Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺7 min read
ठण्ड के मौसम में माँ - बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की शिशु को सर्दी जुकाम से कैसे बचाएं। अगर आप केवल कुछ बातों का ख्याल रखें तो आप के बच्चे ठण्ड के मौसम न केवल स्वस्थ रहेंगे बल्कि हर प्रकार के संक्रमण से बचे भी रहेंगे।

क्या आप इस बात से परेशान हैं की
अपने शिशु को सर्दी जुकाम से कैसे बचाएं?
ठण्ड के दिनों में उसे कैसे स्वस्थ रखें?
ठण्ड के दिनों में जैसे जैसे पारा ढुलकता है, संक्रमण का प्रकोप उतनी तेज़ी से फैलता है। जुकाम के विषाणु (flu virus) वातावरण में हर तरफ फैले रहते हैं।
बच्चों की रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) बड़ों की तुलना में विकसित नहीं होती है, इसलिए बच्चे बड़े ही आसानी से संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।
लेकिन अगर आप कुछ बातों का ख्याल रखें तो आप के बच्चे सर्दी और जुकाम के संक्रमण से बचे रह सकते हैं।
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शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार, जुकाम के अधिकांश विषाणु (virus) airborne होते हैं। इसका मतलब है की वे हमारे चरों तरफ मौजूद वायु में आराम से रह सकते हैं और संपर्क में आने पे वे हमे बीमार (संक्रमित) भी कर सकते हैं।
सर्दी और जुकाम के वायरस contagious होते हैं, मतलब की इनका संक्रमण एक इंसान से दुसरे इंसान को आसानी से लग जाता है।
जब संक्रमित व्यक्ति खांसता है, नाक छिनकता है, तो जुकाम के संक्रमण वायु में फ़ैल जाते हैं और फिर जो भी उनके संपर्क में आता है, उसे जुकाम के वायरस का संक्रमण लग जाता है।
नियमित रूप से आप अपने और अपने बच्चे के हातों को साफ़ रख कर उसे सर्दी जुकाम से से बचा सकती हैं। आप अपने हातों को धोएं जब भी आप अपने शिशु के डायपर को बदलें या फिर जब भी आप उसे बहते नाक को पोछें।

अपने शिशु के लिए या घर के बाकि सदस्यों के लिए आहार त्यार करते वक्त भी आप अपने हातों को धो कर साफ़ कर लें। जब भी आप का शिशु daycare से वापस आये उसका हाथ धुलाये।
घर के बाकि सदस्य जैसे की उसके दुसरे भाई बहन या बड़े जो बच्चे के साथ खेलें या उसे गोदी में उठायें, उन्हें भी बच्चे को छूने से पहले हाथ धोने को कहें। अपने शिशु के हातों को भी नियमित रूप से धोते रहें, विशेषकर उसे आहार देने से पहले।
अगर आप अपने शिशु को daycare में भेज रही हैं तो वहां के caregivers से daycare के कर्मियों और कार्य कर्ताओं के सफाई से सम्बंधित नियमों के बारे में पता करें। अगर daycare में सफाई सम्बंधित कोई नियम नहीं है, संतोषजनक नहीं है, तो आप अपने बच्चे का daycare बदल दें।

अपने शिशु को ऐसे daycare में डालें जहाँ पे बीमार बच्चों को स्वस्थ बच्चों से दूर रखने सम्बन्धी नियम हैं। बहुत से daycare ऐसे हैं जहाँ पे अगर बच्चे को बुखार, उलटी, आखों का संक्रमण, जुखाम, दस्त, या बीमारी के कोई अन्य लक्षण है तो वे अभिभावकों से बच्चों को तबतक घर पे ही रखने की सलाह देते हैं जब तक उनका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाये।
आप अपने शिशु को सारे टिके समय पे लगवाएं। भारत सरकार दुवारा बच्चों का टीकाकरण चार्ट 2018, के अनुसार सभी टिके बच्चे को लगवाएं। भारत सरकार दुवारा जारी राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी 2018 में बहुत से ऐसे बिमारियों के टिके समिलित किये गए हैं जो बच्चों के लिए जानलेवा होआ सकते हैं।

राष्ट्रीय टीकाकरण के अंतर्गत लगने वाले टीके शिशु को इन जन लेवा बिमारियौं से बचाते हैं। आप अपने बेबी टीका लिस्ट तयार करिए और सुनुश्चित करिए की आप के बच्चे सभी चिन्हित बिमारियौं के प्रति सुरक्षित हो सके।
शिशु को स्तनपान कराने से उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्राकृतिक छमता उत्पन होती है। आप अपने शिशु को कम से कम एक साल तक स्तनपान अवशय कराएं। शुरुआत के छह महीने शिशु को स्तनपान के आलावा कुछ भी न दें।

शिशु को स्तनपान से उसके आवशकता के अनुरूप सारे पोषक तत्त्व मिल जाते हैं। साथ ही शिशु को स्तनपान से उसके माँ के शरीर के एंटीबॉडीज (antibodies) भो मिल जाते हैं जो उसके शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए त्यार करते हैं।
आप चाहे जितना भी जतन कर लें लेकिन शिशु को पहले तीन साल में कई बार सर्दी और जुकाम का संक्रमण लगेगा। ऐसा इसलिए क्योँकि शिशु की रोग प्रतिरोधक तंत्र बड़ों की तरह मजबूत नहीं है।

शिशु को सर्दी और जुकाम है, और इस वजह से उसकी नाक बंद है तो आप दिन में कई बार उसके नाक में नेसल ड्राप (saline nose drops) का इस्तेमाल करें। इससे उसके नाक में और छाती में जमा कफ (बलगम/mucus) पतला हो जायेगा और नाक के रस्ते बहार आ जायेगा।
बच्चे बीमार होने पे भी खेलते रहने की कोशिश करते हैं। अगर आप का शिशु बीमार है तो आप उसे आराम करने का पूरा अवसर दें। आप का बच्चा जितना बिस्तर पे आराम करेगा, उसका सर्दी और जुकाम उतना जल्दी ठीक होगा। बिस्तर पे लेटे रहने से - या - सोने बच्चे के शरीर की ऊर्जा संक्रमण से लड़ने में इस्तेमाल होती है।

सर्दी जुकाम से बच्चे की नाक और छाती में कफ जमा हो जाता है। इससे बच्चे को साँस लेने में बहुत तकलीफ होती है। आप शिशु के कमरे में humidifier के इस्तेमाल से अपने शिशु की इस तकलीफ को कम कर सकते हैं।

ठण्ड के दिनों में कमरे में नमी का स्तर बहुत कम हो जाता है, इस वजह से बच्चे का नाक और गाला सूखने लगता है। humidifier कमरे की नमी को बढ़ा देता है और इस तरह बच्चे के गले का खराश ख़त्म हो जायेगा। नाक और छाती में कफ जमा कफ भी बहार आ जायेगा और रात में शिशु को नींद भी अच्छी आएगी।
शिशु बीमारी में बहुत तेज़ी से अपने शरीर का तरल खोते हैं। इसीलिए जब बच्चे बीमार होते हैं तो उन्हें बहुत तरल की आवशकता होती है ताकि उन्हें dehydration जैसी की समस्या का सामना न करना पड़े।

अगर आप का शिशु छह महीने से छोटा है तो उसे हर थोड़ी देर पे स्तनपान कराती रहें। छह महीने से बड़े बच्चों को ऐसा आहार दें जिस में बहुत मात्रा में तरल हो जैसी की सूप और खिचड़ी।
सर्दी और जुकाम का संक्रमण 1 से 2 सप्ताह में ठीक हो जाना चाहिए। लेकिन अगर आप के शिशु का सर्दी और जुखाम 10 दिनों से ज्यादा बना हुआ है तो आप अपने बच्चे को डॉक्टर के पास लेके जाएँ।

परिस्थिति के अनुसार डॉक्टर आप के बच्चे का कुछ परिक्षण कराने का परामर्श देगा ताकि सर्दी और जुकाम की सही वजह का पता चल सके की बच्चे का संक्रमण क्योँ ख़त्म नहीं हो रहा है।

हमेशा इस बात का ध्यान रखें की आप चाहे जितना भी सावधानी अपनी तरफ से बरत, शिशु को बदलते मौसम में जुकाम लगना स्वाभाविक है क्योँकि आप के बच्चे की रोगप्रतिरोधक तंत्र आप के शरीर की रोगप्रतिरोधक तंत्र की तरह मजबूत नहीं है।

अगर आप के बच्चे को संक्रमण लग जाये तो परेशान न हों। सर्दी और जुकाम के अधिकांश संक्रमण 1 से 2 सप्ताह के अंदर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। सर्दी और जुकाम के संक्रमण आप के शिशु की रोगप्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर बार सर्दी, जुकाम और बुखार के ठीक होने के बाद आप के शिशु का रोगप्रतिरोधक तंत्र पहले से ज्यादा मजबूत हो जाता है।
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मां के दूध पर निर्भर रहना और फाइबर का कम सेवन करने के कारण अक्सर बच्चे को कब्ज की समस्या बनी रहती है। ठोस आहार देने के बावजूद बच्चे को सामान्य होने में समय लगता है। इन दिनों उसे मल त्यागने में काफी दिक्कत हो सकती है।
फूड पाइजनिंग (food poisining) के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार। बड़ों की तुलना में बच्चों का पाचन तंत्र कमज़ोर होता है। यही वजह है की बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) एक आम बात है। इस लेख में हम आपको फूड पाइजनिंग यानि विषाक्त भोजन के लक्षण, कारण, उपचार इलाज के बारे में बताएंगे। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज पढ़ें इस लेख में:
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
शिशु का जन्म पूरे घर को खुशियों से भर देता है। मां के लिए तो यह एक जादुई अनुभव होता है क्योंकि 9 महीने बाद मां पहली बार अपने गर्भ में पल रहे शिशु को अपनी आंखों से देखती है।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
भारत सरकार के टीकाकरण चार्ट 2018 के अनुसार अपने शिशु को आवश्यक टीके लगवाने से आप का शिशु कई घम्भीर बिमारियौं से बचा रहेगा। टिके शिशु को चिन्हित बीमारियोँ के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं। भरता में इस टीकाकरण चार्ट 2018 का उद्देश्य है की इसमें अंकित बीमारियोँ का जड़ से खत्म किया जा सके। कई देशों में ऐसा हो भी चूका है और कुछ वर्षों में भारत भी अपने इस लक्ष्य को हासिल कर पायेगा।
जब मछरों का आतंक छाता है तो मनुष्यों में दहशत फ़ैल जाता है। क्योँ की मछरों से कई तरह की बीमारी फैलती है जैसे की डेंगू। डेंगू की बीमारी फ़ैलतु है एक विशेष प्रकार में मछरों के द्वारा जिन्हे कहते हैं - ‘Aedes aegypti mosquito’। डेंगू एक जानलेवा बीमारी है और यह इतनी दर्दनाक बीमारी है की इसका पीड़ित जिंदगीभर इसके दुष्प्रभावों को झेलता है। जानिए की बच्चों को किस तरह डेंगू से बचाएं।
अगर आप का शिशु बहुत गुस्सा करता है तो इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है। सभी बच्चे गुस्सा करते हैं। गुस्सा अपनी भावना को प्रकट करने का एक तरीका है - जिस तरह हसना, मुस्कुराना और रोना। बस आप को अपने बच्चे को यह सिखाना है की जब उसे गुस्सा आये तो उसे किस तरह नियंत्रित करे।
अल्बिनो (albinism) से प्रभावित बच्चों की त्वचा का रंग हल्का या बदरंग होता है। ऐसे बच्चों को धुप से बचा के रखने की भी आवश्यकता होती है। इसके साथ ही बच्चे को दृष्टि से भी सम्बंधित समस्या हो सकती है। जानिए की अगर आप के शिशु को अल्बिनो (albinism) है तो किन-किन चीजों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
तीन दिवसीय नियम का सीधा सीधा मतलब यह है की जब भी आप आपने बच्चे को कोई नया आहार देना प्रारम्भ कर रहे हैं तो तीन दिन तक एक ही आहार दें। अगर बच्चे मैं food allergic reaction के कोई निशान न दिखे तो समझिये की आप का बच्चा उस नए आहार से सुरक्षित है
माँ-बाप सजग हों जाएँ तो बहुत हद तक वे आपने बच्चों को यौन शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। भारत में बाल यौन शोषण से सम्बंधित बहुत कम घटनाएं ही दर्ज किये जाते हैं क्योँकि इससे परिवार की बदनामी होने का डर रहता है। हमारे भारत में एक आम कहावत है - 'ऐसी बातें घर की चार-दिवारी के अन्दर ही रहनी चाहिये।'
अनुपयोगी वस्तुओं से हेण्डी क्राफ्ट बनाना एक रीसाइक्लिंग प्रोसेस है। जिसमें बच्चे अनुपयोगी वास्तु को एक नया रूप देना सीखते हैं और वायु प्रदुषण और जल प्रदुषण जैसे गंभीर समस्याओं से लड़ने के लिए सोच विकसित करते हैं।
बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर करना सिखाएं। यह भी जानिए की बच्चों को बुरी संगत से कैसे बचाएं। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दीजिये।
न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन (Knjugeted pneumococcal vaccine in Hindi) - हिंदी, - न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
ज़्यादातर 1 से 10 साल की उम्र के बीच के बच्चे चिकन पॉक्स से ग्रसित होते है| चिकन पॉक्स से संक्रमित बच्चे के पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियाँ विकसित होती हैं। यह दिखने में खसरे की बीमारी की तरह लगती है। बच्चे को इस बीमारी में खुजली करने का बहुत मन करता है, चिकन पॉक्स में खांसी और बहती नाक के लक्षण भी दिखाई देते हैं। यह एक छूत की बीमारी होती है इसीलिए संक्रमित बच्चों को घर में ही रखना चाहिए जबतक की पूरी तरह ठीक न हो जाये|