है।
अगर आप का शिशु बहुत गुस्सा करता है तो इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है। सभी बच्चे गुस्सा करते हैं। गुस्सा अपनी भावना को प्रकट करने का एक तरीका है - जिस तरह हसना, मुस्कुराना और रोना। बस आप को अपने बच्चे को यह सिखाना है की जब उसे गुस्सा आये तो उसे किस तरह नियंत्रित करे।
बच्चे को हिचकी उसके डायफ्राम के संकुचन के कारण आती है। नवजात बच्चे में हिचकी की मुख्या वजह बच्चे का ज्यादा आहार ग्रहण कर लेना है। जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं वे दूध पीते वक्त दूध के साथ ढेर सारा वायु भी घोट लेते हैं। इसके कारण बच्चे का पेट फ़ैल जाता है बच्चे के डायफ्राम पे दबाव पड़ता है और डायाफ्राम में ऐंठन के कारण हिचकी शुरू हो जाती है।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।
नवजात शिशु दो महीने की उम्र से सही बोलने की छमता का विकास करने लगता है। लेकिन बच्चों में भाषा का और बोलने की कला का विकास - दो साल से पांच साल की उम्र के बीच होता है। - बच्चे के बोलने में आप किस तरह मदद कर सकते हैं?
पुलाय एक ऐसा भारतीय आहार है जिसे त्योहारों पे पकाय जाता है और ये स्वस्थ के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है| बच्चों के लिए तो यह विशेष लाभकारी है| इसमें ढेरों सब्जियां होती है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं| Pulav शिशु आहार baby food|
सब्जियौं में ढेरों पोषक तत्त्व होते हैं जो बच्चे के अच्छे मानसिक और शारीर विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब शिशु छेह महीने का हो जाये तो आप उसे सब्जियों की प्यूरी बना के देना प्रारंभ कर सकती हैं। सब्जियों की प्यूरी हलकी होती है और आसानी से पच जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया के लगभग आधे बच्चों को किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होगा। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उन बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक होती है क्यों कि ये बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम दमा, एक्जिमा, पित्ती (त्वचा पर चकत्ते) और भोजन से संबंधित हैं।