Category: स्वस्थ शरीर
By: Admin | ☺10 min read
बच्चे की ADHD या ADD की समस्या को दुश्मन बनाइये - बच्चे को नहीं। कुछ आसन नियमों के दुवारा आप अपने बच्चे के मुश्किल स्वाभाव को नियंत्रित कर सकती हैं। ADHD या ADD बच्चों की परवरिश के लिए माँ-बाप को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
अधिकांश माँ-बाप अपने बच्चों को बेहतर तरह से संभल लेते हैं।
लेकिन अगर आप के बच्चे को ध्यान केंद्रित करने से सम्बंधित समस्या है जैसे की ADHD या ADD - तो फिर सिर्फ बेहतर होने से काम नहीं चलेगा।
इस बात को सुनिश्चित करने के लिए की आप का बच्चा खुश रहे, मौजूद वातावरण में अपने आप को सरलता से ढाल सके और घर के माहौल को उसके अनुकूल बनाने के लिए आप को केवल एक बेहतर माँ-बाप ही नहीं वरन उससे कहीं ज्यादा बढ़ कर बनना होगा।
ख़ुशी की बात ये है की ये सब उतना मुश्किल नहीं है जितना की आप को लग रहा होगा। दैनिक रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ छोटे-मोठे बदलाव कर के आप अपने बच्चे के लिए घर पे उचित माहौल त्यार कर सकती हैं।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे की बच्चे के लिए अनुकूल माहौल त्यार करने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
हर बच्चे में कुछ न कुछ कमी होती है और उसमे कोई न कोई ताकत होती है। कोई माँ-बाप अपने बच्चे की कमी को देखना नहीं चाहते हैं। लेकिन इस सच्चाई को अपनाने में आप जितना आप देर करेंगी उतना नुक्सान आप के बच्चे का होगा।
अगर आप के बच्चे को ADHD या ADD है तो निराश नहीं हों। आप के बच्चे में कोई कमी नहीं है। लेकिन बस अंतर इतना है की उसके मस्तिष्क के काम करने का तरीका दुसरे बच्चों से अलग है। यही उसकी ताकत है और उसकी कमजोरी भी।
अगर आप चाहती हैं की आप का बच्चा दुसरे बच्चों की तरह confident बने तो आप को उसकी कमजोरियोँ को नजरअंदाज करना पड़ेगा। ADHD या ADD बच्चों की जिन कमजोरियोँ पे आप को झुंझुलाहट हो या गुस्सा आये, उनपर बच्चों का कोई अधिकार ही नहीं होता है।
यही कारण है की आप इन बच्चों को डांट के ठीक नहीं कर सकती हैं। लेकिन अफ़सोस की बात ये है की डांटने से इन बच्चों का मनोबल कम हो जाता है। और ये दुसरे बच्चों से अपने आप को कम महसूस करने लगते हैं।
सच बात तो ये है की इन बच्चों में असीम ऊर्जा होती है, तथा रचनात्मक और पारस्परिक कौशल में इन बच्चों का कोई मुकाबला नहीं होता है।
अपने बच्चे की कमजोरी की बजाये उसकी ताकत को देखिये। आप के बच्चे के लिए वो सब मुमकिन है जो दुसरे शांत स्वाभाव के और ज्यादा समझदार दिखने वाले बच्चों के लिए मुमकिन नहीं है।
ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहाँ बहुत ऊर्जा की जरुरत पड़ती है और रचनात्मक दृष्टिकोण की जरुरत।
ऐसे क्षेत्रों में ये बच्चे सफलता की बुलंदियों को छूते हैं। अपने बच्चे की काबिलियत पे विश्वास कीजिये और उसके साथ वैसा ही बर्ताव कीजिये।
सुनने में ये शायद आप को अटपटा लगे लेकिन अगर आप चाहती हैं की आप का बच्चे का विकास दुसरे सामान्य बच्चों की तरह हो तो स्कूल से मिलने वाली बहुत सी शिकायतों को नजरअंदाज करने की आदत दाल लीजिये।
उदहारण के लिए अगर आप के बच्चे की टीचर या स्कूल के दुसरे कर्मचारी ये कहते हैं की आप का बच्चा पढाई में मन नहीं लगता है या पढाई में कमजोर है तो बच्चे को डांटे नहीं।
आप अपनी तरफ से वो सबकुछ करिये जो कर सकती हैं की आप का बच्चा पढाई में अच्छे नंबर ला सके। लेकिन अगर वो पढाई में अच्छा नहीं करता है तो उसे डांटिए भी नहीं।
डांटने से किसी भी बच्चे की ADHD या ADD की समस्या समाप्त नहीं होती है। हाँ, समस्या बढ़ जरूर सकती है। आप का कदम समस्या घटाने का होना चाहिए, बढ़ने का नहीं।
अपने बच्चे से कोई ऐसी बात न करें की उसमे हीन भावना पनपे, या उसे शर्मिंदा महसूस होना पड़े। आप का बच्चा पहले से ही ADHD या ADD की समस्या से जूझ रहा है।
आप उसके साथ अगर कड़ा रुख अपनाएंगी तो उसे लगेगा की कोई भी उसकी समस्या को समझ नहीं सकता है।
पढाई में आप के बच्चे को ज्यादा सहारे की जरुरत है (लेकिन प्यार से)। दुसरे बच्चों के मुकाबले अगर इन बच्चों ज्यादा पढाई में सपोर्ट मिले तो ये बच्चे बेहतर प्रदर्शन करना सिख लेते हैं।
जिस तरह से अस्थमा से पीड़ित बच्चे को साँस लेने में सहायता की आवश्यकता पड़ती है, और जिस तरह से मधुमेह के मरीज को इन्सुलिन के सहारे की जरुरत पड़ती है - ठीक उसी तरह से ADHD या ADD बच्चे के सिखने में मदद की जरुरत पड़ती है।
जरुरी नहीं की आप के बच्चे का IQ लेवल कम है, हो सकता है की उसका IQ लेवल दुसरे बच्चों से ज्यादा ही हो। बस अंतर इस बात का है की इन बच्चों के दिमाग के काम करने का तरीका दुसरे बच्चों से अलग है।
इसमें कोई दो राय नहीं है की ADHD या ADD बच्चों के लिए दवाएं बहुत महत्वपूर्ण है। सही दवाओं के मिलने पे ये बच्चों की ADHD या ADD की समस्या को बहुत हद तक कम कर देती हैं।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आप अपने बच्चे को दुसरे बच्चों की तरह तुलना करना शुरू कर दें। उदाहरण के लिए अगर आप का बच्चा उन चीज़ों को बार बार करता है जिन्हे की आप उसे करने के लिए मन किये हैं तो दवा देने के बाद आप ये न समझे की अब आप का बच्चा आप की बात मानने लगेगा।
समस्या बात मानने या न-मानने की नहीं है। दवा कुछ समय के लिए बच्चे के बर्ताव को नियंत्रित करेगा। उसके ADHD या ADD की समस्या को समाप्त नहीं करेगा।
आप दवाओं के डोज़ को कभी न बढ़ाएं। आप का यह सोचना की दवाओं के डोज़ को बढ़ा देने से साडी समस्या समाप्त हो जाएगी, गलत है।
आप कभी भी बच्चों को दवाओं को ले कर धमकियाँ न दें। उन्हें ये न बोलें की अगर वे बात नहीं मानेंगे तो आप उनकी दवा का डोज़ बढ़ा देंगे। इससे बच्चे के मस्तिष्क को गलत सन्देश मिलता है। आप के बच्चे के मन में यह भावना पनपेगी की वो दुसरे बच्चों की तरह सामान्य नहीं है।
दवाएं ADHD या ADD बच्चे के अंदर की अच्छे व्यवहार को उभारता है लेकिन सारी समस्या को जादुई तरीके से समाप्त नहीं कर देता है।
क्या आप ने कभी किसी अभिभावक को यह शिकायत करते सुना है की मैं अपने बच्चे को डांटी, मारी, उस पे चिल्लाई, रोई, यहां तक की प्यार से अनुरोध तक किया लेकिन बच्चे पे कोई फर्क नहीं पड़ा।
समस्या यहीं पे है। जो सबसे कारगर तरीका है, उसके बारे में तो आप ने सोचा भी नहीं। - बच्चे में जो भी थोड़ा बहुत अच्छी बातें हैं उसके लिए कभी प्रोत्साहित नहीं किया गया, उसकी कभी भी तारीफ नहीं की गयी।
सिर्फ डांटने से बच्चे को लगेगा की यही तरीका है बड़ों के बर्ताव करने का। लेकिन जो मुख्या बात है वो बच्चा कभी नहीं सीखेगा।
मुख्या बात है बच्चे में गलत और सही का भेद करना सीखना। इस बात का एहसास होना की उनके काम का बड़ों के व्यहार पे प्रभाव पड़ता है।
जब वे अच्छा काम करते हैं तो बड़ों पे उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है और जब वे बुरा काम करते हैं तो वो काम बड़ों को पसंद नहीं आता है।
इस तरह से कुछ समय बाद बच्चे अच्छे और बुरे काम में भेद करना सिख जाते हैं।
सजा का अपना एक महत्व है। लेकिन सजा कभी भी मारने या डांटने के रूप में न हो। यह हमेशा आखरी रास्ता हो।
ADHD या ADD बच्चे के स्वाभाव को नियंत्रित करने और उन्हें अनुशाषित करने का सबसे बढ़िया तरीके है की उनकी उम्र के अनुसार उन्हें ऐसे लक्ष्य दिए जाएँ जो वे आसानी से पूरा कर सके। पूरा करने पर आप उन्हें इनाम दें जिससे की उन्हें प्रोत्साहन मिले। उन्हें लगे की उन्होंने कुछ हासिल किया है।
अपने बच्चे को उसकी ADHD या ADD की समस्या से उपजे व्यवहार के लिए सजा न दें। आप को यह समझने की आवश्यकता है की उसका यह व्यवहार उसकी नियंत्रण से बाहर है।
क्या यह उचित होगा की आप 10 साल के बच्चे को बोलें की वह अपना बिस्तर खुद बनाये? अब कल्पना कीजिये की कुछ समय बाद आप बच्चे को बिना बने बिस्तर पे खेलते हुए पाएं, तो क्या यह उचित होगा की आप उसे डांटे?
ठीक उसी तरह जिस तरह बच्चे की उम्र के अनुसार आप उससे उपेक्षा करती हैं, बच्चे की ADHD या ADD की समस्या को ध्यान में रख कर आप उससे उपेक्षा करें। जो व्यवहार उसकी नियंत्रण में नहीं है उसके लिए आप उसे न डांटे।
ADHD या ADD की समस्या से ग्रसित बच्चे इसलिए आप की बात को नजर अंदाज [नहीं] कर देते हैं की वे जिद्दी है - बल्कि वे आप की बात को मानने से चूक जाते हैं क्योँकि उनकी समस्या ये है की उनका ध्यान बहुत जल्दी और बहुत आसानी से भटक जाता है।
उनका यह स्वाभाव उनकी नियंत्रण से बाहर है। उसकी इस व्यवहार के लिए जब आप उसे बार-बार सजा देती हैं तो कुछ समय बाद आप की आज्ञा मानने की उनकी इक्षा समाप्त हो जाती है। आप से अच्छे व्यवहार की उनकी उम्मीद भी ख़त्म हो जाती है।
ऐसी स्थिति का सबसे अच्छा हल ये है की आप बस अपने बच्चे को फिर से याद दिला दें।
क्या आप ने कभी किसी माँ को यह कहते सुना है की अगर टीचर बच्चों को अनुशाशन में रखना जानती तो हमारी बच्ची नहीं बिगड़ती, या स्कूल बस का ड्राइवर बच्चों को नियंत्रित करना नहीं जनता है।
अगर आप अपने बच्चे की गलतियोँ के लिए दूसरों पे दोषारोपण करती रहेंगी तो आप के बच्चे पे इसका गलत असर पड़ेगा।
आप के बच्चे को लगेगा की गलतियों को क्योँ सुधारा जाये जब की यह बड़ों की जिम्मेदारी है। आप का बच्चा अपने सारी गलतियोँ के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना सीखेगा। और वो ये सब सीखेगा आप से।
अगर आप हर समय बच्चे को कोसती रहेंगी तो आप का बच्चा आप की बात पे विश्वास करना शुरू कर देगा। आप चाहे कितना भी परेशां हो, अपने बच्चे को कभी भी आलसी न कहें। बच्चे को कुछ भी ऐसा न कहें जिससे की उसका मनोबल कम हो।
उदाहरण के लिए अपने बच्चे को यह कहने की बजाये की "तुम कितने आलसी की तुम अपना कमरा भी साफ नहीं कर सकते" यह कहिये "तुम्हारा कमरा कितना गन्दा हो गया है, मुझे दर है की कहीं तुम खिलौनों पे फिसल के गिर न जाओ - चलो मिल कर ठीक करते हैं"।
चाहे आप के बच्चे का व्यवहार कितना भी निराशाजनक क्योँ न हो - आप को इस बात का ध्यान रखना है की ADHD या ADD समस्या है - आप का बच्चा नहीं। आप को अपने बच्चे के साथ मिल कर उसकी इस समस्या से लड़ना है।
कुछ माँ-बाप आदतन बच्चे की हर बात को "ना" कह कर टाल देते हैं। वे यह जानने की जेहमत नहीं उठाते हैं की जो बच्चा कह रहा है उसमे हाँ कहने से कोई हानी नहीं है।
इसका नतीजा यह होता है की जो बच्चे आवेग में आ कर काम करते हैं जैसे की ADHD या ADD की समस्या से ग्रसित बच्चे, वे माँ-बाप की बातों का विद्रोह करना सिख जाते हैं।
बच्चे की हर बात का उत्तर "ना" में नहीं दें। अगर आप का बच्चा कुछ करने के लिए आप की आज्ञा मांगे तो आप उसे " हाँ " में उत्तर दें। केवल उन कामों के लिए " ना " कहें जिन्हे करने से कोई खतरा हो। आप अपनी विवेक का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
उदाहर के लिए अगर आप का बच्चा बाहर जो कर खेलना चाहता है। मगर आप चाहती है की वो बैठकर अपना होमवर्क पूरा करे।
ऐसी स्थिति में " नहीं " कहने की बजाये आप बच्चे के साथ बातचीत से हल नकलें की किस तरह उसका खेलना भी हो जाये और उसका होमवर्क भी पूरा हो जाये। इस तरह से आप का बच्चा आप की बात मानने में ज्यादा सहयोग करेगा।
हर बच्चे में कुछ अच्छाई तो कुछ बुराई होती है। अपने बच्चे की बुरी आदतों को ख़तम करने की होड़ में आप उसकी अच्छी आदतों को नजरअंदाज न करें।
कुछ माँ-बाप को बच्चे में केवल बुराई ही दिखती है। ऐसे बच्चों में कुछ समय के बाद हीन भावना पनपने लगती है।
जब आप बच्चे की बुरी आदतों के लिए डांटती है तो उसकी अच्छी आदतों के लिए सराहें भी। इससे आप का बच्चा सीखेगा की आप को कौन से बात अच्छी लगती है और कौन से बात नहीं।
अपने बच्चे के साथ हर दिन कुछ समय हंसी-खेल में बिताएं।
माँ-बाप सबसे ज्यादा बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। बच्चे हर वक्त आप के स्वाभाव को देखते हैं - उस वक्त भी जब आप को लगे की वे अपने खेल में मग्न हैं।
पति-पत्नी के बीच क्या बात चल रही है, बच्चे बड़े ध्यान से सुनते हैं, उस वक्त भी जब आप को लगे की बच्चे दुसरे काम में बहुत मग्न हैं।
अपने व्यवहार से बच्चे के सामने एक अच्छा आदर्श प्रस्तुत करें। पति-पत्नी आपस में लड़ें नहीं।
बच्चे के व्यहार से अगर आप को बहुत गुस्सा आये तो आप अपना सयम न खोएं, धीरज से काम लें। बच्चे पे चिल्लाने की बजाये ठंडी साँस लें और कुछ देर के लिए कमरे से बाहर चले जाएँ। या फिर कुछ ऐसा करें जिससे की आप का गुस्सा शांत हो जाये। आप का बच्चा "गुस्से पे नियंत्रण रखने" के महत्व को को सीखेगा।
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