Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
हर बच्चे को कम से कम शुरू के 6 महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए| इसके बाद अगर आप चाहें तो धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद कर सकती हैं| एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए| जब आप ऐसा करते हैं तो धीरे धीरे कर अपना दूध पिलाना बंद करें।

कुछ मायें अपने बच्चों को 6 महीने तक स्तन पान कराती हैं तो कुछ मायें तब तक कराती हैं जब तक की बच्चा 2 साल का न हो जाये। बरहाल जो भी हो, एक बच्चे को कम से कम शुरुआती 6 महीने माँ का दूध ही पिलाना चाहिए। इस दौरान बच्चे को पानी तक नहीं पिलाना चाहिए क्योँकि इसका बेहद बुरा असर पड़ता है बच्चे पे। बच्चे के जन्म से पहले 6 महीने तक उसकी आहार और पानी की सारी आवश्यकता माँ के दूध के द्वारा पूरी हो जाती है। इस दौरान अगर माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं बन रहा है और दूध पिने के बाद भी बच्चे की भूख नहीं ख़त्म हो रही है तो उसे डॉक्टरी सलाह पे माँ के दूध के साथ-साथ formula milk भी दिया जा सकता है।
बच्चे में स्तन पान बंद कर ठोस आहार शुरू करते वक्त इस बात का ख्याल रखें की एका-एक स्तन पान करना न बंद कर दें। ऐसा करने पे दोनों माँ था बच्चे को समस्या हो सकती है। आपके स्तनों में निश्चित मात्रा मैं दूध हर दिन बनता है जितना की आप के बच्चे को आवश्यकता होती है। अगर आप एका-एक बच्चे को दूध पिलाना बंद कर दें तो आपके स्तनों में दूध भरे होने के कारण आपको दर्द और सूजन की समस्या का सामना करना पड़ेगा। कोशिश करें कि शिशु को धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद करें। ये आप के बच्चे के लिए और आप के लिए दोनों के लिए अच्छा रहेगा। बच्चों में ठोस आहार की शुरुआत करते समय रखें कुछ खास बातों का ख्याल।
शिशु को 6 महीने बाद कभी भी स्तनपान करना आप बंद कर सकती हैं। क्योँकि 6 महीने के बाद से बच्चा ठोस आहार खा सकता है। बच्चे के ठोस आहार की शुरुआत धीरे-धीरे करें। धीरे-धीरे कर आप बच्चे को अपना स्तन पान करना बंद करें और उसी तरह थोड़े से शुरू कर धीरे-धीरे ठोस आहार की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत करने के बाद आप पाएंगे की अब बच्चे ज्यादा दूध पीने की मांग नहीं करता है। ऐसा इस लिए क्योँकि बच्चे का पेट भरा है। जब आप बच्चे को ठोस आहार दे रहें हैं तो ध्यान रहे की उस का पेट ठीक से भर जाये। 6 महीने के बच्चे को ठोस आहार में कुछ खास भोजन देने की आवश्यकता होती है।
बच्चे में स्तनपान छुड़ाने के लिए यहां दिए गए कुछ उपाय आप कर सकते हैं।
अक्सर ऐसा देखा गया है की कुछ महिलाएं अपने स्तनों के निप्पल पर कड़वी चीज़ें लगा देते हैं जैसे कि करेले या नीम का रस। इसके बाद जब बच्चा माँ का दूध पिता है तो फिर दुबारा माँ का दूध पिने से भागता है। कई महिलाओं के लिए यह एक आसान तरीका है 6 महीने के बाद बच्चे का स्तन पान छुड़ाने का।
बच्चे का स्तनपान छुड़ाने का सबसे बेहतरीन तरीका है की उसे रात में दूध पीने न दें। यह देखा गया है की बच्चे सबसे ज्यादा जिद माँ का दूध पिने की रात में ही करते हैं। ठोस आहार की शुरआत करते समय कोशिश करें की बच्चे को सोने से पहले कुछ ठोस पदार्थ या बाहरी दूध पीला दें ताकि उसका पेट भरा जाये। जब बच्चे का पेट भरा रहेगा तो वो दूध पिने का जिद भी नहीं करेगा।
ठोस आहार की शुरुआत करने के बाद धीरे-धीरे स्तन पान करना काम कर दें। अगर आप दिन भर में अपने बच्चे को 6 बार स्तन पान कराती थी तो अब इसे घटा कर तीन बार कर दें और फिर कुछ दिनों बाद इसे घटा कर 2 बार कर दें। धीरे-धीरे आपका बच्चे पूरी तरह स्तनपान करना बंद कर देगा। शुरुआती दिनों में बच्चे जब स्तन पान की जिद करे तो दिन के वक्त उसका ध्यान किन्ही और चीज़ों में लगा दीजिये।
अक्सर बच्चे दो वजह से स्तनपान करने की मांग करते हैं, एक जब वे भूखे हों और दूसरा तब जब वे insecure feel कर रहे हैं या माँ की निकटता खोज रहे हों तब। जब आप बच्चे को स्तनपान करना बंद कराने की तैयारी मैं हैं तो ध्यान रखें कि आप उसे समय-समय पर ठोस आहार और लिक्विड दे रही हों। जब बच्चे का पेट भरा रहेगा तो वो स्तनपान की मांग भी काम करेगा।
शुरुआती दिनों में आप अपने बच्चे को कुछ भी ऐसा न दें जिससे की उसके पाचन में समस्या हो। ठोस आहार की शुरुआत करने में आपको पुरे परिवार के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी। अपने परिवार से बात करें और मिल कर अपने बच्चे के ठोस आहार की शुरुआत करें।
 विटामिन डी की कमी से शिशु का शारीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकता है। शिशु का शारीरिक विकास भी रुक सकता है। इसीलिए जरुरी है की शिशु के शारीर को पर्याप्त मात्र में विटामिन डी मिले। जब बच्चे बाहर धूप में खेलते हैं और कई प्रकार के पौष्टिक आहार ओं को अपने भोजन में सम्मिलित करते हैं तो उन के शरीर की विटामिन डी की आवश्यकता पूरी हो जाती है साथ ही उनकी शरीर को और भी अन्य जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं जो शिशु को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
        विटामिन डी की कमी से शिशु का शारीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकता है। शिशु का शारीरिक विकास भी रुक सकता है। इसीलिए जरुरी है की शिशु के शारीर को पर्याप्त मात्र में विटामिन डी मिले। जब बच्चे बाहर धूप में खेलते हैं और कई प्रकार के पौष्टिक आहार ओं को अपने भोजन में सम्मिलित करते हैं तो उन के शरीर की विटामिन डी की आवश्यकता पूरी हो जाती है साथ ही उनकी शरीर को और भी अन्य जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं जो शिशु को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।  4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।
        4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।  - घरेलु नुस्खे.jpg) गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।
        गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।  सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
        सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।   सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।
        सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।  बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
        बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।  देना उचित है at what age children can eat ice cream.jpg) शिशु को बहुत छोटी उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात शिशु से ले कर एक साल तक की उम्र के बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता ही वो अपने शरीर का तापमान वयस्कों की तरह नियंत्रित कर सकें। इसलिए यह जाना बेहद जरुरी है की बच्चे को किस उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) दिया जा सकता है।
        शिशु को बहुत छोटी उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात शिशु से ले कर एक साल तक की उम्र के बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता ही वो अपने शरीर का तापमान वयस्कों की तरह नियंत्रित कर सकें। इसलिए यह जाना बेहद जरुरी है की बच्चे को किस उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) दिया जा सकता है।   सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई  brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।
        सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई  brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।   इस गेम को खेलने के बाद बच्चे कर लेते हैं आत्महत्या|सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पे खेले जाने वाला गेम 'ब्लू व्हेल चैलेंज' अब तक पूरी दुनिया में 300 से ज्यादा बच्चों का जान ले चूका है| भारत में इस गेम की वजह से छह किशोर खुदखुशी कर चुके हैं| अगर पेरेंट्स समय रहते नहीं सतर्क हुए तो बहुत से पेरेंट्स के बच्चे इंटरनेट पे खेले जाने वाले गेम्स के चक्कर में घातक कदम उठा सकते हैं|
        इस गेम को खेलने के बाद बच्चे कर लेते हैं आत्महत्या|सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पे खेले जाने वाला गेम 'ब्लू व्हेल चैलेंज' अब तक पूरी दुनिया में 300 से ज्यादा बच्चों का जान ले चूका है| भारत में इस गेम की वजह से छह किशोर खुदखुशी कर चुके हैं| अगर पेरेंट्स समय रहते नहीं सतर्क हुए तो बहुत से पेरेंट्स के बच्चे इंटरनेट पे खेले जाने वाले गेम्स के चक्कर में घातक कदम उठा सकते हैं|  अगर आप भी अपने लाडले को भारत के सबसे बेहतरीन बोडिंग स्कूलो में पढ़ने के लिए भेजने का मन बना रहे हैं तो निचे दिए बोडिंग स्कूलो की सूचि को अवश्य देखें| आपका बच्चा बड़ा हो कर अपनी जिंदगी में ना केवल एक सफल व्यक्ति बनेगा बल्कि उसे शिक्षा के साथ इन बोडिंग स्कूलो से मिलगे ढेरों खुशनुमा यादें|
        अगर आप भी अपने लाडले को भारत के सबसे बेहतरीन बोडिंग स्कूलो में पढ़ने के लिए भेजने का मन बना रहे हैं तो निचे दिए बोडिंग स्कूलो की सूचि को अवश्य देखें| आपका बच्चा बड़ा हो कर अपनी जिंदगी में ना केवल एक सफल व्यक्ति बनेगा बल्कि उसे शिक्षा के साथ इन बोडिंग स्कूलो से मिलगे ढेरों खुशनुमा यादें|   स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
        स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|   सूजी का उपमा एक ऐसा शिशु आहार है जो बेहद स्वादिष्ट है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं|  यह झट-पैट त्यार हो जाने वाला शिशु आहार है जिसे आप चाहे तो सुबह के नाश्ते में या फिर रात्रि भोजन में भी परसो सकती हैं| शिशु आहार baby food for 9 month old baby
        सूजी का उपमा एक ऐसा शिशु आहार है जो बेहद स्वादिष्ट है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं|  यह झट-पैट त्यार हो जाने वाला शिशु आहार है जिसे आप चाहे तो सुबह के नाश्ते में या फिर रात्रि भोजन में भी परसो सकती हैं| शिशु आहार baby food for 9 month old baby  6 month से 2 साल तक के बच्चे के लिए गाजर के हलुवे की रेसिपी (recipe) थोड़ी अलग है| गाजर बच्चे की सेहत के लिए बहुत अच्छा है| गाजर के हलुवे से बच्चे को प्रचुर मात्रा में मिलेगा beta carotene and Vitamin A.
        6 month से 2 साल तक के बच्चे के लिए गाजर के हलुवे की रेसिपी (recipe) थोड़ी अलग है| गाजर बच्चे की सेहत के लिए बहुत अच्छा है| गाजर के हलुवे से बच्चे को प्रचुर मात्रा में मिलेगा beta carotene and Vitamin A.   अगर आप अपने बच्चे को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू करना पड़ेगा| जब बच्चा comfortable feel करना शुरू करेगा तो वो उन हरकतों को भी शेयर करेगा जो उन्हें पसंद नहीं|
        अगर आप अपने बच्चे को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू करना पड़ेगा| जब बच्चा comfortable feel करना शुरू करेगा तो वो उन हरकतों को भी शेयर करेगा जो उन्हें पसंद नहीं|   नवजात बच्चे से सम्बंधित बहुत सी जानकारी ऐसी है जो कुछ पेरेंट्स नहीं जानते। उन्ही जानकारियोँ में से एक है की बच्चों को 6 month से पहले पानी नहीं पिलाना चाहिए। इस लेख में आप पढेंगे की बच्चों को किस उम्र से पानी पिलाना तीख रहता है। क्या मैं अपनी ५ महीने की बच्ची को वाटर पानी दे सकती हु?
        नवजात बच्चे से सम्बंधित बहुत सी जानकारी ऐसी है जो कुछ पेरेंट्स नहीं जानते। उन्ही जानकारियोँ में से एक है की बच्चों को 6 month से पहले पानी नहीं पिलाना चाहिए। इस लेख में आप पढेंगे की बच्चों को किस उम्र से पानी पिलाना तीख रहता है। क्या मैं अपनी ५ महीने की बच्ची को वाटर पानी दे सकती हु?   हेपेटाइटिस A का टीका.jpg) हेपेटाइटिस A वैक्सीन (Hepatitis A Vaccine Pediatric in Hindi) - हिंदी, - हेपेटाइटिस A का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
        हेपेटाइटिस A वैक्सीन (Hepatitis A Vaccine Pediatric in Hindi) - हिंदी, - हेपेटाइटिस A का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया के लगभग आधे बच्चों को किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होगा। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उन बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक होती है क्यों कि ये बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम दमा, एक्जिमा, पित्ती (त्वचा पर चकत्ते) और भोजन से संबंधित हैं।
        विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया के लगभग आधे बच्चों को किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होगा। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उन बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक होती है क्यों कि ये बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम दमा, एक्जिमा, पित्ती (त्वचा पर चकत्ते) और भोजन से संबंधित हैं।  टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय  बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।
        टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय  बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।  भारत सरकार टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मुख्या और अनिवार्य टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart 2022-23 - कौन सा टीका क्यों, कब और कितनी बार बच्चे को लगवाना चाहिए - पूरी जानकारी। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाता है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।
        भारत सरकार टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मुख्या और अनिवार्य टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart 2022-23 - कौन सा टीका क्यों, कब और कितनी बार बच्चे को लगवाना चाहिए - पूरी जानकारी। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाता है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।  बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorbtion in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।
        बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorbtion in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।