Category: बच्चों की परवरिश
By: Admin | ☺3 min read
ADHD शिशु के पेरेंट्स के लिए बच्चे को अनुशाशन सिखाना, सही-गलत में भेद करना सिखाना बहुत चौनातिपूर्ण कार्य है। अधिकांश ADHD बच्चे अपने माँ-बाप की बातों को अनसुना कर देते हैं। जब आप का मन इनपे चिल्लाने को या डांटने को करे तो बस इस बात को सोचियेगा की ये बच्चे अंदर से बहुत नाजुक, कोमल और भावुक हैं। आप के डांटने से ये नहीं सीखेंगे। क्यूंकि यह स्वाभाव इनके नियंत्रण से बहार है। तो क्या आप अपने बच्चे को उसके उस सवभाव के लिए डांटना चाहती हैं जो उसके नियंत्रण में ही नहीं है।
ADHD बच्चों के माँ बाप के लिए परवरिश एक अच्छी-खासी चुनौती है!
क्या आप की दिनचर्या कुछ इस तरह है:
आप ने अपने बच्चे को जिसे ADHD है, कहा की अपने कमरे को साफ कर दे या खिलौनों को डब्बे में रख दे। मगर जब आप किचिन से लौटती हैं तो पति हैं की कमरा जैसा-का-तैसा है।
न तो कमरा साफ़ हुआ है और न ही एक भी खिलौने डब्बे में रखे गए हैं।
क्या आप के बच्चे ने आप की बात नहीं सुनी - या उस ने आप की बात को अनसुनी कर दी?
ऐसी स्थिति में माँ-बाप का नाराज होना, गुस्सा करना लाजमी है।
माँ-बाप अपने बच्चों पे चीखते हैं, उन्हें डांटते है और कई बार तो गुस्से में अपने बच्चों पे कई प्रकार के प्रतिबन्ध भी लगा देते हैं। उदाहरण के लिए एक सप्ताह तक TV बंद, या दोस्तों से मिलना बंद या फिर जो भी उन्हें उचित लगे।
लेकिन माँ-बाप के इस गुस्से का नतीजा सबको भुगतना पड़ता है। और जरुरी नहीं की इससे बच्चे को कोई सिख मिले। ADHD बच्चों को तो इससे बिलकुल भी सिख नहीं मिलता है।
क्योँकि
ADHD बच्चों के सोचने का तरीका, उनका व्यक्तित्व दुसरे बच्चों से बहुत अलग है।
ये बच्चे आसानी से नाराज हो जाते हैं, इन का मनोबल ख़त्म हो जाता है।
माँ-बाप को भी यह लगता है की वे एक अच्छे माँ-बाप साबित नहीं हो पा रहे हैं।
और अगर ध्यान से सोचें तो किस बात के लिए इतना सब कुछ हुआ है, - बस एक कमरे को साफ़ करने को लेकर।
क्या ये इतनी बड़ी बात थी?
बच्चों को डांटना किसी माँ-बाप को अच्छा नहीं लगता है!
लग-भग सभी माँ-बाप को इस कभी-न-कभी इस दौर से गुजरना पड़ता है।
इसका मतलब यह नहीं है की आप एक बेहतर माँ- या बेहतर बाप नहीं हैं।
आप के बेहतर माँ या बेहतर बाप हैं - इस में कोई शक नहीं।
बस जरुरत इस बात को समझने की है की किस तरह से बच्चों को बिना डांटे और बिना उनपे चिल्लाये उन्हें अच्छी परवरिश दी जा सके।
और यह बिलकुल हो सकता है।
यह इतना कठिन नहीं है।
यहां हम आप को कुछ सुझाव बताने जा रहे हैं जिनकी सहायता से आप अपने बच्चे को प्यार के साथ अनुशाशन सीखा सकती है।
जब आप का बच्चा आप की बात न माने तो उसे प्यार से समझएं। उसे बताएं की उसका व्यहार क्योँ गलत है। लेकिन इस बात-चित के पुरे दौरान आप अपना आपा न खोएं।
अगर आप का शिशु आप की बात को अनसुना कर दे - तो बस इस बात का ख्याल रखें की आप के बच्चे की सोच आप की तरह परिपक्व नहीं है। वो आप की तरह समझदार नहीं है।
आप की जिम्मेदारी बस इतनी है की आप अपने बच्चे को प्यार से समझाएं की उससे गलती कहाँ हुई और आप उससे क्या उपेक्षा करती हैं।
साथ ही आप उसे यह भी बताएं की आप उससे प्यार करती हैं और चाहती की वो भी आप की तरह या पाने पिता की तरह समझदार बने। बच्चे को सही और गलत में भेद करने से कभी परहेज न करें।
इस बात की चिंता न करें की आप का बच्चा आप की बात को को महत्व दे रहा है या नहीं। बच्चे उस वक्त भी आप को सुन रहे होते हैं जब आप को यह लगे की वे आप की बात को अनसुना कर रहे हैं।
बच्चों के मन में बहुत देर तक बड़ों की बातें चलती रहती है। अगर आप अपने शिशु को सही बात सिखलाने/समझाने का कर्त्तव्य पूरा करती रहेंगी तो आप का अपने शिशु में देर-सबेर बदलाव दिखने लगेगा।
ADHD बच्चों को निर्देश समझने में परेशानी होती है। आप उन्हें अलग अलग तरह से समझएं की आप उनसे क्या उपेक्षा करती हैं।
अगर आप का बच्चा आप की बात को अनसुना कर देता है तो आप उसे कोई ऐसी सजा न दें जो तार्किक न हो। उदहारण के लिया अगर आप का बच्चा अपने खिलौनों को उठा के डब्बे में न रखे तो आप एक सप्ताह के लिए उसके खिलौनों को उठा कर अलमारी में बंद न कर दें।
आखिर वो एक बच्चा ही तो है। कुछ देर के लिए खिलौनों को उससे दूर कर दें मगर कुछ घंटों के बाद उसे वापस दे दें। बच्चों को निर्देश प्यार से दें।
उन्हें बताएं की आप ने खिलौनों पे बहुत पैसे खर्च किये हैं। जब आप प्यार से समझएंगे तो उम्मीद है की आप का बच्चा आप की बात मान जाये।
लेकिन अगर न माने तो आप उससे नाराज न हों और उसपे गुस्सा न करें। प्यार से समझाने के बाद आप का काम ख़त्म हो जाता है।।
बच्चे के साथ अपना रिश्ता खराब न करे। अगर आप गुस्सा करेंगी तो आप का बच्चा आप की बात को बिलकुल नहीं सुनेगा।
जब आप को लगे की अब बात आप के सयम से बहार हो जाएगी तो आप रूक जाएँ। क्या आप ने TV पे कार रेस देखा है? रेस के दौरान आप ने देखा होगा की कार कई बार एक निश्चित दुरी पूरी करने के बाद कुछ सेकंड का ब्रेक लेता है। ब्रेक में कार का टायर बदला जाता है और साथ ही कार का ड्राइवर अपने टीम के साथ आगे की रेस की रणनीति पे सलाह मशवरा भी करता है।
अपने बच्चे के साथ भी यही कीजिये। जब आप को लगे की बात अब आप के नियंत्रण से बहार हो जाएगी या जब आप को अपने बच्चे को डांटने का मन करे तो अपने बच्चे से बात करें।
इस तरह बात करें ताकि आप का बच्चा आप की बात से नाराज न हो। साथ ही अपने बच्चे के व्यवहार को अपने ऊपर हावी होने नहीं दीजिये।
अगर आप का बच्चा कुछ बोलना चाहता है आप उसे बोलने का पूरा मौका दें। उसकी बातों पे सहमति जतायें जिससे उसे लगे की आप उसकी तरफ हैं।
अपने बच्चे को हमेशा यह बताएं की आप उससे प्यार करती हैं। चाहे उससे कोई भी गलती क्योँ न हो, आप उससे प्यार करती रहेंगी। प्यार और सही परवरिश दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु हैं - और - माँ-बाप को इसमें तालमेल बना सीखना पड़ेगा।
बस एक बात का ध्यान रखियेगा - अपने बच्चों से बड़ों वाली समझदारी की उम्मीद मत रखियेगा। अपने बच्चों का लगातार सही मार्गदर्शन करते रहने से आप के बच्चे के व्यहार में सुधर आएगा। लेकिन यह सुधार एक दिन, एक सप्ताह या शायद एक महीने में न हो। लेकिन सुधार होगा जरूर।
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