Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺17 min read
अक्सर माताओं के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण रहता है की बच्चो को क्या दें की उनले बढ़ते शरीर को पोषक तत्वों की उचित खुराक मिल सके। कोई भी नया भोजन जब आप पहली बार बच्चे को देते हैं तो वो नखड़े कर सकता है। ऐसे मैं यह - 3 साल तक के बच्चे का baby food chart आप की मदद करेगा। संतुलित आहार चार्ट

जब आपका बच्चा 1-3 साल का होता है तो उसका आहार बहुत महत्वपूर्ण है। इस उम्र में बच्चे के शरीर को पोषण की आवश्यकता बहुत ज्यादा होती है। अलग अलग तरह के पोषण (nutrients) अगर बच्चे को इस उम्र में नहीं मिले तो, यह बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है। इस उम्र में बच्चे को आप दाल, पतला सब्जी (vegetable soup), चना आदि दे सकते हैं।
1-3 साल के बच्चे का आहार इस तरह होना चाहिए की उसके शरीर की आवश्यकता अनुसार उसे carbohydrates, vitamins, minerals और fats की उचित मात्रा मिल सके - संतुलित आहार चार्ट।
अक्सर माताओं के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण रहता है की बच्चो को क्या दें की उनले बढ़ते शरीर को पोषक तत्वों की उचित खुराक मिल सके। कोई भी नया भोजन जब आप पहली बार बच्चे को देते हैं तो वो नखड़े कर सकता है। लेकिन अगर आप लगे रहें तो समय के साथ आप के बच्चे को सभी तरह के भोजन पसंद आने लगेंगे।
चूँकि 1-3 साल का बच्चा बहुत तीव्र गति से विकासशील होता है उसके शरीर को ज्यादा पोषकतत्व की आवश्यकता होती है। जरुरी नहीं की जो आहार आप बच्चे को दे रहें हैं उसमे इतना पोषक तत्त्व (nutrients) हो जो बच्चे की nutritional requirements को पूरा कर सके। ऐसे मैं आप बच्चों के आहार में पोषक तत्त्व (nutrients) बढ़ाने के लिए यह तीन युक्तियाँ कर सकती हैं:
सुबह के नाश्ते और दोपहर के खाने के बीच का जो समय होता है उसे आप snacks time कह सकते हैं। इस वक्त कभी-कभी बच्चे कुछ खाने के लिए मांग करते हैं। अगर बच्चा मांगे कुछ खाने के लिए तो उसे दें। मगर इस बात का ध्यान रखें की जो भी बच्चे को खाने को दें उससे बच्चे को पोषक तत्त्व (nutrients) मिले। Snacks में आप बच्चे को एक कटोरा कटे-हुए-फल, फलों का जूस, विभिन प्रकार के सब्जियों का soup दे सकतेहैं। हर दिन बच्चे को कुछ नया दें ताकि आपका बच्चा एक ही snacks रोज-रोज खा कर बोर न हो जाये।
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आप के बच्चे का सुबह का नाश्ता बहुत ही पौष्टिक होना चाहिए और उतना ही पौष्टिक दोपहर का भोजन भी होना चाहिए। भोजन में आप अपने बच्चे को दाल, पनीर, स्वादिष्ट सब्जियां, भिंडी, पत्ता गोभी, मटर और गाजर, रोटी के साथ परोस सकते हैं। भोजन में आप अपने बच्चे को थोड़ा सा सलाद भी अवशय दें।
शाम के वक्त आप अपने बच्चे को स्वादिष्ट नाश्ता दे सकते हैं। 3 साल के बच्चे को fast food या ready-made snacks न दें। अगर आप अपने बच्चे को नाश्ते मैं घर का बना burgers, noodles, pizzas और sandwiches दे रहे हैं तो ध्यान रखें की उसे साथ में ढेर सारी मौसमी सब्जियां भी दें। जैसे की आप उसे snacks के साथ बोड़ा, beans, गाजर, टमाटर, शिमला मिर्च (capsicum), और मटर दे सकते हैं। नाश्ते के साथ आप अपने बच्चे को smoothies भी दे सकते हैं।
रात का खाना आप के बच्चे का दिन का आखरी भोजन है। इसीलिए इसमें ढेर सरे पौष्टिक तत्त्व (nutrients) होने चाहिए - मगर फिर भी, आप के छोटे से बच्चे के पेट के लिए हलके होने चाहिए। रात के खाने में अगर आप अपने बच्चे को गरिष्ट भोजन देंगे तो बच्चे को उसे पचाने में तकलीफ होगी, रात भर बेचैनी लगी रहेगी, ठीक से सो भी नहीं पायेगा, उसे पेट दर्द, अपच, और उलटी भी हो सकती है। इसीलिए रात्रि भोजन में आप अपने बच्चे को पौष्टिक आहार तो दें मगर ऐसा जो की हल्का-फुल्का भोजन ही हो। आप अपने बच्चे को dinner में सब्जी और पराठा दे सकते हैं या फिर आप उसे मुंग का दाल और साथ में एक कटोरा दही दे सकते हैं। खाने के बाद आप अपने बच्चे को गाजर का हलवा या फिर खीर भी दे सकते हैं।
मां के दूध पर निर्भर रहना और फाइबर का कम सेवन करने के कारण अक्सर बच्चे को कब्ज की समस्या बनी रहती है। ठोस आहार देने के बावजूद बच्चे को सामान्य होने में समय लगता है। इन दिनों उसे मल त्यागने में काफी दिक्कत हो सकती है।
अधिकांश मां बाप को इस बात के लिए परेशान देखा गया है कि उनके बच्चे सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं। शायद यही वजह है कि भारत में आज बड़ी तादाद में बच्चे कुपोषित हैं। पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां शिशु के शरीर में कई प्रकार के पोषण की आवश्यकता को पूरा करते हैं और शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सब्जियों से मिलने वाले पोषक तत्व अगर शिशु को ना मिले तो शिशु का शारीरिक विकास रुक सकता है और उसकी बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। हो सकता है शिशु शारीरिक रूप से अपनी उचित लंबाई भी ना प्राप्त कर सके। मां बाप के लिए बच्चों को सब्जियां खिलाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अक्षर मां बाप यह पूछते हैं कि जब बच्चे सब्जियां नहीं खाते तो किस तरह खिलाएं?
गर्भावस्था में महिलाओं को पेट के साथ साथ स्तनों के पास वाली त्वचा में खुजली का सामना करना पड़ता है। यह इस लिए होता है क्यूंकि गर्भावस्था के दौरान अत्याधिक हार्मोनल परिवर्तन और त्वचा के खिचाव की वजह से महिलाओं की त्वचा अत्यंत संवेदनशील हो जाती है जिस वजह से उन्हें खुजली या अन्य त्वचा सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भवती स्त्री के गर्भ में जैसे जैसे शिशु का विकास होता है और वो आकर में बढता है, पेट की त्वचा बहुत स्ट्रेच हो जाती है। पेट पे रक्त संचार भी बढ़ जाता है। पेट की त्वचा के स्ट्रेच होने और रक्त संचार के बढ़ने - दोनों - की वजह से भी पेट में तीव्र खुजली का सामना करना पड़ जाता है। इस लेख में हम आप को विस्तार से बताएँगे की खुजली की समस्या को गर्भावस्था के दौरान किस तरह से कम किया जा सकता है और इनके क्या क्या मुख्या वजह है।
इस असान तरीके से बच्चों के दांतों के संक्रमण को समय रहते पहचाने ताकि बच्चों को दांतों के दर्द से बचाया जा सके। सभी जानते हैं की दांतों का दर्द कितना कितना कष्टकारी होता है। बच्चे दिन भर कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं इस वजह से उनके दांतों में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। बच्चों के दांतों में संक्रमण को पहचानने के 7 तरीके।
छोटे बच्चों के मसूड़ों के दर्द को तुरंत ठीक करने का घरेलु उपाय हम आप को इस लेख में बताएँगे। शिशु के मसूड़ों से सम्बंधित तमाम परेशानियों को घरेलु नुस्खे के दुवारा ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपाय के दुवारा बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने का सबसे बड़ा फायेदा ये होता है की उनका कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। यह शिशु के नाजुक शारीर के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का भी डर नहीं रहता है। लेकिन बच्चों का घरेलु उपचार करते समय आप को एक बात का ध्यान रखना है की जो घरेलु उपचार बड़ों के लिए होते हैं - जरुरी नहीं की बच्चों के लिए भी वह सुरक्षित हों। उदाहरण के लिए जब बड़ों के मसूड़ों में दरद होता है तो दांतों के बीच लोंग दबा लेने से आराम पहुँचता है। लेकिन यह विधि बच्चों के लिए ठीक नहीं है क्यूंकि इससे बच्चों को लोंग के तेल से छाले पड़ सकते हैं। बच्चों के लिए जो घरेलु उपाय निर्धारित हैं, केवल उन्ही का इस्तेमाल करें बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए।
बच्चों का शारीर कमजोर होता है इस वजह से उन्हें संक्रमण आसानी से लग जाता है। यही कारण है की बच्चे आसानी से वायरल बुखार की चपेट पद जाते हैं। कुछ आसन घरेलु नुस्खों के दुवारा आप अपने बच्चों का वायरल फीवर का इलाज घर पर ही कर सकती हैं।
ये पांच विटामिन आप के बच्चे की लंबाई को बढ़ने में मदद करेगी। बच्चों की लंबाई को लेकर बहुत से मां-बाप परेशान रहते हैं। हर कोई यही चाहता है कि उसके बच्चे की लंबाई अन्य बच्चों के बराबर हो या थोड़ा ज्यादा हो। अगर शिशु को सही आहार प्राप्त हो जिससे उसे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके जो उसके शारीरिक विकास में सहायक हों तो उसकी लंबाई सही तरह से बढ़ेगी।
दांतों का दर्द बच्चों को बहुत परेशान कर देने वाला होता है। इसमें ना तो बच्चे ठीक से कुछ खा पाते हैं और ना ही किसी अन्य शारीरिक क्रिया में उनका मन लगता है। दांतों में दर्द की वजह से कभी कभी उनके चेहरे भी सूख जाते हैं। अगर शिशु के शरीर किसी अन्य हिस्से पर कोई चोट लगे तो आप उस पर मरहम लगा सकती हैं लेकिन दातों का दर्द ऐसा है कि जिसके लिए आप शिशु को न तो कोई दवाई दे सकती हैं और ना ही किसी स्प्रे का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसी वजह से बच्चों के दातों का इलाज करना बहुत ही चुनौती भरा काम है।
डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
घर पे आसानी से बनायें अवोकाडो और केले की मदद से पौष्टिक शिशु आहार (baby food)| पोटैशियम और विटामिन C से भरपूर, यह शिशु आहार बढते बच्चे के शारीरिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए एकदम सही विकल्प है|
कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
माँ के दूध से मिलने वाले होर्मोनेस और एंटीबाडीज बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है| ये बच्चे के शरीर को viruses और bacteria से मुकाबला करने में सक्षम बनता है| स्तनपान वाले बच्चों में कान का infection, साँस की बीमारी और diarrhea कम होता है| उन बच्चों को डॉक्टर को भी कम दिखाना पड़ता है|
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।
मसाज तथा मसाज में इस्तेमाल तेल के कई फायदे हैं बच्चों को। मालिश शिशु को आरामदायक नींद देता है। इसके साथ मसाज के और भी कई गुण हैं जैसे की मसाज बच्चे के वजन बढ़ने में मदद करा है, हड़ियों को मजबूत करता है, भोजन को पचने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में सुधार लता है।