Category: बच्चों का पोषण

6 माह से पहले ठोस आहार है बच्चे के लिए हानिकारक

By: Salan Khalkho | 2 min read

समय से पहले बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करने के फायदे तो कुछ नहीं हैं मगर नुकसान बहुत हैं| बच्चों के एलर्जी सम्बन्धी अधिकांश समस्याओं के पीछे यही वजह हैं| 6 महीने से पहले बच्चे की पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होती है|

6 माह से पहले ठोस आहार है बच्चे के लिए हानिकारक

विश्व स्तर पे बाल रोग विशेषज्ञ की राय माने तो बच्चे को 6 महीने से पहले ठोस आहार नहीं देना चाहिए। साफ शब्दों में बच्चे को स्तनपान (माँ के दूध) के आलावा या formula milk के आलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए (पानी तक नहीं)। उनके अनुसार बच्चों की weaning की सही उम्र है 6 month। 

इसका कारण यह है की 6 महीने से पहले बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है। जिसके कारण बच्चे को ठोस आहार देने पर बच्चे के अविकसित पाचन तंत्र पे दबाव पड़ता है और इसका आसार बच्चे को पूरी उम्र झेलना पड़ता है। छोटे बच्चों में खाने की एलर्जी होने का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है। जब बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित हो जाता है तब उस विशेष आहार के प्रति बच्चे की एलर्जी भी समाप्त हो जाती है। 

विश्व स्तरया स्वस्थ्य संस्थाएं जो 6 महीने से पहले आहार न देने की सलाह देती हैं:

  • World Health आर्गेनाइजेशन
  • UNICEF
  • The American Academy of Family Physicians
  • National Health & Medical Research Council

 

6 महीने से पहले आहार क्योँ नहीं देना चाहिए 

अगर 6 महीने से पहले ही बच्चा खाने का प्रति रूचि दिखाने लगे तभी बच्चे को ठोस आहार देना शुरू न करें। इस उम्र में बच्चे बहुत तेज़ी से बड़ों की नक़ल कर के सीखते हैं। जाहिर है की खाने में उसकी रूचि नहीं है बल्कि वो सिर्फ नक़ल करना चाहता है। यहां हम आपको बता रहें की बच्चे को 6 महीने से पहले क्योँ नहीं कुछ देना चाहिए।   

  1. बच्चे के पेट में पतली चमड़ी की परत पूरी तरह विकसित नहीं होती है। जिस कारण कई प्रकार के आहार से बच्चे को एलर्जी, गैस, rash, उलटी और भी कई दिक्ततें हो सकती हैं। 
  2. बच्चों में भोजन को पचाने वाले enzymes का निर्माण 3 से 4 महीने के बाद से ही शुरू होता है। ये enzymes सहायता करते हैं fats, starches, और carbohydrates को पचाने में।   
  3. समय से पहले जिन बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत की गई वे बच्चे हमेशा के लिए भोजन से दूर भागने लगे। 
  4. शोध में यह बात पायी गई है की देरी से बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करने पे बच्चों को पेट से सम्बंधित विकार (gastroenteritis), मधुमेह (diabetes), और मोटापे (obesity) की समस्या 6 गुना कम होती है। 
  5. जो माताएं आपने बच्चे को 7 महीने से ज्यादा समय तक दूध पिलाती हैं उन बच्चों में anemia होने की सम्भावना बेहद कम होती है। 
  6. बच्चे के गले में ठोस आहार फसने की सम्भावना भी बहुत कम रहती है। 6 महीने की उम्र तक पहुँचते पहुँचते  बच्चे अपनी गर्दन स्थिर रखना प्रारम्भ कर देते हैं। बच्चों को पीट के बल लेते लेते भोजन कभी न कराएं। 

माताओं को 6 महीने तक weaning के लिए क्योँ इंतज़ार करना चाहिए

  • ठोस आहार दूध जितने पौष्टिक नहीं होते। इनमे कैलोरी तो बहुत हो सकते हैं मगर पोषण दूध से काफी कम होता है। इसी वजह से आगे चलकर बच्चों में मोटापे की समस्या हो सकती है। 
  • एक छोटे बच्चे के लिए ठोस आहार को घोटन दूध पिने जितना आसान नहीं होता। अगर बच्चा ठीक से घोटने की छमता विकसित नहीं किया है तो वो ठीक तरह से ठोस आहार घोट नहीं पायेगा। 
  • ठोस आहार बच्चे में कई तरह के सेहत से सम्बंधित समस्याएं पैदा कर सकते हैं जैसे की  allergies and eczema। शोध में यह पाया गया है की  diabetes और celiac disease रोग के पीछे कारण ठोस आहार का समय से पहले शुरू करना ही है। 
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

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UHT milk के बारे में सबसे पहले तो यह जान ले की आप अपने बच्चे को निसंकोच, बिना किसी चिंता के दे सकती हैं। UHT milk बच्चों के स्वस्थ के लिए बेहद सुरक्षित और स्वास्थवर्धक है। अगर आप का शिशु १२ महीने का हो गया है तो आप उसे UHT milk या गाए का दूध देना प्रारंभ कर सकती हैं। 12 महीने से पहले बच्चों को माँ के दूध के आलावा और कोई दूध नहीं देना चाहिए। जिन माओं का दूध बच्चों को पूरा नहीं पड़ता है या जो माताएं अपने बच्चों को किसी भी कारण से दूध पिलाने में आसमर्थ है वे अपने बच्चे को फार्मूला मिल्क दे सकती हैं।

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