Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
क्या आप का शिशु potty (Pooping) करते वक्त रोता है। मल त्याग करते वक्त शिशु के रोने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आप को इन कारणों का पता होगा तो आप अपने शिशु को potty करते वक्त होने वाले दर्द और तकलीफ से बचा सकती है। अगर potty करते वक्त आप के शिशु को दर्द नहीं होगा तो वो रोयेगा भी नहीं।
आप का परेशान होना स्वाभाविक है!
शिशु मल त्याग करते वक्त बहुत रोते हैं।
इसका कारण है।
शिशु के लिए potty (Pooping) करना एकदम नया अनुभव है।
पहले डेढ़-से-दो सालों में मल त्याग करते वक्त लगभग सभी शिशु को दर्द होता है।
यह अनुभव उन शिशुओं में ज्यादा देखने को मिलता है जिनको potty हर अगले दिन होती है या हर तीसरी दिन होती है।
चूँकि इन बच्चों को potty कुछ समय के अंतराल पे होती है, इनकी potty थोड़ी सख्त हो जाती है और इस वजह से इन्हे potty करते वक्त तकलीफ होती है। कुछ मामलों में बच्चों की potty इतनी सख्त हो जाती है की वो पत्थर की तरह कठोर हो जाती है।
बताइये भला,
इस तरह की potty करते वक्त एक नाजुक सा बच्चा क्योँ नहीं रोयेगा।
Potty करते वक्त अगर शिशु रोते हैं तो इसके और भी कई कारण हो सकते हैं।
Potty करते वक्त शिशु के रोने के आम कारण:
बिस्तर पे लेटे हुए स्थिति में potty करना आसान नहीं है। इस स्थिति में potty करते वक्त शिशु के शरीर को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है जिसकी वजह से शिशु potty करते वक्त शिशु चीख सकता है और चिल्ला के रो सकता है। शिशु बैठ के अपनी ताकत लगा कर मल को शरीर से बहार नहीं निकाल सकता है। शिशु को सिखने में समय लगता है की potty करते वक्त उसे किस प्रकार coordination में काम कर के पेट की मांसपेशियोँ से ताकत लगाना पड़ता है जबकि उसी वक्त अपने गुदा मार्ग को ढीला भी छोड़ना पड़ता है ताकि potty बहार निकाल सके। शिशु का शरीर जो पूरी तरह से अभी विकसित नहीं है, उसके लिए यह काम बहुत ही मुश्किल भरा होता है। यही कारण है की जब शिशु potty करता है तो वो रोता है।
बहुत से शिशु काज की समस्या के कारण रोते हैं। बच्चों का शरीर व्यस्क लोगों की तरह विकसित नहीं होता है। इस कारण उन्हें कुछ आहार पचाने में बड़ों की तुलना में ज्यादा समय लगता है। मगर इसका असर शिशु पे बुरा पड़ता है और उसे कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। दूसरी बात यह है की जो शिशु पूर्ण रूप से स्तनपान पे या दूध पे होते हैं, उनको भी कब्ज मि समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि दूध में fiber नहीं होता है। कब्ज के कारण शिशु को potty करने में तकलीफ होती है और वो रोता है। स्तनपान वाला शिशु अगर एक सप्ताह तक potty नहीं करता है और बोतल से दूध पिने वाला बच्चा अगर हर तीन दिन पे potty नहीं करता है तो उसे कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
यह बात उन बच्चों पे लागु होती है जो छह महीने (6 month baby) से बड़े हो गए हैं और जिन्हे दूध के साथ ठोस आहार भी दिया जाता है। बच्चों को पानी पिने के लिए प्रोत्साहित करें। उनमें पानी की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें तरल आहार बना कर दें। शिशु में पानी पिने की मात्रा को बढ़ा कर आप उसके कब्ज की समस्या को समाप्त कर सकती हैं। छह महीने से छोटे शिशु को स्तनपान या बोतल-के-दूध के आलावा कुछ भी न दें। इन्हे अलग से पानी भी पिने को दें। शिशु में पानी की आवश्यकता स्तनपान या बोतल-के-दूध के द्वारा पूरी हो जाती है। इन्हे अलग से पानी पिने की आवश्यकता नहीं है। छह महीने से छोटे शिशु को पानी देना खतरनाक है।
शिशु का potty करते वक्त रोने का दुसरा बड़ा कारण है गैस की समस्या। अगर आप के शिशु को गैस की समस्या सता रही है तो वो potty करते वक्त रो सकता है। गैस के कारण शिशु को दर्द तो होता ही है, मगर potty करते वक्त यह दर्द बहुत बढ़ जाता है।
अगर potty करते वक्त आप का बच्चा रोता है या तरह तरह के चेहरे बनाता है तो चिंता करने की बात नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है की आप के बच्चे को डॉक्टरी इलाज की जरुरत है। लेकिन अगर आप का बच्चा पिछले कुछ दिनों से potty करते वक्त अत्यधिक रो रहा है तो आप को अपने बच्चे के डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। मगर डॉक्टर से मिलने से पहले आप ऊपर दिए गए तरीकों से अपने बच्चे को पहले शांत करने की कोशिश जरूर करें।
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