Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Vandana Srivastava | ☺6 min read
दिमागी बुखार (मेनिन्जइटिस) की वजह से दिमाग को नुकसान और मौत हो सकती है। पहले, बहुत अधिक बच्चों में यह बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन टीकों के इस्तेमाल से इस पर काबू पाया गया है। हर माँ बाप को अपने बच्चों को यह टिका अवश्य लगवाना चाहिए।

अपने बच्चे को पूरी तरह से फिट रखने के लिए आप को टीका करण पर विशेष ध्यान देना होगा और समय - समय पर टीका चार्ट के अनुसार उसे टीका लगवाना होगा, जिससे वह मेनिन्जइटिस जैसी बीमारी से बच सके।
मेनिन्जइटिस या सेरिब्रो - स्पाइनल बुखार ( जिसे साधारणतः : “ ब्रेन फीवर ” या गर्दनतोड़ बुखार ” कहते हैं ) ब्रेन की झिल्लियों में होने वाला यह एक भयंकर रोग है।
यह विभिन प्रकार के वायरस व बैक्टीरिया आदिः के कारण हो सकता है। मेनिन्जइटिस का हर प्रकार, संक्रामक तथा रोकथाम किया जा सकने वाला होता है।
केवल एक बैक्टीरिया जिसे मेनिंगोकोकस कहते हैं, उससे होने वाली मेनिन्जइटिस बीमारी को रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। यह वैक्सीन 50 रू प्रति खुराक की दर से बाजार में उपलब्ध है।

त्वचा के नीचे ( सबकूटेनिअस ) या मांसपेशी में ( इंट्रामस्कुलर ) इंजेक्शन के द्वारा – 0.5 मी. ली. की केवल एक खुराक।
बच्चो में खसरा, गलगंड ( मम्स ) और जर्मन खसरा ( रूबेल ) गंभीर बीमारियां होती हैं। इससे दिमाग को नुकसान और मौत हो सकती है।
पहले, बहुत अधिक बच्चों में यह बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन टीकों के अविष्कार के बाद इस पर काबू पाया गया है। मेनिन्जइटिस वैक्सीन खसरा, मंप्से और रूबेल इन तीनों बीमारियों से बच्चोंर की रक्षा करता है।
टीकाकरण की बदौलत, ये बीमारियां अब भारत में पहले से कहीं कम हैं। परंतु यदि हम टीकाकरण को रोक दें तो वे लौट आएंगी।

बच्चों को मेनिन्जइटिस वैक्सीन की 2 खुराकें दी जानी चाहिएं।
मेनिन्जइटिस वैक्सीन लगवाने वाले अधिकांश बच्चों को इसके कारण कोई भी गंभीर समस्या नहीं होती। कभी - कभी दवा के रिएक्शन के समान हल्कीं समस्या्एं होती हैं। जैसे:
यदि ये समस्याएं होती हैं तो सामान्यत: ये वैक्सीन दिए जाने के 6-14 दिनों के भीतर होती हैं। दूसरी खुराक के बाद ये और भी कम होती हैं।

कोई भी असामान्यय दशा, जैसे कि अधिक बुखार अथवा असामान्य: व्यकवहार होने पर डॉक्टिर को फोन करें, अथवा प्रभावित व्यैक्ति को तुरंत डॉक्टार के पास ले जाएं।
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विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
बच्चों का शारीर कमजोर होता है इस वजह से उन्हें संक्रमण आसानी से लग जाता है। यही कारण है की बच्चे आसानी से वायरल बुखार की चपेट पद जाते हैं। कुछ आसन घरेलु नुस्खों के दुवारा आप अपने बच्चों का वायरल फीवर का इलाज घर पर ही कर सकती हैं।
बच्चे या तो रो कर या गुस्से के रूप में अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन बच्चे अगर हर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे तो आगे चलकर यह बड़ों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। मां बाप के लिए आवश्यक है कि वह समय रहते बच्चे के गुस्से को पहचाने और उसका उपाय करें।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शिशु को एलर्जी नहीं है, तो आप उसे 6 महीने की उम्र से ही अंडा खिला सकती हैं। अंडे की पिली जर्दी, विटामिन और मिनिरल का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु को वासा और कोलेस्ट्रॉल, जो उसके विकास के लिए इस समय बहुत जरुरी है, भी मिलता है।
इसमें हानिकारक carcinogenic तत्त्व पाया जाता है। यह त्वचा को moisturize नहीं करता है - यानी की - यह त्वचा को नमी प्रदान नहीं करता है। लेकिन त्वचा में पहले से मौजूद नमी को खोने से रोक देता है। शिशु के ऐसे बेबी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिनमे पेट्रोलियम जैली/ Vaseline की बजाये प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया हो जैसे की नारियल का तेल, जैतून का तेल...
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
गर्भावस्था के बाद तंदरुस्ती बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन कुछ छोटी-मोती बातों का अगर ख्याल रखा जाये तो आप अपनी पहली जैसी शारीरिक रौनक बार्कर रख पाएंगी। उदहारण के तौर पे हर-बार स्तनपान कराने से करीब 500 600 कैलोरी का क्षय होता है। इतनी कैलोरी का क्षय करने के लिए आपको GYM मैं बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
शिक्षक वर्तमान शिक्षा प्रणाली का आधार स्तम्भ माना जाता है। शिक्षक ही एक अबोध तथा बाल - सुलभ मन मस्तिष्क को उच्च शिक्षा व आचरण द्वारा श्रेष्ठ, प्रबुद्ध व आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। प्राचीन काल में शिक्षा के माध्यम आश्रम व गुरुकुल हुआ करते थे। वहां गुरु जन बच्चों के आदर्श चरित के निर्माण में सहायता करते थे।
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
घर पे आसानी से बनायें अवोकाडो और केले की मदद से पौष्टिक शिशु आहार (baby food)| पोटैशियम और विटामिन C से भरपूर, यह शिशु आहार बढते बच्चे के शारीरिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए एकदम सही विकल्प है|
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का| बच्चे को हरी सब्जियां खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर| घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है| बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है| घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे|
अक्सर माताओं के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण रहता है की बच्चो को क्या दें की उनले बढ़ते शरीर को पोषक तत्वों की उचित खुराक मिल सके। कोई भी नया भोजन जब आप पहली बार बच्चे को देते हैं तो वो नखड़े कर सकता है। ऐसे मैं यह - 3 साल तक के बच्चे का baby food chart आप की मदद करेगा। संतुलित आहार चार्ट
माता- पिता अपने बच्चों को गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए तरह- तरह के तरीके अपनाते तो हैं , पर फिर भी बच्चे इस मौसम में कुछ बिमारियों के शिकार हो ही जाते हैं। जानिए गर्मियों में होने वाले 5 आम बीमारी और उनसे अपने बच्चों को कैसे बचाएं।
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अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।