Category: बच्चों की परवरिश
By: Vandana Srivastava | ☺2 min read
युवा वर्ग की असीमित बिखरी शक्ति को संगठित कर उसे उचित मार्गदर्शन की जितनी आवश्यकता आज हैं , उतनी कभी नहीं थी। आज युवा वर्ग समाज की महत्वकांशा के तले इतना दब गया हैं , की दिग - भ्रमित हो गया हैं।

सबसे युवा देश भारत का युवा वर्ग हो आगे ,
उसके भीतर छिपी शक्ति , नवसृजन हेतु अब जागे
सारा गगन नाप लेने की हो उमंग पाखो में
इससे कम न उन्हें जीवन में कोई लक्ष्य सुहाये।
किसी भी राष्ट्र में क्रांति का सूतपात युवावर्ग ही करते हैं। यह क्रांति सामाजिक , राजनीतिक या व्यावसायिक किसी भी श्रेत्र में हो सकती हैं।
युवा वर्ग की असीमित बिखरी शक्ति को संगठित कर उसे उचित मार्गदर्शन की जितनी आवश्यकता आज हैं , उतनी कभी नहीं थी। आज युवा वर्ग समाज की महत्वकांशा के तले इतना दब गया हैं , की दिग - भ्रमित हो गया हैं।
हर किसी को ऊँची उड़ान भरना हैं , परन्तु यह उड़ान जमीन से होगी और जमीन पर ही रहकर होगी , यह बात हमारे बच्चे भूल गये हैं। हमें इस वर्ग को इस बात के लिए प्रेरित करना हैं की वे अपनी संस्कृति से जुड़े रहे , क्योंकिहमारी संस्कृति एक वट वृक्ष की तरह हैं , जिसकी जड़े बहुत दूर तक और गहराई तक फैली हैं। जिस तरह एक वृक्ष पुष्पित और पल्लवित होता हैं , वैसे ही हमारा युवा वर्ग भी अपनी सुगंध से चारों दिशाओं को सुगन्धित करे। प्राचीन संस्कृति और नई तकनीक ( टेक्नॉलॉजी ) से समाज को नई दिशा दे।
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पोक्सो एक्ट बच्चों पे होने वाले यौन शोषण तथा लैंगिक अपराधों से उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। 2012 में लागु हुआ यह संरक्षण अधिनियम एवं नियम, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पे हो रहे लैंगिक अपराधों पे अंकुश लगाने के लिए किया गया है। Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) का उल्लेख सेक्शन 45 के सब- सेक्शन (2) के खंड “क” में मिलता है। इस अधिनियम के अंतर्गत 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ यौन उत्पीडन करने वाले दोषी को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
मुख्यता दस कारणों से मिसकैरेज (गर्भपात) होता है। अगर इनसे बच गए तो मिसकैरेज नहीं होगा। जाने की मिसकैरेज से बचाव के लिए आप को क्या करना और क्या खाना चाहिए। यह भी जाने की मिसकैरेज के बाद फिर से सुरक्षित गर्भधारण करने के लिए आप को क्या करना चाहिए और मिसकैरेज के बाद गर्भधारण कितना सुरक्षित है?
जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद आपके शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे स्तनपान माताओं के लिए बेस्ट आहार। ये आहार ऐसे हैं जो डिलीवरी के बाद आपके शरीर को रिकवर (recover) करने में मदद करेंगे, शारीरिक ऊर्जा प्रदान करेंगे तथा आपके शिशु को उसकी विकास के लिए सभी पोषक तत्व भी प्रदान करेंगे।
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
सभी बच्चे नटखट होते हैं। लेकिन बच्चों पे चलाना ही एक मात्र समस्या का हल नहीं है। सच तो ये है की आप के चिल्लाने के बाद बच्चे ना तो आप की बात सुनना चाहेंगे और ना ही समझना चाहेंगे। बच्चों को समझाने के प्रभावी तरीके अपनाएं। इस लेख में हम आप को बताएँगे की बच्चों पे चिल्लाने के क्या - क्या बुरे प्रभाव पड़ते हैं।
कहानियां सुनने से बच्चों में प्रखर बुद्धि का विकास होता है। लेकिन यह जानना जरुरी है की बच्चों को कौन सी कहानियां सुनाई जाये और कहानियौं को किस तरह से सुनाई जाये की बच्चों के बुद्धि का विकास अच्छी तरह से हो। इस लेख में आप पढ़ेंगी कहानियौं को सुनने से बच्चों को होने वाले सभी फायेदों के बारे में।
शिशु का वजन जन्म के 48 घंटों के भीतर 8 से 10 प्रतिशत तक घटता है। यह एक नार्मल से बात है और सभी नवजात शिशु के साथ होता है। जन्म के समय शिशु के शरीर में अतिरिक्त द्रव (extra fluid) होता है - जो शिशु के जन्म के कुछ दिनों के अंदर तेज़ी से बहार आता है और शिशु का वजन कम हो जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर फिर से शिशु का वजन अपने जन्म के वजन के बराबर हो जायेगा और फिर बढ़ता ही जायेगा।
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
शिशु के नौ महीने पुरे होने पे केवल दो ही टीके लगाने की आवश्यकता है - खसरे का टीका और पोलियो का टिका। हर साल भारत में 27 लाख बच्चे खसरे के संक्रमण के शिकार होते है। भारत में शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण खसरा है।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
नवजात बच्चे के खोपड़ी की हड्डियां नरम और लचीली होती हैं ताकि जन्म के समय वे संकरे जनन मार्ग से सिकुड़ कर आसानी से बहार आ सके। अंग्रेज़ी में इसी प्रक्रिया को मोल्डिंग (moulding) कहते हैं और नवजात बच्चे के अजीब से आकार के सर को newborn head molding कहते हैं।
Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
अकॉर्डियन पेपर फोल्डिंग तकनीक से बनाइये घर पे खूबसूरत सा मोमबत्ती स्टैंड| बनाने में आसान और झट पट तैयार, यह मोमबत्ती स्टैंड आप के बच्चो को भी बेहद पसंद आएगा और इसे स्कूल प्रोजेक्ट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
अगर 6 वर्ष से बड़ा बच्चा बिस्तर गिला करे तो यह एक गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति मैं आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह ना ली गयी तो बीमारी बढ़ भी सकती है।
मसाज तथा मसाज में इस्तेमाल तेल के कई फायदे हैं बच्चों को। मालिश शिशु को आरामदायक नींद देता है। इसके साथ मसाज के और भी कई गुण हैं जैसे की मसाज बच्चे के वजन बढ़ने में मदद करा है, हड़ियों को मजबूत करता है, भोजन को पचने में मदद करता है और रक्त के प्रवाह में सुधार लता है।
दस्त के दौरान बच्चा ठीक तरह से भोजन पचा नहीं पाता है और कमज़ोर होता जाता है। दस्त बैक्टीरियल संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी के दौरान उसको दिया गया ८०% आहार दस्त की वजह से समाप्त हो जाता है। इसी बैलेंस को बनाये रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आहार हैं जिससे दस्त के दौरान आपके बच्चे का पेट भरा रहेगा।