Category: बच्चों की परवरिश
By: Miss Vandana | ☺5 min read
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
हमारे देश की धरती पर असंख्य वीर सपूतों ने जन्म लिया है , जिससे हमारी धरती माता धन्य हो गयी हैं। " सुभाष चंद्र बोस " भी इन्ही वीरसपूतों में से एक थे , जिस पर भारत को गर्व है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी आग की लपटों के रूप में इसी क्रन्तिकारी नेता के बदौलत हुई।
ब्रिटिश हुकूमत इनके डर से देश छोड़ने का मन बना लिए और अंत में हमारा देश आज़ाद हुआ।
आप सभी लोग हमारे देश के इस क्रन्तिकारी से परिचित होंगे। इनके पारिवारिक पृष्ठभूमि तो साधारण ही थी , लेकिन इन्होने अपनी एक अलग मिसाल कायम की ।
इनके व्यक्तित्व का हमारे देशवासियों पर बहुत अमिट प्रभाव पड़ा।
Neta ji met Adolf Hitler on May 29, 1942 at the Reich Chancellery
Subhash Chandra Bose wanted freedom for nation and almost he did not cared for whom he had to go to ask for assistance
आपने माता - पिता की होनहार संतान " सुभाष चंद्र बोस " , उनकी इच्छा पूरी करने के लिए देश की सबसे सम्मानित सेवा आईएएस (IAS) में सिलेक्शन होने के बाद भी , उससे रिजाइन कर के आपने देश वासियों की सेवा करने का बीड़ा उठाया।
हमारी नयी पीढ़ी की सोच कुछ इस प्रकार बदलती जा रही हैं की अब समय आ गया हैं की इनका सही मार्गदर्शन किया जाए। हमें अपने बच्चों को यह बताना होगा की हमारी प्राचीन संस्कृति क्या थी और हमे किस प्रकार उससे जुड़े रहना हैं।
Subhash Chandra Bose in Japan
हमारी भारतीय संस्कृति एक ऐसे वटवृक्ष के सामान हैं , जिसकी जड़े बहुत दूर तक फली हैं उसी संस्कृति का हिस्सा हमारे ये महापुरुष हैं जो हमारे इस गुलाम देश को अंग्रेजो से मुक्त करा दिए।
सुभाष चंद्र बोस ही एक ऐसा महापुरुष हैं , जिन्हे नेताजी की उपाधि से नवाजा गया हैं। उनमे नेता के वे सारे गुण हैं , जो उनको आज भी अमर बनाये हुए हैं। नेता से तात्पर्य हैं , जिनके में नेतृत्व करने की वे सारी क्षमताए हो। तभी तो उन्हों ने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और उसके एक शक्तिशाली नेता बनने। अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें इसकी स्वीकृति मिल गई , लेकिन ब्रिटिश सरकार इनसे इतना खौफ खाती थी की इन्हे बिना वजह ही जेल में डलवा देती थी। आपने इस छोटे जीवन काल में ही वो ग्यारह बार जेल गए। ब्रिटिश सरकार को यह लगता था की ये क्रन्तिकारी , युवा नेता पुरे देश को क्रांति की लहर में लपेट लेगा इस लिए इनको भारत में ही नहीं वरन बाहर के देशों में भी इनको बंदी बनाकर रखा जाने लगा , परन्तु ये स्वतंत्र विचारो वाला नेता , इटली के मुसोलिनी और जर्मनी में हिटलर से जाकर उनके सामने अपनी बात रखे।
Subhash Chandra Bose with Gandhi Ji
" आजाद हिन्द फौज " की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में को हुई , जिसमे अंग्रेजो की फौज से पकड़े हुए भारतीय युद्ध बंधियों को भर्ती किया और औरतों के लिए झांसी की रानी रेजिमेंट भी बनाये। पूर्वी एशिया में ही वहां के स्थाई भारतीयों से आर्थिक मदद मांगी और यह सन्देश दिया की " तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा। " द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपनी फौज को जोश दिलाने के लिए " दिल्ली चलो " का नारा दिया। 6 जुलाई 1944 को आज़ाद हिन्द रेडियो पर आपने उदेश्य बताते हुए , गाँधी जी को राष्ट्रपिता कहा।
Subhash Chandra Bose with INA officials
कुछ इतिहासकारो का मांनना हैं की जब बोस जी ने जापान और जर्मनी से लेने की कोशिश की तो ब्रिटिश सरकार ने आपने गुप्तचरों से 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दे दिया था। उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य हैं। इनके परिवार में इनके बेटी अनीता बोस आज भी जर्मनी में एक अर्थशास्त्री , राजनीतिज्ञ और प्रोफ़ेसर हैं।
" नेताजी " वेश बदलने में बहुत ही माहिर थे। तभी तो अंत तक कोई इन्हे पकड़ नहीं सका। 1997 तक फैज़ाबाद में गुमनामी बाबा के नाम से चर्चा में बने रहे।
When Netaji Subhash Chandra Bose realized that the British Government would have to be forced hard to leave India, he decided that his enemy’s enemy was his friend and visited Germany and Japan to get their assistance.
आज नई पीढ़ी के बच्चों को इन महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये , क्योंकि आज की पीढ़ी को सही - गलत का अंतर नहीं पता है। वे एक पूंजी पति बनने की होड़ में मानवीय गुणों को छोड़ चुकें हैं। उनकी सारी ऊर्जा नकारात्मक होती जा रही है। वे सही दिशा में कदम नहीं उठा रहे हैं।
उनके अंदर आपराधिक प्रवृति जन्म लती जा रही है। सकारात्मक ऊर्जा को उनके अंदर बनाये रखने के लिए हमें और आपको मिल कर यह प्रयास करना होगा कि बच्चे की ऊर्जा सही दिशा में जाये। उससे सैनिकों की तरह रहना सीखना पड़ेगा।
Subhash Chaqndra bose and INA
बच्चों के अंदर मानवी गुण पैदा करना के लिए उसे अच्छे - अच्छे महापुरषों के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी , उन्हें देश में आपने महत्व को समझना होगा। हर बच्चे के अंदर यह भावना कूट - कूटकर भरनी होगी कि सबसे पहले वे एक भारतीय हैं। एक भारतीय के क्या - क्या कर्तव् है , यह आपको आपने बच्चे को बताना होगा।
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