गर्भावस्था में खतरों से बचाए 6 महत्वपूर्ण विटामिन और सप्लीमेंट
विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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कैल्शियम से भरपूर आहार जो बनायें बच्चों को मजबूत और स्मार्ट
बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
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शिशु में फ़ूड पोइजन (Food Poison) का घरेलु इलाज
जब शिशु हानिकारक जीवाणुओं या विषाणु से संक्रमित आहार ग्रहण करते हैं तो संक्रमण शिशु के पेट में पहुंचकर तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं और शिशु को बीमार कर देते हैं। ठीक समय पर इलाज ना मिल पाने की वजह से हर साल भारतवर्ष में हजारों बच्चे फूड प्वाइजनिंग की वजह से मौत के शिकार होते हैं। अगर समय पर फूड प्वाइजनिंग की पहचान हो जाए और शिशु का समय पर सही उपचार मिले तो शिशु 1 से 2 दिन में ही ठीक हो जाता है।
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प्रेगनेंसी में अपच (indigestion) - कारण और निवारण
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
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व्यस्क होने पे शिशु की लम्बाई कितनी होगी?
इस calculator की मदद से दो मिनट में पता करिए की व्यस्क होने पे आप के शिशु की लम्बाई क्या होगी। शिशु की लम्बाई उसके आनुवंशिकी (genetics) और बचपन में उसे मिले आहार पे निर्भर करता है। इन्ही दोनों बैटन के आधार पे शिशु की लम्बाई का आकलन लगाया जाता है। Baby height prediction. Find out how tall your child will be?
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पराबेन (paraben) क्योँ है शिशु के लिए हानिकारक
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
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शिशु को 10 सप्ताह (ढाई माह) की उम्र में लगाये जाने वाले टीके
शिशु को 10 सप्ताह (ढाई माह) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
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दाल का सुप बच्चों के लिए - दाल का पानी
दाल का पानी (Dal ka pani/ lentil soup for infants) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। प्रोटीन और विटामिन से भर पूर, और पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
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टॉप स्कूल जहाँ पढते हैं फ़िल्मी सितारों के बच्चे
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
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पारिवारिक परिवेश बच्चों के विकास को प्रभावित करता है
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
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मछली और गाजर की प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
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अवोकाडो का प्यूरी - शिशु आहार - बनाने की विधि
अवोकेडो में प्रचुर मात्रा में बुद्धि को बढ़ाने वाला omega-3s पाया जाता है| इसके साथ है इसका स्वाद बहुत हल्का होता है जीस वजह से शिशु आहार के लिए अवोकेडो एकदम perfect है| जानिए step-by-step तरीके से अवोकेडो से शिशु आहार त्यार करने की विधि|
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आटे का हलुआ बनाने की विधि
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
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झटपट करें त्यार सब्जियों का puree बच्चों के लिए (baby food)
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का| बच्चे को हरी सब्जियां खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर| घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है| बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है| घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे|
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घर पे करें त्यार बच्चों का आहार
बच्चों के शुरुआती दिनों मे जो उनका विकास होता है उसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है| इसका असर उनके बाकि के सारी जिंदगी पे पड़ता है| इसी लिए बेहतर यही है की बच्चों को घर का बना शिशु-आहार (baby food) दिया जाये जो प्राकृतिक गुणों से भरपूर हों|
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ठोस आहार की शुरुआत
ठोस आहार के शुरुवाती दिनों में बच्चे को एक बार में एक ही नई चीज़ दें। नया कोई भी भोजन पांचवे दिन ही बच्चे को दें। इस तरह से, अगर किसी भी भोजन से बच्चे को एलर्जी हो जाये तो उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।
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येल्लो फीवर वैक्सीन
येलो फीवर मछर के एक विशेष प्रजाति द्वारा अपना संक्रमण फैलता है| भारत से जब आप विदेश जाते हैं तो कुछ ऐसे देश हैं जैसे की अफ्रीका और साउथ अमेरिका, जहाँ जाने से पहले आपको इसका वैक्सीन लगवाना जरुरी है क्योँकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है और वहां यत्र करते वक्त आपको संक्रमण लग सकता है|
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बच्चों में खाने से एलर्जी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया के लगभग आधे बच्चों को किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होगा। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उन बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक होती है क्यों कि ये बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम दमा, एक्जिमा, पित्ती (त्वचा पर चकत्ते) और भोजन से संबंधित हैं।
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