Category: प्रेगनेंसी
By: Editorial Team | ☺16 min read
पूरी गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के लिए यह बहुत आवश्यक है की वह ऐसे पोषक तत्वों को अपने आहार में सम्मिलित करें जो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं तथा गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी बहुत तेजी से होता है और इस वजह से शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। पोषक तत्वों की कमी शिशु और माँ दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसी तरह का एक बहुत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है Vitamin B12.

गर्भावस्था के दौरान Vitamin B12 शिशु के तांत्रिका तंत्र के विकास में और दिमाग के विकास में बहुत पूर्व भूमिका निभाता है।
शोध में पाया गया है जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उनके आहार से पर्याप्त मात्रा में Vitamin B12 नहीं मिला, जन्म के बाद उनके शिशु अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा रोते पाएं गए तथा इन बच्चों को रात में सोने में भी अनिद्रा जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक दूसरी शोध में यह भी पता चला की Vitamin B12 की कमी से शिशु में neural tube defects की संभावना बढ़ जाती है।

या मुख्य रूप में एक bacterium है जो जीवाणुओं द्वारा इंसान के शरीर में (और जानवरों की सरी देगी) पैदा किया जाता है। इसमें cobalt होता है जिस वजह से इस का रासायनिक नाम cobalamin है।
यह कई रूप में हमारे शरीर में पाया जाता है जैसे कि hydroxocobalamin, और इसी हमारा शरीर methylcobalamin और adenosylcobalamin के रूप में संश्लेषित करता है। कुछ समय के लिए हमारा liver इसका संचय भी करके रखता है। लेकिन कई बार gastric issues से संबंधित समस्याओं की वजह से हमारे शरीर में इसकी कमी हो जाती है।

गर्भावस्था के दौरान शरीर में Vitamin B12 की आवश्यकता कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास की आवश्यकता की वजह से होता है। इस वजह से कई बार गर्भवती महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि क्या गर्भावस्था के दौरान विटामिन B12 सकती है, और अगर ले सकती है तो इसी कितनी मात्रा हर दिन लेनी चाहिए।
डॉक्टरों के अनुसार एक गर्भवती महिला को हर दिन विटामिन B12 3.5 ugs प्रतिदिन (per day) की मात्रा लेनी चाहिए। इससे उनके शरीर में विटामिन B12 की कमी (deficiency) नहीं होगी। इस तरह से एक गर्भवती महिला को प्रतिदिन विटामिन B12 की 250 to 500 ug प्रति दिन (per day) लेनी चाहिए।
विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं गर्भवती महिलाओं को विटामिन B12 की प्रतिदिन की डोज (dose) दैनिक आवश्यकता से थोड़ी ज्यादा लेनी चाहिए ताकि शरीर की से आसानी से अवशोषित कर सके।

गर्भावस्था के दौरान शरीर को मुख्यता दो तरह से विटामिन B12 मिलता है। सर्वप्रथम जब महिलाएं ऐसे आहार को अपने भोजन में सम्मिलित करती हैं जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन बी 12 होता है तब और दूसरा जब वे विटामिन B12 की कमी को पूरा करने के लिए अलग से सप्लीमेंट लेती है तब।

कई महिलाएं यह जानना चाहती है कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन B12 कितना सुरक्षित है? सच बात तो यह है कि विटामिन B12 गर्भावस्था के दौरान बहुत आवश्यक है। इसी कमी से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रुक सकता है या गलत तरीके से प्रभावित हो सकता है। इसकी कमी शिशु और मां दोनों के लिए जानलेवा हो सकती है।
लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि आवश्यकता से अधिक विटामिन B12 लेना भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए विशेषज्ञ यह भी राय देते हैं गर्भवती महिला को अपने डॉक्टर से विटामिन b12 की आवश्यक मात्रा के बारे में पूछ लेना चाहिए।
आप भी अपनी डॉक्टर से पूछ कर यह सुनिश्चित करे की आपको हर दिन विटामिन B12 की कितनी मात्रा लेनी चाहिए ताकि आपके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास और आपके शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव ना पड़े। आप का डॉक्टर विटामिन B12 की कमी को पूरा करने के लिए इंजेक्शन या नाक में डालने वाली दवा दे सकता है।
इस्थिति चाहे जो भी हो, गर्भावस्था के दौरान विटामिन b12 या फिर किसी भी और प्रकार के विटामिन का सेवन करते समय इसके डोस से सम्बंधित पूरी सावधानी बरतें।

शरीर में विटामिन B12 अधिक हो जाने पर ओवरडोज का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन B12 के ओवरडोज से शिशु में autism spectrum disorder की संभावना बन जाती है। लेकिन चूँकि विटामिन B12 एक जल विलय विटामिन है, इससे ओवर डोस (over dose) का खतरा बहुत कम रहता है।

अधिकांश गर्भवती महिलाओं को उनके आहार से दैनिक आवश्यकता का विटामिन B12 जाता है और कुछ उन्हें गर्भधारण से संबंधित विटामिन में मिल जाता है।
लेकिन कुछ महिलाएं जो पूरी तरह से शाकाहारी भोजन पर आधारित है और दूध तथा दूध से बने उत्पादों का भी सेवन नहीं करती है - उनमें विटामिन B12 की कमी हो सकती है। ऐसे में उन्हें डॉक्टर से राय लेकर के शरीर में हो रहे विटामिन बी12 की कमी को पूरा करना चाहिए।


अगर गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक कमजोरी महसूस करें, तथा आपके दिल की धड़कन भी बहुत ज्यादा बढ़ जाए और आपकी सांस फूलने लगे तथा त्वचा करें पीला पड़ जाए तो तुरंत डॉक्टर से मिले और विटामिन B12 डिफिशिएंसी (Deficiency ) के लिए जांच कराएं।
यह सारे लक्षण विटामिन बी12 की कमी के हो सकते हैं। अगर जाट द्वारा यह पता लगे कि आपके शरीर में विटामिन B12 की कमी हो गई है तो डॉक्टर कुछ और जांच कराने की भी सलाह दे सकते हैं जिससे इस बात का निर्धारण होगा कि किस वजह से शरीर में विटामिन बी12 की कमी हो रही है।

अब हम बात करेंगे विटामिन B12 की कमी से शिशु के शरीर में होने वाले Risks and Complications के बारे में। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में विटामिन B12 की कमी से, गर्भ में पल रहे शिशु में निम्न खतरे पैदा हो सकते हैं:


गर्भवती महिलाओं को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि उनके भोजन में ऐसे आहार सम्मिलित हों जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन B12 मौजूद होता है।
वह महिलाएं जो पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन पर निर्भर रहती हैं और दूध तथा उन से बने कोई भी दूध उत्पाद का सेवन नहीं करती हैं उनके अंदर विटामिन बी12 की कमी का खतरा बना रहता है। इसीलिए इन महिलाओं को विटामिन बी12 की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर से सलाह मशवरा करना चाहिए। हम नीचे उन आहारों के नाम दे रहे हैं जिनसे आपको प्रचुर मात्रा में विटामिन B12 मिल सके।
एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसमें बच्चे के पुरे शारीर पे लाल चकते पड़ जाते हैं और उनमें खुजली बहुत हती है। एक्जिमा बड़ों में भी पाया जाता है, लेकिन यह बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। एक्जिमा की वजह से इतनी तीव्र खुजली होती है की बच्चे खुजलाते-खुजलाते वहां से खून निकल देते हैं लेकिन फिर भी आराम नहीं मिलता। हम आप को यहाँ जो जानकारी बताने जा रहे हैं उससे आप अपने शिशु के शारीर पे निकले एक्जिमा का उपचार आसानी से कर सकेंगे।
बच्चों के शारीर पे एक्जिमा एक बहुत ही तकलीफदेह स्थिति है। कुछ बातों का ख्याल रखकर और घरेलु इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को बहुत हद तक एक्जिमा की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगी हर छोटी और बड़ी बात का जिनका आप को ख्याल रखना है अगर आप का शिशु एक्जिमा की समस्या से परेशान है!
छोटे बच्चों के मसूड़ों के दर्द को तुरंत ठीक करने का घरेलु उपाय हम आप को इस लेख में बताएँगे। शिशु के मसूड़ों से सम्बंधित तमाम परेशानियों को घरेलु नुस्खे के दुवारा ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपाय के दुवारा बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने का सबसे बड़ा फायेदा ये होता है की उनका कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। यह शिशु के नाजुक शारीर के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का भी डर नहीं रहता है। लेकिन बच्चों का घरेलु उपचार करते समय आप को एक बात का ध्यान रखना है की जो घरेलु उपचार बड़ों के लिए होते हैं - जरुरी नहीं की बच्चों के लिए भी वह सुरक्षित हों। उदाहरण के लिए जब बड़ों के मसूड़ों में दरद होता है तो दांतों के बीच लोंग दबा लेने से आराम पहुँचता है। लेकिन यह विधि बच्चों के लिए ठीक नहीं है क्यूंकि इससे बच्चों को लोंग के तेल से छाले पड़ सकते हैं। बच्चों के लिए जो घरेलु उपाय निर्धारित हैं, केवल उन्ही का इस्तेमाल करें बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
शिशु के जन्म के बाद यानी डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या देखी गई है। हालांकि बाजार में बाल झड़ने को रोकने के लिए बहुत तरह की दवाइयां उपलब्ध है लेकिन जब तक महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं तब तक यह सलाह दी जाती है कि जितना कि जितना ज्यादा हो सके दवाइयों का सेवन कम से कम करें। स्तनपान कराने के दौरान दवाइयों के सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
जब तक आपका शिशु पूर्ण रूप से स्तनपान पर निर्भर है तब तक आप को अपने भोजन का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। कुछ आहार ऐसे हैं जो आपके शिशु के विकास में बाधा डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे आहार हैं जो आप के स्तनपान को आपके शिशु के लिए अरुचि पूर्ण बना सकते हैं। तथा कुछ ऐसे भी आ रहे हैं जिन्हें स्तनपान के दौरान ग्रहण करने से आपकी शिशु को एलर्जी तक हो सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान आपको कौन-कौन से आहारों से दूर रहने की आवश्यकता है। Foods you should avoid during breastfeeding.
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गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
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