Category: प्रेगनेंसी
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गर्भधारण के लिए हर दिन सामान्य नहीं होता है। कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब महिला के गर्भवती होने की सम्भावना सबसे ज्यादा रहती है। इस समय अंतराल को स्त्री का फर्टाइल स्टेज कहते हैं। इस समय यौन सम्बन्ध बनाने से स्त्री के गर्भधारण करने की सम्भावना बाढ़ जाती है।

संछिप्त उत्तर: पीरियड के कीतने दीन बाद सेक्स करे तो गर्भ ठहरता हे
मां बनना किसी भी स्त्री के लिए बेहद गर्व की बात है। परिवार तभी पूर्ण होता है जब घर में छोटे बच्चों का आगमन होता है। शिशु का जन्म सिर्फ मां और उसके पिता के लिए ही नहीं वरन परिवार के सभी लोगों के लिए बेहद खुशी की बात है।
लेकिन,
अफसोस कि गर्भवती होना इतना आसान काम भी नहीं है। बहुत से कारण है जिनकी वजह से कई महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर पाती है या गर्भधारण करने में काफी परेशानियों का सामना करती है।
कुछ छोटी मोटी बातों का अगर आप ध्यान रखें तो आप आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं।
गर्भधारण के लिए सेक्स जितना जरूरी है उतना ही जरूरी यह जानना भी है कि सेक्स करने का सही समय क्या है। कई बार गर्भधारण करने का सही समय नहीं पता होने की वजह से बहुत महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

पुरुष के शुक्राणु जब महिला के गर्भ में प्रवेश करते हैं तो गर्भधारण होता है। पुरुष के शुक्राणु महिला के अंडाणु का जब सफल निषेचन करते हैं तब गर्भधारण होता है।
अगर आपकी शादी को बहुत दिन हो गए हैं लेकिन फिर भी आप गर्भधारण नहीं कर पाई हैं तो गर्भधारण का प्रयत्न करने से पहले आप दोनो पति-पत्नी को अपना शारीरिक परीक्षण करवा लेना चाहिए।
इससे यह साफ तौर पर पता लग जाएगा की समस्या क्या है। एक बार यह पता लग जाए कि आप किस वजह से गर्भ धारण नहीं कर पा रही हैं तो डॉक्टरी मदद से समस्या का निदान किया जा सकता है
अगर आप यह जानना चाहती है कि पीरियड के बाद कौन सा दिन गर्भधारण के लिए सबसे बेहतर है तो यह लेख आपके लिए ही है।
इस लेख में आप जान सकेंगे की पीरियड्स के बाद कब गर्भधारण करना सबसे बेहतर रहता है। साथ ही आप यह भी जान पाएंगे की परिवार शुरू करने से पहले आपको क्या-क्या तैयारी करना आवश्यक है।

पीरियड 5 से 7 दिनों तक रहता है। यानी की रक्तस्राव 6 वें दिन बंद हो जाता है। पीरियड के ख़त्म होने के तुरंत बाद के कुछ दिन स्त्री के लिए गर्भधारण करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन होते हैं। उदाहरण के लिए अगर रक्तस्राव पीरियड के 6 दिन के बाद बंद हो जाता है तो अगर आप सातवें दिन सेक्स करती है तो आपकी गर्भवती होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
आपको यह अवसर उपलब्ध रहता है अगले 11 दिन तक। यह वह समय है जब अण्डोत्सर्ग की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। पीरियड्स के छठे दिन से ही शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में गर्भाधान के लिए इंतजार करते हैं।

अण्डोत्सर्ग के दिन, जो की मानसिक धर्म के शुरू होने के 12 से 14 दिन पहले है, और पीरियड के 5 दिन बाद का समय जो होता है उस दौरान स्त्री की प्रजनन क्षमता बहुत अधिक होती है।
गर्भवती होने की संभावना ज्यादा रहती है। पीरियड समाप्त होने के बाद गर्भवती होने के लिए यह आवश्यक है कि आप अपने साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
इस दौरान असुरक्षित संभोग करने से यह सफाई का ध्यान नहीं रखने से संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
गर्भधारण पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि अधिकांश गर्भधारण अण्डोत्सर्ग के दिन या उसे 5 दिन पहले संभोग करने से सफल होता है।

इसलिए अगर आप गर्भवती होना चाहती हैं तो आपके लिए सबसे उपयुक्त समय होता है कि आप अंडोत्सर्ग का इंतजार करें।
मासिक धर्म से जुड़ा हुआ पीरियड होता है। यह वक्त यौन संबंध बनाने के लिए सबसे उपयुक्त समय है। इस समय गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा रहती है।

ओव्यूलेशन साइकिल शुरू होता है मेंस्ट्रूएल पीरियड्स के 7 दिन के बाद, पीरियड शुरू होने के 7 दिन पहले तक बना रहता है।
ये जो ओवुलेशन का समय होता है यह एक महिला के गर्भ धारण करने का सबसे बेहतर समय है। इस स्थिति को महिला का फर्टाइल स्टेज कहते हैं।
अगर आप गर्भधारण करने के लिए यौन संबंध बना रहे हैं तो ओवुलेशन पीरियड का ध्यान रखने पर गर्भधारण की सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
हाल ही में विश्व स्तर पर हुए शोध में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस जानकारी के अनुसार यौन संबंध बनाते वक्त जो महिलाएं ऑर्गज्म का अनुभव करती हैं उनमें गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा रहती है।

अक्सर ऐसे हालात में जहां पति सिर्फ अपनी संतुष्टि का ख्याल रखते हैं और अपनी पत्नी के कामोत्तेजना को महत्व नहीं देते हैं उनकी पत्नियों को गर्भधारण में समस्या का सामना करना पड़ता है।
संभोग के वक्त अगर पत्नी ऑर्गज्म कि स्थिति तक पहुंचती है तो उसमें गर्भधारण की संभावना काफी ज्यादा रहती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुष के शुक्राणु को सही जगह पहुंचने के लिए सही समय और उपयुक्त माहौल मिल जाता है तथा शुक्राणु ज्यादा समय तक जीवित भी रहते हैं।
गर्भधारण करने के लिए उम्र का बहुत बड़ा महत्व है। गर्भवती होने के लिए सबसे उपयुक्त उम्र होती है 22 वर्ष से लेकर 29 वर्ष तक के बीच की।
शादी को लेकर आज के दौर में लोगों की सोच बदल गई है। आज के दौर में शादी की औसत उम्र होती है 30 वर्ष। लेकिन गर्भधारण करने के लिए सबसे उपयुक्त उम्र तो 29 वर्ष में ही ख़त्म हो जाती है।
यही वजह है कि आज के समय में अधिकांश महिलाएं गर्भधारण करने में समस्याओं का सामना करती हैं अगर गर्भ धारण कर भी लें, तो गर्भावस्था के 9 महीने बहुत कष्टकारी होते हैं।
जहां कुछ दशक पहले सिजेरियन से जन्म अपवाद हुआ करता था, आज यह एक आम बात हो गया है। स्त्री की 25 वर्ष की उम्र उसकी शारीरिक और मानसिक रूप से गर्भवती होने के लिए सबसे उपयुक्त उम्र होती है।
गर्भधारण से संबंधित अनेक शोध यह बात सामने आई है की लड़कियों के गर्भ धारण करने की सबसे उपयुक्त उम्र 18 साल से 35 साल तक के बीच में होती है।

इस उम्र से पहले गर्भधारण करना या इस उम्र के बाद गर्भधारण करने में महिलाओं को कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। तथा गर्भ में शिशु के विकास में भी इसका बुरा असर पड़ता है।
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार जो महिलाएं 35 वर्ष की उम्र के बाद गर्भ धारण करती हैं उन्हें शिशु के जन्म के समय कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
तथा शिशु में बर्थ डिफेक्ट की संभावना भी रहती है। जो महिलाएं 40 वर्ष की उम्र की दहलीज पार कर चुकी है उन्हें गर्भधारण करने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए।
इस उम्र के बाद वैसे ही कई प्रकार की बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं, और शिशु के स्वस्थ विकास के लिए शरीर उपयुक्त माहौल तैयार नहीं कर पाता है।
जिस तरह हर काम को करने का एक उपयुक्त समय होता है उसी तरह से गर्भधारण करने की भी एक उपयुक्त आयु सीमा होती है। इस आयु सीमा से पहले या बाद में गर्भधारण करने से अनेक प्रकार की जटिलताएं मां और शिशु के लिए पैदा हो सकती है।
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घरों में इस्तेमाल होने वाले गेहूं से भी बच्चे बीमार पड़ सकते हैं! उसकी वजह है गेहूं में मिलने वाला एक विशेष प्रकार का प्रोटीन जिसे ग्लूटेन कहते हैं। इसी प्रोटीन की मौजूदगी की वजह से गेहूं रबर या प्लास्टिक की तरह लचीला बनता है। ग्लूटेन प्रोटीन प्राकृतिक रूप से सभी नस्ल के गेहूं में मिलता है। कुछ लोगों का पाचन तंत्र गेहुम में मिलने वाले ग्लूटेन को पचा नहीं पता है और इस वजह से उन्हें ग्लूटेन एलर्जी का सामना करना पड़ता है। अगर आप के शिशु को ग्लूटेन एलर्जी है तो आप उसे रोटी और पराठे तथा गेहूं से बन्ने वाले आहारों को कुछ महीनो के लिए उसे देना बंद कर दें। समय के साथ जैसे जैसे बच्चे का पाचन तंत्र विकसित होगा, उसे गेहूं से बने आहार को पचाने में कोई समस्या नहीं होगी।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
हैरत में पड़ जायेंगे जब आप जानेंगे किवी फल के फायेदे बच्चों के लिए। यह शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ता है, त्वचा को सुन्दर और लचीला बनता है, पेट से सम्बंधित तमाम तरह की समस्याओं को ख़तम करता है, अच्छी नींद सोने में मदद करता है, सर्दी और जुखाम से बचाता है, अस्थमा में लाभ पहुंचता है, आँखों की रौशनी बढ़ता है।
शिशु के जन्म के बाद यानी डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या देखी गई है। हालांकि बाजार में बाल झड़ने को रोकने के लिए बहुत तरह की दवाइयां उपलब्ध है लेकिन जब तक महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं तब तक यह सलाह दी जाती है कि जितना कि जितना ज्यादा हो सके दवाइयों का सेवन कम से कम करें। स्तनपान कराने के दौरान दवाइयों के सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
Online BMI Calculator - बॉडी मास इन्डेक्स (BMI) का गणना करने के लिए आप को BMI calculator में अपना वजन और अपनी लम्बाई दर्ज करनी है। सब्मिट (submit) दबाते है calculator आप के BMI को दिखा देगा।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
मौसम तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में अगर आप का बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे जितना ज्यादा हो सके उसे आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शरीर को पूरा आराम मिलता है तो वो संक्रमण से लड़ने में ना केवल बेहतर स्थिति में होता है बल्कि शरीर को संक्रमण लगने से भी बचाता भी है। इसका मतलब जब आप का शिशु बीमार है तो शरीर को आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है, मगर जब शिशु स्वस्थ है तो भी उसके शरीर को पूरा आराम मिलना बहुत जरुरी है।
बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
शिशु को डेढ़ माह (six weeks) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
विटामिन सी, या एस्कॉर्बिक एसिड, सबसे प्रभावी और सबसे सुरक्षित पोषक तत्वों में से एक है यह पानी में घुलनशील विटामिन है यह कोलेजन के संश्लेषण के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जिससे रक्त वाहिकाओं और शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। मानव शरीर में विटामिन सी पैदा करने की क्षमता नहीं है। इसलिए, इसे भोजन और अन्य पूरक आहार के माध्यम से प्राप्त करने की आवश्यकता है।
सावधान - जानिए की वो कौन से आहार हैं जो आप के बच्चों के लिए हानिकारक हैं। बढते बच्चों का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। ऐसे में बच्चों को वो आहार देना चाहिए जिससे बच्चे का विकास हो न की विकास बाधित हो।
उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
9 महीने के बच्चों की आहार सारणी (9 month Indian baby food chart) - 9 महीने के अधिकतर बच्चे इतने बड़े हो जाते हैं की वो पिसे हुए आहार (puree) को बंद कर mashed (मसला हुआ) आहार ग्रहण कर सके। नौ माह का बच्चा आसानी से कई प्रकार के आहार आराम से ग्रहण कर सकता है। इसके साथ ही अब वो दिन में तीन आहार ग्रहण करने लायक भी हो गया है। संतुलित आहार चार्ट
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
अगर आप यह चाहते है की आप का बच्चा भी बड़ा होकर एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी बने तो इसके लिए आपको अपने बच्चे के खान - पान और रहन - सहन का ध्यान रखना होगा।
कौन नहीं चाहता की उनका शिशु गोरा हो! अगर आप भी यही चाहते हैं तो कुछ घरेलु नुस्खे हैं जिनकी सहायता से आप के शिशु की त्वचा गोरी और निखरी बन सकती है। जानिए की आप सांवले बच्चे को कैसे बनाएं गोरा
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बुखार होना शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होना है। बुखार अपने आप मे कोई बीमारी नहीं है लेकिन एक अंतर्निहित बीमारी का एक लक्षण हो सकता है। यह एक संकेत है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ रही है।