Category: प्रेगनेंसी
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महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने की समस्या बहुत से कारणों से हो सकती है। अगर आप आने वाले दिनों में प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं तो हम आपको बताएंगे कुछ बातें जिनका आपको खास ध्यान रखने की जरूरत है। लाइफस्टाइल के अलावा और भी कुछ कारण है जिनकी वजह से बहुत सारी महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती हैं।

महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या - कारण, लक्षण और इलाज
माँ बनना अपने आप में एक बेहद सम्मान की बात है। एक स्त्री को मां बनने पर जितनी खुशी होती है उतनी खुशी शायद ही उसे किसी और चीज से मिले।
लेकिन अफ़सोस,
कई कारणों की वजह से हर स्त्री के भाग्य में मां बनने की खुशी नहीं होती है।
क्या इसका कोई इलाज नहीं है?
हम आपको इस लेख में इससे संबंधित इलाज के बारे में बताएंगे। लेकिन इलाज के बारे में जानने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी क्यों होती है।
अगर गर्भधारण ना कर पाने की सही वजह का पता चल जाए तो उसका उचित इलाज किया जा सकता है।
महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने की समस्या बहुत से कारणों से हो सकती है। और इन सब में सबसे आम कारण है हमारा आज काल का रहन-सहन यानी लाइफ स्टाइल। इसके साथ और भी कई कारण है जिनकी वजह से बहुत सी महिलाएं मां नहीं बन पाती हैं।
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अगर आप आने वाले दिनों में प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं तो हम आपको बताएंगे कुछ बातें जिनका आपको खास ध्यान रखने की जरूरत है। लाइफस्टाइल के अलावा और भी कुछ कारण है जिनकी वजह से बहुत सारी महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती हैं।
गर्भाशय के बाहरी दीवारों की त्वचा को एन्डोमेट्रीओसिस (Endometriosis) कहते हैं। बहुत सी महिलाएं एन्डोमेट्रीओसिस (Endometriosis) की वजह से गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं।
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जब गर्भाशय की बाहरी दीवार - एन्डोमेट्रीओसिस (Endometriosis) अनियमित रूप से बढ़ने लगती है, तो इसकी वजह से गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न होती है। इसकी वजह से स्त्री को मानसिक धर्म में भी बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता है।
यह एक अवस्था है जो स्त्री के हारमोनल स्तर को प्रभावित करता है। गर्भधारण करने में स्त्री के शरीर के हार्मोन बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
जब आप गर्भधारण का प्रयास कर रही हैं तब आपके शरीर में हार्मोन का स्तर और उनके कार्य नियमित होने चाहिए। पीसीओ (PolyCystic Ovarian) से प्रभावित महिलाओं के शरीर में पुरुषों वाले हार्मोन आवश्यकता से ज्यादा बनने लगते हैं।
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जिससे उनका शरीर अपने आप को गर्भधारण के लिए तैयार नहीं कर पाता है और इस वजह से वह महिला गर्भधारण करने में असफल होती है।
इसकी वजह से महिलाओं में मानसिक धर्म में सामान्य से ज्यादा का समय भी लगता है। पीसीओ (PolyCystic Ovarian) की वजह है गर्भ में एक प्रकार के हारमोनल सिस्ट का बनना।
यह सिस्ट गर्भाशय में हार्मोन बनने की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। पीसीओ (PolyCystic Ovarian) विश्व स्तर पर महिलाओं में इनफर्टिलिटी का सबसे मुख्य कारण है।
यह एक प्रकार का गर्भाशय का संक्रमण है। यह संक्रमण जीवाणुओं के द्वारा फैलता है और इसका संक्रमण यौन क्रिया यानी कि सेक्स के दौरान होता है।
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सेक्स के दौरान संक्रमण के जीवाणु योनि मार्ग से होते हुए स्त्री के गर्भाशय तक पहुंच जाते हैं और गर्भधारण में समस्या पैदा करते हैं।
पेल्विक इन्फ्लैमटोरी डिजीज़ (Pelvic inflammatory disease) का बैक्टीरिया मुख्य रूप से स्त्री के अंडाशय, गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अन्य प्रजनन अंगों को क्षति पहुंचाता है।
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अगर आप गर्भधारण करने में समस्या का सामना कर रही है तो गौर करिए कि कहीं सेक्स के दौरान या पेशाब करते वक्त आपको दर्द, खुजली या जलन का एहसास तो नहीं होता है? अगर ऐसा है तो आपको अपना टेस्ट करवाना चाहिए। यह लक्षण पेल्विक इन्फ्लैमटोरी डिजीज़ (Pelvic inflammatory disease) की ओर इशारा करते हैं।
कई बार महिलाएं थायराइड ग्रंथि का रोग (hypothyroidism) की वजह से मां बनने के सुख से वंचित रह जाती हैं। कुछ महिलाओं को गर्भधारण के बाद थायराइड ग्रंथि का रोग (hypothyroidism) की वजह से मिसकैरेज इस (miscarriages) का भी सामना करना पड़ सकता है।
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हमारे गले में मौजूद थायराइड ग्रंथि बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करती है। यह हमारे शरीर में मौजूद हार्मोन के निर्माण और उनके संतुलन को नियंत्रित करती है।
अगर थायराइड ग्रंथि ठीक तरह से कार्य न करें, तो हमारे शरीर के बहुत सारे कार्य सुचारु रुप से काम नहीं कर पाएंगे। यहां तक की इसका प्रभाव हमारे व्यवहार और हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा।
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गर्भधारण करने में हार्मोन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हार्मोन स्त्री के शरीर को गर्भधारण के लिए अनुकूल बनाते हैं। अगर थायराइड ग्रंथि इन हार्मोन के निर्माण और उनके संतुलन को ठीक से ना बना पाए तो स्त्री के शरीर में गर्भधारण के लिए अनुकूल माहौल नहीं बनता है जिस वजह से स्त्री लाख कोशिशों के बाद भी कंसीव नहीं कर पाती है।
अगर आप बच्चे की प्लानिंग का मन बना रही हैं तो गर्भधारण करने से पहले एक बार अपना थायराइड टेस्ट जरूर करवा ले।
बाजार में ऐसी बहुत सारी दवाइयां बिकती हैं जिनका ना केवल हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है बल्कि फर्टिलिटी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

इसीलिए गर्भधारण करने के बाद डॉक्टर महिलाओं को बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा खाने की सलाह नहीं देते हैं। बहुत सी दवाइयां जो हम आम बीमारियों के लिए खाते हैं उनका सीधा असर स्त्री के फर्टिलिटी और गर्भधारण पर पड़ता है।
अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए बहुत सी महिलाएं गर्भनिरोधक दवाइयों का भी इस्तेमाल करती है। आपको इन दवाइयों को इस्तेमाल करते वक्त विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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काफी लंबे समय तक गर्भनिरोधक दवाइयों के इस्तेमाल से महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। इन दवाइयों का इस्तेमाल बहुत ही सीमित रूप से करना चाहिए।
बेहतर तो यह होगा कि अगर आप अपना घर बसाना चाहती हैं तो गर्भनिरोधक दवाइयों से अपने आप को दूर रखें - विशेषकर तब तक जब तक कि आप मां नहीं बन जाती हैं।
अगर आप गर्भधारण करने में समस्या महसूस कर रही हैं और साथ ही आपका पीरियड भी असामान्य है तो हो सकता है दोनों में कोई संबंध हो।
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दुनिया भर में बांझपन के 40% मामलों में देखा गया है कि स्त्री असामान्य पीरियड (irregular period) की समस्या से भी पीड़ित है। असामान्य पीरियड, पीरियड का ना होना, या फिर पीरियड के दौरान अनियंत्रित रूप से रक्त स्राव भी आपके लिए गर्भधारण करने में समस्या पैदा कर सकते हैं।
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सामान्य रूप से आप का मानसिक धर्म हर 35 दिन से पहले हो जाना चाहिए लेकिन 21 दिन से पहले नहीं होना चाहिए।
आपका आहार और आप का रहन सहन तथा आप अगर कोई दवाइयों का सेवन कर रही हैं तो इनका भी असर आपके मानसिक धर्म पर पड़ सकता है।
अगर आप असामान्य पीरियड (irregular period) की समस्या से पीड़ित हैं तो गर्भधारण की प्लानिंग करने से पहले आवश्यक डॉक्टरी जांच करा लें।
फैलोपियल ट्यूब अंडो को सुरक्षित रूप से अंडाशय से गर्भाशय तक पहुंचाने का कार्य करता है। लेकिन कई बार यह पाया गया है किसी कारणवश फैलोपियन ट्यूब अंडो को गर्भाशय तक नहीं पहुंचा पाता है और इस वजह से महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं।

जो महिलाएं नियमित रूप से ओवुलेशन करती हैं उन्हें भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी अवस्था कब पैदा होती है जब फैलोपियन ट्यूब में कहीं पर कोई अवरुद्ध पैदा हो जाता है।
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इस अवरोध की वजह से ना तो अंडे गर्भाशय तक पहुंच पाते हैं और ना ही शुक्राणु अंडे तक पहुंच पाते हैं जिस वजह से गर्भ धारण करना असंभव हो जाता है। गर्भधारण न कर पाने कि इस समस्या को ऑपरेशन के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
समय के साथ जैसे जैसे उम्र गुजरता है स्त्री के अंडे की गुणवत्ता कम होती जाती है। इसके साथ ही डिंबोत्सर्जन या ओवुलेशन भी असंतुलित हो जाता है।
उम्र के साथ हार्मोन भी अनियमित और असंतुलित हो जाता है। यही वजह है की एक निश्चित उम्र के बाद महिलाओं को अनियमित पीरियड का भी सामना करना पड़ता है।
और यह सभी चीजें गर्भधारण पर प्रभाव डालती हैं। महिलाओं की गर्भ धारण करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है 18 साल से 29 साल तक की उम्र। अगर संभव हो सके तो हर महिला को 29 साल से पहले अपनी फैमिली प्लानिंग कर लेनी चाहिए।
गर्भधारण न कर पाने की समस्या पर हुए विश्वव्यापी शोध में एक बात उभरकर सामने यह भी आई है कि गर्भधारण न कर पाने के हर 10 घटनाओं में 2 घटनाएं ऐसी होती हैं जिसमें मेल इंफर्टिलिटी जिम्मेदार होती है।
इसीलिए अगर किसी कारणवश गर्भ धारण नहीं कर पा रही हैं तो आप अपना चिकित्सा जांच तो करवाइए ही साथ ही अपने पति को भी प्रेरित कीजिए कि वह भी अपना फर्टिलिटी जांच करवा लें।
गर्भधारण न कर पाने की स्थिति में जरूरी है कि पति और पत्नी दोनों अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करें ताकि पत्नी कंसीव कर सकें।
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कुछ बातों का ख्याल रख आप अपने बच्चों की बोर्ड एग्जाम की तयारी में सहायता कर सकती हैं। बोर्ड एग्जाम के दौरान बच्चों पे पढाई का अतिरिक्त बोझ होता है और वे तनाव से भी गुजर रहे होते हैं। ऐसे में आप का support उन्हें आत्मविश्वास और उर्जा प्रदान करेगा। साथ ही घर पे उपयुक्त माहौल तयार कर आप अपने बच्चों की सफलता सुनिश्चित कर सकती हैं।
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पुलाय एक ऐसा भारतीय आहार है जिसे त्योहारों पे पकाय जाता है और ये स्वस्थ के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है| बच्चों के लिए तो यह विशेष लाभकारी है| इसमें ढेरों सब्जियां होती है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं| Pulav शिशु आहार baby food|
Beta carotene से भरपूर गाजर छोटे शिशु के लिए बहुत पौष्टिक है। बच्चे में ठोस आहार शुरू करते वक्त, गाजर का प्यूरी भी एक व्यंजन है जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िए आसान step-by-step निर्देश जिनके मदद से आप घर पे बना सकते हैं बच्चों के लिए गाजर की प्यूरी - शिशु आहार। For Babies Between 4-6 Months
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
युवा वर्ग की असीमित बिखरी शक्ति को संगठित कर उसे उचित मार्गदर्शन की जितनी आवश्यकता आज हैं , उतनी कभी नहीं थी। आज युवा वर्ग समाज की महत्वकांशा के तले इतना दब गया हैं , की दिग - भ्रमित हो गया हैं।
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हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।
ज़्यादातर 1 से 10 साल की उम्र के बीच के बच्चे चिकन पॉक्स से ग्रसित होते है| चिकन पॉक्स से संक्रमित बच्चे के पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियाँ विकसित होती हैं। यह दिखने में खसरे की बीमारी की तरह लगती है। बच्चे को इस बीमारी में खुजली करने का बहुत मन करता है, चिकन पॉक्स में खांसी और बहती नाक के लक्षण भी दिखाई देते हैं। यह एक छूत की बीमारी होती है इसीलिए संक्रमित बच्चों को घर में ही रखना चाहिए जबतक की पूरी तरह ठीक न हो जाये|
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।