Category: शिशु रोग

बच्चों में वायरल बुखार: लक्षण और कारण

By: Vandana Srivastava | 8 min read

वायरल संक्रमण हर उम्र के लोगों में एक आम बात है। मगर बच्चों में यह जायद देखने को मिलता है। हालाँकि बच्चों में पाए जाने वाले अधिकतर संक्रामक बीमारियां चिंताजनक नहीं हैं मगर कुछ गंभीर संक्रामक बीमारियां भी हैं जो चिंता का विषय है।

fever in children

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आजकल पूरे वातावरण में अचानक से बदलाव हो रहें हैं और इसके साथ ही साथ पूरा वातावरण भी प्रदूषित (the entire environment is getting pouted) है। 

खाने पीने की चीजों में भी अशुद्धि और मिलावट है (there is adulteration in food) , जिससे हमारे बच्चों की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता घटती ही जा रही है (natural immunity in children is getting decreased)। 

एक छोटा सा नाज़ुक बच्चा इन सारे परिवर्तन को एक साथ सहन नहीं कर पाता है जिसके फलस्वरूप वह बीमार पड़ जाता है (child gets infection)। 

यह बीमारियां भी विभिन्न प्रकार की होती हैं जो बच्चे को पूरी तरह से अपने प्रभाव में ले लेती हैं। इन्ही बीमारियों में वायरल बुखार (viral infection) भी एक बीमारी है।

इस लेख में आप सीखेंगे

  1. बच्चों में वायरल बुखार
  2. बच्चों में वायरल बुखार क्यों होता है
  3. वायरल बुखार क्या है
  4. बच्चों में वायरल बुखार कितनी दिन रहता है
  5. बच्चों में वायरल बुखार होने पर तापमान को कैसे निचे लाएं
  6. सावधानियां
  7. बच्चों में वायरल बुखार के लक्षण
  8. बच्चों में वायरल बुखार कारण
  9. क्या वायरल बुखार से दूसरों को संक्रमण फैलता है
  10. बच्चों में वायरल बुखार का घरेलू उपचार
  11. बच्चों में किन कारणों से बुखार होता है जानिए इस वीडियो के द्वारा

बच्चों में वायरल बुखार - Viral fever in children

वायरल संक्रमण (viral infection) हर उम्र के लोगों में एक आम बात है। मगर बच्चों में यह जायद देखने को मिलता है (viral infection is common in children))। हालाँकि बच्चों में पाए जाने वाले अधिकतर संक्रामक बीमारियां चिंताजनक नहीं हैं इनमें से कुछ आम संक्रामक बीमारियां है सर्दी खांसी, झुकाम, उलटी, दस्त और भुखार (common infection in children include cold, cough, fever, vomiting and lose motion)। इनके आलावा कुछ गंभीर संक्रामक बीमारियां (serious infectious disease in children) भी हैं जो चिंता का विषय है। जैसे - चेचक (missiles), जो  वैक्सीन के कारण अब उतना नहीं देखने को मिलता है (vaccine is effective in controlling serious infections)। 

अधिकतर संक्रामक बीमारियां इसलिए भी चिंता का विषय नहीं हैं क्योँकि वे समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाएंगी। (most infectious disease go away on their own after a set duration that varies from infection to infection) बहुत सी संक्रामक बीमारियां इतनी अलग हैं की उनके डायग्नोसिस (diagnosing viral infection is not required since symptoms are enough to identify them) के लिए किसी टेस्ट की जरुरत ही नहीं है। उनके लक्षण ही काफी हैं उनकी पहचान के लिए।  

 बच्चों में वायरल बुखार क्यों होता है - Why does my child have a fever?

हर बच्चा कभी ना कभी बीमार पड़ता ही रहता है। वो इसलिए क्यूंकि उसके शरीर में बिमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक छमता पूरी तरह से डेवेलोप नहीं हुई (immune system is not fully developed in children) है। इसके आलावा उन्हें ये नहीं पता होता की गन्दगी क्या होती है। वे जमीन पर पड़ी कुछ भी गन्दी वस्तु मुँह में डाल लेते हैं जिससे संक्रमण उनके शरीर में प्रवेश कर जाता (children body get infected when put dirty things lying on the floor in their mouth) है। हमें गन्दी वस्तुओं को, जिनसे संक्रमण का खतरा हो, बच्चों के पहुँच से दूर रखना चाहिए। बीमारी से बचाव ही सबसे बेहतरीन इलाज है।  Keeping children in hygienic condition is the best way to protect them. 

my child have a fever

वायरल बुखार क्या है - what is viral fever?

वायरल बुखार एक एक्यूट वायरल संक्रमण (viral fever is acute viral infection) है। इसमें संक्रमित विषाणु शरीर में तेजी से फैलते हैं और कुछ ही दिनों में पूरी तरह खत्म भी हो जाते हैं। 

viral fever

वायरल होने पर रोगी का तांत्रिक तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है। इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं में निमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं। किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है।

बच्चों में वायरल बुखार कितनी दिन रहता है - How long does a viral infection last in a child?

संक्रमण कई तरह के होते हैं। हर बीमारी की अवधि अलग अलग होती है। वायरल बुखार कम से कम तीन दिन और अधिक से अधिक दो सप्ताह तक रह सकता है। वायरल बुखार को किसी दवा से या एंटीबायोटिक से ठीक नहीं किया जा सकता है। परन्तु वायरल बुखार के दौरान बच्चों की प्रतिरोधक छमता बहुत घाट जाती है, जिस कारण ये जरुरी होता है की उनको सावधानी के तौर पे, डॉक्टर की सलाह पर दवाई दिया जाये। परन्तु बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण हुई बीमारी को एंटीबायोटिक के द्वारा ठीक किया जा सकता है। 

viral infection

बच्चों में वायरल बुखार होने पर तापमान को कैसे निचे लाएं - How do you bring down a high temperature?

बच्चों में वायरल बुखार होने पर तापमान को बिना किसी दवा के मदद के भी निचे लाया जा सकता है। परन्तु इस का मतलब यह नहीं की बीमारी का इलाज हो गया। बुखार में तापमान इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है। मगर तापमान बहुत जयादा हो जाये तो बच्चों के शरीर पर इसका बुरा आसार भी हो सकता है। इससे डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। इस परिस्थिति में तापमान की निचे लाना जरुरी हो जाता है। 

बुखार होने पर तापमान को कैसे निचे लाएं
बिना किसी दवा के, घरेलू उपचार के द्वारा भी तापमान को निचे लाया जा सकता है - home remedy to bring down high temperature in small children:

  • बच्चा जब बिस्तर पे आराम कर रहा हो तो उसके माथे पे ठंडा भीगा कपडा रखें 
  • भीगे कपडे से बच्चे के शरीर को पोंछें। बच्चे के शरीर के तापमान को निचे लाने का यह एक कारगर तरीका है 
  • आपने बच्चे को तरल खाना खाने को दें 
  • कमरे का पंखा चला दें 
  • बच्चे को कम और आराम दायक कपडा पहनाएं। इससे बच्चे के शरीर का तापमान आसानी से निकल जायेगा। मगर यदि आप का बच्चा ठण्ड से काँप रहा हो तो उसे पतला कम्बल उड़ा दें। 
  • बच्चे को कमरे ठण्ड जगह में रखें। अपने बच्चे को बहार ना जाने दें। 

सावधानियां - Medical emergency 

अगर आप के बच्चे का तापमान किसी भी वक़्त 100.4 या फिर इससे अधिक पहुँच जाये तो आप को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। ये एक मेडिकल एमर्जेन्सी (medical emergency) है। अगर आप का बच्चा 3 महीने से कम उम्र का है तो डॉक्टर को यह बात आवश्य बताएं (consult doctor immediately if your child is within the age of 3 months and inform specifically about the age)। 

बच्चों में वायरल बुखार के लक्षण - Symptoms of viral fever in children

  1. बच्चे के पूरे शरीर में अत्यधिक दर्द होता है।
  2. गले में खराश और खाँसी आना।
  3. मिचली और उलटी होना।
  4. नाक से लगातार पानी बहना।
  5. सिर में दर्द होना।
  6. आँखें लाल- लाल हो जाना और उसमें जलन का एहसास होना।
  7. त्वचा पर धब्बे।
  8. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
  9. सामान्य रूप से कमज़ोरी होना।
  10. बच्चे को अत्यधिक ठण्ड लगने लगती है।
  11. अत्यधिक दस्त होना।
  12. शरीर का तापमान 100 से 103 डिग्री हो जाता है।
  13. तीन हफ़्तों से अधिक खाँसी आना।
  14. मल में खून आना।
  15. हाथ - पैर में सूजन।
  16. दौरे पड़ना।
  17. छींक आना।

बच्चों में वायरल बुखार कारण - Reasons of viral fever in child

  1. प्रदूषित जल और भोजन का सेवन।
  2. वायु द्वारा उत्पन्न सूक्ष्म कणों का भीतर जाना।
  3. वायरल बुखार बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक संक्रमित होता है जिससे यह बुखार एक साथ कई लोगों को हो जाता है।
  4. बच्चे को होने वाला फीवर लापरवाही करने पर खतरनाक रूप लेकर वायरल फीवर में परिवर्तित हो जाता है।
  5. मौसम में आये बदलाव की वजह से यह बुखार होता है।
  6. वायरल बुखार इम्युनिटी सिस्टम ( प्रतिरोधक क्षमता ) के कमजोर होने की वजह से होता है।
  7. अत्यधिक थकान  होना।

क्या वायरल बुखार से दूसरों को संक्रमण फैलता है - Is viral fever is contagious?

बुखार कम हो या ज्यादा हो, अगर आप के बच्चे को बुखार है तो उसे घर में ही रखें। बुखार किसी भी तरह का हो, वह संक्रामक है। आपके बीमार बच्चे के द्वारा दूसरे बच्चों को भी संक्रमण लग सकता है। 

viral fever is contagious

बच्चों में वायरल बुखार का घरेलू उपचार - Viral fever in children home remedies

  • एक लीटर पानी में ताजे तुलसी के पत्तों के साथ लौंग को उबालें। इतना उबालें की पानी घट कर आधा हो जाये। जब पानी ठंडा हो जाये तो इसे दिन में तीन बार पिने तो दें। 
  • जैतून और लहसुन दोनों ही बुखार के लिए बहुत अच्छी दवा है। दो कच्चे लहसुन को क्रश कर के दो बड़े चमच जैतून के तेल में मिला लें। सोने से पहले इस मिश्रण को बच्चे के पैर के तलवे पे लगा दें। 
  • एक छोटा अदरक लें। उसे छील कर और क्रश करके एक कप पानी में कुछ देर उबालें। इसमें शहद में मिला दें और दिन में दो से तीन बार पियें। 

fever home remedies

अगर आपके बच्चे में उपर्युक्त लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो आप उसका पहले घरेलू इलाज करें और आराम न मिलने पर तुरंत डॉक्टर के पास ले जा कर उसका चेक अप करवाएं।

बच्चों में किन कारणों से बुखार होता है जानिए इस वीडियो के द्वारा - Learn what the causes fever in children through this video

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

डेंगू-के-लक्षण
बच्चों-में-न्यूमोनिया
बच्चों-में-यूरिन
बच्चों-का-घरेलू-इलाज
बच्चों-मे-सीलिएक
बच्चों-में-स्किन-रैश-शीतपित्त
बच्चे-को-दूध-से-एलर्जी
बच्चों-में-अण्डे-एलर्जी
टीकाकरण-चार्ट-2018
दस्त-में-शिशु-आहार
बच्चों-का-गर्मी-से-बचाव
आयरन-से-भरपूर-आहार
सर्दी-जुकाम-से-बचाव
बच्चों-में-टाइफाइड
बच्चों-में-अंजनहारी
बच्चों-में-खाने-से-एलर्जी
बच्चों-में-चेचक

Most Read

गर्भ-में-लड़का-होने-के-लक्षण-इन-हिंदी
बच्चे-का-वजन
टीकाकरण-चार्ट-2018
शिशु-का-वजन-बढ़ाएं
बच्चों-में-यूरिन
बच्चों-को-गोरा-करने-का-तरीका-
कई-दिनों-से-जुकाम
खांसी-की-अचूक-दवा
बंद-नाक
balgam-wali-khansi-ka-desi-ilaj
sardi-jukam
सर्दी-जुकाम-की-दवा
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे

Other Articles

कैल्शियम से भरपूर आहार जो बनायें बच्चों को मजबूत और स्मार्ट
कैल्शियम-से-भरपूर-आहार-जो-बनायें-बच्चों-को-मजबूत बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
Read More...

नवजात शिशु और बच्चों के स्वस्थ के लिए UHT Milk
नवजात-शिशु-और-बच्चों-के-स्वस्थ-के-लिए-UHT-Milk बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।
Read More...

शिशु में फ़ूड पोइजन (Food Poison) का घरेलु इलाज
शिशु-में-फ़ूड-पोइजन-(Food-Poison)-का-घरेलु-इलाज जब शिशु हानिकारक जीवाणुओं या विषाणु से संक्रमित आहार ग्रहण करते हैं तो संक्रमण शिशु के पेट में पहुंचकर तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं और शिशु को बीमार कर देते हैं। ठीक समय पर इलाज ना मिल पाने की वजह से हर साल भारतवर्ष में हजारों बच्चे फूड प्वाइजनिंग की वजह से मौत के शिकार होते हैं। अगर समय पर फूड प्वाइजनिंग की पहचान हो जाए और शिशु का समय पर सही उपचार मिले तो शिशु 1 से 2 दिन में ही ठीक हो जाता है।
Read More...

बच्चों में तुतलाने की समस्या - कारण और आसन घरेलु इलाज
बच्चों-में-तुतलाने बचपन में अधिकांश बच्चे तुतलाते हैं। लेकिन पांच वर्ष के बाद भी अगर आप का बच्चा तुतलाता है तो बच्चे को घरेलु उपचार और स्पीच थेरापिस्ट (speech therapist) के दुवारा इलाज की जरुरत है नहीं तो बड़े होने पे भी तुतलाहट की समस्या बनी रहने की सम्भावना है। इस लेख में आप पढेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे की साफ़ साफ़ बोलने में मदद कर सकती हैं। तथा उन तमाम घरेलु नुस्खों के बारे में भी हम बताएँगे जिन की सहायता से बच्चे तुतलाहट को कम किया जा सकता है।
Read More...

10 TIPS - ADHD में शिशु को इस तरह संभालें
ADHD-में-शिशु बच्चे की ADHD या ADD की समस्या को दुश्मन बनाइये - बच्चे को नहीं। कुछ आसन नियमों के दुवारा आप अपने बच्चे के मुश्किल स्वाभाव को नियंत्रित कर सकती हैं। ADHD या ADD बच्चों की परवरिश के लिए माँ-बाप को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
Read More...

नवजात शिशु का Infant Growth Percentile Chart - Calculator
नवजात-शिशु-का-Infant-Growth-Percentile-Calculator यहां दिए गए नवजात शिशु का Infant Growth Percentile कैलकुलेटर की मदद से आप शिशु का परसेंटाइल आसानी से calculate कर सकती हैं।
Read More...

नवजात शिशु का BMI Calculate करने का आसन तरीका (Time 2 Minutes)
नवजात-शिशु-का-BMI जिस शिशु का BMI 85 से 94 परसेंटाइल (percentile) के बीच होता है, उसका वजन अधिक माना जाता है। या तो शिशु में body fat ज्यादा है या lean body mass ज्यादा है। स्वस्थ के दृष्टि से शिशु का BMI अगर 5 से 85 परसेंटाइल (percentile) के बीच हो तो ठीक माना जाता है। शिशु का BMI अगर 5 परसेंटाइल (percentile) या कम हो तो इसका मतलब शिशु का वजन कम है।
Read More...

बंद नाक में शिशु को सुलाने का आसन तरीका (khansi ka ilaj)
khansi-ka-ilaj शिशु को सर्दी और जुकाम (sardi jukam) दो कारणों से ही होती है। या तो ठण्ड लगने के कारण या फिर विषाणु (virus) के संक्रमण के कारण। अगर आप के शिशु का जुकाम कई दिनों से है तो आप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ घरेलु उपचार (khasi ki dawa) की सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी, खांसी और जुकाम को ठीक कर सकती हैं। अगर आप के शिशु को खांसी है तो भी घरेलु उपचार (खांसी की अचूक दवा) की सहायता से आप का शिशु पूरी रात आरामदायक नींद सो सकेगा और यह कफ निकालने के उपाय भी है - gharelu upchar in hindi
Read More...

शिशु बहुत गुस्सा करता है - करें शांत इस तरह
शिशु-गुस्सा अगर आप का शिशु बहुत गुस्सा करता है तो इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है। सभी बच्चे गुस्सा करते हैं। गुस्सा अपनी भावना को प्रकट करने का एक तरीका है - जिस तरह हसना, मुस्कुराना और रोना। बस आप को अपने बच्चे को यह सिखाना है की जब उसे गुस्सा आये तो उसे किस तरह नियंत्रित करे।
Read More...

5 कारण स्तनपान के दौरान शिशु के रोने के
शिशु-क्योँ-रोता स्तनपान या बोतल से दूध पिने के दौरान शिशु बहुत से कारणों से रो सकता है। माँ होने के नाते यह आप की जिमेदारी हे की आप अपने बच्चे की तकलीफ को समझे और दूर करें। जानिए शिशु के रोने के पांच कारण और उन्हें दूर करने के तरीके।
Read More...

पपीते का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार
पपीते-का-प्यूरी पपीते में मौजूद enzymes पाचन के लिए बहुत अच्छा है। अगर आप के बच्चे को कब्ज या पेट से सम्बंधित परेशानी है तो पपीते का प्यूरी सबसे बढ़िया विकल्प है। Baby Food, 7 से 8 माह के बच्चों के लिए शिशु आहार
Read More...

कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार - बनाने की विधि
कद्दू-की-प्यूरी कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
Read More...

चावल का शिशु आहार - बनाने की विधि
चावल-का-शिशु-आहार चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
Read More...

मुंग का दाल बनाने की विधि - शिशु आहार
मुंग-का-दाल मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
Read More...

12 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe)
12-month-baby-food-chart 12 महीने या 1 साल के बच्चे को अब आप गाए का दूध देना प्रारम्भ कर सकते हैं और साथ ही उसके ठोस आहार में बहुत से व्यंजन और जोड़ सकते हैं। बढ़ते बच्चों के माँ-बाप को अक्सर यह चिंता रहती है की उनके बच्चे को सम्पूर्ण पोषक तत्त्व मिल पा रहा है की नहीं? इसीलिए 12 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe) बच्चों के आहार सारणी की जानकारी दी जा रही है। संतुलित आहार चार्ट
Read More...

घर पे करें त्यार बच्चों का आहार
घर-पे-त्यार-बच्चों-का-आहार बच्चों के शुरुआती दिनों मे जो उनका विकास होता है उसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है| इसका असर उनके बाकि के सारी जिंदगी पे पड़ता है| इसी लिए बेहतर यही है की बच्चों को घर का बना शिशु-आहार (baby food) दिया जाये जो प्राकृतिक गुणों से भरपूर हों|
Read More...

6 माह के बच्चे का baby food chart और Recipe
6-महीने-के-बच्चे-का-आहार बच्चों में आहार शुरू करने की सबसे उपयुक्त उम्र होती है जब बच्चा 6 month का होता है। इस उम्र में बच्चे को दूध के साथ साथ पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पहली बार बच्चों के ठोस आहार शुरू करते वक्त (weaning) यह दुविधा होती है की क्या खिलाएं और क्या नहीं। इसीलिए पढ़िए baby food chart for 6 month baby.
Read More...

गलतियां जो पेरेंटस करते हैं बच्चों की परवरिश में
बच्चों-की-परवरिश गलतियों से सीखो। उनको दोहराओ मत। ऐसी ही कुछ गलतियां हैं। जो अक्सर माता-पिता करते हैं बच्चे को अनुशासित बनाने में।
Read More...

बड़े होते बच्चों को सिखाएं ये जरुरी बातें - Sex Education
बच्चों-को-दे-Sex-Education जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े।
Read More...

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना कैसे रोकें (bed wetting)
बिस्तर-पर-पेशाब-करना अगर 6 वर्ष से बड़ा बच्चा बिस्तर गिला करे तो यह एक गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति मैं आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह ना ली गयी तो बीमारी बढ़ भी सकती है।
Read More...

Copyright: Kidhealthcenter.com