Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
बच्चे की त्वचा को गोरा और दाग रहित बनाने के लिए बहुत से घरूले नुश्खे हैं। लेकिन चूँकि बच्चे की त्वचा कोमल और नाजुक होती है। सभी नुश्खे बच्चो के संवेदनशील त्वचा के लिए ठीक भी नहीं होते है। इसीलिए इस लेख में उन उपायों के बारे में जिक्र किया गया है जिनसे बचे की त्वचा सुरक्षित रहती है
माँ बनना किसी भी स्त्री के लिए काफी प्रसन करने वाला पल होता है और यह काफी गौरव की बात भी होती है। मगर जब आप एक बार माँ बन जाती है तो फिर जीवन में सबकुछ बदल जाता है। जैसे की आप के जीवन का उद्देश्य, आपकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। आप के जीवन में, आप के बच्चे से महत्वपूर्ण कुछ नहीं रहता।
हर माँ आपने बच्चों को ले के बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
कुछ तरीके हैं जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए चमकदार और निष्पक्ष त्वचा दे सकतें हैं।
Comment: सांवले शिशु को कैसे बनाएं गोरा, Baby Skin Fairness Tips, Shishu Ki Rangat Nikhare, Newborn Child
यह लगभग सभी माताएं जानती हैं की गरम तेल से मालिश करने से बच्चो को (विशेषकर नवजात बच्चों को) बड़ा फायदा होता है। जब बच्चे का जन्म होता है तो घर के बड़े बुजुर्ग अक्सर बहुत से राय देते हैं उनमें से एक राय जो आपकी दादी ने आप को दिया होंगे वो है - की आपको अपने बच्चे की मालिश दिन मैं कई बार गर्म तेल से करनी चाहिए। गरम तेल की मॉलिश से बच्चों की नाजुक हड्डियां मजबूत बनती हैं और नरम-मुलायम मांसपेशियों को बल मिलता है। बच्चे की त्वचा को दैनिक आधार पर इस तरह के मालिश की और देखभाल की आवश्यकता होती है। गर्म तेल की मालिश बच्चे की संवेदनशील त्वचा पे नमी (moisture) की परत को बनाये रखता है। साथ ही साथ त्वचा में तेलों के उचित मात्रा को सुनिश्चित करता है। नियमित रूप से गर्म तेल की मालिश से आपके बच्चे की त्वचा खिल जाएगी। कुछ समय के बाद उसकी त्वचा हल्के गुलाबी रंग का रंग लेने लगेगी। बच्चों की त्वचा सूखी होने से उनमें रैश (rash) व छिलने का डर बना रहता है। इसी लिए कोशिश करें की आप के बच्चे को हर दिन गरम तेल का मालिश मिल सके।
ठीक उसी तरह जैसे की वयस्कों के लिए जरूरी है कि उनकी त्वचा को अत्यधिक गर्म या ठंडे पानी से न नहलाया जाये, छोटे बच्चे की त्वचा के लिए ये और भी जरुरी है। छोटे बच्चे की त्वचा नाजुक होती है और पूरी तरह से विकसित नहीं होती है की वो स्वतः ही बाहरी त्वचा के नमी को नियंत्रित कर सके। सुखी त्वचा आप के बच्चे के निखार को कम कर सकता है और उसे सांवला बना सकता है। बच्चों को हमेशा गुनगुने पानी से नहलाएं।
जब मैं बच्चे की स्क्रबिंग कहता हूँ तो इसका मतलब यह नहीं की बड़ों की तरह बच्चो की स्क्रबिंग की जाये। बच्चो की त्वचा नाजुक होती है और स्क्रबिंग नुकसान पहुंचा सकती है। शिशुओं के चेहरे और पीठ सहित उनके शरीर पर बाल होते हैं इन बालों के जड़ कमजोर होते हैं और ये अप्राकृतिक भी लगते हैं। इन बालों की जरुरत थी जब आपका बच्चे गर्भ में था। जनम के बाद आपके बच्चे को इसकी कोई जरुरत नहीं। ये खुद बा खुद ख़तम हो जाएंगे। लकिन इसमें वक्त लगेग। स्क्रबिंग एक आसान तरीका है जिसकी मदद से आप अपने बच्चे को उसके इन बालों से छुटकारा दिला सकते हैं। बेसन, पानी, दूध और बेबी तेल (baby oil) को सामान रूप से मिलाएं। इस मिश्रण को बच्चे की त्वचा पे लगाने से सभी अशुद्धियों और अनचाहे बाल हैट जाते है। यह मिश्रण त्वचा के चमक को भी बढ़ाता है और रक्त परिसंचरण को इस तरह बेहतर बनता है की बच्चे की त्वचा का रंग सुधारता है।
बड़ों की त्वचा की तुलना में बच्चों की त्वचा दस गुना अधिक संवेदनशील होती है। गर्भ में नौ महीने रहने के बाद नवजात बच्चे के लिए पर्यावरणीय कारक (external environment) पूरी तरह से नए होते हैं। इनके साथ बच्चों की त्वचा को सामंजस्य स्थापित करने में समय लगता है। हफ्ते में एक बार हल्के-शरीर-के-पैक का इस्तेमाल करने से बच्चे के बेहद नरम त्वचा को पोषण मिलता है साथ ही साथ बच्चे की त्वचा में एक शानदार चमक आती है और समान रूप से निष्पक्ष त्वचा बनती है। बच्चे के लिए हल्का शरीर-का-पैक बनाना आसान है। इसे बनाने के लिए चंदन, हल्दी, केसर और दूध का पेस्ट बनाएं और इसे अपने बच्चे के शरीर पर लगाएं। इसे 10 मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें। उसके बाद गुनगुने पानी से बच्चे को नेहला के साफ करें। इसका इस्तिमाल आपके बच्चे की त्वचा को बेहतर बना देगा और आपके बच्चे को त्वचा संक्रमण के खिलाफ लड़ने में भी मदद करेगा।
यह शिशु की त्वचा की देखभाल में एक अनिवार्य कदम है बच्चे को किसी भी प्रकार की जलन से बचने के लिए सर्वश्रेष्ठ ब्रांडों का ही का उपयोग करें। सर्वोत्तम परिणामों के लिए हर 4 घंटे पे अपने बच्चे की त्वचा में मॉइस्चराइजर लगाए। यह बच्चे के रंग को बरकरार रखेगा साथ ही सूखेपन को भी दूर करेगा।
अपने बच्चे की त्वचा पर कभी भी साबुन का उपयोग न करें। साबुन त्वचा की बाहरी नमी की परत को हटा देता है। जिसकी वजह से त्वचा सुस्त, शुष्क, और सावंली बन जाती है। साबुन के इस्तेमाल की बजाये बच्चे को दूध और गुलाब जल से साफ करें। इसके आलावा आप ग्लिसरीन और क्रीम (milk cream) से बने baby वाश का भी इस्तेमाल कर सकते है।
यह आपके बच्चे के लिए जरूरी है कि उसे थोड़ी देर धुप में छोड़ें। लेकिन कभी कभार ही अपने बच्चे को धुप में खुला छोड़ें। जब आप अपने बच्चे को धुप में खुला छोड़ते हैं तो ध्यान रहे की सूरज में बहुत लंबे समय तक अपने छोटे से बच्चे को छोड़ने पर उसकी त्वचा का रंग दब सकता है। अपने बच्चे को सूर्य के प्रकाश से बचाने के लिए आप प्राम (pram) का उपयोग भी कर सकती हैं।
वाकई एक जादुई नुष्का है जो आप के बच्चे की साफ त्वचा के लिए वरदान ही है। यह जादुई नुष्का है पानी (water)। अपने बच्चे को हमेशा निर्जलीकृत (dehydrate) होने से बचाएं। पानी सिर्फ आपके बच्चे को अच्छी सेहत ही नहीं प्रदान करता है बल्कि साफ निखरी त्वचा भी प्रदान करता है। शरीर के साथ साथ त्वचा का भी हाइड्रेट (hydrate) रहना जरुरी है।
यह 6 महीने से अधिक के बच्चों के लिए एक जादू मंत्र है। अंगूर के रस के साथ अपने बच्चे को दूध पिलाने से एपिडर्मिस की चमक बढ़ जाएगी। सेब और नारंगी जैसे अन्य फल भी बच्चे की त्वचा के स्वास्थ्य को अंदर से सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
अंत में, बच्चे को हर समय ब्रश और स्क्रबिंग के इस्तिमाल से त्वचा पे रैश (rash) और सूखापन हो सकता है। ग्लिसरीन और दूध क्रीम (milk cream) से बने बेबी वाइप (baby wipe) का उपयोग करने की हमेशा सलाह दी जाती है बच्चे के चहरे की सफाई के लिए भी ऐसे वाइप का प्रयोग करना एक बेहतर विकल्प है
अक्सर माताएं ये सोचती हैं की की अगर बच्चों की नियमित रूप से मालिश की जाये तो उनके रंग में निखार आएगा और उनकी त्वचा गोरी हो जाएगी। शिशु विशेषज्ञों की मने तो यह पूर्ण रूप से गलत है। उनके अनुसार बच्चों की त्वचा पे बाहरी रूप से कुछ लगाने से गोरी नहीं होती। बच्चों की त्वचा का रंग उनपे मौजूद pigment जिसे melanin कहते हैं, के द्वारा निर्धारित होती है। बच्चे की त्वचा पे Milanin Pigment अगर अधिक है तो उसकी त्वचा का रंग दबा हुआ होगा। शिशु की त्वचा का रंग गोरा या सांवला आनुवांशिक कारणों से होता है। नियमित रूप से मालिश करने से बच्चे की त्वचा पे उपस्थित Milanin Pigment की मात्रा को कम नहीं किया जा सकता।
कई बार ऐसा देखा जाता है की बच्चे की त्वचा जन्म के समय गोरी थी फिर दब गयी। या फिर त्वचा की रंगत दबी हुई थी मगर जैसे जैसे बच्चा बड़ा हुआ उसकी त्वचा के रंग में निखार आ गया। अंत में जो बच्चो की रंगत होती है वो ही उसकी असली रंगत होती है। बच्चे को नैचुरल स्किन टोन में आने में कुछ वक्त लगता है। यह सब कई कारणों से होता है। एक वजह यह है की जब बच्चा पैदा होता है तो उसकी त्वचा थोड़ी पारदर्शी होती है इस वजह से उसकी त्वचा का रंग लाली लिए होता है और रंग दबा हुआ लगता है। जन्म के समय शिशु की त्वचा गुलाबी दिखती है क्यूंकि शिशु की पतली बारीक त्वचा में से उसके लाल रक्त वाहिकाएं (red blood vessels) दिखती है। ये बच्चे का असली रंग नहीं होता। कुछ दिनों/महीनों के बाद जब त्वचा की पारदर्शिता खत्म हो जाती है और तब बच्चे की असली रंग दिखती है। बच्चे को उसके असली त्वचा के रंग में आने मैं महीना भर लग जाता है। मगर सही मायने में यह प्रक्रिया साल भर चलती रहती है।
कुछ बच्चों की त्वचा पे जन्म के समय बालों की एक बारीक परत होती है। बालों की इस बारीक परत का काम होता है की वो बच्चे की त्वचा को ऐम्निऑटिक फ्लूड से बचाये। जिस बच्चे का जन्म सही समय पे होता है उसकी त्वचा पे बालों की यह परत कम होती है। बालों की यह परत हलके भूरे या फिर सफ़ेद रंग का होता है। इसकी अधिकता के कारण भी कुछ बच्चे गोर दीखते हैं। मगर समय के साथ जैसे जैसे बालों की यह परत कम या ख़त्म होती है बच्चा अपने स्वाभाविक रंग में आ जाता है।
कभी कभी बच्चों के रंग में अंतर उनके अत्यधिक वजन कम होने या बुखार के कारण भी होता है।
ध्यान देने योग्य बातें - अगर आप के नवजात बच्चे के शरीर पे लाल या नीले रंग के चकत्ते धिकाई दें तो समझ लीजिये की उसे या तो कोई त्वचा रोग (skin disease) हो रहा है या आप के बच्चे को साँस लेने में परेशानी हो रही है। ऐसे कोई भी निशानी (symptom) दिखने पे आप तुरंत शिशु विशेषज्ञ (child specialist doctor) से संपर्क करें। साँस की दिक्क्तों के कारण आप के बच्चे की जान तक जा सकती है।
मालिश (baby massage) से भले ही आपकी आँखों-का-तारा गोरा न हो पर उसे मालिश से बहुतेरे लाभ जरूर मिलते हैं। तेल की मालिश बच्चे के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) को बढ़ाता है मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनता है। शरीर को गरम रखता है। गर्मी के मौसम में शरीर को आराम पहुंचाता है।
सांवले शिशु को आप गोरा ता नहीं बना सकते, मगर कुछ घरेलू उपाय कर के आप उसके रंगत में निखार जरूर ला सकते हैं। इन घरेलू नुस्खों की मदद से बच्चे की त्वचा को प्राकृतिक रूप से निखार सकते हैं। और इनसे बच्चे की नाजुक त्वचा को कोई नुकसान भी नहीं होगा। फिर भी हम यहां इस बात पे जोर जरूर देंगे की आप कोई भी शिशु को गोरा करने वाला घरेलू नुस्खा अपनाने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ (child specialist) से जरूर परामर्श कर लें। हर बच्चे की त्वचा भिन भिन होती है। कई बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है। आप को अपने बच्चे के मामले में हर वक्त विवेकपूर्ण कदम लेने की आवश्यकता पड़ेगी।
चलिए देखते हैं टिप्स बच्चे की त्वचा को नरम, मुलायम और गोरा कैसे बनाया जाये।
गुनगुने तेल से मालिश - इससे बच्चे की त्वचा गोरी तो नहीं होती मगर उसकी त्वचा को पोषण जरूर मिलता है। त्वचा की सेहत जैसे जैसे सवारती है, बच्चे की त्वचा में निखार भी आने लगता है। बच्चे की मालिश नरम हातों से करें और मालिश से पहले जाँच लें की तेल कहीं ज्यादा गरम तो नहीं ही।
ताजे फलों का जूस - अपने बच्चे को हर दिन थोड़ा-थोड़ा संतरे का रस (orange juice), सेब का रस (apple juice) और अंगूर का रस (grape juice) पिलाएं। मगर अपने बच्चे को तभी फलों का जूस दें जब वो 6 महीने से ऊपर का हो जाये। फलों का जूस हमेशा तजा तैयार कर के दें।
घर का बना स्क्रब - गुलाबजल, दूध और बेसन को मिला कर इससे बच्चे की त्वचा को स्क्रब करें। कुछ महीनों के इस्तेमाल से ही बच्चे की त्वचा में ग्लो आ जायेगा।
बच्चे को धुप दिखाएँ - बच्चे को कुछ मिनटों के लिए हर दिन धुप धिकाएँ। इससे बच्चे के शरीर को विटामिन डी मिलता है। बहुत देर तक बच्चे को धुप में न छोड़ें। इससे बच्चे को सनबर्न हो सकता है और उसकी त्वचा का रंग दब भी सकता है।
दूध और गुलाब जल का स्नान - बच्चे को दूध और गुलाब जल से नहलाएं। या फिर बच्चे को दूध और गुलाब जल से बने बेबी सोप से नहलाएं।
चंदन पाउडर से साफ करें - एक चम्मच चंदन पाउडर में दूध मिला कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट से बच्चे के शरीर को साफ करें। ऐसा करने से बच्चे के शरीर पे होने वाले दाग खत्म हो जायेंगे और बच्चे की त्वचा भी साफ होगी।
गरम पानी से स्नान न कराएं - गरम पानी से बच्चे को न नहलाएं। गरम पानी से नहलाने से बच्चे की त्वचा नमी खो देती है और सूखी और कठोर हो जाती है। बच्चे को नहलाने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
अक्सर जन्म के समय बच्चों का रंग दबा हुआ होता है। किन कारणों से यह होता है, ये हम पढ़ चुकें हैं। यहां हम जिक्र करेंगे की बच्चे की रंगत निखारने का अनोखा तरीका। यहां जितने भी उचार के तरीके बताये गएँ हैं उनसे शिशु की त्वचा साफ़ ही नहीं होती बल्कि और भी बहुत सारे शरीक लाभ होता है और बच्चा कई प्रकार के इन्फेक्शन से भी दूर रहता है।
बच्चे की त्वचा का रंग उसके आनुवंशिक गुणों पर निर्भर करता है। शिशु की त्वचा में मेलानिन नामक पदार्थ का निर्माण होता हैं केलामोसाइटिस नामक कोशिकाओं द्वारा मेलानिन का निर्माण होता है। सही उपचार के द्वारा इन कोशिशकाओं पर बाहरी प्रभाव पडने से प्राय: बदलाव आता है एंड और बच्चे की त्वचा में निखार आता है। केलामोसाइटिस नामक कोशिकाओं पर धुप का असर होता है। बच्चों को धुप में रखने से केलामोसाइटिस कोशिकाओं की सक्रियता बढ जाती है और वे जरुरत से ज्यादा मेलानिन का निर्माण करना प्रारम्भ कर देते हैं।
सांवला रंग कुरूपता या ईश्वर का अभिशाप नहीं है। किसी इंसान की पहचान उसके रूप से नहीं, गुणों द्वारा होती है। कई ऐसे फ़िल्मी दुनिया के किरदार हैं जो सांवल होने के बावजूद सुंदर, आकर्षक और काफी लोकप्रिय हैं। तो अगर आप का बच्चा सांवल हो तो मन में हिन् भावना न लाएं। बच्चे की अच्छी देखभाल करें और उसके शारीरिक स्वास्थ्य एवं सुडौलता पर भी ध्यान दें।