Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
कुछ सॉफ्टवेयर हैं जो पेरेंट्स की मदद करते हैं बच्चों को इंटरनेट की जोखिमों से बचाने में। इन्हे पैरेंटल कन्ट्रो एप्स (parental control apps) के नाम से जाना जाता है। हम आपको कुछ बेहतरीन (parental control apps) के बारे में बताएँगे जो आपके बच्चों की सुरक्षा करेगा जब आपके बच्चे ऑनलाइन होते हैं।

हम लोग इंटरनेट के आधुनिक युग में जी रहे हैं। जहाँ इंटरनेट ने बहुत सी चीज़ें आसान कर दी हैं जैसे की ऑनलाइन टिकट बुक करना, GPS द्वारा आसानी से नई जगह पे पहुँच जाना, बच्चों का homework या assignment, यह सब बेहद आसान हो गया है। बच्चे और बड़ों सबके लिए नई नई जानकारी पाना बहुत सरल हो गया है।
मगर ऑनलाइन जगत के अपने कुछ खतरे हैं। जैसे अनजाने में बच्चों का adult/porn सामग्री से सामना, हैकिंग (hacking), पिशिंग (phishing), और भी तमाम खतरे हैं। बच्चे एक आसान टारगेट (easy target) हैं विशेष कर युवा पीड़ी (teenagers)।
इंटरनेट के जरिये अराजक तत्त्व बच्चों तथा युवा पीढ़ी को ड्रग्स तक देने की कोशिश करते हैं। साइबर बुलइंग (cyber bullying) भी एक समस्या है जहाँ कुछ बच्चे दूसरे बच्चों को ऑनलाइन परेशान करते हैं। और भी कई प्रकार के लोग हैं जो दूसरे बच्चों को बुरी नियत (wrong intention) से इंटरनेट के जरिये निशाना बनाने की कोशिश करते हैं।
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युवा पीढ़ी के लिए इंटरनेट पे इन सब चीज़ों से निपटना आसान नहीं है। और इसी लिए आप पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है की आप अपने बच्चों को इंटरनेट के खतरों से बचाएं। मगर पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ी समस्या ये है की बहुत से बच्चे अपने पेरेंट्स से सब कुछ शेयर नहीं करते। वे नहीं बताते की उनके जीवन में क्या चल रहा है।
Apps और software तो अच्छे विकल्प हैं बच्चों को internet के खतरों से बचाने के लिए, मगर कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो बच्चों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सकता है। यहां पर हम आप को बताने जा रहें हैं कुछ टिप्स जो आप अपने बच्चों को जरूर बताएं।
व्यक्तिगत जानकारियां न दें - बच्चों को बताएं की वे कभी भी व्यक्तिगत जानकारियां इंटरनेट पे साझा न करें। व्यक्तिगत जानकारियां जैसे की फ़ोन नंबर, घर का पता, फोटो, स्कूल का नाम, कहीं ट्रिप पे जा रहें हों तो, ट्रिप की जानकारी, इंटरनेट पे किसी भी व्यक्ति से शेयर न करें। ऐसा करना आप के बच्चे और आप के घर के लिए असुरक्षित हो सकता है।
असुरक्षित वेबसाइट्स (websites) पे न जाएँ - बच्चों को सलाह दें की वे असुरक्षित websites पे न जाएँ। न ही असुरक्षित सामग्री online access करें। सिर्फ school से सम्बंधित सामग्री ही access करने की सलाह दें।
अनजान व्यक्तियों से कुछ न लें - जिस तरह अनजान व्यक्तियों से chocolate और gifts नहीं लेनी चाहिए उसी तरह अनजान व्यक्तियों से ईमेल, फाइल्स, और messages नहीं लेनी चाहिए।
सभी ऑनलाइन सामग्री विश्वसनीय नहीं होती - सभी बातें जो हम ऑनलाइन पढ़ते हैं जरुरी नहीं की सही हों। कई बार ये वो लोग नहीं होते जो वे अपने को दिखाते हैं। इसी लिए जानकारी के स्रोत का पता कर लें ताकि जानकारी की विश्वसनीयता का पता चल सके।
बड़ों की सलाह - बच्चों को बताएं की अगर कोई ऑनलाइन सामग्री परेशान या विचलित करने वाली हो तो माँ-बाप से ये फिर अध्यापक से उसके बारे में जरूर राय ले लें। बच्चों को बताएं की अगर उन्हें कोई ऑनलाइन परेशान करता है (cyber bullying) तो उसके बारे में भी उन्हें जरूर बताएं।
इन बातों के आलावा हम बताने जा रहें हैं कुछ software और apps के बारे में जो पेरेंट्स की मदद करते हैं बच्चों को इंटरनेट की जोखिमों से बचाने में। इन्हे पैरेंटल कन्ट्रो एप्स (parental control apps) के नाम से जाना जाता है।

हम आपको कुछ बेहतरीन (parental control apps) के बारे में बताएँगे जो आपके बच्चों की सुरक्षा करेगा जब आपके बच्चे ऑनलाइन होते हैं।
यह एक लेटेस्ट सॉफ्टवेयर है जो आपको वो सारे features देगा जो जरुरी है। ये आपके बच्चों के स्मार्टफोन पे होने वाली text messages और calls की निगरानी करता है। इस सॉफ्टवेयर के जरिये आप देख सकते हैं की आपके बच्चे की प्रकार के वार्तालाप में संलिप्त हो रहे हैं, किन लोगों के संगती में रहते हैं और किन लोगों के साथ अक्सर घूमते हैं। अगर आप के बच्चों के स्मार्टफोन पे कुछ जयदा ही कॉल्स आ रहे हों और वे कुछ ज्यादा ही घर से बहार रह रहे हो तो आप को सावधान हो जाना चाहिए।
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इस सॉफ्टवेयर में एक ऐसा features है जिसके मदद से आप बच्चों के स्मार्टफोन पे होने वाली text messages को पढ़ सकते हैं। क्या बातें चल रही हैं और बात करने का अंदाज क्या है इससे आप पता लगा सकती हैं की आप के बच्चे कहीं cyber bullying के शिकार तो नहीं हो रहे हैं। cyber bullying आप के बच्चों के मनोबल (confidence) को कमजोर कर सकता है। अगर ऐसा कुछ हो रहा है तो जरुरत है की आप स्थिति को अपने हाथ में लें इससे पहले की देर हो जाये।
इस सॉफ्टवेयर का दूसरा features है location tracking जो पेरेंट्स की मदद करता है ये जानने में की उनका बच्चा दिन भर किन किन जगहों पे जाता है। अगर वो ऐसे जगहों पे जा रहा है जहाँ उसे नहीं जाना चाहिए, तो आप अपने बच्चों से इस बारे मैं बात कर सकती हैं।
ShieldMyTeen की एक और खासियत ये है की ये सारे adults contents को block कर देता है। इसका मतलब आपके बच्चे अपने smartphone पे pornography नहीं देख पाएंगे।
यह सॉफ्टवेयर फ्री (free) में उपलब्ध है जिसका मतलब आपको अपने बच्चों को सुरक्षित करने के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करना है। ShieldMyTeen की और भी बहुत सारी विशेषतएं हैं जो आपकी मदद करेंगी आप के बच्चों को इंटरनेट के खतरों से बचाने मैं। एहि वजह है की इस सॉफ्टवेयर का जिक्र मैंने सबसे पहले किया।
नेट नैनी पैरेंटल एप्लीकेशन (parental application) के बारे मैं बहुतों को पता है। ये काफी लोकप्रिय application है। ये application बहुत समय से माँ-बाप की मदद कर रहा है बच्चों को ऑनलाइन (online) सुरक्षित रखने मैं।पिछले कई सैलून के दौरान इस सॉफ्टवेयर मैं कई बदलाव और सुधर हुए हैं। लोगों की राय माने तो यह सॉफ्टवेयर सबसे बेहतरीन पैरेंटल एप्लीकेशन (parental application) में से एक है। यह सॉफ्टवेयर pornographic content को ब्लॉक करता है, बहुतेरे हानिकारक websites को filter करता है, माँ-बाप को लगातार बच्चों के online गतिविधियों के बारे मैं सूचित (alert) करता है। इसमें और भी बहुत सारी features हैं।
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नेट नैनी (Net Nanny) का सबसे बेहतरीन feature है social media monitoring। ये आप जैसे माँ-बाप की मदद करता है बच्चों के social networking platforms की निगरानी करने मैं। आप देख सकेंगे की आपका बच्चा social networking platforms पर क्या कर रहा है। यहां तक की आप WhatsApp जैसे applications पर वो क्या बातचित कर रहा है देख सकेंगे।
नेट नैनी (Net Nanny) app का कोई फ्री संस्करण नहीं है। इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको उनकी सर्विस खरीदनी पड़ेगी। मगर इस aap के कई पैकेज उपलब्ध हैं। जो अलग अलग कीमतों पे आते हैं। कुछ पैकेज ऐसे हैं जो बेहद सस्ते हैं और try out करने के लिए अच्छा विकल्प है।
इसके दो संस्करण उपलब्ध हैं। एक जो फ्री है और दूसरा जिसके लिए आपको खर्च करना पड़ेगा। फ्री version और paid version में सिर्फ इतना अंतर है की paid version के साथ आपको कुछ added features भी मिलते हैं।
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Free version में आप कोई भी online content जिसे आप अपने बच्चों के लिए सही न समझे, ब्लॉक कर सकते हैं। कास्परस्की सफेकिडस (Kaspersky SafeKids) निगरानी करता है उन aps की भी जिसे आप के बच्चों ने download किया है। इस software की मदद से आप चाहें तो उन aps को block/unblock कर सकते हैं। कास्परस्की सफेकिडस (Kaspersky SafeKids) का free संस्करण यहीं तक सिमित है।
Paid version मैं आपको और features मिलते हैं जैसा की calls monitoring, text messaging,location tracking, Facebook profile track करना और Facebook friend list की निगरानी करना वगैरह वगैरह।
अगर आपको लगता है की कास्परस्की सफेकिडस (Kaspersky SafeKids) आपके बच्चों को online सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है तो हम आपको सुझाव देंगे की आप paid version के लिए जाएँ। Paid version या premium version मैं वो सारे फीचर्स आप को मिलेंगे जो जरुरी हैं आप के बच्चों को online सुरक्षित रखने मैं।
Vitamin A एक वसा विलेय विटामिन है जिस के अत्यधिक सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु में जन्म दोष की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है कि विटामिन ए गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि शिशु के विकास के लिए विटामिन ए एक महत्वपूर्ण घटक भी है।
बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
शिशु के जन्म के बाद यानी डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या देखी गई है। हालांकि बाजार में बाल झड़ने को रोकने के लिए बहुत तरह की दवाइयां उपलब्ध है लेकिन जब तक महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं तब तक यह सलाह दी जाती है कि जितना कि जितना ज्यादा हो सके दवाइयों का सेवन कम से कम करें। स्तनपान कराने के दौरान दवाइयों के सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु के कान में मेल का जमना आम बात है। मगर कान साफ़ करते वक्त अगर कुछ महत्वपूर्ण सावधानी नहीं बरती गयी तो इससे शिशु के कान में इन्फेक्शन हो सकता है या उसके कान के अन्दर की त्वचा पे खरोंच भी लग सकता है। जाने शिशु के कान को साफ़ करने का सही तरीका।
शिशु को बहुत छोटी उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात शिशु से ले कर एक साल तक की उम्र के बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता ही वो अपने शरीर का तापमान वयस्कों की तरह नियंत्रित कर सकें। इसलिए यह जाना बेहद जरुरी है की बच्चे को किस उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) दिया जा सकता है।
कोलोस्ट्रम माँ का वह पहला दूध है जो रोगप्रतिकारकों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है जो नवजात शिशु के मांसपेशियोँ को बनाने में मदद करती है और नवजात की रोग प्रतिरक्षण शक्ति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अगर आप के बच्चे को दूध पिलाने के बाद हिचकी आता है तो यह कोई गंभीर बात नहीं है। कुछ आसान घरेलू नुस्खे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को हिचकी से निजात दिला सकती हैं।
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
9 महीने के बच्चों की आहार सारणी (9 month Indian baby food chart) - 9 महीने के अधिकतर बच्चे इतने बड़े हो जाते हैं की वो पिसे हुए आहार (puree) को बंद कर mashed (मसला हुआ) आहार ग्रहण कर सके। नौ माह का बच्चा आसानी से कई प्रकार के आहार आराम से ग्रहण कर सकता है। इसके साथ ही अब वो दिन में तीन आहार ग्रहण करने लायक भी हो गया है। संतुलित आहार चार्ट
जन्म के बाद गर्भनाल की उचित देखभाल बहुत जरुरी है। अगर शिशु के गर्भनाल की उचित देखभाल नहीं की गयी तो इससे शिशु को संक्रमण भी हो सकता है। नवजात शिशु में संक्रमण से लड़ने की छमता नहीं होती है। इसीलिए थोड़ी सी भी असावधानी बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर करना सिखाएं। यह भी जानिए की बच्चों को बुरी संगत से कैसे बचाएं। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दीजिये।
अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
नवजात बच्चों द्वारा बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है क्योंकि वे अपने खाद्य - पदार्थ के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है। उलटी के गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।
टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन आप के शिशु को टाइफाइड के बीमारी से बचता है। टाइफाइड का वैक्सीन मुख्यता दो तरह से उपलबध है। पहला है Ty21a - यह लाइव वैक्सीन जिसे मुख के रस्ते दिया जाता है। दूसरा है Vi capsular polysaccharide vaccine - इसे इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है। टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन पहले दो सालों में 30 से 70 प्रतिशत तक कारगर है।
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।