Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺10 min read
जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
अधिकांश बच्चों में बचपन में अंगूठा चूसने की आदत पाई जाती है। जिन बच्चों में बचपन में अंगूठा चूसने की आदत पड़ती है उनमें से कुछ बच्चे 4 साल तक की उम्र तक अंगूठा चूसते पाए गए हैं।
यह एक बेहद सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है।
लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में 6 साल तक के बच्चे भी अंगूठा चूसते हुए पाए गए हैं। 6 साल से बड़े बच्चों में अगर अंगूठा चूसने की आदत पाई जाए तो उस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
अंगूठा चूसने से बच्चों की सेहत पर कुछ अच्छे तो कुछ बुरे प्रभाव पड़ते हैं। लेकिन अगर हम दातों की बात करें तो अंगूठा चूसने का इन पर केवल बुरा प्रभाव ही पड़ता है।
बच्चों के अंगूठा चूसने के बहुत से कारण है। यह कारण मनोवैज्ञानिक तथा शारीरिक भी हो सकते हैं। जिस प्रकार से जब हम तनाव की स्थिति में होते हैं तो हमारा मन कुछ मीठा या फिर नमकीन (comfort food) खाने के लिए करता है उसी प्रकार से छोटे बच्चों का मन अपने अंगूठा को चूसने के लिए करता है।
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ऐसा इसलिए क्योंकि अपनी इच्छा से वे अपनी मां स्तनों का पान तो नहीं कर सकते हैं लेकिन हां, अपने अंगूठे को जरूर चूस सकते हैं। चलिए अब विस्तार से देखते हैं अंगूठा चूसने के कारणों के बारे में:
जो बच्चे लंबे समय तक अंगूठा चूसते हैं उनके दांतो की ऊपरी हड्डी पर बाहर की ओर अनावश्यक जोर पड़ता है। इस वजह से उनके ऊपरी दांत की हड्डी बाहर की ओर आ जाती है और ऐसे बच्चों के दांत दिखने में गिरने लगते हैं।
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कुछ बच्चों में नीचे के आगे के दांतों के बीच में रिक्त स्थान भी पैदा हो जाता है। ऊपर के दांत बाहर की ओर उभरे हुए और निकले हुए दिखाई दे सकते हैं।
अंगूठा चूसने की प्रक्रिया बच्चों के दांतों को अपने स्थान से धक्का देती है जिस वजह से बच्चों को आहार ग्रहण करने में भी समस्या आ सकती है। बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत उनके चेहरे की खूबसूरती को भी खराब कर सकते हैं। चलिए अब अंगूठा चूसने के कुप्रभावों को विस्तार से जाने:
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अगर आपके बच्चे 3 साल की उम्र से बड़े हैं तो आप उन्हें अंगूठा चूसने के दुष्परिणामों के बारे में समझाएं। उन्हें बताएं कि किस तरह से अंगूठा चूसना उन्हें बीमार कर सकता है तथा उनके दांतो को भी खराब कर सकता है।
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आप अपने शिशु को बताएं जिस उंगली को चूसा जा रहा है उस पर संक्रमण हो सकता है या सूजन हो सकता है तथा सांस लेने में दिक्कत भी पैदा हो सकती है।
बच्चों को यह भी बताएं कि अंगूठा चूसने से बड़े होकर दांत टेढ़े मेढ़े और ऊपर नीचे हो सकते हैं जिन्हें ठीक करने के लिए दांतो में तार लगवाना पड़ता है जिस में बहुत दर्द होता है।
आप अपने अंगूठा चूसने वाले बच्चे को यह भी बताएं कि यदि वह अपनी इस आदत को नहीं छोड़ता है तो बड़ा होकर जब वह स्कूल और कॉलेज जाएगा तो वहां पर वह सब की हंसी का पात्र भी बन सकता है।
आप अपनी बच्ची में अंगूठा चूसने की आदत को खत्म करने के लिए किसी योग्य डॉक्टर के परामर्श भी ले सकते हैं।
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बच्चों के दूध के दांतों में जलन होती है तो उसे बेबी बोतल टूथ डिकेय कहते हैं। यह कई कारणों से होता है।लेकिन इसकी मुख्य वजह है दातों का साथ नहीं रहना।
जो बच्चे दिनभर चॉकलेट खाते हैं या फिर दिनभर अपने अंगूठे को चूसते रहते हैं उन बच्चों के दांतों में बैक्टीरिया को पनपने का पर्याप्त माहौल मिल जाता है।
यह बैटरी दिया एसिड का निर्माण करते हैं जो दांतो को अंदर ही अंदर गलाने का काम करता है। इससे दांत अंदर से खोखले और कमजोर हो जाते हैं और उनमें कैविटीज़ हो।
आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि आप शुरुआत से ही अपने बच्चों को ज्यादा मीठे का सेवन करने ना दें और ना ही उनमें अंगूठा चूसने का आदत पड़ने दे।
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अंगूठा चूसने की वजह से शिशु के सबसे पहले ऊपर वाले और सामने वाले दांत खराब होते हैं और फिर यह समस्या बाकी के दातों तक भी फैल जाती है।
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अंगूठा चूसने की वजह से मुख्य रूप से दो प्रकार की समस्याओं का सामना बच्चों को करना पड़ता है। पहला तो यह कि उनके दातों में चरण की संभावना बढ़ जाती है और दूसरा यह कि उनके दातों का आकार टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है। यह दोनों समस्याएं आगे चलकर के नए निकलने वाले दांतो को भी प्रभावित कर सकती हैं।
कुछ माता पिता यह सोचते हैं कि अभी तो उनके बच्चों के दांत दूध के दांत हैं। जब दूध के दांत गिर जायेंगे और नए दांत निकलेंगे तब वह उनके दातों पर ज्यादा ध्यान देंगे।
इस वजह से मां-बाप अपने छोटे बच्चों के दांतों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि दूध के दांतों की खराबी का असर बाद में उगने वाले दांतो पर भी पड़ता है।
अगर बच्चों के दूध के दांत में पहले से ही समस्या होगी तो आने वाले दांत भी कमजोर होंगे या टेढ़े-मेढ़े उगेंगे तथा उनमें संक्रमण का खतरा भी लगा रहेगा क्योंकि उनके मुंह में दातों का संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया पहले से मौजूद रहेंगे।
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अगर आप समय रहते अपने बच्चे के अंगूठा चूसने की आदत पर काबू नहीं पाते हैं तो आगे चलकर के आपके शिशु को बहुत ही दातों की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कई बार नए उगने वाले दातों में संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि उन्हें निकालना पड़ जाता है। ऐसे में शिशु को बोलने में तथा खाने में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए समय रहते उनकी बातों को संक्रमण से बचाना बहुत जरूरी है।
बच्चों की रातों को संक्रमण से बचाने के लिए आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है। आपको केवल उनकी थोड़ी साफ सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है और अपनी तरफ से प्रयास करने की जरूरत है कि उनके अंगूठा चूसने का आदत खत्म हो जाए।
जरूरी नहीं है कि बच्चों के दांत केवल संक्रमण या अंगूठा चूसने की वजह से ही खराब हो। अगर आप चाहती हैं कि आपके बच्चों के दांत स्वस्थ और सुरक्षित रहें तो आपको और भी बहुत सी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं बच्चों के दांत खराब होने के कुछ ऐसे कारणों के बारे में जिनका जिक्र हमने ऊपर नहीं किया है।
सुनने में यह बात हुई चौकाने वाली लग सकती है लेकिन कुछ बच्चों के दांत जो बचपन से ही कमजोर हैं या पीले पड़ जाते हैं उनका एक बहुत बड़ा कारण होता है गर्भावस्था में की गई लापरवाही।
यदि गर्भावस्था के दौरान मां अपना ख्याल ना रखें और संतुलित आहार ना ग्रहण करें तो गर्भ में पल रहे बच्चे की दांत आगे चलकर कमजोर हो सकते हैं।
इसकी वजह यह है कि जब गर्भवती महिला संतुलित आहार ग्रहण नहीं करती है तो उसकी शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिल पाता है जो कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी है। इससे आने वाले समय में शिशु के दांत खराब और कमजोर हो सकते हैं।
बच्चे रात में कई बार दूध पीते हैं। यह उनके शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। शिशु के प्रथम वर्ष में उसका जितना विकास होता है शायद ही उतना ज्यादा विकार उसके शरीर का फिर कभी हो।
शारीरिक विकास की इस गति को कायम रखने के लिए बच्चे को बहुत पोषण की आवश्यकता होती है। यही वजह है कि बच्चे को बहुत भूख लगती है।
रात में सोते सोते बच्चे कई बार उठते हैं और दूध की मांग करते हैं। ऐसे में रात में बच्चों का मुंह में बोतल लेकर किस होना आम बात हो जाता है।
लेकिन यह आदत आगे चलकर उनके दांतो को प्रभावित करते हैं। बच्चों के दांत काले और धब्बेदार हो सकते हैं। इस समस्या को बेबी बोतल टूथ डिकेय कहते हैं।
बच्चे को बेबी बोतल टूथ डिकेय की समस्या से बचाने के लिए जब भी आप उसे रात में दूध पिलाएं तो बोतल में दूध खत्म होते ही बच्चे के मुंह से बोतल को हटा दें ताकि बोतल में बची कुछ बूंदें बच्चे कि दांतो को देर तक गंदा ना रख सके।
कुछ विशेषज्ञ बच्चे को रात में दूध की जगह पानी पिलाने की सलाह देते हैं ताकि बच्चे का मुंह साफ रहे। लेकिन आप ऐसा बिल्कुल भी ना करें।
6 माह से छोटे बच्चों को दूध पिलाना उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। कुछ विशेषज्ञ इस बात की भी राय देते हैं कि रात में सोते वक्त बच्चे को जो पानी पिलाया जाए उसमें क्लोराइड की कुछ टैबलेट डाल दिए जाएं ताकि दांतों के कीड़े पड़ने की संभावना खत्म हो जाए।
आप को यह भी करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि बच्चों के मुंह में मौजूद सलाइवा दांतों में पनप रहे अतिक्रमण को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है।
आपको बस इस बात का ध्यान रखना है कि आप बच्चे के दूध पीते ही उसके बोतल को उसके मुंह से हटा दें।
कुछ बच्चों में दांतों की समस्या उनके दातों में चोट लगने की वजह से भी होती है। कई बार बच्चे खेलते खेलते गिर जाते हैं और उनके दातों में चोट लग जाती है जिस वजह से बाद में स्थाई दांत आने में उन्हें थोड़ी परेशानी होती है।
अगर बच्चे के दूध के दांत समय से पहले टूट जाए तो एक बार अपने बच्चे का डॉक्टर से चेकअप जरूर करवा ले।
जब बच्चों के दांत निकलने वाले होते हैं तो उनके दातों में एक अजीब सा एहसास होता है जो बहुत ही तकलीफ देने वाला और परेशान करने वाला होता है।
इस स्थिति में बच्चों की तीव्र इच्छा होती है कि वह मुंह में कुछ भी डाल कर चलाएं और इस दौरान कई बार बच्चे कुछ ऐसी नौकरी चीज को अपने मुंह में डाल लेते हैं जो उनके आने वाले दांत को खुरच देता है जिस वजह से उनके दांत खराब हो जाते हैं।
आप अपने बच्चों के दांतों खरीदने से बचाने के लिए, जब उनके दांत उगने वाले हो, तब आप उन्हें ऐसे खिलौने ला कर के दे जो बहुत मुलायम हो ताकि मैं उन्हें अपने मुंह में डालकर सुरक्षित रूप से चबा सके।
आप अपने बच्चों को गाजर और सेब के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर के भी दे सकते हैं ताकि बच्चे इन्हें मुंह में डाल कर चला सके।
इस बात का ध्यान रहे कि फलों के टुकड़े इतने छोटे ना हो कि उनके गले में अटक जाए लेकिन इतने बड़े भी ना हो कि जिसे मैं अपने हाथों में पकड़ कर अपने मुंह से चबाना सके।
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