Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
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अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) जिसे अंग्रेज़ी में sudden infant death syndrome कहा जाता है। यह एक परिस्थिति है जिस मैं शिशु की अचानक - बिना किसी कारण के - मृत्यु हो जाती है।
बच्चे में "अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS)" की सबसे ज्यादा सम्भावना जन्म के पहले तीन महीने में रहती है।

यह तो नहीं पता की "अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS)" किस वजह से होता है - मगर कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है।
यह शिशु मृत्यु की वह वजह है जिसमें सोते हुए स्वस्थ शिशु की अचानक से बिना किसी स्पष्ट कारण के मृत्यु हो जाती है।

अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) को अंग्रेज़ी में cot death के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि यह नाम थोड़ा भ्रम में डालने वाला है। क्यूंकि इस नाम "cot death" को सुनने से यह लगता है की "अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS)" केवल उसी वक्त होता है जब बच्चा बिस्तर (cot) पे सो रहा होता है। मगर सच यह है की "अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS)" के कारण शिशु की सोते वक्त मौत कहीं भी हो सकती है। - जरुरी नहीं की शिशु की मौत केवल बिस्तर पर ही सोने से हो।
अच्छी बात यह ही की अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह से शिशु की मौत होना बहुत ही दुर्लभ घटना है। भारत में इसकी वजह से शिशु में मृत्यु दर दूसरे देशों के मुकाबले बहुत ही कम है। मगर दुःख की बात यह है की कई देशों में तो हर साल दो से छह महीने के शिशुओं में होने वाले की मौत का मुख्या कारण अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) ही है।

यह किसी को नहीं पता की अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह क्या है। शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) कई कारणों से हो सकता है - विशेषकर जब बच्चे अपने विकास के बहुत ही नाजुक अवस्था मैं होते हैं।
कुछ बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है। जब शिशु बहुत ज्यादा तनाव में होता है - जैसे की जब बहुत ज्यादा गर्मी हो, या फिर उसका नाक या मुँह सोते वक्त चद्दर (bed sheet) से ढक जाये या उसे ऐसे हालात का सम्मान करना पड़े जिसमें वो अपने ह्रदय की गति को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाये तो भी उसकी मृत्यु अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) के कारण हो सकती है।

अबतक किसी भी व्यग्यनिक शोध में यह बात सामने नहीं आयी है की अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) किसी संक्रमण के कारण होता है। हाँ - यह हो सकता है की नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधक छमता बहुत कम होती है जिस कारण संभव है की थोड़े से ही संक्रमण के कारण उनकी मौत हो जाती हो।
अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की घटना सर्वाधिक उस वक्त देखी गयी है जब यह समझा जाता है की शिशु सो रहा है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की अधिकांश घटनाएं रात के समय ही पायी गयी हैं। मगर अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) के कारण शिशु की मृत्यु कभी भी हो सकती है - चाहे दिन हो या रात।
अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की घटना अधिकतर ठंडक के दिनों में देखी जाती है। हो सकता है की इसका कारण यह है की ठण्ड के दिनों में लोग ज्यादा कपडे पेहेनते हैं - और रात को सोते वक्त हीटर या ब्लोअर (blower) भी चालू रखते हैं जब बहार का तापमान बहुत कम होता है। इसकी वजह से कमरे का तापमान रात में बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अगर बच्चा पहले से ही बहुत ज्यादा गरम कपडे पहने हुए है तो उसका शरीर इस बढ़े हुए तापमान को सहन नहीं क्र पायेगा। ठण्ड के महीने में हीटर या ब्लोअर के कारण कमरे की बढ़ी हुई अत्यधिक गर्मी शिशु के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
शिशु को अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) से बचने का कोई तरीका नहीं है। हाँ - अलबत्ते कुछ बातों का ख्याल रख आप इसकी संभावना को बहुत कम कर सकती है। आप के आलावा और भी लोग जो आप के बच्चे के सोने का ख्याल रखते हैं, उन्हें भी आप इस बात की जानकारी दे दें।
शिशु को अपनी निगरानी में पीट के बल लेटाएं
स्वस्थ शिशु को अगर आप पीट के बल लेटायेंगे तो उसे घुटन नहीं होगा। बच्चे को करवट लेकर एक तरफ सुलाना सुरक्षित नहीं है। अपने बच्चे को उसी कमरे में सुलाएं जिस कमरे में आप सोती हैं। लेकिन शिशु को अपने बिस्तर पे अपने साथ ना सुलाएं। उसके लिए अपने बिस्तर के पास दूसरा बिस्तर बिछाएं - ताकी रात-बिरात आप उसका ख्याल रख सकें।
जो बच्चे दूसरे कमरे में अपने माँ से दूर सोते हैं, या अपने माँ के साथ एक ही बिस्तर पे सोते हैं, उनमे अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है। लेकिन भारत में शिशु की मृत्यु की घटना अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह से बहुत ही कम है - इस तथ्य के बावजूद की भारत में अधिकांश घरों में शिशु और माँ एक ही बिस्तर पे सोते हैं। शिशु और माँ के एक ही बिस्तर में सोने से रत भर माँ शिशु का ख्याल रख सकती है और रात में कई बार आसानी से स्तनपान करा सकती है।
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UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
केवल बड़े ही नहीं वरन बच्चों को भी बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के शिकार हो सकते हैं। इस मानसिक अवस्था का जितनी देरी इस इलाज होगा, शिशु को उतना ज्यादा मानसिक रूप से नुक्सान पहुंचेगा। शिशु के प्रारंभिक जीवन काल में उचित इलाज के दुवारा उसे बहुत हद तक पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरुरी है की समय रहते शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के लक्षणों की पहचान की जा सके।
नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में रखने के बाद, स्त्री का शारीर बहुत थक जाता है और कमजोर हो जाता है। शिशु के जन्म के बाद माँ की शारीरिक मालिश उसके शारीर की थकान को कम करती है और उसे बल और उर्जा भी प्रदान करती है। मगर सिजेरियन डिलीवरी के बाद शारीर के जख्म पूरी तरह से भरे नहीं होते हैं, इस स्थिति में यह सावल आप के मन में आ सकता है की सिजेरियन डिलीवरी के बाद मालिश कितना सुरक्षित। इस लेख में हम इसी विषय पे चर्चा करेंगे।
6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
शिशु की खांसी एक आम समस्या है। ठंडी और सर्दी के मौसम में हर शिशु कम से कम एक बार तो बीमार पड़ता है। इसके लिए डोक्टर के पास जाने की अव्शाकता नहीं है। शिशु खांसी के लिए घर उपचार सबसे बेहतरीन है। इसका कोई side effects नहीं है और शिशु को खांसी, सर्दी और जुकाम से रहत भी मिल जाता है।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
Indian baby sleep chart से इस बात का पता लगाया जा सकता है की भारतीय बच्चे को कितना सोने की आवश्यकता है।। बच्चों का sleeping pattern, बहुत ही अलग होता है बड़ों के sleeping pattern की तुलना मैं। सोते समय नींद की एक अवस्था होती है जिसे rapid-eye-movement (REM) sleep कहा जाता है। यह अवस्था बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लहजे से बहुत महत्वपूर्ण है।
सावधान - जानिए की वो कौन से आहार हैं जो आप के बच्चों के लिए हानिकारक हैं। बढते बच्चों का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। ऐसे में बच्चों को वो आहार देना चाहिए जिससे बच्चे का विकास हो न की विकास बाधित हो।
6 month से 2 साल तक के बच्चे के लिए गाजर के हलुवे की रेसिपी (recipe) थोड़ी अलग है| गाजर बच्चे की सेहत के लिए बहुत अच्छा है| गाजर के हलुवे से बच्चे को प्रचुर मात्रा में मिलेगा beta carotene and Vitamin A.
छोटे बच्चों को कैलोरी से ज्यादा पोषण (nutrients) की अवश्यकता होती है| क्योँकि उनका शरीर बहुत तीव्र गति से विकसित हो रहा होता है और विकास के लिए बहुत प्रकार के पोषण (nutrients) की आवश्यकता होती है|
आठ महीने की उम्र तक कुछ बच्चे दिन में दो बार तो कुछ बच्चे दिन में तीन बार आहार ग्रहण करने लगते हैं। अगर आप का बच्चा दिन में तीन बार आहार ग्रहण नहीं करना चाहता तो जबरदस्ती ना करें। जब तक की बच्चा एक साल का नहीं हो जाता उसका मुख्या आहार माँ का दूध यानि स्तनपान ही होना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
गलतियों से सीखो। उनको दोहराओ मत। ऐसी ही कुछ गलतियां हैं। जो अक्सर माता-पिता करते हैं बच्चे को अनुशासित बनाने में।
अधिकांश बच्चे जो पैदा होते हैं उनका पूरा शरीर बाल से ढका होता है। नवजात बच्चे के इस त्वचा को lanugo कहते हैं। बच्चे के पुरे शरीर पे बाल कोई चिंता का विषय नहीं है। ये बाल कुछ समय बाद स्वतः ही चले जायेंगे।
मां का दूध बच्चे के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और सुपाच्य होता है| माँ का दूध बच्चे में सिर्फ पोषण का काम ही नहीं करता बल्कि बच्चे के शरीर को कई प्रकार के बीमारियोँ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदान करता है| माँ के दूध में calcium होता है जो बच्चों के हड्डियोँ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
हर प्रकार के मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर, बच्चों के लिए ड्राई फ्रूट्स बहुत पौष्टिक हैं| ये विविध प्रकार के नुट्रिशन बच्चों को प्रदान करते हैं| साथ ही साथ यह स्वादिष्ट इतने हैं की बच्चे आप से इसे इसे मांग मांग कर खयेंगे|
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मसाज तथा मसाज में इस्तेमाल तेल के कई फायदे हैं बच्चों को। मालिश शिशु को आरामदायक नींद देता है। इसके साथ मसाज के और भी कई गुण हैं जैसे की मसाज बच्चे के वजन बढ़ने में मदद करा है, हड़ियों को मजबूत करता है, भोजन को पचने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में सुधार लता है।
मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।