Category: प्रेगनेंसी
By: Admin | ☺6 min read
गर्भावस्था के दौरान बालों का झाड़ना एक बेहद आम बात है। ऐसा हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है। लेकिन खान-पान मे और जीवन शैली में छोटे-मोटे बदलाव लाकर के आप अपने बालों को कमजोर होने से और टूटने/गिरने से बचा सकती हैं।

क्या आप को पता है की आप के बाल एक चरणबद्ध तरीके से आप के सर पे उगते हैं!
किसी भी वक्त आप के सर पे केवल 90% बाल ही होते हैं। बाकि 10% बाल आराम की अवस्थ में होते हैं। ये बाल दो से तीन महीने आराम करने के बाद फिर से उगना शुरू कर देते हैं और दुसरे 10% बाल झड़ जाते हैं और यूँ कहें की दो से तीन महीने की छुट्टी पे चले जाते हैं।
लेकिन गर्भावस्था के दौरान बालों के गिरने और उगने का ये चक्र रूक जाता है। इस वजह से सर के बाल औसत से ज्यादा मोठे होने लगते हैं।
बाल अपने अंतिम सिरे पे फुट के दो मुहे भी होने लगते हैं। बालों का झड़ना कई वजह से होता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान चूँकि नय बाल उगने बंद हो जाते हैं, इस वजह से लगता है की बाल ज्यादा झड़ने लगे हैं।

इस लेख में हम चर्चा करेंगे की किस तरह से आप गर्भावस्था के दौरान अपने बालों को गिरने से बचा सकती हैं।
जैसा की हम ऊपर बात कर चुके हैं की बालों का झड़ना कई वजह से हो सकता है। ये जानना जरुरी है की आप के बाल का झड़ना सामान्य है यह नहीं।

मतलब यह की ये सुनिश्चित करना की आप के बालों का झड़ना गर्भावस्था की वजह से ही है। गर्भवती महिलाओं पे हुए शोध में ये बात सामने आयी है की करीब 40 से 50% गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
लेकिन अच्छी बात ये है की यह समस्या केवल गर्भावस्था के दौरान ही रहती है। शिशु के जन्म के बाद बालों के झड़ने की समस्या भी समाप्त हो जाती है।
गर्भावस्था के दौरान progesterone hormone के अत्यधित निर्माण की वजह से सर के बाल बहुत रूखे और सूखे हो जाते हैं। इसकी वजह से बालों में दरार पड़ने लगती है और ये जड़ के समीप से टूटने लगते हैं। यह अवस्था प्रेगनेंसी के अंतिम कुछ महीनो में ज्यादा देखने को मिलती है।

गर्भावस्था के दौरान बाल और भी कई वजह से टूट सकते हैं। लेकिन अगर गर्भावस्था के दौरान आप के बाल असहज तरीक से टूटने लगे तो अपने डॉक्टर या त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि बालों के टूटने की सही वजह के बारे में जाना जा सके और उन्हें ज्यादा टूटने से रोका जा सके।
इस लेख के अंत में हम आप को बताएँगे की कौन - कौन से आसान घरेलु तरीके से आप अपने बालों को झड़ने से बचा सकती हैं। आप को केवल अपने खान-पान और जीवन शैली में कुछ छोटे-मोठे बदलाव करने है।
अगर गर्भावस्था के दौरान आप के बाल सामान्य से थोड़ा जयादा झड़े तो इसमें चिंता की बात नहीं है। बच्चे के जन्म के बाद आप के बाल फिर से सामान्य तरीके से उगने लगेंगे और पहले जैसे घने हो जायेंगे। स्त्री के शरीर में शिशु के सही विकास के लिए गर्भकाल के दौरान कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव और शारीरिक बदलाव होते हैं। ये मुख्या वजह हैं बाल झड़ने के।

शिशु के जन्म के बाद एक बार फिर से जैसे ही स्त्री का हार्मोनल संतुलन पहले जैसे हो जायेगा, उसके बाल फिर से उग जायेंगे।
बालों का झड़ना और भी कई वजह से हो सकता है। अगर आप के बालों का झड़ना गर्भावस्था के कारण नहीं है तो आप के लिए शायद ये चिंता का विषय है।
आप के लिए उचित ये होगा की आप अपने डॉक्टर की राय लें और समय पे इलाज कराएं। हम आप को निचे बताने जा रहे हैं बाल झड़ने के कुछ अन्य मुख्य वजह।
गर्भावस्था के दौरान आप के शरीर को बहुत जायद पोषण की जरुरत होती है। सबसे ज्यादा जरुरत होती है आयरन की। अगर आप के आहार से आप के शरीर को उचित मात्रा में पोषण नहीं मिल रहा है तो जल्द ही इसकी वजह से आप के बाल झड़ने लग सकते हैं।

आप के बाल मुख्यता प्रोटीन के बने होते हैं। अगर आप के शरीर में प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हुई तो भी आप के बाल कम जोर होने टूटने लग सकते हैं।
उलटी और मिचली की वजह से शरीर में पोषण की कमी हो सकती है। और ये आप के बालों के झड़ने का कारण बन सकती है।
इसीलिए गर्भावस्था के दौरान उलटी होने पे या जी मचलने पे हर थोड़ी थोड़ी देर पे कुछ कहते रहें ताकि आप के शरीर में पोषण की कमी न हो।
कुछ बीमारियां जैसे की गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes) या फिर रिंगवर्म (ringworm - fungal infection) की वजह से भी बालों का झड़ना हो सकता है।

कुछ दवाइयां जिन्हे उच्च रक्तचाप, अवसाद, और एंजाइटी (anxiety) के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उनके इस्तेमाल से भी बालों का झड़ना संभव है।
अगर आप किसी विशेष दवा के इस्तेमाल के दौरान अपने बालों का अत्यधिक झड़ना पाएं तो अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करें।
गर्भावस्था के दौरान स्त्री के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं। शरीर में हॉर्मोन के इस उतर और चढ़ाव की वजह से भी बालों का विकास कुछ समय के लिए रूक जाता है।

इसका नतीजा होता है बालों का अत्यधिक झड़ना। यह समस्या शिशु के जन्म के कुछ समय बाद स्वतः ही समाप्त हो जाती है।
बालों के झड़ने पे अनुवांशिकी का भी प्रभाव पड़ता है। अगर आप के माँ-बाप को भी बालों के झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ा है तो संभवतः आप के बालों के झड़ने की वजह अनुवांशिकी हो सकती है। इस प्रकार के बालों के झड़ने की समस्या को दवाई और इलेज से ठीक किया जा सकता है।
शरीर में थाइरोइड हॉरमोन (thyroid hormone) की कमी की वजह से भी बालों का झड़ना हो सकता है। थाइरोइड हॉरमोन की समस्या आज के जीवन शैली में आम बात हो गयी है।

थाइरोइड हॉरमोन शरीर में कई प्रकार के महत्वपूर्ण गतिविधियों को नियंत्रित करता है जैसे की मेटाबॉलिज्म, पाचन तंत्र, मानसिक स्वस्थ्य, और नाखून और बालों का स्वस्थ्य।
थाइरोइड हॉरमोन (thyroid hormone) की कमी से ये सारे शारीरिक कार्य प्रभावित होते हैं।
PCOS यानी की पोलिसिस्टिक ओवरी रोग जो की होता है हार्मोनल इम्बैलेंस (hormonal imbalance) की वजह से।

साधारण भाषा में इसे इस तरह से समझ सकते है की इस अवस्था में स्त्री के शरीर में (अंडाशय में) पुरुषो वाले हॉर्मोन अत्यधिक मात्रा में बनने लगते हैं।
हालाँकि अधिकांश महिलाओं पे इसका कोई असर नहीं पड़ता है लेकिन कुछ महिलाओं के बाल असामान्य रूप से बढ़ने, गिरने लग सकते हैं।
त्वचा पे अलेर्जी और कुछ विशेष अवस्था जो स्कैल्प को रभावित करती है, उनकी वजह से बाल पतले और कमजोर हो सकते हैं। बालों के कमजोर होने की वजह से वे आसानी से टूट सकते हैं।
कुछ महिलाओं को प्रजननं समबन्धी समस्याओं के कारण भी बालों के झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

उदाहरण के लिए गर्भपात के लिए इस्तेमाल की गयी दवा के असर के कारण। मिसकैरेज, एबॉर्शन और स्टिलबर्थ की वजह से भी बालों का झड़ना हो सकता है।
बालों का झड़ना खुद में कोई स्वस्थ परेशानी नहीं है। हां लेकिन यह किसी स्वस्थ सम्बन्धी समस्या का लक्षण जरूर हो सकता है। इसीलिए जरूरी है की जैसे ही आप बालों का झड़ना पाएं, तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
जरुरी नहीं की बालों के झड़ने की समस्या का समाधान अंग्रेज़ी दवा हो। खान-पान और जीवन शैली में सुधरातम बदलाव लाने भर से अधिकांश महिलाओं को इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
अब हम आप को बताने जा रहे हैं की आप अपने दिनचर्या में वो कौन - कौन से छोटे-मोठे बदलाव कर के अपने बालों का झड़ना रोक सकती हैं।
अगर बच्चा बिस्तर से गिर पड़े तो आप को कौन से बातों का ख्याल रखना चाहिए? कौन से लक्षण और संकेत ऐसे हैं जो शिशु के अंदरूनी चोट के बारे में बताते हैं। शिशु को चोट से तुरंत रहत पहुँचाने के लिए आप को क्या करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब आप इस लेख में पढ़ेंगी।
हैरत में पड़ जायेंगे जब आप जानेंगे किवी फल के फायेदे बच्चों के लिए। यह शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ता है, त्वचा को सुन्दर और लचीला बनता है, पेट से सम्बंधित तमाम तरह की समस्याओं को ख़तम करता है, अच्छी नींद सोने में मदद करता है, सर्दी और जुखाम से बचाता है, अस्थमा में लाभ पहुंचता है, आँखों की रौशनी बढ़ता है।
शिशु का जन्म पूरे घर को खुशियों से भर देता है। मां के लिए तो यह एक जादुई अनुभव होता है क्योंकि 9 महीने बाद मां पहली बार अपने गर्भ में पल रहे शिशु को अपनी आंखों से देखती है।
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
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शिशु में ठोस आहार की शुरुआत छेह महीने पूर्ण होने पे आप कर सकती हैं। लेकिन ठोस आहार शुरू करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना जरुरी है ताकि आप के बच्चे के विकास पे विपरीत प्रभाव ना पड़े। ऐसा इस लिए क्यूंकि दूध से शिशु को विकास के लिए जरुरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं - लेकिन ठोस आहार देते वक्त अगर ध्यान ना रखा जाये तो भर पेट आहार के बाद भी शिशु को कुपोषण हो सकता है - जी हाँ - चौंकिए मत - यह सच है!
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
जाने की किस तरह से ह्यूमिडिफायर (Humidifier) बंद नाक और जुकाम से रहत पहुंचता है। साथ ही ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी सीखें। छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम और बंद नाक से रहत पहुँचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल की राय देते हैं। ठण्ड के दिनों में कमरे में कई कारण से नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। इससे शिशु को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
छोटे बच्चों में और नवजात बच्चे में हिचकी आना एक आम बात है। जानिए की किन-किन वजहों से छोटे बच्चों को हिचकी आ सकती है और आप कैसे उनका सफल निवारण कर सकती हैं। नवजात बच्चे में हिचकी मुख्यता 7 कारणों से होता है। शिशु के हिचकी को ख़त्म करने के घरेलु नुस्खे।
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बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
अलग-अलग सांस्कृतिक समूहों के बच्चे में व्यवहारिक होने की छमता भिन भिन होती है| जिन सांस्कृतिक समूहों में बड़े ज्यादा सतर्क होते हैं उन समूहों के बच्चे भी व्याहारिक होने में सतर्कता बरतते हैं और यह व्यहार उनमे आक्रामक व्यवहार पैदा करती है।
फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
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बचपन के समय का खान - पान और पोषण तथा व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत निर्धारित करते हैं।
आइये अब हम आपको कुछ ऐसे आहार से परिचित कराते है , जिससे आपके बच्चे को कैल्शियम और आयरन से भरपूर पोषक तत्व मिले।
हैंडी क्राफ्ट एक्टिविटीज बच्चों में सकारात्मक और रचनातमक सोच विकसित करता है। हम आप को बताएंगे की आप सरलता से कागज का हवाई मेढक कैसे बनायें।