Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
शिशु में हिचकी आना कितना आम बात है तो - सच तो यह है की एक साल से कम उम्र के बच्चों में हिचकी का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हिचकी आने पे डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हिचकी को हटाने के बहुत से घरेलू नुस्खे हैं। अगर हिचकी आने पे कुछ भी न किया जाये तो भी यह कुछ समय बाद अपने आप ही चली जाती है।
अगर आप यह सोच रही है की
शिशु में हिचकी आना कितना आम बात है तो - सच तो यह है की एक साल से कम उम्र के बच्चों में हिचकी का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
बच्चे को तभी से हिचकी लेने लगते हैं जब वे माँ के गर्भ में पल रहे होते हैं। गर्भ में बच्चों की हिचकी से कभी कभी pregnancy में स्त्रियां डर सी भी जाती हैं। - हालाँकि इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं।
मगर यह एक बेहद आम बात है।
ताजूब लगता है न यह सोच के की शिशु गर्भ में तो साँस ले नहीं रहा होता है - तो भला हिचकी कैसे लेता होगा? गर्भ में तो शिशु Amniotic fluid के पानी में तैर रहा होता है - जाहिर सी बात है की पानी में साँस नहीं लेगा।
यह सब प्रकृति का करिश्मा है।
हम और आप तो सिर्फ सर्वोच्च परमेश्वर (परम प्रधान ईश्वर) को नन्हे से वरदान के लिए सिर्फ धन्यवाद ही दे सकते हैं।
खर चलिए आते हैं मुद्दे पे!
शिशु को हिचकी आती है जब उसके डायफ्राम (पतली सी झिल्ली जो पेट को शरीर के बाकी organs से अलग करती है) पे दबाव पड़ता है। इस वजह से डायफ्राम के मांसपेशियोँ पे संकुचन शुरू हो जाता है और बच्चे को हिचकी आने लगती है।
बच्चे को अक्सर हिचकी बोतल से दूध पिने पे या फिर स्तनपान के बाद आता है। समझा जाता है की कभी कभी बच्चा इतना ज्यादा दूध पी लेता है की उसका पेट तन जाता है जिस वजह से उसके डायफ्राम पे दबाव पड़ता है और मांसपेशियोँ पे संकुचन के कारण बच्चे को हिचकियाँ शुरू हो जाती है।
हिचकियाँ बच्चे को उतना परेशान नहीं करती हैं जितना की माँ-बाप को। हाँ बच्चे परेशान तब होते हैं जब हिचकी के कारण वे सो नहीं पाते हैं या फिर कोई अन्य दैनिक कार्य नहीं कर पा रहे होते हैं जैसे की आहार ग्रहण करना।
हिचकी आने पे डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
कुछ बच्चों में हिचकी कुछ ज्यादा ही आती है और जल्दी जल्दी आती है। यह अवस्था बच्चों में gastroesophageal reflux नामक बीमारी के कारण भी हो सकता है। अगर आप के बच्चे को बहुत ज्यादा हिचकी आती है तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें। इस बीमारी का लक्षण यह भी है की आप का बच्चा हिचकी के साथ साथ बहुत थूकेगा भी और बार बार ख़ासेगा भी। इस अवस्था में बच्चे बहुत ज्यादा चिड़चिड़े भी हो जाते हैं।
अगर बच्चे को बहुत हिचकी आती है वो भी तब जब की बच्चा एक साल से बड़ा हो गया है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएँ। यह सामान्य बात नहीं है। बहुत rare cases मैं यह कोई बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
हिचकी से सम्बंधित बहुत सी बातें हैं और बहुत सी धारणाएं है। मगर सबसे मुख्य बात यह है की हिचकी से आप के बच्चे को कोई हानी नहीं होती है। अगर हिचकी आने पे कुछ भी न किया जाये तो भी यह कुछ समय बाद अपने आप ही चली जाती है।
हिचकी को हटाने के बहुत से घरेलू नुस्खे हैं, मगर इनका इस्तेमाल संभल कर करें। कोई ऐसा काम न करे जिससे की बच्चे को हानी पहुंचे। जैसे की बच्चे के हाथों या पैरों का न खीचें। उसके जीभ को न खीचें। अचानक से जोर से आवाज न करें। बच्चे को ना डराएं। बच्चे के आखों को ना दबाएं। बच्चे को शहद न चटायें। यह सभी चीज़ें भारत में प्रचलन मैं है। इनका इस्तेमाल बच्चे के लिए बहुत खतरनाक है। इससे बच्चे को वो हानी पहुँचती है जो फिर कभी ठीक नहीं होती है और बच्चे को आजीवन खामियाजा भुगतना पड़ता है।
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