Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
समय से पहले बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करने के फायदे तो कुछ नहीं हैं मगर नुकसान बहुत हैं| बच्चों के एलर्जी सम्बन्धी अधिकांश समस्याओं के पीछे यही वजह हैं| 6 महीने से पहले बच्चे की पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होती है|

विश्व स्तर पे बाल रोग विशेषज्ञ की राय माने तो बच्चे को 6 महीने से पहले ठोस आहार नहीं देना चाहिए। साफ शब्दों में बच्चे को स्तनपान (माँ के दूध) के आलावा या formula milk के आलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए (पानी तक नहीं)। उनके अनुसार बच्चों की weaning की सही उम्र है 6 month।
इसका कारण यह है की 6 महीने से पहले बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है। जिसके कारण बच्चे को ठोस आहार देने पर बच्चे के अविकसित पाचन तंत्र पे दबाव पड़ता है और इसका आसार बच्चे को पूरी उम्र झेलना पड़ता है। छोटे बच्चों में खाने की एलर्जी होने का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है। जब बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित हो जाता है तब उस विशेष आहार के प्रति बच्चे की एलर्जी भी समाप्त हो जाती है।
अगर 6 महीने से पहले ही बच्चा खाने का प्रति रूचि दिखाने लगे तभी बच्चे को ठोस आहार देना शुरू न करें। इस उम्र में बच्चे बहुत तेज़ी से बड़ों की नक़ल कर के सीखते हैं। जाहिर है की खाने में उसकी रूचि नहीं है बल्कि वो सिर्फ नक़ल करना चाहता है। यहां हम आपको बता रहें की बच्चे को 6 महीने से पहले क्योँ नहीं कुछ देना चाहिए।
खांसी और जुकाम आमतौर पर सर्दी के वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ये आम तौर पर अपने आप दूर हो जाते हैं, और एंटीबायोटिक दवाएं आमतौर पर किसी काम की नहीं होती हैं। पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें की आप के बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पीने मिल रहा है।
विटामिन डी (Vitamin D) एक ऐसा विटामिन है जिसके लिए डॉक्टर की परामर्श की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसे कोई भी आसानी से बिना मेडिकल प्रिसक्रिप्शन के दवा की दुकान से खरीद सकता है। विटामिन डी शरीर के कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में कई तरह से मदद करता है। उदाहरण के लिए यह शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में सहायता करता है। मजबूत और सेहतमंद हड्डियों के निर्माण में सहायता करता है। तथा यह विटामिन शरीर को कई प्रकार के संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन अगर आप गर्भवती हैं या फिर गर्भ धारण करने का प्रयास कर रही है तो विटामिन डी (Vitamin D) के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य परामर्श कर ले।
गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी लेना, गर्भ में पल रहे शिशु के लिए घातक हो सकता है। कुछ शोध में इस प्रकार के संभावनाओं का पता लगा है कि गर्भावस्था के दौरान सप्लीमेंट के रूप में विटामिन सी का आवश्यकता से ज्यादा सेवन समय पूर्व प्रसव (preterm birth) को बढ़ावा दे सकता है।
बहुत सारे माँ बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या वे अपने बच्चे को UHT milk 'दे सकते हैं' या 'नहीं'। माँ बाप का अपने बच्चे के खान-पान को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है और जायज भी। ऐसा इस लिए क्यूंकि बच्चों के खान-पान का बच्चों के स्वस्थ पे सीधा प्रभाव पड़ता है। कोई भी माँ बाप अपने बच्चों के स्वस्थ के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है।
हर 100 में से एक शिशु बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) विकार से प्रभावित होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से पीड़ित शिशु में आप दो प्रकार का व्यवहार पाएंगे एक अत्यधिक आत्मविश्वासी वाला और दूसरा अत्यधिक हताश की स्थिति वाला।
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
बच्चे राष्ट्र के निर्माता होते हैं ,जिस देश के बच्चे जितने शक्तिशाली होंगे , वह देश उतना ही मजबूत होगा। बालदिवस के दिन देश के नागरिको का कर्त्तव्य है की वे बच्चों के अधिकारों का हनन न करें , बल्कि उनके अधिकारों की याद दिलाएं।देश के प्रत्येक बच्चे का मुख्य अधिकार शिक्षा ग्रहण कर अपना सम्पूर्ण विकास करना है , यह उनका मौलिक अधिकार है। - children's day essay in hindi
जाने की किस तरह से ह्यूमिडिफायर (Humidifier) बंद नाक और जुकाम से रहत पहुंचता है। साथ ही ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी सीखें। छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम और बंद नाक से रहत पहुँचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल की राय देते हैं। ठण्ड के दिनों में कमरे में कई कारण से नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। इससे शिशु को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
शिशु के नौ महीने पुरे होने पे केवल दो ही टीके लगाने की आवश्यकता है - खसरे का टीका और पोलियो का टिका। हर साल भारत में 27 लाख बच्चे खसरे के संक्रमण के शिकार होते है। भारत में शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण खसरा है।
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
बच्चे के पांच महीने पुरे करने पर उसकी शारीरिक जरूरतें भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में जानकारी जरुरी है की बच्चे के अच्छी देख-रेख की कैसे जाये। पांचवे महीने में शिशु की देखभाल में होने वाले बदलाव के बारे में पढ़िए इस लेख में।
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
Benefits of Breastfeeding for the Mother - स्तनपान करने से सिर्फ बच्चे को ही नहीं वरन माँ को भी कई तरह की बीमारियोँ से लड़ने का ताकत मिलता है। जो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं उनमें स्तन कैंसर और गर्भाशय का कैंसर होने की सम्भावना नहीं के बराबर होती है।
माँ के दूध से मिलने वाले होर्मोनेस और एंटीबाडीज बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है| ये बच्चे के शरीर को viruses और bacteria से मुकाबला करने में सक्षम बनता है| स्तनपान वाले बच्चों में कान का infection, साँस की बीमारी और diarrhea कम होता है| उन बच्चों को डॉक्टर को भी कम दिखाना पड़ता है|
हेपेटाइटिस A वैक्सीन (Hepatitis A Vaccine Pediatric in Hindi) - हिंदी, - हेपेटाइटिस A का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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गर्मियों में नाजुक सी जान का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मगर थोड़ी से समझ बुझ से काम लें तो आप अपने नवजात शिशु को गर्मियों के मौसम में स्वस्थ और खुशमिजाज रख पाएंगी।
नाक से खून बहने (nose bleeding in children) जिसे नकसीर फूटना भी कहते हैं, का मुख्या कारण है सुखी हवा (dry air)। चाहे वो गरम सूखे मौसम के कारण हो या फिर कमरे में ठण्ड के दिनों में गरम ब्लोअर के इस्तेमाल से। ये नाक में इरिटेशन (nose irritation) पैदा करता है, नाक के अंदुरुनी त्वचा (nasal membrane) में पपड़ी बनता है, खुजली पैदा करता है और फिर नकसीर फुट निकलता है।